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सोमवार, 23 मई 2011

सन 2011ई0 की मई........... र��हुल गांधी अचानक स े स���ी देयोल हो गए

राहुल गांधी अचानक से सनी देयोल हो
गए
*गुंजेश*
*दखल की दुनिया *

अगर यह समझना हो कि कैसे 'पापुलर तरीकों' का प्रयोग कर शोहरत बटोरी जा सकती है
तो हमें बुधवार को राहुल गांधी के द्वारा किये गए धारणा प्रदर्शन और उसके बाद
होने वाली गिरफ्तारी का अध्ययन करना चाहिए। इस घटना को जिस तरह से समझाया
दिखाया गया है उससे राहुल गांधी एकदम हीरो दिख रहे हैं। किसानों के मसीहा नज़र
आ रहे हैं। राहुल गांधी अचानक से सनी देयोल हो गए।
पढ़ते रहिये...
यह था एक बेवसाईट पर उन दिनों .




सन 5020 ई0 का किसान दिवस.

सब कुछ बदल चुका था।इक्कीसवीं सदी के अधिकतर नायक  खलनायक हो गए।
चीन, सेक्युलरवाद, कांग्रेस, सपा आदि का मुस्लिम प्रेम देश में अनेक विषंगतियाँ ला दी थीं।
एक नेता ने देश की अनेक समस्याओं को कम तो किया था लेकिन 85 प्रतिशत जनता को अनेक परेशानी झेलनी पड़ी थीं। कुछ लोग इसके लिए उनको ही दोषी मानते थे।
85 प्रतिशत लोग जीते भी किस सम्भावना से?85 प्रतिशत ही क्या उस वक्त 98.08प्रतिशत लोग भूतगामी ही थे।


शुक्रवार, 20 मई 2011

राहुल को जल्द बड़ी ज ���म्मेदारी संभालनी हो�� ीः अय्यर

राहुल को जल्द बड़ी जिम्मेदारी संभालनी होगीः
अय्यर



*रिपोर्टः अशोक कुमार*
*संपादनः एस गौड़*

कांग्रेस नेता मणि शंकर अय्यर का कहना है कि परंपरा को निभाते हुए राहुल गांधी
को जल्द बड़ी जिम्मेदारी निभानी होगी. राजीव गांधी की 20वीं बरसी पर अय्यर ने
कहा कि कभी कभी 'हम' उनके रास्ते से भटक जाते हैं, पर फिर लौट आते हैं.
मणि शंकर अय्यर राजीव गांधी से प्रेरणा लेकर विदेश सेवा की नौकरी छोड़ कर 1989में राजनीतिक में आए. वह राजीव गांधी के काफी करीबी रहे.
पढ़ते रहिये...


लेकिन कांग्रेस की कोशिशें सोशल मीडिया धराशयी कर देगा।
कांग्रेस मुक्त भारत की मुहिम तेज होगी।
राहुल गांधी का अभी शुभ वक्त नहीं।

ये पत्रकार भी क्या??

मंगलवार, 17 मई 2011

विप्लव विकल्प विक ास सरकारी दमन में अगला

शर्म आती है हिन्दुस्तानी कहते हुए अपने को.

कहाँ है मीडिया ! क्या इस बार कोंग्रेस मीडिया को नहीं खरीद पाई या उससे अच्छी
बोली बलात्कारीओं ने दे दी .

2011/5/17 Ashu

> *ग्रेटर नोयडा ,भट्टा पारसौल में मायावती सरकार के पुलिसिया गुंडों ने लगभग
> ८० किसानों को मारकर वहीँ जला दिया...गांव की सारी फसल जला दी गयी.महिलाएं
> शौच के लिए घर से बाहर नहीं निकल रही लगभग ११० महिलों के साथ पुलिसिया गुंडों
> ने बलात्कार किया...हाँ उत्तर प्रदेश सरकार के रिकॉर्ड में कोई लापता नहीं
> है और सिर्फ २ किसान मरे..*
>
> **
>
> *लगभग ५०० ग्रामीण लापता हैं...मीडिया चुप बैठा है...और खबर दिखाई भी तो जिन
> पे जुल्म हुआ उनका कवरेज कम और राहुल बाबा का ज्यादा... *
>
> *आज भारत में जिस तरफ देखें जमींन की लूट चल रही है...कुछ परदे के पीछे ,कुछ
> लालच से,कुछ मायावती सरकार की तानाशाही के रास्ते पर चलकर हत्याएं करवाकर..
> विकास की चकाचौध और अर्थव्यवस्था का गणित समझकर हमारी माननीय केंद्र सरकार भी
> एक के बाद एक परियोजनाओं को हरी झंडी दिखा रही है और अब किसी से छिपा नहीं
> है की इन सबकी दलाली भी ये नेता और कार्पोरेट खा रहें हैं...किसान से जमीन ली
> जाती है १ लाख रूपये या उससे कम के मुआवजे पर और बेचीं जाती है २ करोण
> रूपये एकड़ बिल्डरों को..अब तो मुझे लगता है हमे अरब खरब नील या मिलियन
> ट्रिलियन से आगे जा कर कोई नयी इकाई बनानी पड़ेगी सरकारों की इस दलाली की
> गाड़ना के लिए ..*
>
> *अगर नोएडा की बात करे तो नोएडा रूपी राक्षस बढ़ता ही जा रहा है..कभी फेज -
> २,कभी नोएडा एक्सटेंसन तो कभी ग्रेटर नोएडा तो कभी ग्रेटर नोएडा एक्सटेंसन...
> किसनो की खेती की जमीन का अधिग्रहण औने पौने दामों पर करके सरकारें सद्दाम
> हुसैन और हुस्नी मुबारक की तरह अपना घर भर रही हैं..काहिरा और इराज के लोग
> सौभाग्यशाली थे की एक ही मुबारक या एक ही सद्दाम था ..भारत की विडंबना ये है
> की यहाँ तो सददामों और हुश्नियों की पूरी फ़ौज ही है..मायावती ,राहुल गाँधी ,
> शरद पवार,अमर सिंह,कर्णाटक के रेड्डी ऐसे कुछ गिद्धों के नाम हैं जो इस देश
> को नोच नोच कर खा रहें हैं और हम अपने वातानुकूलित घरों में बैठे जश्न मना
> रहे हैं..भले ही ८० करोड़ लोगो को रोटी नहीं मिले २ जून की, नोएडा से आगरा तक
> दिल्ली-आगरा एक्सप्रेस वे बनेगा वो भी किसानों की लाश पर उनकी घरों की
> महिलाओं की इज्जत की कीमत पर..कारण सिर्फ इतना है की सरकार को तो बिल्डर और
> दलाल चलातें हैं..अब ये जमीन जो अधिग्रहित की जा रही है हजारगुना जयादा दाम
> पर बिल्डरों को बेचीं जाती है..उसमें भी दलाली खाते है हमारे जनसेवक और नेता
> जी लोग..उसके बाद इन दलाली के पैसों को रियल इस्टेट में इन्ही बिल्डरों के
> यहाँ लगा देते हैं इस देश के कर्णधार बिल्डर से फ्लैट खरीदने वाला भी आम आदमी
> , जो पुरे जीवन किश्त भरता है और वो दलाली की कमाई अब तक १० गुना बढ़ चुकी
> होती है...वो भी बिलकुल सफ़ेद धन...
> पिछले कुछ सालों में इस आर्थिक चकाचौंध की दौर में बिल्डरों और दलालों की
> एक पूरी व्यवस्था भी बन गयी है जो प्रकारांतर से सरकारी और पुलिसिया सहयोग से
> निरीह ग्रामीणों का सुनियोजित दमन कर रहा है और चुकी ये खबर समाज के सबसे
> कमजोर तबके से है इसलिए बहुत आसनी से इसे दबा दिया जाता है..इस कार्य में सभी
> पार्टिया सामान रूप से भागीदारी कर रही हैं...अगर यही खरोंच किसी युवराज की
> गाड़ी पर आई होती तो हम आप और मीडिया शुरू कर देता चिल्ल पों मचाना ..मगर जो
> मरा,जो जलाया गया वो किसान है..क्या हुआ जो हम उसकी मेहनत का पैदा किया हुआ
> अन्न ठूस ठूस कर कहते हैं हम सब तो अब नमकहराम होते जा रहे हैं..मरने दो उसे
> ..होने दो उसकी बेटियों का बलात्कार किसान होता ही है इसलिए...*
>
> *अब न तो उन किसानों के लिए कोई जंतर मंतर पर धरना होगा न ही ब्लॉग लिखा
> जाएगा न ही कोई कैंडिल मार्च होगा..क्यूकी आज की व्यवस्था और परिवेश में
> हमारी सोच है की "IT HARDLY MATTERS TO US " *
>
> *अब मेरी उम्र का किसी किसान का लड़का हाथ में बन्दूक उठा ले तो उसे माओवादी
> कहा जाएगा..क्या करेगा वो..बाप की लाश भी नहीं छोड़ी इस सरकार ने ..माँ और
> बहन का सामूहिक बलात्कार पुलिसिया गिद्धों ने उसके सामने किया फिर भी हम
> कहेंगे की अहिंसा परमो धर्मः....किसान किसी को मारे तो वो मुख्य समाचार बन
> जाता है और ८० किसानों को जला दिया गया उसकी चर्चा भी नहीं..ये SEZ बना कर
> दलाली खाने का जो खेल सरकार ने शुरू किया है वो कई नंदीग्राम और सिंगूर पैदा
> करने वाला है...क्यूकी व्यवस्था से असहाय व्यक्ति के पास शस्त्र उठाने के
> अलावा कोई चारा नहीं रहता है...
> आज जो भी व्यक्ति ये ब्लाग या ईमेल पढ़ रहा होगा उसे शायद कोई लेना देना नहीं
> होगा इस किसानो से मगर बंधू उन किसानो के बाद आप का ही नम

बुधवार, 11 मई 2011

देहदान से क्या हर्ज ?

दान का मानव जीवन मेँ बड़ा महत्व रहा है.दान अनेक तरह के हैं,उनमें से
एक दान है-देहदान. देहदान के प्रति मुझमें जिज्ञासा रही है कि देहदान कौन
कर सकता है?क्या अस्वस्थ व्यक्ति भी अपना शरीर दान कर सकता है?शरीरदान के
लिए जिले में कहां सम्पर्क किया जाए?आदि आदि.बरेली मण्डल के एक जनपद
बदायूं सात व्यक्ति अपना शरीरदान कर चुके हैं.जिसके परिचय ,जीवनी आदि से
सम्बन्धित पुस्तक बदायूं के दानदाता एक सजग सिंहावलोकन जून मास में
प्रकाशित की जाएगी.ऐसा एक समाचार पत्र से हमें संज्ञान हुआ.

: कतरा कतरा मरता हूँ हर रोज!

कतरा कतरा मरता हूँ हर रोज ,


बूंद बूंद जहर दिया इन अपनों से न मौज.


कहते हैं सुख दुख सोंचने का ढंग है


इस बात से संवारते थे खुद को हर रोज.

कौन है अपना ऐसा ,समझे अपने हाल को जो


अपनों की भीड़ बीच ,हर रोज मेरी मौत.

कहें सब अपनी अपनी,रंग न पाये बात कोई

इन अपनों के मरहम,घावों को बढ़ायें हर रोज.


भीड़ से हट एकान्त ने ही दिया मरहम


खून के आंसू पीकर रह जाएं ,भीड़ के मौज.


एकान्त के प्रभुस्मरण से ही पायें सुकून

भीड़ की संत्वना में
कहां मरहम,भीड़ में न पाया मौज.

शनिवार, 7 मई 2011

सद्भाव वाणी !

सद्भाव अब भी युवा था ,इसका एक मात्र कारण आयुर्वेद योग,तप,आदि था.वह आरदीस्वन्दी व धधस्कनक निवासी हलदकरोड़ा युवती,दस् रलकम व फदरस्लन की उपस्थिति में सामने उपस्थित पशु पक्षियों व विभिन्न मानवों को सम्बोधित कर रहा था.




विधाता की सत्ता शक्ति का सृष्टि में अंशविभाजन है-ब्रह्मा,विष्णु व महेश.इन तीनों से ऊपर है वह विधाता ,जिसे ब्लेक होल में आने व जाने की शक्ति प्राप्त कर लेने के बाद ही जाना जा सकता है.जहां तक अभी श्री कृष्ण ही अर्जुन को लेकर पहुंचे हैं.तब जब वे एक के मरे हुए पुत्रों को लेने पहुंचे थे.श्री कूष्ण के बाद ऐसी क्षमता कल्कि भगवान में ही होगी.ब्रह्मा जी एक बार नारद जी की जिज्ञासा को शान्त करते हुए बोले थे कि उन भगवान वासुदेव की मैं वन्दना करता हूँ और ध्यान भी,जिनकी दुर्जय माया से मोहित होकर लोग मुझे जगतगुरु कहते हैं.वेद नारायण के परायण हैं.देवता भी नारायण के ही अंगों में कल्पित हुए हैं और समस्त यज्ञ भी नारायण की प्रसन्ता के लिये ही हैं तथा उनसे जिन लोकों की प्राप्ति होती है,वे भी नारायण में ही कल्पित हैँ.वे द्रष्टा होने पर भी ईश्वर है,स्वामी हैं;निर्विकार होने पर भी सर्वस्वरुप हैं.उन्होने ही मुझे बनाया है और उनकी दृष्टि से ही प्रेरित होकर मैं उनके इच्छानुसार सृष्टि रचना करता हूँ.



सद्भाव एक विशालकाय अजगर को देख कर बोला कि आप लोग महान आत्मा रखते हैँ,एक साथ आपसब की यहाँ उपस्थिति इस बात का परिचय है.विज्ञान की खाद्य श्रंखला भी यहाँ पर फेल हो जाती है,क्यों कि खाद्यश्रंखला की अवधारणा में प्रकृति व्यवस्था है.चेतना की व्यवस्था काफी आगे की है.एक दूसरे के प्रति जन्माधारित हिँसात्मक सम्बन्ध रखने वाले जन्तु भी अपनी आत्मा में आने पर अहिंसक हो सकते हैं.चाहें को भी सम्प्रदाय हो सब जगह उसी विधाता के स्मरण के असफल कार्य हैं लेकिन कोई भी हम से आगे का एहसास या वखान नहीं रखते.ब्लेक का अन्धकार का बखान नहीं कर पाते,जो कहते हैं ईश्वर नहीं है और ब्रह्म से भी आगे के शून्य की बात करते हैं तो लोग उन्हें अनिश्वरवादी कह उठते,हालांकि उन्हें अनिश्वरवादी कहने वाले क्यों न अभी तक हम तक पहुंचे हों.देवी देवताओं ,पितरों,भूतों,आदि में ही रमण कर रहे हों.शून्य या शून्य से आगे की बात करने वाले बुद्धों को लोग अनिश्वरवादी कह ही उठते हैं.वहां पर हम जैसे व अन्य देवी देवता व भगवान नहीं होते.ब्लेक व शून्य को झेलने के बाद ही कोई उस सत्नारायण से साक्षात्कार पा सकता है.आम आदमी चन्द पल के लिए ब्लैक व शून्य का सामना करने पर परेशान हो उठता है,मतकटा का शिकार हो जाता है क्यों कि वह दृष्टा न बन दुनिया की नजर में बेहतर प्रदर्शन व अपने अहंकार व अस्तित्व को बचा कर रखना चाहता है .वह घबरा तो जाता है लेकिन इस बात से अन्जान होता है कि ब्लैक व शून्य प्रति तटस्थ होने पर ही हम अपने चेतना के स्रोत यानि कि उस बासुदेव को पा सकते हैं.



युवती हलदकरोड़ा बोली -" यह कलाप गांव कहाँ अस्तित्व में आयेगा?जिसकी जमीन में स्थित तहखाने में मरु मेडिटेशन में है? "


सद्भाव बोला-
"समय आने पर सब सामने आ जाएगा.मरु कलियुग के अन्त में नजर आयेगा और सूर्यवंश को फिर चलायेगा.अनेक योगसाधक है जो दुनियां से अन्जान हो मेडिटेशन में हैं. "



"हाँ,ऐसा तो है.पृथु मही पर एक टीले की खुदाई मेँ एक तहखाने मेँ एक व्यक्ति मेडिटेशन में मिला.उसने कलियुग खत्म हो जाने के बाद ही दुनिया में सक्रिय होने की बात की.फिर तहखाने से बाहर नहीं निकला और तहखाना बन्द कर दिया गया."




* * * * *


पृथु मही पर हिमालय के तराई क्षेत्र में स्थित माधव(माधौटांडा) वन में एक मन्दिर के के चारो ओर चक्कर लगा कर चला जाता था.



युवती फदेस्हरर बालक हफ्कदम के साथ इसी जंगल में थी.मन्दिर के चबूतरे पर आकर दोनों बैठ गये.मन्दिर के अन्दर दो साधु दरबाजे बन्द कर बैठे थे.



"अरे,अन्दर आ जाओ .शेर आने वाला है फांड़ डालेगा."



बालक हफ्कदम बोला-" किस स्तर के साधु हो. ".


युवती फदेस्हरर बोली
"हफ्कदम,क्या बोलते हो?".



मन्दिर के अन्दर खुसुरफुसुर हुई कि कोई लेडीज है ,अन्दर ले ले. ....क्या,हर वक्त नियति खराब न रखा रख,कहीं शेर आ गया तो...?.....आ गया.



शेर आकर मन्दिर का एक चक्कर लगाने के बाद फदेस्हरर व हफ्कदम के सामने रुक कर दहाड़ा.
दोनों शान्त भाव में बैठे रहे.



बालक हफ्कदम शेर से बोला-"तुम पिछले जन्म यहां साधु थे.अब चले आते हो चक्कर लगाने.बिचारे यह साधु डरते है .तू भी निर्जीव के पीछे पड़ गया?तेरा जल्दी ही मोक्ष होगा.तेरा अभी कुछ काम रह गया है.देवरावण को मारने वाला पैदा होने वाला है.भूम्सनदा पर आरदीस्वन्दी व सद्भाव की मुलाकात हो चुकी है".



मंगलवार, 3 मई 2011

तृतीय विश्व युद्ध की ��ूमिका:अमेरिका भारत म��ँ.

चीन का साम्राज्यवाद ,मुस्लिम आतंकवाद , अमेरिका की चीन से चिढ़ व चीन के द्वारा मुस्लिम देशों का नेतृत्व ने दुनिया को तृतीय विश्वयुद्ध में झोंक दिया था.


सन 2011ई0
एक मई को अमेरिका के द्वारा आतंकवादी सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराया गया था.




इस दौरान पूर्व विदेश सचिव ललित मान सिंह का मानना था कि देखना होगा कि ओबामा के समर्थन में ओसामा के समर्थन में कितने व्यक्ति व राज्य है?दुनिया को खतरे बढ़े है विशेष कर भारत को.'हिन्दुस्तान' समाचार पत्र अपने सम्पादकीय में लिखा था कि जब भी शान्ति व सद् भावना की बात चली है आतंकवादी घटना हुई है.



पाकिस्तान में लादेन की उपस्थिति व पाकिस्तान में ही लादेन की मृत्यु ने पाक सरकार पर संदिग्ध निगाहें डाल दी थीं.ऐसे में उसकी भारत के खिलाफ मुहिम में तेजी की सम्भावनाएं बढ़ गयीं थीं.इधर भारत के अन्दर भ्रष्टाचार व कुप्रबन्धन एवं काले धन की बापसी पर जन आन्दोलन तेज हो गये थे.जिससे ध्यान हटाने के लिए भ्रष्ट नेताओं द्वारा युद्ध की पहल की शंकाएं बढ़ गयीं थीं.उप्र सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चीन की साम्राज्यवादी नीति पर कुछ नेपाल संसदों से बातचीत प्रारम्भ कर दी थी.कुछ लोग देश के अन्दर मुस्लिम वोट को देश की अखण्डता व सम्प्रभुता के लिए खतरा मान रहे थे. गुरु अफजल ,कसाब ,आदि जैसे आतंकवादी को फांसी में मुस्लिम वोट का लोभ आड़े आ रहा था.लोगों को भारतीय मुस्लिमों पर से उम्मीदें उठने लगीं थीं.ऊपर से भ्रष्ट नेता.....?



2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले मामले में रिपोर्ट की सच्चाई के विरोध में पीएसी समिति में सपा ,बसपा व कांग्रेस एक साथ नजर आये.......इसका मतलब क्या था ? हालातों से तंग आकर एक मानवतावादी अण्डर वर्ल्ड ग्रुप 'सेक्यूलर फोर्स' को मजबूरी में सैनिक कार्रवाही का समर्थन करना पड़ा था.दृसरी तरफ चीन व माओवादियोँ की करतूतेँ......?!कहना पड़ा-"अमेरिका भारत आओ" . बदलाव के लिए प्रजातन्त्र पर उम्मीदें करना मुश्किल हो गया था क्योंकि भ्रष्टाचार व कुप्रबन्धन के खिलाफ एवं कालेधन की वापसी के लिए जो सामने आये भी थे,उन्हें मुस्लिम वोट व हिन्दुओ में अपनी जाति के नेताओं से निकलने की गुंजाईश नहीं थी.भ्रष्ट नेताओं को उनकी जाति के लोग समर्थन से बाहर निकल नहीं पा रहे थे. 'म' ग्रुप मनमोहन सिंह,मुलायम सिह,माया वती, मुस्लिम मत,पाक मेँ मुशर्रफ व इनसे अलग अपने निजी स्तर पर माओ वादी देश के लिए .......?!हालांकि कुछ माओवादी कुछ भ्रष्टनेताओं को मार रहे थे लेकिन मारे गये नेताओं की लाशों पर.....!?भारतीय संविधान की भी धज्जियां उड़ायी जाने लगी थीं.ऐसे में देश में सैनिक कार्रवाही व अमेरिका के आने की उम्मीदें बढ़ गयीं थीं. अग्रेजों के आने से पूर्व देश की राजनैतिक दशा क्या थी?देश के आजादी के वक्त देश की राजनैतिक दशा क्या थी?अब भी देशी रियासतें आधुनिक रुप में जन्म लेने की क्षमता रखती हैँ.

रविवार, 1 मई 2011

'सद्भावना'क्योँ?

कभी पूर्वोत्तर भारत में जंगलों के बीच हुआ करती थी एक इमारत-'सद्भावना'.


जून सन 5020 ई0 को 'सद्भावना' के एक मात्र वारिस को अज्ञातबास में पहुंचा दिया गया था.इस घटना के एक हजार वर्ष बाद-



तीननेत्रधारी आरदीस्वन्दी अब जवान थी.वह भुम्सन्दा धरती पर थी.जब वह ध्वनी थेरेपी से 'ओम आमीन' ध्वनि के आधार पर भुम्सनदा धरती पर आ गयी थी .



'धधस्कनक'धरती (अर्थात उड़नतश्तरी यान वालों की धरती) तीन निवासी -हलदकरोड़ा(युवती),दस् रलकम व फदरस्लन भी भुम्सनदा पर उपस्थित थे.जिन्होने 'सद्भाव' से आरदीस्वन्दी की मुलाकात करवायी थी.



'सद्भाव' कौन ?


'सद्भाव' ही था -'सद्भावना' का अन्तिम बारिस.जिसके हितैषी यहां भुम्सन्दा पर उसे ले आये थे.



* * * *




चार हजार वर्ष पूर्व पृथु मही पर घटित हुई एक घटना,गोधरा काण्ड के नाम से जानी गयी.जिसकी प्रतिक्रिया में गुजरात काण्ड!



गुजरात में दंगे चल रहे थे.



एक अण्डर वर्ल्ड ग्रुप की चीफ-मोनिका . जो अब वृद्धावस्था की दहलीज पर कदम रख चुकी थी.वह अण्डर वर्ल्ड से जरुर थी लेकिन उसकी हरकतें जातिवादी द्वेष, साम्प्रदायिकता, निर्दोष हत्याओं ,
आदि के खिलाफ थीं.इस अण्डरवर्ल्ड प्रवृत्ति से दुनिया अन्जान थी.हाँ,इसका एक एहसास 'हिन्दू आतंकवाद' के नाम से काल्पनिक तथ्यों के आधार पर अवश्य उठाया गया था.



मोनिका खुश थी कि उसके द्वारा लगाया गया वट वृक्ष अब काफी बड़ा हो चुका था.जिसकी अनेक शाखाएं निकल कर जमीन से जुड़ चुकी थीं.



मोनिका को स्मरण हो आये अपनी वृद्ध माँ रुचिको के अन्तिम शब्द-


"हमारे पिता जिन्हें दुनिया मि एस के नाम से जानती थी.भ्रष्टाचार व कुप्रबन्धन के खिलाफ शहीद हो गये थे.इस धरती के कुछ भ्रष्ट मानवों ने भ्रष्टाचार व कुप्रबन्धन को अन्तरिक्ष तक पहुंचा दिया था.मैं जिन्दगी भर लड़ती रही भ्रष्टाचार व कुप्रबन्धन के खिलाफ .अब आगे की लड़ाई तुमको लड़नी है मोनिका. "



मि एस कौन था?


14जून1946ई0 को न्यू मैक्सिको में गिरी उड़नतश्तरी की घटना का एक गवाह था-अन्तरिक्ष वैज्ञानिक मि एस.जो उड़नतश्तरी यान से आये एलियन की मदद करना चाहता था और भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ लड़ना चाहता था लेकिन अमेरिकी प्रशासन ने उसे मरवा दिया.



हाँ,गुजरात काण्ड व अन्य ऐसे ही काण्डों के दौरान प्रत्येक पक्ष के उन कट्टरपन्थियों को मारने का काम किया था मोनिका ग्रुप ,सेक्यूलर फोर्स व अन्य ग्रुप के देशबासियों ने;जो निर्दोषों का खून बहा रहे थे.



इन्हीं ग्रुपों के परिणामस्वरुप सामने आयी एक इमारत -'सद्भावना'.