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मंगलवार, 28 जून 2022

एलियन्स के आने से संभावना!?

नीचे सिर झुकाए एक युवक धीमी गति से टहल रहा था। "हूँ, इस धरती पर सबसे खतरनाक प्राणी मनुष्य क्योंकि वह मनुष्य है ही नहीं।" सर जी ठीक कहते हैं कि इस धरती के लिए ही नहीं वरन पूरे ब्रह्मांड के लिए खतरा बन चुका है है यहाँ का मनुष्य। मानव समाज के अंदर मानव जाति मजहब के नाम पर एक दूसरे का कत्ल भी करने के लिए तैयार है। ऊपर वालों की नजर में यह सब कुछ नहीं है।इस धरती पर ही है हम सब के द्वारा बनाये गए जाति मजहब। तो फिर हम ऊपर वालों की नजर में बेहतर कैसे? हम उनका मर्डर करने को तैयार बैठे हैं जो हमारे पैगम्बर के बारे में ऐसा कहता है जो हमें बुरा लगता है। जिसका हम मर्डर करने को तैयार बैठे हैं उसका क्या फैसला करने वाले हम कैसे?क्या कुदरत व खुदा उसके कर्मों का परिणाम उसे भुगतवाने के लिए सक्षम नहीं है? अमेरिका के वाशिंगटन में किसी गुप्त स्थान पर एक मीटिंग हो रही थी। इस मीटिंग में वायुसेना कर्मी, अंतरिक्ष वैज्ञानिक,कुछ दार्शनिक ,डॉक्टर आदि उपस्थित थे। एक वृद्ध जिसके सिर व दाड़ी के बाल काफी।है हुए छिपाए सम्भावनाएं अनेक लंबे लंबे थे। वह बोल रहा था कि एलियन्स को बुलाना यहाँ अनेक सम्भावनाएं छिपाए हुए है। वह युवक कुर्सी पर बैठ गया। जब इस धरती पर एलियन्स आक्रमण करना शुरू करेंगे तो क्या मानव की वर्तमान आदतों, आचरणों में बदलाव होगा? एलियन्स को धरती पर बुलाने वालों को अभी से ही कोई जय चन्द्र, कोई द्रोही, कोई गद्दार कह कर पुकारने लगा है जबकि अभी एलियन्स की गतिविधियां तेज नहीं हुई हैं। एलियन्स आक्रमण से सर जी मानवता की संभावनाएं भी तलाश रहे हैं। मानव समाज को एक ऐसा व्यक्तित्व चाहिए जो कि मानव समाज को जाति मजहब से ऊपर उठ कर मानवता से जोड़ सके लेकिन अभी ऐसा असम्भव है।ऐसे में एलियन्स आक्रमण से ही मानवता जागरण के अवसर पैदा हो रहे हैं। ।

शुक्रवार, 24 जून 2022

सूर अज पर विस्फोट ?! #अशोकबिन्दु

 सूरज पर विस्फोट?!कुछ दिनों से तेज हो गए हैं सूरज पर विस्फोट.....#अशोकबिन्दु #अग्निवीर  


सूर+ज....?! सूर+अज...!?

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हम सन्तों व वैज्ञानिक  की वाणियों से किशोरावस्था से ही प्रभावित होते रहे है। तभी से हम सूरज पर विस्फोट के बारे में भी सुनते आये हैं।

वे गृह युद्ध, राजनैतिक अस्थिरता, विश्व युद्ध, अनाज दिक्कत आदि का भविष्य में जिक्र करते रहे हैं सूरज पर विस्फोटों की बात भी करते रहे हैं।जिसको सबसे ज्यादा #भारत और #अफ्रीका झेलेगा।100करोड़ जनता लगभग प्रभावित होगी।

और इसके साथ ही हम बता दें कि उत्तर भारत के नीचे हजारों परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा हरकत में है। जो यदि एक साथ #भूकंप के माध्यम से ऊपर आ जाये तो सम्भवतः पूरे एशिया व यूरोप का भविष्य ही हजारों साल तक प्रकृति परम्परा को खो दे।


और हम..?!आप जानते होंगे कि धरती अनेक शैलो, चट्टानों के टुकड़ों से बनी है ।जिनके बीच #दरारें बढ़ती सिमटती रहती हैं। जिसका असर समुद्र के अंदर भी है।समुद्र के अंदर जहां एवरेस्ट के समान पहाड़ियां है वहीं दूसरी ओर अनेक दर्रे व गुफाएं भी हैं। हां, हम कह रहे थे कि भविष्य में चट्टानों के बीच दरारें बढ़ती व सिमटती रहती हैं।जिसका असर भी #भविष्य में भारत और अफ्रीका को देखने को मिलेगा।


भारत का कभी भी किसी आक्रमण से नुकसान नहीं हुआ है।

आक्रमकारियों,घुसपैठियों, विदेशी एजेंटों को भारतीय मदद से नुकसान हुआ है या प्राकृतिक प्रकोप, गृह युद्ध से नुकसान हुआ है। हमें नहीं लगता कि भारत को विश्व युद्ध से ज्यादा नुकसान होगा अन्य देशों की अपेक्षा लेकिन भारत को भारत के लोगों से ही नुकसान होगा।


कुछ भी कहें यहाँ की सरकारों, शासकों में कमी तो रही है।एक देश या राज्य को क्या चाहिए ?इस पर देश या राज्य ने गम्भीरता से कार्य नहीं किया।देश या राज्य ने नागरिकों का स्तर देश या राज्य के लिए बड़ा महत्व पूर्ण रहा है।इस लिए हम कहते रहे हैं कि सबसे बड़ा #भ्रष्टाचार है शिक्षा ।हमारे देश व राज्य के नागरिक कैसे होने चाहिए ?इसका फैसला शिक्षा ही कर सकती है लेकिन #शिक्षा जैसी होनी चाहिए वैसी है ही नहीं।


हां, हम यहां पर #सूरज पर #विस्फोट पर चर्चा कर रहे थे।


सूरज का इस धरती के लिए काफी महत्व रहा है लेकिन इन विस्फोटों से पुनः एक बार 100 करोड़ स्त्री पुरुष व बच्चे प्रभावित होने वाले हैं। मध्यएशिया, अरब आदि के भांति सूरज के विपरीत खड़े होने से काम नहीं चलने वाला। भारतीय संस्कृति ने अमेरिका, यूरोप में तक सूर्य मंदिर दिए हैं।मंदिरों का दर्शन सिर्फ मूर्ति पूजा तक सीमित नहीं था।मूर्ति पूजा तो काफी दिनों के बाद शुरू हुई है।मंदिर,हम यहां पर 1500 वर्ष पुराने मंदिरों की बात कर रहे हैं, वे एक दर्शन का पर्याय हैं जो स्वयं में अनेक विविध रहस्य छिपाए हैं।इसके साथ ही व्रत परम्परा का भी मानव के जीवन में बड़ा महत्व है।ऐसे में एकादशी व्रत विशेष रूप से निर्जला/भीम एकादशी व्रत का बड़ा महत्व है ।इस पर तो वैज्ञानिक भी अब महत्व को कह रहे हैं।व्रत का मतलब है, हमें किसी बचाव के लिए  कृत्रिमताओं, बनावटी बस्तुओँ, दुनियाबी वस्तुओं का इस्तेमाल कम से कम करना। हम भी प्रकृति का हिस्सा हैं।हमें पांच तत्वों में साधना में रहकर  पारंगत करने की जरूरत है। हमे अपने अंदर के स्वतः, निरन्तर, शाश्वत से जुड़ने की आवश्यकता है। निरन्तर अभ्यास से हम अपने अंदर के ही स्वतः, निरन्तर, शाश्वत से जुड़कर जगत और ब्रह्मण्ड के स्वतः, निरन्तर, शाश्वत से जुड़ने का उपक्रम शुरू कर सकते हैं। जहां से बसु परम्परा की एक स्थिति की ओर हम बढ़ते हैं।

#अशोकबिन्दु  #विश्वबन्धुत्व  #अखण्डभारत  #तृतीयविश्वयुद्ध  #मिशन2025  #मिशनpok  #लोहिया  #श्यामा_प्रसाद_मुखर्जी  #सुभाषसेना  #अग्निवीरों