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मंगलवार, 20 मार्च 2018

सिंहासन का मतलब है, सिंहों का आसन!!!लेकिन....

हम अपने नजदीक समाज व पास पड़ोस की संस्था में देखते हैं किसकी चल रही है? जिनकी चलती है उनके रहते समस्याएं हल क्यों नहीं हो रही हैं ?विभिन्न सरकार संस्थाओं, संयुक्त राष्ट्र संघ आदि के रहते समस्याएं हल क्यों नहीं हो रही हैं ?यदि समस्याएं हल नहीं हो रही हैं तो इसका मतलब क्या है ?दुनिया को जकड़े बैठे लोग क्या समस्याओं को हल करने की क्षमता नहीं रखते? यदि बे क्षमता नहीं रखते तो फिर गद्दी खाली क्यों नहीं करते? इसका मतलब हर पल क्रांति की आवश्यकता है हर पल जिहाद की आवश्यकता है .राष्ट्रवाद, जातिवाद ,मजहबवाद...... चाहे कोई भी वाद हो उससे विश्व में शांति व मानव का कल्याण संभव नहीं है .मानवता व अध्यात्म से ही सभी समस्याएं हल हो सकती हैं .आप कहते हैं -डंडा चलाने की जरूरत है योगी हो या मोदी देश का भला होने वाला नहीं . डंडा कौन चलाएगा निष्पक्ष या पक्षपाती? अब भी क्या डंडा नहीं चल रहा ?ईमानदारी ,न्याय, मानवता ,कानून ,सुपर प्रबंधन, सुप्रबंधन पर क्या झंडा नहीं चल रहा है? गांव या वार्ड के गुंडे,माफिया आज किसके साथ खड़े हैं ?कानूनी झाड़ने वाले ,कानून के बात करने वाले ,सच्चे ,ईमानदार, इंसानियत को स्वीकारने वाले, कानूनी व्यवस्था को मानने वाले आदि नेताओं विधायकों मंत्रियों थाना अध्यक्षयों आदि के साथ खड़े है??
#शेष