पृथ्वी से लाखों प्रकाश वर्ष दूर एक धरती सनडेक्सरन।
जहां के मूल निवासी तीन नेत्रधारी व 11फुट लम्बे स्त्री पुरुष।
जहां से भी काफी दूर अंतरिक्ष में एक धरती -भुमसन्दा।
जहां के जंगली इलाका में एक शिविर लगा था।अधिकतर स्त्री पुरुष तीन नेत्रधारी थे। जो किसी किसी रिसर्च पर यहाँ आये हुए थे।
सत्तावाद, पूंजीवाद, माफिया वाद की मिलीभगत ने बार बार इतिहास दोहराया है।
पृथु महि (पृथ्वी) से भी कुछ स्त्री पुरुष मौजूद थे।
दसलोफीन यवती तीन नेत्रधारी नहीं थी।वह जरूर पृथ्वी की रही होगी।
कदफनेडरीस नाम का युवक तीन नेत्रधारी था। जो शिविर की ओर ही जा रहा था।
दसलोफीन कुछ दूरी पीछे विशाल काय पत्थरों, शिलाओं की ओर थी।
एक शिला पर पृथु महि का नक्शा बना हुआ था।
जिसमें भूमध्यसागरीय क्षेत्र व साइबेरिया क्षेत्र के बीच एक मोटी सी लाइन खींची दिखाई दे रही थी। जो ताशकन्द व ककेकस के करीब दो भागों में बंटी थी। जहां पर एक पर्वत व एक कछुआ बना था।
जहां दसलोफीन उपस्थित थी।
वह मन ही मन सोंच रही थी-ब्रह्मांड में जो भी धरती देखो, मनुष्य ही वहां के विनाश का कारण बना।
आम आदमी अपनी आजादी का भ्रम ही सिर्फ पाला रहा।जब आजाद हुआ तो उसकी पूरी धरती थी।अर्थात उसकी आजादी से पूर्व मानव सभ्यता समाप्त हो चुकी थी।
कुछ लोग तो सन 1947 की भारत आजादी को आजादी को भ्रम समझने लगे थे। सन1947ई0 से सत्तावादियो, पूंजीपतियों व माफियाओं की मिलीभगत सत्ता पर कायम रहने के लिए आगामी तैयारी करने लगे थे।जो आगामी गुलामी की ही तैयारी ही थी।
एक ओर शिला पर पशुपति की उकरी तश्वीर को देख कर -
किसी न किसी रूप में ये शक्ति के दर्शन कहीं न कहीं हो जाते हैं।
पृथु महि पर कहीं ब्रह्मा, विष्णु, महेश ब्रह्मांड की अन्य धरतियों से आये महापुरुष तो नहीं?
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