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रविवार, 7 जून 2020

दसलोफीन के साथ अब क्या होगा?

 "साइरियस से साइबेरिया तक!'
ब्लॉग-'भविष्य:कथांश'पर!
सर जी के भी मन को दाद देनी होगी।

किशोरावस्था से ही वे किसी अज्ञात में खो किसी अज्ञात का ििइंतजार करने लगे थे।

उनदिनों वे हरितक्रांति विद्या मंदिर में कक्षा 07-08 में रहे होंगे।

मन जब अंतर्मुखी होने लगे तो वह अमन हो जाता है, जो अनन्त का द्वार है।तब कुछ कहना ही क्या?


वे दोनों-

दसलोफीन  और कदफनेडरीस !
इनमें से कदफनेदरीस तीन नेत्र धारी एक युवक व दसलोफीन सामान्य युवती,हम लोगों के समाज में जैसी।

दोनों सहचर्य मित्र थे।

वह जहां खड़ी थी, वहां अनेक बूत व चटटाने खड़ीं थीं।
जंगली इलाका था।
युवक उससे दूर जा रहा था।

एक शिला पर पृथु महि का नक्शा बना था।

जिसमें भूमध्य सागरीय क्षेत्र व साइबेरिया क्षेत्र के बीच एक मोटी सी लाइन खींची दिखाई दे रही थी।जो ताशकंद व काकेकश के बीच दो भागों में बंटी थी।जहां पर एक पर्वत व एक कछुआ बना था।

पृथ्वी से लाखों प्रकाश वर्ष दूर एक धरती-सनडेक्सरन ।जहां के मूल निवासी तीन नेत्रधारी व 11फुट लंबे स्त्री पुरुष।

 समकेदल वम्मा!
समकेदल वम्मा का अंतरिक्ष यान एयर पोर्ट से उड़ान भर बिशेष तकनीक से अदृश्य हो ही पाया था कि.

सन5012ई0 की 14 जून!

उसके यान पर हमला बोल दिया गया था।

कुछ कुशक्तियां ऐसी पैदा हो गयी थीं जो विज्ञान व नवीन तकनीकी के माध्यम से विभिन्न देवी देवताओं को बना कर पृथु महि की 85-90 प्रतिशत गरीब जनता को बहलाए फुसलाए थी।

कुछ नकली युग प्रवर्तक भी विज्ञान ने खड़े कर दिए थे।

और-

सन2165ई0!

भारतीय उप महाद्वीप व चीन की भूमि को दो भागों में बांटने की योजना थी।


आखिर सफलता पा भी ली थी कुशक्तियों ने।

24फरबरी 2165ई0 को भूमि तीब्र भूकम्प के साथ चटक गयी थी।


गुजरात के सूरत से हरिद्वार, उत्तर काशी, मानसरोवर होते हुए चीन की भूमि को चीरते हुए उत्तरी कोरिया दक्षिणी कोरिया आदि से होकर इस चटक ने अरब सागर और चीन सागर से होकर प्रशांत महासागर को मिला दिया था।


सोंच से बाहर निकल कर -

दसलोफिन अकेली खड़ी कदफनेडरिस को जाते देख रही थी।

"सुनो,आरदीस्वन्दी से जाकर कहना...।"
दस लो फीन जब बोलने को हुई तो.....!??

ये दोनों अंतरिक्ष में एक 'भुम्सनदा'' नाम की धरती पर थे।

भुम्सनदा धरती के ही जंगल में एक शिविर में आरदीस्वन्दी उपस्थित थी। वह अपनी टीम के साथ यहां आयी थी। जिसमें दस लो फीन व उसका सहचर्य कद फने डरिस भी शामिल था।

इसके बाद?!
दस लो फीन?!
खैर!

इधर इस धरती-पृथु महि पर!
तीन नेत्रधारी बालक हफ़क़दम सन डेक्सरन धरती से आयी युवती फदेसहरर के साथ था।

दोनों एयरपोर्ट पर थे।जो भुम सनदा धरती की ओर रवाना होने वाले थे।


उधर सन डेक्सरन धरती पर!

आर दी स्वंदी कि वृद्ध मां अफ स्केदीर्न दीवार पर आ रहे चलचित्र को देख रही थी।यह चल चित्र भुम सनदा धरती के थे।


अंतरिक्ष में एक क्वासर क्षेत्र!

ये क्वासर क्षेत्र?!


अंतरिक्ष में वह धरती जहां जल ही जल ।

नारायण नाम का एक वृद्ध  जहां एक मत्स्य नारी के साथ जल की लहरों के बीच था।


भुम सनदा धरती पर तेज मूसलाधार बरसात हो रही थी।

अकेली पड़ गयी दस लो फीन के साथ अब क्या होने वाला था?

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सूक्ष्म जगत में हमारा वह मिशन पीछे क्यों धकिल गया?

अनेक प्रकाशआकृतियां संग हमारा अमेरिका जाना सूक्ष्म/स्वप्न में हुआ था।


अब..?!

 अप्रैल 2018ई0 से क्या हो गया ?

सूक्ष्म जगत में अनेक स्वपनों में सुधार हुआ है।स्थिति सुधरी है लेकिन अब वह स्वप्न अमेरिका जाने वाला?!उसका दिखना...


चलो, मालिक मर्जी।


लेकिन हमारे लिए 'भविष्य:कथांश'-श्रृंखला का क्या होगा?


क्या ये श्रृंखला अधूरी रह जाएगी?

अब--

भविष्य त्रिपाठी की  आगामी जीवन गाथा का क्या होगा?

उधर-


उधर न्यूमैक्सिको में?!


जून1947 में गिरी उड़नतश्तरीयां की असलियत को आगे कैसे लाया जाएगा?


अमेरिका तन्त्र भी अब मान रहा है कि हां, जून1947 ई0में न्यूमैसिको में उड़नतश्तरीयां गिरी थीं।

हमने #ह्वाइटहाउस की ई मेल पर अनेक मैसेज भेजे हैं।हालांकि उसका परिणाम अच्छा।मिला है।

ऐ कबीरा पुण्य सदन!?

उफ्फ!

सब गड़बड़ा गया।


सन2007ई0 से ही हम अपने मिशन से भटके हैं।


पुरानी आदतें, संस्कार ऐसे धुलने वाले नहीं।

लेकिन---


25 दिसम्बर 2014ई0 !?


चलो, ठीक है।


मालिक की मर्जी!


वक़्त आने दो।

सन2011ई0 से 25 तक का समय विशेष समय है।इस वक्त जो साहस के साथ खड़ा रहा, वही धरती का भोग करेगा।

दुनिया व देश के हालात ऐसे हो जाएंगे जैसे कुत्ते के गले में फंसी हड्डी!व्यक्ति स्तर पर,परिवार व संस्था स्तर पर,समाज स्तर पर.... सब गड़बड़... उलझन, जटिल!जैविक घड़ी चौपट, नियमितता चौपट, संकल्प शक्ति चौपट.....85/90प्रतिशत के साथ ऐसा ही।अमेरिका ,ब्रिटेन आदि देश की व्यवस्था भी चौपट.... आत्मनिर्भर, शिल्पकार, अध्यत्मिक व्यक्ति ही उबरने में।वक्त है, गुजर जाएगा लेकिन....इस वक्त में 85/90 प्रतिशत...!!?
समस्याओं का निदान मानवता व अध्यत्मवाद से ही है।विश्व बंधुत्व से ही है।


इस वक्त आवास की समस्या है।साथ में फैमिली है, इस कारण और भी।


देखते हैं, अब मोदी सरकार आयी है। क्या होता है? सन्तों की माने तो कुछ भी अच्छा नहीं1होने वाला आम आदमी की हैसियत से। अभी तो सफाई होनी है।।सफाई में भी कितना बबाल होता है?

अब आगे-

दस लो फीन?! उस ओर सूक्ष्म अब क्यों नहीं?

चलो, मालिक पर छोड़ते है ।








गुरुवार, 4 जून 2020

क्या विश्व अराजकता व विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहा है::युधिष्ठर

सन 5020ई0!
एक इमारत-सद्भावना!चारो ओर जंगल ही जंगल!

दो युवक तीन युवतियों के साथ झाड़ी झंखाड़ को हटाते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे।  सभी के हाथों में भाला थे।


इस जंगल अब भी कुछ आदिवासी अपने को पांडवों के वंशज का मानते हैं।


सब आपस में बात भी करते जा रहे थे।


अब से दस हजार वर्ष पहले विदुर व युधिष्ठर इस शिला पर बैठे परेशान हो रहे थे।


युधिष्ठर!आप भी कहने लगे कि विश्व अराजकता व विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहा है? लेकिन ??चलो ठीक है कि दुर्योधन ,शकुनि आदि भटके रास्ते पर हैं लेकिन आप लोगों का क्या कर्तव्य है?


हम पांडव तो पांच गांव लेकर ही सन्तुष्ट होने को तैयार है लेकिन....



ये लेकिन वेकिन क्या?संसार आपको धर्मराज व सत्य वादी कहना शुरू कर रहा है और आप?


सन2020 ई0 में भी ?


सन2020 ई0 में भी धर्म ,सन्यास, सन्त, आध्यत्म, सनातन ,राज धर्म आदि के नाम पर....



हूँ!अराजकता, गरीबी, बेरोजगारी, गृहयुद्ध, विश्व युद्ध आदि में...


सद्भावना -ये इमारत?!

 मांसाहार की जड़े बड़ी गहरी हैं।जो मांस का जीभ से स्वाद नहीं लेते है,वे अन्य इंद्रियों से स्वाद ले रहे हैं, ले रहे थे।