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रविवार, 20 जून 2021

21 जून 2021.........अशोकबिन्दु

 अब भी समय है....

हम जीवन के यथार्थ को समझें।

दुनिया में कोई समस्या नहीं है।समस्या तो मानव मानव समाज में है।


सबसे बड़ी समस्या है-वह प्राणी जो इंसान।माना जाता है लेकिन उसमें इंसानियत नही है।

सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है-शिक्षा।क्योकि शिक्षित ही ज्ञान के आधार पर नहीं चलता।

हमारा सनातन हेतु है-मानवता व आध्यत्म को विकसित करना।


21जून :::आओ हम सब संकल्प लें अपनी सम्पूर्णता के अहसास में रहने का, सार्वभौमिक प्रार्थना, सार्वभौमिक ज्ञान में रहने का।


 हम सब हर वक्त ध्यान रखें -


 "हम सब आत्माओं के रूप में अनन्त यात्रा में सहचर्य हैं।जैसे कि सागर में परस्पर लहरें।यह सहचर्यता ही,तरलता/गतिशीलता/डूब ही प्रेम है, भक्ति है।जगत में जो भी स्त्री पुरूष हैं सब भाई बहिन हैं।सभी में मालिक की रोशनी मौजूद है।हम सब एक हैं।सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर.... अंदर बाहर प्रकाश ही प्रकाश... दिल... दिल में दिव्य प्रकाश।" 


 हम सबके #ब्राइटमाइंड अभियान से भी जुड़ सकते हैं। 


 तीसरी आंख?!तीसरी आंख जगने पर हम 1000गुना अपनी पावर बड़ा सकते है। 



हमारे हाड़ मास शरीर की सीमित कुछ बर्षों तक के लिए क्षमता है।

हमारी बुद्धि सिर्फ चतुर्मुखी है।


हम अपने अंदर असीम ऊर्जा का केंद्र #मन रखते हैं।मन के हारे हार है।मन के जीते जीत। मन चंगा तो कठौती में गंगा।जब यह मन बाह्य जगत की ओर न जोड़ कर अपनी आत्मा/आत्मियता/निजता/स्व/खुद आदि से जुड़ जाता है तो हम अनन्त व अनन्त काल से जुड़ जाते है।जहां से अनन्त धारा हमारी ओर स्फुटित होने लगती है।हम अपने में अनेक रहस्यों को तब उजागर होते देखते हैं। 


 खुद या खुदा ,न जाति न पन्था!!! 



 हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट लाया है बच्चों में वह क्षमता कि उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है और वे पुस्तक पढ़ लेते हैं, सामने के कलर व वस्तुएं बता देते हैं। 


 #ब्राइटमाइंड 


 कान्हां शन्ति वनम, हैदराबाद में हमारा प्रमुख केंद्र! जिसके विश्व में अनेक केंद्र! 


 #ब्राइटमाइंड 


05 साल से 15 साल तक के बच्चों के लिए ध्यान के माध्यम से सीखने की एक पद्धति!! 


Greetings from Brighter Minds!


 Please contact +91 9651179702 at Kanpur, +91 9651179702 at Lucknow to enrol your child.

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"गर्म होता है शरीर: अग्नि (ऊष्मा) का मुख्य सोर्स होने के कारण सूर्य की रोशनी ठंड से सिकुड़े शरीर को गर्माहट देती है, जिससे शरीर के भीतर की ठंडक और पित्त की कमी दूर होती है। आयुर्वेद में सनबाथ को 'आतप सेवन' नाम से जाना जाता है। -मिलता है विटामिन डी: विटामिन डी शरीर में हड्डी की मजबूती के लिए अहम है।"



 सामने पानी से छन छन कर आती सूरज की लाल किरणें। सामने बारामदे में ऊपर से पानी गिर रहा था। बरामदे के बाहर लाल रंग का शीशा लगा हुआ था। अंदर कुछ लोग नङ्गे बदन सूरज की ओर मुंह किए आंख बंद कर बैठे थे। साधक मन में भाव रखे हुए थे- "सूरज की लाल किरणें हमारे पेट पर पड़ रही हैं और हमारे पेट के सारे विकार व रोग धुंआं बन बाहर जा रहे हैं।" 



 पश्चिम में भी कभी सूर्य मंदिर हुआ करते थे। जिसके अवशेष दक्षिण अमेरिका महाद्वीप पर भी मिले थे। अब से लगभग 5500वर्ष पूर्व अर्थात लगभग सन 400 ईस्वी तक रोम में भी सूर्य मंदिर प्राप्त होने के अवसर मिलते हैं।


 और..... 



 21 जून 2021ई0 को 7वां विश्व योग दिवस था। उस दिन भीमसेन एकादशी भी। 'सर जी ' ने लिखा है कि हम उस दिन व्रत में थे। 18मार्च2021 को उनकी तबियत काफी खराब हो गयी थी। पेट में कुछ भी खाया हुआ नहीं रुक रहा था।पेट एक दम खौल जाता था। चलना भी मुश्किल हो गया था इतनी कमजोरी आ गयी थी।जैसे तैसे नर्सिंग होम पहुंचे थे।विभिन्न जांचों के बाद पता चला था कि टायफाइड व पेट में इफेक्शन है।लगभग नौ दिन उन्होंने दबाई चलाई थी।खर्च काफी उठाना पड़ रहा था। वे मैडिटेशन करते ही थे।एक रात स्वप्न में किसी ने आकर एलोवेरा व त्रिफला के दर्शन करवाये। अब वे सुबह व शाम को त्रिफला व एलोवेरा ले रहे थे।सब नियंत्रण में था। 


रात्रि में मेडिटेशन के वक्त यही भाव- 


 "सूरज की लाल किरणें हमारे पेट पर पड़ रही हैं और हमारे पेट के सारे विकार व रोग धुंआं बन बाहर जा रहे हैं।" 


 एक स्थान पर कुछ लोग योगा दिवस के अबसर पर एकत्रित थे। कोरोना संक्रमण के प्रभाव को देखते हुए सभी काफी काफी दूर बैठे थे। सब राजनीति की बातें करते जा रहे थे। 


 'सर जी '-बोले योग करते समय हमें किस भाव में रहना चाहिए?पता ही नहीं।हम इसलिए यहां आते नहीं। कोई कह रहा था- "इस बार योगी सरकार बनेगी भी तो काफी कम वोटों से।" 

"अरे यादव जी, आप तो कहोगे ही।मुसलमान, यादव तो ऐसा कहेंगे ही। "


 "देखो ,जनसंख्या नीति का मसौदा तैयार हो रहा है।हो सकता है इसी मानसून सत्र में पेश हो जाए?" 


 "तो?तो क्या..?! योगी सरकार बना लेंगे?"


 "अरे पण्डित जी,आप भी...!" 


 "सारे पंडितों को तो दूबे की मौत दिख रही है।" 


 "और जितिन... जितिन भाजपा में शामिल हो गए सो...?"


 "जितिन ?! छह महीने बाद मालूम चल जाएगा.... सब सामने आ जायेगा।" 


 सर जी बोले- "कोई भी जीतेगा ,क्या वह माफियाओं, गुंडों, अपनी जाति के अपराधियों को नहीं बचाएगा?वोट देने से व्यवस्थाएँ बदलने बाली नहीं। जनता ही नेता चुनती है।जनता को सोचना चाहिए वोट देने से पहले कि हम किसे वोट दें?"  


सन 6050ई0! 


 हफदमस जो कि तीन नेत्री एक एलियन था।


 "यह समुद्र देखरहा हूँ मैं, इसके अंदर एक पूरा का पूरा शहर मुंबई मौजूद है।" 


 उड़न तश्तरी यान के अंदर एक स्क्रीन पर समुद्र के अंदर की मुंबई को दिखाया जा रहा था जिसमें 4 गोताखोर मौजूद थे ।  मानव आबादी के प्रमाण 250 ईसा पूर्व तक मिलते हैं। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में यह दीप समूह मौर्य साम्राज्य का भाग बने जब बहुत सम्राट अशोक महान का शासन था । कुछ आरंभिक शताब्दियों में मुंबई के नियंत्रण से संबंधित इतिहास सातवाहन साम्राज्य और इंडो सीथियन वेस्टर्न सैट्रेप के बीच विवाद था । बाद में हिंदू सिल्हारा वंश के राजाओं ने यहां 1343 ईस्वी तक राज्य किया। जब तक की गुजरात के राजा ने सप्त दीपों पर अधिकार नहीं कर लिया। एलीफेंटा गुफाओं ,बलकेश्वर मंदिर आदि में इस काल के अवशेष मिले थे। सन 15 34 ईसवी में पुर्तगालियों ने गुजरात के बहादुर शाह से यह  द्वीप समूह छीन लिए जो कि बाद में चार्ल्स   द्वितीय इंग्लैंड को दहेज रूप में दे दिए गए । यह द्वीप सन 1668 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी  को मात्र 10 पाउंड प्रतिवर्ष की दर पर पट्टे पर दे दिए ।सन 1687 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने मुख्यालय सूरत से हस्तांतरित कर यहां मुंबई स्थापित किए। अंततः नगर मुंबई प्रेसीडेंसी का मुख्यालय बन गया सन 1817 के बाद नगर को विस्तृत पैमाने पर सिविल कार्यों द्वारा वर्तमान शहर के रूप में स्थापित किया गया ।इसमें सभी दीपों को एक जुड़े हुए दीप में जोड़ने की परियोजना मुख्य थी । इस परियोजना को हार्न बाय बेल्लार्ड कहा गया ।जो सन 1845 में पूर्ण हुआ तथा सन 18  53 में भारत की प्रथम यात्री रेलवे लाइन स्थापित हुई। अमेरिकी नागर युद्ध के दौरान विश्व का प्रमुख सूती व्यवसाय बाजार बना  जिससे इसकी अर्थव्यवस्था मजबूत हुई। साथ ही साथ नगर का विस्तार कई गुना बढ़ गया । सन 18 69 में स्वेज नहर के खुलने के बाद से अरब सागर का सबसे बड़ा  पत्तन बन गया । हम गूगल से सर्च करते हुए मुंबई के संबंध में विभिन्न जानकारियां एकत्रित करते रहे।  हम सोच रहे थे - वो एलियंस पृथु मही की मानव जाति से काफी नाराज थे । मानव जाति इस धरती को ही नहीं बरन अंतरिक्ष को भी प्रदूषित कर चुकी थी। प्रकृति व ब्रहमांड में मानव जाति के विकास ने सहज और स्वत:  जीवन में विकार खड़े क र दिए थे। जिसका प्रभाव स्वयं मानव जाति की ही प्रकृति स्थूलता और सूक्ष्म पर पड़ा ।मानव जाति दयनीय अवस्था में पहुंच चुकी थी । वन्य समाज,आदिवासी अपना सहजीवन और व्यवस्था को बचाए हुए तो थे लेकिन जीवन संघर्ष बढ़ गया था । उत्तरी ध्रुव, साइबेरिया आदि क्षेत्र पुन: हरियाली से भरने लगे थे । अनेक ग्लेशियर पिघल चुके थे। गोमुख से ऊपर सेआने वाली अनेक जलधाराएं सूख चुकी थी । समुद्रों के तल बढ़ गए थे । अनेक समुद्र तटीय क्षेत्र डूब चुके थे। बचे खुचे मानवों में 85% जनता को अपना जीवन जीना मुश्किल हो रहा था । आपसी कलह, संघर्ष और युद्ध बढ़ गए थे । परिवार व्यवस्था ,रिश्ते नाते बिखर चुके थे ।अनेक शहरों को समुद्र निगल चुके थे । इन शहरों में एक शहर- मुंबई।   4 गोताखोर उसमें थे । तीन नेत्री एलियन 'हफदमस' उड़न तश्तरी के अंदर स्क्रीन से विभिन्न स्रोतों से विभिन्न सूचनाएं एकत्रित कर रहा था उड़नतश्तरी की गति बहुत धीमी हो चुकी थी । धरती पर खड़ी एक उड़नतश्तरी में से एक छोटा सा यान निकल कर आकाश में गति करने लगा था। हफदमस ने अपनी उड़नतश्तरी को नीचे धरती पर उतार दिया इस पृथु मही के अनेक बड़े हवाई अड्डों का पुनर्निर्माण और परिमार्जन किया जा रहा था ।  पेरू की प्राचीन सभ्यता इका के अवशेषों को आधुनिक ढंग से ठीक किया जा रहा था। दूर-दूर तक पत्थरों की जड़ाई से बनी सीधी और वृत्ताकार रेखाओं वाले स्थल को  पुनः जीवित किया जा रहा था। जिसकी एक दीवार पर एक राकेट बना हुआ था । राकेट के बीच में एक व्यक्ति आश्चर्यजनक हेलमेट लगाए हुए दिखाया गया था । जिसे मातृ देवी भी कहा जा रहा था। दक्षिण अमेरिका की इंडीज पहाड़ियों में बसी एक झील के पास एक प्राचीन नगर के अवशेषों को भी पुनर्जीवित किया जा रहा था। वहां के सूर्य मंदिर को पुनः स्थापित किया जा रहा था। 


महाभारत युद्ध के बाद विश्व में विभिन्न नगरों में इक्ष्वाकु वंश की मूर्ति निर्माण कला प्रसारित हुई थी।कोणार्क के सूर्य मंदिर के तरह पश्चिम के अनेक देशों में सूर्य मंदिर भी स्थापित किए गए थे या स्थापित की जाने लगे थे। लेकिन... लेकिन...  हफदमस उड़नतश्तरी से बाहर निकलते हुए जब आगे बढ़ा तो काले रंग के अनेक लड़के लड़कियों ने उन्हें घेर लिया और साथ-साथ चलने लगे। सन 1498 ईस्वी में जब वास्कोडिगामा भारत आया तब उन दिनों भी मुंबई वर्तमान नगर की तरह स्थापित नहीं हो पाया था।वह उस समय भी 7 दीपों के रूप में था । जहां का वातावरण पूर्ण रूप से प्राकृतिक था। इन द्वीपों पर कश्यप वंशी मछुआरे रहा करते थे जो अपने को यवन  आर्य  (ययाति पुत्र तुर्वसुवंशी)कहते थे।कुछ अपने को रावण (र - अवन) वंशी भी मानते थे। 


सन 1498 ईस्वी में वास्कोडिगामा की यात्रा के वक्त, उस समय का 'सर जी'- का एक चरित्र था-दितान्त ,जो कि समाज में तुर्क माना जाता था लेकिन वह अपने को यवन आर्य कहता। वह कहता था कि हमारे पूर्वज कभी कृष्ण सागर के आसपास विशेषकर आनातोलिया में बस गए थे । जो मलेक्षों में ब्राह्मण के रूप में सम्मानित थे।




 Thank you!