Powered By Blogger

बुधवार, 19 अगस्त 2020

सद्भावना में मशीनी औरतें..... अशोकबिन्दु


जंगल के बीच एक विशालकाय इमारत ! इमारत के बाहर अनेक जीव जन्तुओँ एवं महापुरूषोँ-कृष्ण विदुर ,महावीर जैन ,बुद्ध, चाणक्य, ईसा मसीह ,सुकरात, क........

ABLAL

जंगल के बीच एक विशालकाय इमारत ! इमारत के बाहर अनेक जीव जन्तुओँ एवं महापुरूषोँ-कृष्ण विदुर ,महावीर जैन ,बुद्ध, चाणक्य, ईसा मसीह ,सुकरात, कालिदास ,दारा शिकोह, कबीर, शेरशाह सूरी ,गुरूनानक ,राजा राममोहनराय, सावित्री फूले ,राम कृष्ण परमहंस ,महात्मा गाँधी, एपीजे अब्दुल कलाम, साँई बाबा, ओशो , अन्ना हजारे, आदि की प्रतिमाएँ पेँड़ पौधोँ के बीच स्थापित थीँ . इमारत के अन्दर वातावरण आध्यात्मिक था. वेद कुरान बाइबिल आदि से लिए गये अमर वचन जहाँ -तहाँ दीवारोँ पर लिखे थे. इसके साथ ही सभी ग्रन्थोँ के प्रतीक चिह्न अंकित थे. मन्द मन्द 'ओ3म -आमीन' की ध्वनि गूँज रही थी. जहाँ अनेक औरतेँ नजर आ रही थीँ पुरुष कहीँ भी नजर नहीँ आ रहे थे. हाँ,इस इस इमारत के अन्दर एक अधेड़ पुरुष उपस्थित था जो श्वेत वस्त्र धारी था .इस इमारत का नाम था-'सद्भावना' .एक अण्डाकार यान आकाश मेँ चक्कर लगा रहा था. एक कमरे के अन्दर दीवारोँ पर फिट स्क्रीन्स के सामने किशोरियाँ एवं युवतियाँ उपस्थित थे. अधेड़ पुरुष के सामने उपस्थित स्क्रीन पर अण्डाकार यान को देख कर उसने अपना हाथ घुमाया और वह स्क्रीन गायब हो गयी. सामने रखी माचिस के बराबर एक यन्त्र लेकर फिर वह उठ बैठा. इधर अण्डाकार यान हवाई अड्डे पर उतर चुका था.

* * * *

पृथ्वी से लाखोँ प्रकाश वर्ष दूर एक धरती-सनडेक्सरन . जहाँ मनुष्य रहता तो था लेकिन ग्यारह फुट लम्बे और तीन नेत्रधारी . एक बालिका 'आरदीस्वन्दी'जो तीननेत्र धारी थी , वह बोली -देखो ,माँ पहुँची पृथ्वी पर क्या?एक किशोर 'सम्केदल वम्मा' दीवार मेँ फिट स्क्रीन पर अतीत के एक वैज्ञानिक, जिन्हेँ लोग त्रिपाठी जी कहकर पुकारते थे, को सुन रहा था . जो कह रहे थे कि आज से लगभग एक सौ छप्पन वर्ष पूर्व इस ( पृथ्वी) पर एक वैज्ञानिक हुए थे एपीजे अब्दुल कलाम. उन्होने कहा था कि हमेँ इस लिए याद नहीँ किया जायेगा कि हम धर्म स्थलोँ जातियोँ के लिए संघर्ष करते रहे थे. आज सन 2164ईँ0 की दो अक्टूबर! विश्व अहिँसा दिवस . आज मैँ इस सेमीनार मेँ कहना चाहूगा कि कुछ भू सर्वेक्षक बता रहे हैँ कि सूरत , ग्वालियर, मुरादाबाद, हरिद्वार ,उत्तरकाशी, बद्रीनाथ ,मानसरोवर, चीन स्थित साचे ,हामी, लांचाव, बीजिँग, त्सियांगटाव ,उत्तरी- द्क्षणी कोरिया, आदि की भूमि के नीचे एक दरार बन कर ऊपर आ रही है, जो हिन्दप्राय द्वीप को दो भागोँ मेँ बाँट देगी. यह दरार एक सागर का रुप धारण कर लेगी जिसमेँ यह शहर समा जाएँगे. इस भौगोलिक परिवर्तन से भारत और चीन क्षेत्र की भारी तबाही होगी जिससे एक हजार वर्ष बाद भी उबरना मुश्किल होगा. सम्केदल वम्मा आरदीस्वन्दी से बोला -" त्रिपाठी जी कहते रहे लेकिन पूँजीवादी सत्तावादी व स्वार्थी तत्वोँ के सामने उनकी न चली.

सन2165ई0 की फरवरी! इस चटक ने अरब की खाड़ी और उधर चीन के सागर से होकर प्रशान्त महासागर को मिला दिया. भारतीय उप महाद्वीप की चट्टान खिसक कर पूर्व की ओर बढ़ गयी थी. म्यामार,वियतनाम आदि बरबादी के गवाह बन चुके थे." बालिका बोली कि देखो न,माँ पृथ्वी पर पहुँची कि नहीं... आज सन 5010ई0 की 19 जनवरी! उस अण्डाकार यान से एक तीन नेत्र धारी युवती के साथ एक बालिका बाहर आयी जो कि तीन नेत्रधारी ही थी. अधेड़ व्यक्ति कुछ युवतियोँ के साथ जिनके स्वागत मेँ खड़ा था.

* * * *

"सर ! आपके इस इमारत 'सद्भावना' मेँ तो मेँ प्रवेश नहीँ कर सकूँगी?"- सनडेक्सरन से आयी महिला बोली. तो अधेड़ व्यक्ति बोला कि अफस्केदीरन !तुम ऐसा क्योँ सोचती हो? अफस्केदीरन बोल पड़ी-"सोचते होँगे आपकी धरती के लोग,आप जानते हैँ मैँ किस धरती से हूँ?" जेटसूट से एक वृद्धा उड़ कर धरती पर आ पहुँची. "नारायण!" वृद्धा को देख कर अधेड़ व्यक्ति बोला- "मात श्री !"फिर नारायण उसके पैर छूने लगा. " मैँ कह चुकी हूँ मेरे पैर न छुआ करो." "तब भी......" नारयण ने वृद्धा के पैर छू लिए. इमारत'सद्भावना' के समीप ही बने अतिथिकक्ष मेँ सभी प्रवेश कर गये. आखिर अफस्केदीरन ने ऐसा क्योँ कहा कि सद्भावना मेँ तो मैँ प्रवेश नहीँ कर सकूँगी? दरअसल सद्भावना मेँ औरतोँ का प्रवेश वर्जित था.क्योँ आखिर क्योँ ?इस इमारत को महागुरु ने बनवाया था. जहाँ उन्होँने अपना सारा जीवन गुजार दिया. उन्होँने ही यह नियम बनाया कि इस इमारत मेँ कोई औरत प्रवेश नहीँ करेगी. यह क्या कहते हो आप ? एक को छोड़ कर सब औरतेँ हैँ. तब भी...... बात तब की है जब महागुरु युवावस्था मेँ थे. वह अपनी शादी के लिए लेट होते जा रहे थे. परम्परागत समाज मेँ लोग तरह तरह की बात करने लगे थे. तब वह मन ही मन चिड़चिड़े होने लगे थे कि कोई लड़की हमसे बात करना तक पसन्द नहीँ करती, हमेँ अपने जीवन मेँ पसन्द करना दूर की बात. सामने वाले पर अपनी इच्छाएँ थोपना क्या प्रेम होता है? सद्भावना मेँ उपस्थित स्त्रियाँ ह्यूमोनायड थे. (…जारी)

मंगलवार, 4 अगस्त 2020

आगामी गुलामी की तैयारी

सन5020ई0!




पृथ्वी से लाखों प्रकाश वर्ष दूर एक धरती सनडेक्सरन।

जहां के मूल निवासी तीन नेत्रधारी व 11फुट लम्बे स्त्री पुरुष।


जहां से भी काफी दूर अंतरिक्ष में एक धरती -भुमसन्दा।
जहां के जंगली इलाका में एक शिविर लगा था।अधिकतर स्त्री पुरुष तीन नेत्रधारी थे। जो किसी किसी रिसर्च पर यहाँ आये हुए थे।


सत्तावाद, पूंजीवाद, माफिया वाद की मिलीभगत ने बार बार इतिहास दोहराया है। 

पृथु महि (पृथ्वी) से भी कुछ स्त्री पुरुष मौजूद थे।

दसलोफीन यवती तीन नेत्रधारी नहीं थी।वह जरूर पृथ्वी की रही होगी।


कदफनेडरीस नाम का युवक तीन नेत्रधारी था। जो शिविर की ओर ही जा रहा था।

दसलोफीन कुछ दूरी पीछे विशाल काय पत्थरों, शिलाओं की ओर थी।


एक शिला पर पृथु महि का नक्शा बना हुआ था।

जिसमें भूमध्यसागरीय क्षेत्र व साइबेरिया क्षेत्र के बीच एक  मोटी सी लाइन खींची दिखाई दे रही थी। जो ताशकन्द  व ककेकस के करीब दो भागों में बंटी थी। जहां पर एक पर्वत व एक कछुआ बना था।


जहां दसलोफीन  उपस्थित थी।



वह मन ही मन सोंच रही थी-ब्रह्मांड में जो भी धरती देखो, मनुष्य ही वहां के विनाश का कारण बना।


आम आदमी अपनी आजादी का भ्रम ही सिर्फ पाला रहा।जब आजाद हुआ तो उसकी पूरी धरती थी।अर्थात उसकी आजादी से पूर्व मानव सभ्यता समाप्त हो चुकी थी।

कुछ लोग तो सन 1947 की भारत आजादी को आजादी को भ्रम समझने लगे थे। सन1947ई0 से सत्तावादियो, पूंजीपतियों व माफियाओं की मिलीभगत सत्ता पर कायम रहने के लिए आगामी तैयारी करने लगे थे।जो आगामी गुलामी की ही तैयारी ही थी।


एक ओर शिला पर पशुपति की उकरी तश्वीर को देख कर -

किसी न किसी रूप में ये शक्ति के दर्शन कहीं न कहीं हो जाते हैं।

पृथु महि पर कहीं ब्रह्मा, विष्णु, महेश ब्रह्मांड की अन्य धरतियों से आये महापुरुष तो नहीं?