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शनिवार, 31 जुलाई 2021

मिस्टर एस की बेटी?!

 अमेरिका का एक प्राइमरी स्कूल!!

जहां अंतरिक्ष वैज्ञानिक मिस्टर एस की बेटी  जो लगभग पांच-छः साल की रही होगी।

कुछ बच्चों के बीच-

"तेरे तो पिता अंतरिक्ष वैज्ञानिक है।वायुसेना में अधिकारी भी हैं।तू तो चाहे तू अंतरिक्ष विज्ञान की स्टडी के लिए सब कुछ जुटा सकती है।"

"स्टडी के लिए जुटाना क्या?हम सब बड़े होकर अंतरिक्ष विज्ञान के विद्यार्थी बन सकते हैं?अमेरिका में क्या दिक्कत?"


एक बालक बोला-

"हम तो पुनः इंडिया जा रहे हैं?डैडी कह रहे थे/वहाँ सब नए सिरे से शुरू करना होगा।हो सकता है कि खेती पर ही निर्भर रहना पड़े।इंडिया की एजुकेशन बुरी हालत में है।गरीब अच्छी शिक्षा नहीं पा सकते।सरकारी स्कूलों की तो.....?!"


"इस धरती पर ......!?"


"क्या?"


"मैं सोचती हूँ।कुछ लोग क्यों छिपाते हैं कि एलियंस हैं?वही ब्रिटेन का विदेश विभाग व वायुसेना में यह लिखित है कि एलियन्स इस धरती पर आक्रमण भी कर सकते हैं।"

"क्यों ...क्यों --क्यों?आखिर क्यों?"


"इस धरती के मानव की करतूतें ही ऐसी है जिसका असर पूरे ब्रह्मांड पर पड़ रहा है।"


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बहगुल नदी पर स्थित एक कस्बा-मीरानपुर कटरा।

जहां के एक समाजसेवी व शिक्षा विद महेश चन्द्र महरोत्रा की एक फेसबुक पोस्ट पर 'सर जी' ने लिखा था।वह पोस्ट एलियन्स सम्बंधित थी।

                " अंतरिक्ष की अन्य धरती पर एलियन्स हैं।इसके प्रमाण हैं।पुरातत्व विभाग भी इस ओर संकेत करता है। विश्व के कुछ वन्य समाज भी स्पष्ठ करते है,जैसे कि भूमध्य सागरीय क्षेत्र के कबीले अब भी मानते हैं कि हमारे पूर्वज दूसरी धरती से आये थे।जो मत्स्य मानव थे। पुरात्व विभाग उन्हें मातृ देवी भी मानता है।अनेक खण्डहरों में इसके अवशेष मिले हैं।सिंधु सभ्यता, जापान, साइबेरिया आदि में जो मूर्तिया मिली है या गुफाओं आदि में चित्र मिले हैं वे एक ही वेश भूषा व अद्भुत हेलमेट पहने हुए हैं।मध्य अमेरिका में मय/माया सभ्यता, पेरू सभ्यता में ऐसे अवशेष मिले है। अब तो कुछ पुरात्व विद यहां तक कहने लगे हैं कि माया सभ्यता की जड़ें दक्षिण भारत में मायासुर व उसके लिखित एक पुस्तक से सम्वन्धित मिलती है।इस पुस्तक में इमारतों के निर्माण की जानकारिया मिलती है। भारतीय पुराणों में यानों के प्रकरण दक्षिण भारत से ही सम्वन्धित है। हम एक लेख में लिख चुके है, हर क्षेत्र स्थूल इतिहास में बदलाव होते रहते हैं लेकिन सूक्ष्म जगत में इतने जल्दी बदलाव नहीं होते।दक्षिण गोलार्ध को हम एक ही सूक्ष्म इतिहास से आदि इतिहास से जोड़ते हैं।दक्षिण अमेरिका हो या दक्षिण अफ्रीका या दक्षिण भारत ,जावा सुमात्रा आदि का आदि इतिहास की जड़ एक ही है।दक्षिण भारत के पठार काफी पुराने है।एक स्थान पर तो डायनासोर के भी अबशेष मिले हैं।हम तो दक्षिण पठार को हिमालय से भी पुराना मानते है।#प्रवीणमोहन पुरातत्वविद जिनका काम सिर्फ विश्व के प्राचीन खण्डहरों आदि पर शोध करना ही है का कहना है कि दक्षिण पठार के आदिबासी एलियन्स से सम्बन्ध थे। दक्षिण पठार का काफी महत्व रहा है हर यंग में।गुजरात से लेकर श्री लंका तक अब भी ऐसे आदिबासी है जो अपना पूर्वज हनुमान व मतंग ऋषि को मानते हैं।पवन देव अर्थात हवा तत्व की स्थितियों में भी यौगिक प्रशिक्षण व सूक्ष्म व चेतनात्मक सम्बन्ध रखने वाले योगी व ऋषि आदि दक्षिण से ही सम्बन्ध रखते हैं। भविष्य में भी दक्षिण पठार का बड़ा महत्व होगा।वहाँ काम जारी है।हर युग में जारी रहा।किसी को दिखाई न दे, यह अलग बात। आधुनिक विज्ञान के अनुसार हिन्द महाद्वीप एक केंद्र है।इसरो, चांदी पुर प्रक्षेपास्त्र, उच्च तकनीकी का गढ़ बंगलौर आदि वहीं से आते है। कुछ सन्तों का तो कहना है कि आने वाले प्रलय में दक्षिण का पठार एक टापू के रूप में बदल जायेगा।अनेक समुद्री तट व शहर डूब जाएंगे।उत्तर भारत व दिल्ली,दिल्ली से पश्चिम की स्थिति बड़ी भयावह हो जाएगी।बिहार, बंगाल जल प्रलय से पहले से ही परेशान रहता है। वर्तमान सृष्टि में अब भी सूक्ष्म अभियानों का उत्तरी ध्रुब है हिमालय व दक्षिणी ध्रुब है दक्षिण का पठार। श्रीरामचन्द्र मिशन शाहजहांपुर का वैश्विक केंद्र कान्हा शांति वनम बन चुका है।जहां विश्व का सबसे बड़ा मेडिटेशन हाल भी बन चुका है।जहां बाबा रामदेव ने कहा कि भबिष्य में जो बदलाव की आध्यत्मिक बयार बहेगी यहीं से बहेगी।जो दुनिया के हर देश में खामोशी से कार्य कर रहा है।"


       एस एस कालेज, शाहजहांपुर के प्रांगण में कुछ परीक्षार्थी चर्चा कर रहे थे।


"वो बिंदु सर।"

एक लड़का हंस पड़ा-"अब भी एमए- चैमे की परीक्षा देते रहते हैं।यह पढ़ता तो बहुत है लेकिन कम्पटीशन का कभी नहीं पढ़ता।"


"तुम्हे क्या?सबका जीवन जीने का तरीका अलग अलग होता है।"

"इनकी कल्पनाओं का..."

"हां, इनका पूर्ण विश्वास है कि एलियन्स हैं।"

"एक ब्लॉग पर काफी लिख भी रखा है।"

"हां।"

फिर-

भविष्य कथांश पर एक जगह!?

   भुम्सनदा  के बर्फीले भूभाग पर एक ब्रह्म शक्ल-'यलह'।

"यलह आर्य!तुमको इस धरती की ओर से मिशन का चीफ बनाया गया है।कल्कि अवतार को हालांकि अभी सैकड़ों वर्ष हैं लेकिन इससे पूर्व देवरावन के अंत के लिए....।"


 "  कल्कि अवतार का संबंध देव रावण के अंत से विधाता जिसके हम सब अंश हैं अर्थात जो चेतना हम सब में तथा सभी भर्तियों के प्राणियों में समाहित है उस चेतना पर देव रावण दखलअंदाजी कर रहा है हमें आश्चर्य है  " 


एलह आर्य!चेतना का स्थूल शरीर धारण कर स्थूल प्रकृति परिस्थितियों से उलझना स्वाभाविक है लेकिन कल के अवतार के लिए स्थूल और प्रकृति से मोक्ष प्राप्त है चेतना अंशु की बहुत का चाहिए।"



 "पृथु महि पर वह हफ़क़दम को क्यों ले गयी है?विधाता के त्रि अंश अवतारों में से एक शिव के लोक से चेतना अंशों में इस वक्त हफ़क़दम में मोक्ष प्राप्त यलह चेतनांश है।हफ़क़दम को विभिन्न स्थूल व प्राकृतिक स्थितियों का अध्ययन आवश्यक है।

  इधर पृथु महि अर्थात इस पृथ्वी पर-


  एक विशाल काय चट्टान ?जिस पर मत्स्य मानव की दीर्घाकार प्रतिमा बनी हुई थी। जिसे देख कर तीन नेत्रधारी बालक हफ़क़दम युवती से बोला-

"क्या साईरियस अर्थात लुन्धक से ही आया था मत्स्य मानव?"

"मत्स्य मानवों का मूल निबास लुन्धक ही था।वहीं से...?!"

  "था........!?क्या अब है नहीं?"


"इस ओर फिर कभी बताऊंगी,हफ़क़दम! अनेक चेतनांश के समूह से विधातांश पदेन ब्रह्मा-विष्णु-महेश व पदेन अग्निदेव के सहयोग से लुन्धक के एक निबासी बालक को दिव्य शक्तियां दे मत्स्य अवतार के रूप में इस धरती पर भेजा गया था।"


 सागर की ऊंची ऊंची लहरें मत्स्य मानव की प्रतिमा को स्पर्श कर वापस लौट जाती थीं।


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और.......


अमेरिका का एक प्राइमरी स्कूल!!

सन1945-46 का वक़्त सम्भवतः!!



सुबह सुबह विद्यालय के एक आया की नजर जब न्यूज पेपर पर पड़ी तो वह उस पांच-छह वर्षीय बच्ची के पास जा पहुंची। और- न्यूज पेपर में छपे मिस्टर एस के बीबी के फोटो को दिखा-

"क्या यह तेरी मम्मी का फोटो है?"

 "हां।"-लेकिन फिर इसी के साथ वह बच्ची बेहोश हो गयी।तब सारे विद्यालय में हलचल बढ़ गयी।और अनेक ने आया को डांट भी लगायी।मिस्टर एस की उस बेटी को हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया है।दूसरे दिन जिसका हॉस्पिटल से अपहरण हो गया। धीरे धीरे समय बीता। मिस्टर एस की पत्नी, जो एक पत्रकार थी की हत्या एवं पुत्री के अपहरण का कोई सुराग नहीं लगा। अब फिर सन 1947 के पन्द्रह जून की रात! मिस्टर बरामदे में कुर्सी पर बैठा ख्यालों में डूबा था। कल न्यू मैक्सिको में गिरी दो उड़नतश्तरी या एवं उनके साथ के वे प्राणी अंतरिक्ष अनुसंधान कर्ताओं के लिए आगे बढ़ने को कारगर सिद्ध हो सकते हैं लेकिन अचानक मिस्टर के सामने खड़े गैर पृथ्वी के 3 फुट प्राणी को देखकर मिस्टर चौका। 


 इधर बालक अशोक अपने मकान की छत पर पड़ी चारपाई पर लेटा ख्यालों में डूबा था। उसे एक दूसरा बालक आकर झकझोरता है तो अशोक उठता है और -

"अरे ,दीपक तुम ?!" 


 फिर वह चारपाई पर से उठ बैठा।


 " चलो अशोक।" 


"... हो कहां ?!" 


 "स्कूल में,मनोज के पास चलता हूं।" 


 फिर अशोक उठ बैठा। मनोज अशोक और दीपक के क्लास का ही एक छात्र था जो स्कूल यानीकि हरित क्रांति विद्या मंदिर में ही अपने भाई बहन के साथ रहता था। कुछ समय बाद जब अशोक दीपक के साथ हरित क्रांति विद्या मन्दिर पहुंचा तो गेट पर रुकते ही -


"जाओ दीपक, तुम ही मनोज को बुला लाओ मैं यहां खड़ा हूं ।"


  फिर उसने अपनी निगाहें गेट के ऊपर के बोर्ड पर लगा दी। ऊपर लिखा था-


" हरित क्रांति विद्या मंदिर,हरित नगर, बीसलपुर (पीलीभीत) 26 2201" 


 कुछ समय बाद ही दीपक आकर बोला - 

"अशोक ! मनोज को तो उसके पापा उसे गांव लेकर गए हैं।"

 अशोक पश्चिम की ओर चल दिया। 

 दीपक बोला -"अशोक ,क्यों नहीं यहीं रुके?!" 


 अशोक 'न' के जवाब में गर्दन हिला देता है तो दीपक भी उसके पीछे चल देता है। 


आगे बरगद के नीचे आकर अशोक रुक गया और सिर पर दोनों हाथ रख कर देखने लगा-


 " मिस्टर एस की पुत्री एक गैर पृथ्वी यहां पर सवार थी। वह यान धीरे-धीरे हा-हा- हूस धरती की ओर बढ़ा, वह धरती जिस पर डायनासोर के समकक्ष विशालकाय जीव जंतु निवास करते हैं। कुछ घंटों पश्चात ही वह यान हा-हा - हुस धरती पर उतर गया और यान से एक तीन नेत्र धारी 11 फुटा व्यक्ति उस लड़की को लेकर उत्तरा और बोला-" कुछ वर्ष यही बिता इस हा-हा-हूस धरती पर। आगे देखा जाएगा तेरा क्या होता है।" 


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शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

मिस्टर एस की पत्नी..?!


 मिस्टर एस की पत्नी..?! 



 दीवार पर लगे अखबार पृष्ठ से निगाह हटाकर अशोक फिर चारपाई पर लेट जाता है। वह बाहर देखता है- बरसात काफी तेज हो चुकी थी। वह पुनः ख्यालों में पहुंच जाता है- विद्यालय से आकर खाना खा अशोक ऊपर छत पर पहुंच गया था। खुले आसमान के नीचे छत पर पड़ी चारपाई पर बैठते हुए अशोक ने सरसरी नजर से बायीं ओर यानी कि दक्षिण की ओर विशाल मैदान में देखा - कमरख के पेड़ के नीचे कुछ बच्चे खेल रहे थे। वह आचार्य जी की बात पर सोचने लगा -- "दूसरे दिन अंतरिक्ष वैज्ञानिक घर पर आकर 2 दिन ही घर पर रह पाया था की उसकी वायुयान दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है । लेकिन कहीं ऐसा तो नहीं कि उस अंतरिक्ष वैज्ञानिक की हत्या की गई हो?" फिर हाथ में टार्च ले वह अंतरिक्ष वैज्ञानिक अपने फार्म में बने दो कमरे की एक बिल्डिंग के सामने बगीचे में था कि एकाएक उसकी निगाहें जब सामने जाती हैं तो वह आश्चर्य में पड़ जाता है । वह सोचने लगा क्या गिरा होगा ? वहां कहीं ऐसा तो नहीं कि उड़न तश्तरी या फिर...?! फिर वह आगे उधर ही चल दिया लेकिन रुकते हुए, किसी को बुला लूं क्या ? कुछ समय वह खड़ा रहता है लेकिन फिर अकेले ही चल देता है। आगे जा कर देखता है तो सामने वही था जो उसने सोचा था। एक उड़न तश्तरी अव्यवस्थित... वहां वह छोटे छोटे 3 प्राणी देखता है। जो जमीन में पड़े थे बे या तो संभवत बेहोश थे या मर चुके थे । पहले उसके पास बढ़ने प्रति वह सहमा लेकिन फिर उन तीनों को देखा तो एक जीवित था । उसे उठा ही पाया कि वायुसेना का एक हेलीकॉप्टर कहां उतरा और .... "मिस्टर एस ! लोगों को इस घटना की जानकारी नहीं होनी चाहिए ।" अंतरिक्ष वैज्ञानिक मौन ही रहा। कुछ सेकंड बाद ही वहां सेना की गाड़ी आ गई और उन तीनों प्राणियों के साथ क्षतिग्रस्त उड़नतश्तरी भी ले गई। अंतरिक्ष वैज्ञानिक खामोश हुए देखता रहा फिर वहां से चलकर बिल्डिंग में वापस आ गया । चपरासी बोला - "वो लोग कौन थे?" बरामदे में जाकर कुर्सी पर बैठकर वह बोला -"सब बता दूंगा दरअसल वायु सेना में कुछ प्रयोग चल रहा है। हां,तुम्हारी बीवी की हालत कैसी है?" " अभी कहां ठीक है साहब !साहब, कल और छुट्टी दे दो ?" "ठीक है। तेरी बीवी ठीक हो जाए तो बच्चों सहित उसे यही ले आ।" यह घटना अंतरिक्ष वैज्ञानिक की मृत्यु से लगभग 3 माह पहले घटी थी।


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 सूर्य उदय हो चला। 

 अंतरिक्ष वैज्ञानिक अभी बरामदे में कुर्सी पर बैठा था । 

चपरासी आकर बोला- " साहब !क्या? क्या रात भर नहीं सोए? आधी रात को मैंने देखा था आप यूं ही बैठे थे और अभी 2 घंटे पूर्व भी?"


 " जाओ मेरे लिए काफी ला ।"

 "जी साहब ।" 

 फिर वह अंतरिक्ष वैज्ञानिक सोचने लगा- सेना उन तीनों को ले गई क्षतिग्रस्त उड़नतश्तरी सहित । लेकिन इस पब्लिक से क्यों छिपाना ? 

 "साहब, काफी ।"

 "बहुत जल्दी ले आये?" 

 " पहले से ही बनने को रखी थी।"

 " आज मेरी बीवी आने को यहां, अच्छी व्यवस्था कर देना ।" "जानकारी है साहब ।" 

 वह अंतरिक्ष वैज्ञानिक अर्थात मिस्टर एस फिर काफी पीने लगा। सुबह बीत गई दोपहर होने को आई, दोपहर बीत गई। अब शाम होने को आई तो पत्र को लिफाफे में पैक करते करते मिस्टर एक्स सोचने लगा कि आज सुबह मेरी बीवी आने को थी लेकिन आई नहीं फिर लिफाफा ले उठ बैठा और तब अपने नौकर को देख-

" ड्राइवर से कह गाड़ी तैयार करें। शहर चलना है।" 

 एक कमरे में जाकर वह किसी को फोन करता है। 

 मिस्टर एस गाड़ी पर बैठते हुए नौकर से- " बीवी घर आए तो कह देना कि शहर गए हैं। आधी रात तक आ जाएंगे ।"

 "जी साहब ।" 

 फिर नौकर जाती गाड़ी को कुछ समय तक देखता रहा। 

 नौकर जब वापस आया तो फोन की आवाज सुनते तेजी से जा फोन उठा लिया और --"क्या?" वह चौंकता है। 

 "साहब तो शहर गए हैं।" फिर डायल घुमा नौकर और कहीं फोन कर देता है।

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 मिस्टर एस की गाड़ी शहर में प्रवेश कर चुकी थी।

 ..कि एक होटल समीप एक व्यक्ति रुक कर सूचना देता है-" मिस्टर एस!आपकी बीवी का अपहरण हो गया है।" 

" क्या?!"

 तो वह ड्राइवर से गाड़ी पुलिस स्टेशन ले चलने को कहता है और अब कुछ मिनटों के बाद गाड़ी पुलिस स्टेशन पर थी। 

 गाड़ी से उतर अंदर जाने पर- " आइए मिस्टर एस! मुझे दुख है कि आपकी वाइफ का अपहरण हो गया।" 

 मिस्टर एस मौन ही रहा,कुर्सी पर बैठ गया। 

 पुलिस स्टेशन पर लगभग एक घंटा बैठने के बाद जब मिस्टर राज चल दिया तो- " कहां चल दिए मिस्टर एस?" 

 " मकान पर जा रहा हूं ।"

" मकान पर ? सारा मकान पुलिस के अंडर में। आप न जाए तभी ठीक है। कोई सबूत है वहां तो ...?!" 

 मिस्टर एस सिर्फ मुस्कुरा दिया। 

 स्टेशन से बाहर आकर वह गाड़ी में बैठ गया।

 गाड़ी शहर की सड़कों से होते हुए शहर से बाहर निकल गई। फिर 1 घंटे के सफर के बाद मिस्टर एस अपने मकान के सामने था। मिस्टर एस ने देखा वहां पुलिस तैनात थी।

 जब वह आगे बढ़ा तो- " साहब,सॉरी.... मैं अंदर नहीं ....!" 

 "आप जाने दे। सारी जिम्मेदारी मैं अपने पर ले ले लूंगा यदि मेरे घर में प्रवेश पर कोई ...।" 

 एक डायरी में तीन चार वाक्य लिख कर, नीचे अपने साइन कर मिस्टर एस मकान में प्रवेश कर जाता है। अंदर पहुंचकर मेज पर गुलदस्ते के नीचे एक छोटा सा अपनी बीवी का फोटो उठा उसे देखने लगता है फिर- " तुमको कुछ नहीं होना नहीं होगा यह मैं विश्वास करता हूं ।" कि एक कमरे में किसी की उपस्थिति एहसास उसी चौका देता है। तो तेजी से वह कमरे की ओर दौड़ता है लेकिन कमरे में कोई नहीं। वह इधर-उधर निगाहें दौड़ आता है तो स्टोर रूम के दरवाजे की हिलन को देख तेजी से स्टोर रूम का दरवाजा खोलता है तो- 


 "आ आ हा...! " बह चौक जाता है। 


 अपनी बीवी को घायल अवस्था में देख..!? अपनी बीवी को तुरंत उठाता है। वह अभी जीवित थी। ....और बाहर चल देता है। इसी दौरान वह कहीं दो फोन भी कर देता है। एकाएक ना जाने फिर क्यों वह कमरे में इधर-उधर और दीवारों पर निगाह दौड़ आता है? जब मकान से बाहर अपनी घायल बीवी के साथ मिस्टर एस को निकलते देख तब सारी पुलिस और लोग चौक जाते हैं। तुरंत पुलिस दौड़ कर उसकी बीवी को गाड़ी में डाल हॉस्पिटल की ओर चली जाती है। 

सरसरी नजर वहां तैनात पुलिस पर डालकर मिस्टर कहता है- " थोड़ी देर में हां अंतरिक्ष अनुसंधान कर्ता आने वाले हैं।" 

 " अंतरिक्ष अनुसंधान कर्ता?" 

 " हां, तुम्हें आश्चर्य हो सकता है लेकिन हमें नहीं।" 

 फिर मिस्टर एस वहां से चल देता है और गाड़ी पर जाकर बैठ ड्राइवर से-

" हॉस्पिटल की ओर चलो।"

 " जी साहब ।"

 हॉस्पिटल जब पहुंचे तो खबर मिली- उसकी बीवी गुजर चुकी है। दूसरे दिन अमेरिका के सारे न्यूज़ पेपर ने मिस्टर एस की बीवी के अपहरण और मिस्टर एस के घर में ही उसके बीवी पर कातिलाना हमला एवं मृत्यु की खबर को विशेष महत्व दिया था । साथ में इस बात का भी जिक्र किया था कि मिस्टर एस के मकान में विशेष मशीन यंत्रों ने दूसरे ग्रह के प्राणी के आगमन के भी संकेत दिए हैं। @@@@ @@@@@ @@@@@

मंगलवार, 20 जुलाई 2021

हा - हा- हूस # पार्ट01!!1993ई0 -----अशोकबिन्दु

 हा - हा- हूस # पार्ट01!!1993ई0 -----


------------------------------------------- इस वक्त अशोक की अवस्था रही होगी लगभग 12 बरस के आसपास ,जुलाई का पहला सप्ताह था सन उन्नीस सौ 84 का ।

उसने कक्षा 4 अब पास कर लिया था और अब कक्षा 5 में आ गया था ।

मकान की छत पर पूर्व की ओर उत्तर के कोने पर एक छोटे से कमरे के सामने छोटा सा एक छप्पर पड़ा था। बरसात का मौसम था ।आसमान पर बादल छाए हुए थे ।अशोक छप्पर के नीचे चारपाई पर लेटा हुआ  छप्पर ताक रहा था । जब बरसात के पानी की फुहार चारपाई पर आने लगी तो उठ कर वह चारपाई अंदर सर का लेता है और बैठकर सामने दीवार पर लगे अखबार के एक पृष्ठ को देखने लगता है। उस पर एक उड़नतश्तरी का चित्र था.... कुछ समय पश्चात वह विद्यालय में विज्ञान के एक बेला अर्थात क्लास पीरियड विज्ञान आचार्य की बातों में खो गया । क्लास में बच्चों की 3 लाइनें थी मध्य की लाइन के मध्य में अशोक एक सिख के पीछे बैठा था ।
अशोक की निगाह श्यामपट्ट के मध्य मे थी।

 "उड़न तश्तरी आकाश में उड़ने वाले उस यान को कहते हैं जो यदा-कदा आकाश में देखे गए हैं उड़नतश्तरी रूपी यान को देखकर वैज्ञानिक लोगों ने निष्कर्ष निकाला कि यह उड़न तश्तरी रूपी यान अवश्य दूसरी पृथ्वी के और आ जाते हैं।" 

 दीपक बीच में बोल पड़ा-" लेकिन आचार्य जी क्या उड़न तश्तरियों को यहां के लोग पकड़ नहीं पाए अभी । " 

 "नहीं, ऐसी सूचना नहीं-ज्ञान नहीं मुझे।जानकारी कर बताऊंगा।"

 तब अनुभव बोला- "लेकिन आचार्य जी एक कॉमिक्स में तो.......।" बीच में ही राजीब बोल पड़ा- "अरे, कॉमिक्स तो काल्पनिक होती है।"  
"अच्छा शांत बैठो आप लोग अब!"

 सब व्यवस्थित हो जाते हैं।

अशोक को नीचे सिर किए बैठे देख कर आचार्य बोले-"अशोक!क्या नींद आ रही है?" "न .... नहीं !"

अशोक सिर उठाते हुए बोला। "अशोक अब कल्पनाऐं करना सीख गए हैं, आचार्यजी।" 

 " दीपक ने अभी कुछ समय पहले पूछा था कि क्या इन उड़नतश्तरियों को यहां लोग पकड़ नहीं पाए तो सुने आप लोग ।अमेरिका का नाम सुना ही होगा आपने । वहां एक स्थान है न्यू मैक्सिको। सन 1947 के 15 जून की रात थी। एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक वैज्ञानिक, 14 जून को न्यू मैक्सिको के दो स्थानों पर दुर्घटनाग्रस्त हुई उड़नतश्तरी आ गिरी थी -उसी पर वह चिंतन कर रहा था कि एकाएक अपने सामने एक 3 फुटा व्यक्ति को देख कर चौक उठा ।उसके शरीर पर बिल्कुल बाल न थे ।न ही भव्  पलकों के बाल । उसके कान भी न थे । अंतरिक्ष वैज्ञानिक अद्भुत व्यक्ति को अपनी ओर आते देख खड़ा हो गया । अंतरिक्ष वैज्ञानिक को तब आश्चर्य होता है कि जब वह अद्भुत व्यक्ति उस अंतरिक्ष वैज्ञानिक से कहता है कि हमारे साथियों का एक यान यहां दुर्घटनाग्रस्त हो गया है जिसमें दो लोग जीवित थे संभवतः उन सबको आपकी सेना ले गई मेरी मदद करो ।"


 और फिर... मैं (लेखक) इस वक्त इस घटना को एस एस कालेज, शाहजहांपुर के बीएड विभाग के सामने फील्ड में बैठा कुछ लोगों के घेरे हरी घास पर बैठे बता रहा था।सन1994ई0 का नवम्बर माह था।  


तो फिर..... वह अंतरिक्ष वैज्ञानिक उस अद्भुत व्यक्ति से बोला-"आप हमारी भाषा जानते हैं?" 

 तब वह अद्भुत व्यक्ति बोला- दरअसल ये सब हमारे विज्ञान व अंतर स्थिति के विकास का परिणाम है।" 

 अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने उसे सहायता देने का आश्वासन दिया तो वह अद्भुत गंठा व्यक्ति उस वैज्ञानिक के आवास पर ही रुक गया। सुबह उसके पास एक व्यक्ति आया और बोला कल एक उड़नतश्तरी गिरी थी पास जाकर देखा तो चार छोटे प्राणियों के शरीर पड़े थे तो की सांस चल रही थी दो मैं कोई हरकत ना थी और एक उनका उपचार कर रहा था लेकिन सेना आकर उन सब को ले जाती है उड़नतश्तरी के मलबे को लेकर और मुझसे कहा जाता है की मैं सब कुछ भूल जाऊं व्यक्ति की इस बात से अंतरिक्ष वैज्ञानिक सोच में पड़ गया लेकिन शायद सेना जान गई थी कि उस अधिकारी के आसपास यह आवास पर दूसरे ग्रह का एक प्राणी रह रहा है तो सेना बहाकर उस प्राणी सहित अंतरिक्ष वैज्ञानिक को ले गई दूसरे दिन बहे अंतरिक्ष वैज्ञानिक अपने घर पर आकर 2 दिन तक रहा इसके बाद उसकी बालू या दुर्घटना में मृत्यु हो गई। डब्लू डब्लू ब्रेंजल(मैक) का अपना भेड़ों का फार्म। भेड़ों को ढूंढता ढूंढता वह काफी दूर निकल गया तो उसकी निगाह रबड़ लकड़ी टिन की अनेक वस्तुओं पर पड़ी, जिसे उठा कर वह अपने आवास पर ले गया।यह सन 1947 की चौदह जून का ही समय था। पांच जुलाई को वह एक नगर कोरोना पहुंचा तो उसे खबर मिली कि 24जून को कैनेथ आर्नोल्ड नामक पायलट ने वाशिंगटन स्थित कैस्केड पर्वत माला के ऊपर 1900किमी प्रति घण्टे की रफ्तार से उड़ती हुई उड़न तश्तरी नुमा यान दिखाई दिए। इस खबर को पाने के बाद ब्रेजल ने रौसवैल के पुलिस अधिकारी जार्ज विलकाक्स को सारी बात बतायी कि उसने अपने फार्म पर यह बस्तुएं देंखी। विलकाक्स ने सीधे रौसवैल स्थित वायुसेना कार्यालय में सम्पर्क साधा। वहां उपस्थित 509वीं टोली के मुखिया मेजर जैसी मार्सेल अपने सहयोगियों के साथ ब्रेजल के घर पहुंचे।जहां उन्होंने उड़न तश्तरियों के मलबे को देखा। उस मलबे को ले मार्सेल अपने घर आ गए। मार्सेल का दस वर्षीय पुत्र -जैसी जूनियर! वह इस वक्त लोगों की नजर में नींद में था।लेकिन वह उड़न तश्तरियों को लेकर कल्पनाओं में खोया हुआ था। मार्सेल उसे जगा कर उड़न तश्तरी का मलबा दिखता है। बड़ी ध्यान से जैसी जूनियर अपने पिता की बात सुन रहा था। अब जूनियर जैसी पैतालीस सैंतालीस वर्ष का होगा। दीपक बोला- "क्या वह अभी जीवित है?" "हां, वह इस वक्त जीवित है।" अशोक के आगे बैठा सिक्ख छात्र सिंदर सिंह बोला- "....और वो मार्सेल?" "वो भी अभी जिंदा है।लेकिन यह सब आप लोग क्यों पूछ रहे हो?-मुस्कुराते हुए आचार्य बोले। तब सिंदर सिंह पीछे मुड़ अशोक की ओर देखते हुए बोला-"अशोक को जो मिलना है अब उनसे।" तो सब छात्र छात्राएं हंस पड़े, कुछ को छोंड़ कर। घण्टी लग गयी। जब आचार्य क्लास से चले गए तो सब बातचीत करने लगे।

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हा - हा -हूस?!

अंतरिक्ष में क्या कोई ऐसी धरती भी हो सकती है जहां  डायनासोर व अन्य विशालकाय जानवर है?

सर जी कहते थे-हां, ऐसी धरती है।हमने उस धरती को नाम दिया है- 'हा-हा-हूस'।

26 जुलाई 2021ई0! समय लगभग 10.40pm!! विभिन्न विषयों से एम ए फाइनल की एक पेपर की परीक्षा के बाद परीक्षार्थी कमरों से बाहर निकल आये थे।

"सर जी-सर जी!"- कुछ परीक्षार्थियों ने एक युवक को घेर लिया।

"नमस्ते सर!"

"नमस्ते!"

"नमस्ते सर!"

"अच्छा,पहले बाहर निकलते हैं।"

आगे चल कर सब मौखिक परीक्षा की जानकारी लेने आफिस जा पहुंचे।

                

शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

कुटुम्ब.. बसुधैव कुटुम्बकम... भारत में विश्व, विश्व में भारत::विश्व सरकार की ओर दस्तक::अशोकबिन्दु

          प्रथम भाष्यकार ,विजयनगर राज्य के सेनापति, राजपुरोहित #सायण ने कुटम्बी/कूर्मि को सर्वशक्तिमान कहा है। आदि काल में जो कुटुम्ब भाव में रहते थे, जाति से मुक्त थे।उनमें से ही कुछ अब कूर्मि/कुटुम्बी/कुनबी आदि है।जो वन्य/कृषक जीवन जीते थे।दयानन्द सरस्वती ने तुंबी कूर्मि को मित्र कहा है।वास्तव में जो कुटुम्बकम भाव मे रहता है वही जगत में श्रेष्ठ है।#अशोकबिन्दु



मानव की जन्म भूमि हम अफ्रीका लेकिन सभ्यता की जन्मभूमि एशिया है।

आज से 600वर्ष पूर्व जाति व्यवस्था इतनी जटिल नहीं थी। श्रम विभाजन व कुल व्यवस्था थी। आदि कालीन कुटुम्ब परम्परा से ही आगे चलकर जन बने, जन से जनपद।जनपद से राज्य। ऐसे में पूरा विश्व भारत था, भारत विश्व।आज कल की तरह राज्यों के बीच जटिल सीमांकन न था।विभिन्न परिस्थितियों में पूरे विश्व में आना जाना, रहना, बसना था।इसलिए हम इस विचार से सहमत नहीं है कि आर्य मध्य  एशिया से आए।यहाँ से वहां वहां से यहां आना जाना रहा।प्रत्येक कल्प,चतुर्युग,प्रत्येक युग बाद हम सबके आबास की स्थितियां बदलती रही हैं। वर्तमान में ही लो,ऐसा कौन सा देश है जहां भारतीय न हो और कौन सा देश नहीं जिसके निबासी भारत में आते नहीं। देश व विश्व में स्थितियां राजनीति, साम्राज्यवाद, लूट खसोट ,भीड़ हिंसा आदि ने बिगड़ी है। हम तो ये भी कहेंगे कि जो विदेशी भारत आकर बस गए ,जिन्होंने आक्रमण किए....आदि आदि हम उन्हें पराया नहीं मानते।हां, भटका हुआ या अलग हुआ या अज्ञान में जिया हुआ मानते है।इतिहास खंगालें तो इतिहास एक ही निकलेगा।

यवन कोई पराये नहीं थे।राजा दशरथ के दरबार में  अन्य आर्य राजा के दरबार में वे मंत्री आदि भी हुआ करते थे। वे ययाति पुत्र तुर्वसु के वंशज थे। मध्य एशिया में एक पहाड़ी मिलती है.तुर।जो अनेक रूहानी आंदोलन।में लगे लोगों के लिए तपस्या स्थली थी।पाक को पाक कहने के पीछे भी एक इतिहास है।तुर या कुतुब से मतलब दिव्य प्रकाश या दिव्य प्रकाश धारण करने वाला है।


      कभी कश्यप देश था, जिसमें ऋषि भृगु रहते थे जो कश्यप पौत्र थे।जल तत्व तक पकड़ की अपनी चेतना व समझ का स्तर बनाने वालों का क्षेत्र पश्चिम में था जो जय पुर,अरब सागर से भूमध्य सागर तक था।वरुण एक बार वहां (मेसोपोटामिया)में मनु भी हुए।जो क्षेत्र कभी कश्यप क्षेत्र प्रभावित भी था। 'मान' शब्द आर्य शब्द है।जैसे हनुमान, सलमान, बलमान आदि।शुक्र, शुक्रिया ,अरब(ओर्ब)आदि शब्द आर्य शब्द ही हैं।


                    स्वायम्भुव  मनु

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प्रियवृत                                             उत्तानपाद

(इस शाखा के कुटम्ब यूरोप में भी गए)

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अग्नीध्र

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अग्नीध्र के नौ पुत्र!

नाभि,हरि, इलावृत, कुरु, रम्यक,

भद्राश्व, किम रूप, हिरण्य व केतु

नाभि के पुत्र-ऋषभ देव

(जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर)

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जड़ भरत

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जड़ भरत की 21वी पीढ़ी में

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विषग्ज्योति

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विषग्ज्योति की 23वीं पीढ़ी में

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पृथु वैन्य

(प्रथम वास्तविक राजा व कृषि के 

आविष्कारक)

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हरिरधान

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प्रचेतस

(कृषि का महत्व पूर्ण विकास किया)

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दक्ष

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60 पुत्रियां (भृगु काल)

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अदिति प्रमुख पुत्री व नारद की बहिन

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11 पुत्र + विवस्वान(सूर्य)

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विवस्वान(सूर्य) से वैवस्वत मनु(त्रेता युग प्रारम्भ)

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इक्ष्वाकु+अन्य सात पुत्र और इला पुत्री

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इक्ष्वाकु से जो वंश चला उसमे श्रीरामचन्द्र  

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इला+बुध से एल या चन्द्र वंश!इलाहबाद राज्य

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बुध+इला से पुरुरवा

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आयु

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नहुष आदि

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ययाति आदि

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तुर्वसु, यदु आदि



इस तरह से अन्य वंश बिटप हैं।कुल मिला कर हम कहना चाहें गे कि विश्व में  सभी जन के आदि पूर्वज का इतिहास एक ही है।

ऐसे।में हम सब को ऋषियों की बसुधैव कुटुम्बकम भावना को गम्भीरता से लेना चाहिए।हम इससे विश्व में विश्व शांति, मानव कल्याण की भावना कायम कर सकते हैं।

सभी समस्याओं का हल मानवता, आध्यत्म ही है।

गांधी हों या लोहिया, दलाई लामा हों या ओशो, या अन्य सन्त ;सभी ने विश्व सरकार की भावनाओं को व्यक्त किया है।

(अशोकबिन्दु)