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रविवार, 22 अगस्त 2021

एलियन्स का आक्रमण?!

 एलियन्स आक्रमण ?!


हम सोंच रहे थे-भविष्य में एलियन्स पृथु महि पर आक्रमण करेंगे।


उधर अंतरिक्ष मे एक धरती 'हा- हा- हूस'- जहाँ विशालकाय जंतु!! मिस्टर एस की पुत्री -'रुचिको'को वहीं छोंड़ दिया गया था।


एक विशालकाय डायनासोर!


वह चलता तो लगता कि सारी धरती कांप रही हो।


'ह ह न स र क'-एक पहाड़ी की आड़ ले खड़ा हो जाता है।


कुछ समय पश्चात डायनासोर तो आगे बढ़ जाता है लेकिन ' ह ह न स र क'- दो फन वाले एक सांप का शिकार हो जाता है। सांप उसके बांये पैर से लिपट गया था।काफी प्रयत्न के बाद उस दो मुहे वाले साँप से उसने पीछा छुड़ाया और आगे बढ़ गया।



और--


मिस्टर एस की पुत्री-रुचिको सस्कनपल को अपनी ओर आते देख कर सहमी सहमी एक वृक्ष तले झाड़ी में दुबक जाती है।लेकिन-


सस्कनपल उस झाड़ी के समीप ही आ चुका था।


उस झाड़ी में दो मुहे सांप की फुसकार पर रुचिको डर कर खड़ी हो जाती है।

तो सस्कनपल उसे देख मुस्कुरा देता है।और.....




किसी धरती पर एक कमरे में महात्मा गांधी शक्ल एक बुजुर्ग व्यक्ति टहल रहा था।


वह-

"इन महान वैज्ञानिकों ने पृथु महि के महात्मा गांधी का क्लोन अर्थात हमें बना कर सफलता तो पा ली है, लेकिन....!? हमारा नाम दिया गया है- ब्रह्मांड बी.गांधी।"



आगे जा कर वह एक दीवार की ओर देखता है।वह दीवार एक स्क्रीन में बदल कर चलचित्र  दिखाने लगती है।


"पृथु महि व उसके सौर परिवार, उसके मंदाकिनी की स्थिति बड़ी भयावह हो गयी है।मंगल ग्रह की तरह क्या अब पृथु महि का मानव भी अब खत्म हो जाएगा। वह मानव भी बड़ा बनता था?हूँ, स्वयं ही सभी प्राणियों में सर्वश्रष्ठ?लेकिन उसने पृथुमहि ही नहीं सारे अंतरिक्ष के हालात मुश्किल कर दिए?वह भूल गया कि प्रकृति अभियान से बढ़ कर कुछ भी नहीं।जैविक क्रमिक विकास में मानव ही सर्वश्रेष्ठ कृति नहीं है अभी।ये जैविक क्रमिक विकास तो अनन्त है।अभी अनेक स्तर दर स्तर क्रमिक प्राणी आयंगे जो हर पूर्व मानव से श्रेष्ठ होंगे। हूँ, अनेक धरतियों  के प्राणी जो पृथु महि के मानव से बेहतर तकनीकी में है नाराज हैं।इस कारण वे पृथुमहि के मानवों पर आक्रमण भी करने वाले हैं।"




'सर जी'- कहते रहे हैं कि धरती पर सबसे बड़ी समस्या है-वह प्राणी जो मानव कहा जाता है लेकिन उसमें मानवता नहीं है।और सबसे बड़ा भृष्टाचार है शिक्षा।क्योकि कोई भी शिक्षित का आचरण,विचार व भाव ज्ञान के आधार पर नही है।


हूँ.....



उन दिनों हम शिशु क या शिशु ख में विद्यार्थी थे। एक महात्मा अपने आवास स्थल पर प्राइमरी स्तर का विद्यालय चला रहे थे।हमारा वहीं पढ़ने के लिए आना जाना था।कायस्थ जाति के बच्चों के हमारी दोस्ती होगयी थी। बात सन 1978-79ई0 की रही होगी। उन दिनों मई- जून की छुट्टियों में खजुरिया नवीराम(भीकमपुर),बिलसंडा आना जाना होता था।अपने पैतृक गांव का आता पता अहसास न था।


उन दिनों शान्ति कुंज, आर्य समाज में पिताजी की सक्रियता काफी ज्यादा थी।



खजुरिया नवीराम की स्थापना कुनबी  मराठा ठाकुरों ने की थी।जो अब कुर्मी गिने जाते हैं।जिनके हजारों गांव पूरे के पूरे उत्तर भारत के तराई में बस गए थे।ये भी सुना जाता है कि सन1761ई0 के मराठा व अब्दाली युद्ध में अनेक भारतीय शक्तियों की मदद न मिलने या तटस्थता या गद्दारी के कारण कुनबी मराठा पराजित हुए थे।वे इतने स्वभिमानी होने व देश की विभक्त राजनीति से परेशान होकर यहां के जंगलों में बस गए थे।जिन्हें अंग्रजों ने खेत जोतने ,कृषि करने की स्वतंत्रता दे दी थी। बताते है इनके पूर्वज अयोध्या में क्षत्रिय थे।जिन्हें विभिन्न परिस्थितियों  के कारण दक्षिण व अन्य क्षेत्रों में जाकर बसना लड़ा था।कोलार, कर्णकट आदि क्षेत्र में अपना राज्य स्थापित किया था।जिनके पूर्वज चोल वंश, गंग वंश में भी प्रतिष्ठित हुए थे।ददिगी जिनका प्रमुख नेता था।विजय नगर साम्राज्य में भी इनका योगदान था।विजयनगर के राजपुरोहित, सेनापति व सर्वप्रथम वेद भाष्यकार #सायण ने तक कहा था कि कूर्मि सर्वशक्तिमान होता है।ये लोग वर्मा या वर्मन उपाधि भी लगाने लगे थे। खजुरिया नवीराम में पिता जी की ननिहाल थी। सुना जाता है कि नवीराम  कुनबियों के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे।एक समय पूरे तराई क्षेत्र में इनकी तूती बोलती थी।


जून की छुट्टियां चल रही थीं।

हम खजुरिया नवीराम में उपस्थित थे।


उन दिनों बादलों में विभिन्न आकृतियां खोजना शौक था।



कुनबियों के द्वारा बने क्षेत्र में प्रसिद्ध मंदिर  के सामने हम हम बैठे फूट खा रहे थे। कुछ दूरी पर सामने खेत में कुछ लोग घास साफ कर रहे थे।  हम बार बार ऊपर आसमान की ओर देखने लगते थे, जैसे कोई आफत आसमान से टपकने वाली हो। कल शाम को मकान के सामने नीम के वृक्ष के नीचे कुछ व्यक्ति चर्चा कर रहे थे कि आसमान से आकर पत्थर नीचे धरती पर आकर गिरते हैं।जिन्हें धूमकेतु कहते है।सुना जाता है आसमान में और भी ऐसी धरतियाँ रहती हैं, जहां नागवंशी, मत्स्य वंशी रहते है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश के लोग रहते हैं।


ब्रह्मांड बी.गांधी बॉल स्क्रीन पर अंतरिक्ष के चल चित्र देख रहा था।

"एलियन्स पृथु महि पर आक्रमण कर सकते है।वे पृथुमहि के मानवीय तन्त्र से काफी खफा है। चलो ठीक है, इस बहाने पृथु महि के मानव जाति,मजहब, देश की भावना से उपर उठ कर 'विश्व सरकार'- की भावना  से जुड़ेंगे, विश्व बंधुत्व, बसुधैव कुटुम्बकम भावना की ओर बढ़ेंगे।"

"यदि1947 में देश के बटवारा के बाद सारे मुसलमान पाकिस्तान चले भी जाते देश के बंटबारे के उद्देश्य के मुताबिक तो फिर हिंदुस्तान में क्या होता?विधाता जो करवाता है ठीक ही करवाता है।गांधी ने ठीक ही कहा था कि देश के लिए मुसलमानों का हिंदुस्तान में रुकना गलत न होगा।इसी तरह पृथु महि पर एलियन्स आक्रमण...?!"



शुक्रवार, 6 अगस्त 2021

मिस्टर एस की मृत्यु?!

 मिस्टर एस अब कठघरे में था।

वह किसी सोंच में था?!

अब से लाखों वर्ष पूर्व-

उन दिनों तृण बिंदु के आश्रम में एक आचार्य था,जिसका नाम था-'कुटु-अम्ब'।

वह छब्बीस साल में लग गया था। उस समय एक यक्षिणी थी-दृणी।जो कि यक्षणी -

ताड़का की  सहचारिणी थी। अयोध्या में उस वक्त राजा दशरथ के यहां श्रीरामचन्द्र का जन्म हो चुका था जो लगभग सात वर्ष के रहे होंगे।

जब कोई आत्मा गर्भ धारण करती है तो एक योजना व अपने पूर्व संस्कारों, पूर्व कर्मों आदि के प्रभाव में आकर। लंका साम्राज्य के अंत के लिए छोटी छोटी घटनाओं के माध्यम से बड़े मिशन की तैयारियो को अंजाम दिया जा रहा था।

रावण का नाम सोमाली/सोम अली  का वन्य समाज में पूरी धरती पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रभाव रहता था।


जहां आज सोमालिया है, वहाँ उसका कभी गढ़ रहा था-उत्तर अफ्रीका की ओर व द्वारिका आदि तक, बिंदु सरोबर तक भी।


ताड़का एक गुफा में बैठी सोंच रही थी-" आचार्य कुटुंब से एक बार हमारा सामना हुआ था। हमारी विभीषणता से वह विचलित नहीं हुआ था । वह बोला था हम आपके सामने नतमस्तक होते हैं क्योंकि आपके अंदर भी आत्मा दिव्य शक्तियां हैं। हमारा आपका स्तर अलग-अलग है,बस ।प्रकृति और ब्रह्म अंश से आप भी हैं और मैं भी और सभी जीव जंतु भी।  हम पुनः आपके सामने आपके अंदर की दिव्य शक्तियों को नमन करते हैं, जो जगत का भी कल्याण कर सकती हैं ,यदि आप चाहें तो । हम में आप में कोई अंतर नहीं है। अंतर सब स्तर का है ,अपना-अपना है स्तर।"

हूँ! 

मिस्टर बैचैनी में कठघरे के अंदर ही टहलने लगा था।

"हूँ, अब जेल में सड़ कर क्या मनसूबे पूरे होंगे?"




हूँ, मानव समाज व तन्त्र हर देश व धरती भर का बिगड़ चुका है।ऐसे में इन एलियन्स का इस्तेमाल भी इस धरती का मानव गलत ही करेगा।धरती व प्रकृति को ऋषि परम्परा के लोग चाहिए जोकि 'बसुधैब कुटुम्बकम की भावना व 'सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर'- की भावना रखते हैं।हमें चिंता इन एलियन्स को लेकर। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की रिपोर्ट्स तो अंडर वर्ल्ड के प्रकृति व ब्रह्मांड विरोधी मंसूबों की ओर संकेत करती है।"

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गुरुवार, 5 अगस्त 2021

ये मेरा मेहमान है?!

" ये मेरा मेहमान है! मेरे मेहमान के साथ ...?!आखिर आपसब इसे क्यों ले जा रहे हो?"-सेना उस धधस्कनक निबासी के एलियन्स को जब ले जाने लगती है तो मिस्टर एस सेना के अधिकारी से बोला।

और...

दरअसल....

मिस्टर एस के आश्वासन पर धधस्कनक धरती का वह कान विहीन, बाल विहीन प्राणी अर्थात एलियन मिस्टर एस के आवास पर ही रुक गया।रात्रि बीतने के बाद सुबह....


मिस्टर एस से मिलने एक व्यक्ति आया।मिस्टर उससे मिलते हुए बोला-

"हां, तो क्यों?इतनी जल्द सुबह सुबह क्यों आना हो गया?"

"सर,कल मेरे आंखों के सामने एक उड़न तश्तरी दुर्घटनाग्रस्त होकर आसमान से नीचे आकर गिरी कल एक उड़न तश्तरी गिरी थी पास जा कर दे पास जाकर देखा तो 4 छोटे प्राणियों के शरीर पड़े थे।दो की सांस चल रही थी और एक उनका उपचार कर रहा था।लेकिन सेना आकर उन सबको ले गयी।उड़न तश्तरी के मलबे को लेकर ,और मुझसे कहा जाता है कि मैं सब कुछ भूल जाऊं।"

मिस्टर एस काफी समय तक मौन ही रहा।फिर-

"वह धरती धधस्कनक धरती की ही होगी।"

क्या..?!धधस्नकनक !"

"ऐसी घटना तो मेरे साथ भी घटी है।"

"क्या...?!"

"लेकिन समझ में नहीं आता शासन प्रशासन इन अंतरिक्ष घटनाओं को छिपाता क्यों है?"


"सर, इनकी साजिशें काफी लंबी हैं।"

"हूँ, मैं भी समझ रहा हूँ।समाज में अपना दबदबा रखने का नशा ऐसी शक्तियों को सृष्टि आरम्भ से ही रहा हैऔर इसी श्रंखला के अंतर्गत यह सब घट रहा है।"

"अच्छा सर, मैं चलता हूँ।फिर मिलूंगा।"-और वह व्यक्ति मिस्टर एस के आवास से चला गया।

वह व्यक्ति अपनी एक जीप से था।

दो किलोमीटर ही वह पहुंच पाया होगा कि...

सामने सेना की गाड़ी आकर खड़ी हुई और-

"रुको,ए इंसान।"

और वह जब अपनी जीप से बाहर निकला तब सैनिकों द्वारा उसे पकड़ लिया गया।

"आ.. आप मुझे क्यों पकड़ रहे हैं?मेरा क्या दोष?"

नौकर मिस्टर एस को काफी का प्याला पकड़ा ही पाता है कि सामने अधिकारी को देख.

"आइए बैठिए।"



"तेरा दोष?हूँ...!"

दूसरा-

"चल बैठ गाड़ी में।"

एक सैनिक उस व्यक्ति की जीप ड्राइव कर आगे बढ़ सेना गाड़ी के पीछे पीछे चलने लगा।

दूसरी और....

मिस्टर एस..?!

मिस्टर एस का फार्म स्थित आवास!

उसे भी सेना द्वारा घेर लिया गया।

मिस्टर एस की निगाह ऊपर गयी-ऊपर एक हैलीकाप्टर मंडरा रहा था।

नौकर मिस्टर एस के पास आकर सूचना बताता है-

"सा'ब!आवास को तो सेना ने घेर लिया है?"

मिस्टर एस मौन ही रहा।फिर-

"जाओ, एक काफी बना कर लाओ।"

"जी,.....सा'ब!"

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आज से लाखों वर्ष पहले की बात है।

हिन्द महाद्वीप का अरब सागर, बिंदु सरोबर व मध्य एशिया मैं कैस्पियन सागर अर्थात कश्यप सागर एक ही थे।

तृण बिंदु का आश्रम उस वक्त दक्षिणी गोलार्ध अर्थात दक्षिण अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण भारत, जावा, सुमात्रा आदि में मतंग आश्रम के बाद महत्वपूर्ण शिक्षा का केंद्र था। तृण बिंदु की चेतना व अंतर समझ सूर्य तक पहुंच चुकी थी।इक्ष्वाकु जनक विवस्वान उनके आदि ऋषि थे।जो से बढ़कर इस प्रतिभा से बढ़कर अभी कोई धरती पर न था।जिनके सूर्य वंश धरती पर स्थापित हुआ था। उस वक्त सोमाली अर्थात सोमालिया की धरती द्वारिका से मिली हुई थी।

उस वक्त अनेक क्षेत्र एलियन्स से सम्पर्क में थे। दक्षिणी गोलार्ध जिससे प्रभावित था ही, पृथु महि का उत्तरी गोलार्ध ,साइबेरिया, कोरिया, जापान आदि क्षेत्र के अलावा भूमध्य सागर क्षेत्र भी एलियन्स से प्रभावित था।

अनेक स्थानों पट आदिबासी ,सभ्यताएं आदि अपना आराध्य एलियन्स को मानती थीं।

भूमध्यसागरीय क्षेत्र में अनेक जन अपने को अंतरिक्ष की अन्य धरती  #लुन्धक से आये #मत्स्य मानव को अपना पूर्वज मानते हैं।

गुजरात, राजस्तान के कुछ भाग से लेकर भूमध्यसागरीय क्षेत्र तक कभी मत्स्य क्षेत्र कहलाता था।


एस एस कालेज, शाहजहांपुर के प्रांगण।में कुछ विद्यार्थी इस पर चर्चा कर रहे थे।

हमने एम ए द्वितीय वर्ष(इतिहास) का फार्म यहां से भर रखा था। एक प्रश्नपत्र की हमारी परीक्षा थी, हम भी वहां पहुंचे हुए थे। जब विद्यार्थियों ने हमें देखा तो हमें घेर लिया।

"नमस्ते, सर।"

"नमस्ते।"

"नमस्ते सर।"

"सभी को नमस्ते।"


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 नौकर मिस्टर एस को काफी का प्याला पकड़ा ही पाया कि सामने देख कर-

"आइए बैठिए।"

एक सेना अधिकारी आकर बोला-

"बैठने की फुर्सत नहीं।तुम अब हमारी निगरानी में हो।"

"धन्यवाद!"

"चलिए।"

"चलें?काफी ले लें।"

"नहीं। आप चलते हैं कि सैनिकों को आदेश देना पड़ेगा?"

"सारी, आप काफी नहीं लेंगे, इसका मतलब यह नहीं कि मैं भी काफी न लूं?"

बायीं आँख के बायें कोने से मिस्टर एस ने देखा कि सेना धधस्कनक धरती के उस प्राणी को पकड़ कर ले जा रही है तो?!तो कुर्सी से उठ बैठा और क्रोध में-

"यह मेरा मेहमान है। मेरे यहां से मेरे मेहमान को बिना किसी जुर्म के पकड़ ले जाना न्यायोचित नहीं है।"

"हम भी इसको मेहमान की भांति ही रखे रखेंगे।"


"हूँ!'- आधी काफी ही पी कर कप मेज पर रखते हुए-"यदिमेरे इस मेहमान पर कुछ हो गया या इसे किसी भी भांति की पीड़ा दी गयी तो हमसे बुरा कोई न होगा।"


"बहुत चीखने लगा है मिस्टर एस तू.."

फिर कुछ सैनिक।मिस्टर एस को पकड़ लेते हैं।

"अमानवीय शक्तियों संग मिल कर षड्यंत्र रचने का अब तेरा समय गुजर गया है-मिस्टर एस।"

तो मिस्टर एस मुस्कुराने लगा।और-

"भ्रम में हो।धन, सत्ता-पद के लोभ ने तुम लोगों  को निकम्मा कर दिया है।"

अब मिस्टर एस कठघरे में था।


मंगलवार, 3 अगस्त 2021

एलियन की मदद में मिस्टर एस?


 बालक अशोक अपने दोनों हाथ सिर पर रखे ऊपर बरगद के वृक्ष को देख रहा था कि दीपक उसके पास आते बोला-

 "ऊपर क्या देख रहे हो?" तब अशोक बोल पड़ा- "कुछ भी नहीं यों ही ,तुम काफी पीछे थे।सोंचा साथ ले लूं।"

 दीपक बोला-"तुम्हारी चाल भी तो बड़ी तेज है।" 

फिर दोनो साथ साथ आगे बढ़ गए। कुछ समय बाद दीपक बोला- "परसों में स्कूल नहीं आया था।विज्ञान का काम अपूर्ण हो गया।कापी दे देना।पूरा कर लूंगा।" 

 "ठीक है, ले लेना।" 

आगे जा कर दोनों बाला जी की मढ़ी के सामने मैदान में बैठ गए और बातचीत करने लगे। काफी समय गुजर गया।

 "दीपक अगर डायनासोर जैसे जंतुओं पर फिल्में बने और कामिक्सों के फौलादी सिंह जैसे पात्रों पर यदि फिल्में बने तो कैसा लगे?"

 "ऐसा हो भी कैसे?सोंचने वाले दूसरे तो करने वाले भी दूसरे?"

 "अच्छा, दीपक।अब चला जाये।लगभग एक घण्टा बीतने को आया होगा।" 

 घड़ी देख कर दीपक कहता है-"सवा घण्टा हो गया है।" 

फिर दोनों उठ कर चल देते हैं। घर पर आ कर अशोक- मध्य जून की बात। अशोक अपने ही क्लास के दो छात्र जो भाई भाई थे, के घर से आकर घर पर खाना खा कर ऊपर पहुंच ही पाया होगा कि आसमान पर काफी नीचे से ही एक लड़ाकू विमान उड़ कर पूरब की ओर निकल जाता है कि वह कई बार देखे गए एक स्वप्न में खो जाता है--

 "वह तेजी के साथ घबराहट लिए भागता जा रहा था कि वह ऊपर देखता है-एक उड़न तश्तरी तीब्र गति के साथ ऊपर से गुजर जाती है।उसके पीछे एक डायनासोर तीब्र गति से भागता आ रहा था।"

 फिर अपने मन को यथार्थ में ला अशोक आगे जा एक छोटे से कमरे के सामने पड़े छप्पर के नीचे चारपाई पर आकर बैठ जाता है। और फिर- कि एकाएक मिस्टर एस सामने खड़े गैर पृथ्वी के तीन फूटा प्राणी को देख चौका। तीन फूटा कान विहीन वह प्राणी शरीर पर बिल्कुल बाल नहीं रखता था और भवें-पलकों रहित । मिस्टर एस उसे अपनी ओर आते देख कर खड़ा हो गया। मिस्टर एस के मुख से सिर्फ इतना निकला -"तुम!तुम यहाँ क्यों---?"

 तब वह प्राणी बोला- "मित्र!मेरी ओर से तुम निश्चित रहो।क्या तुम हमारी मदद कर सकते हो?" "जी....?!" 

 "हमारे साथियों का एक यान यहाँ दुर्घटना ग्रस्त हो गया, जिसमें दो लोग जीवित थे-सम्भवतः।उन सबको आपकी सेना ले गयी।मेरी मदद करो।" 

 "आप हमारी भाषा जानते हैं?" "दरअसल यह सब विज्ञान सिस्टम है।"

 "आओ बैठो।" 

तब वह एलियन अर्थात गैर पृथ्वी प्राणी कुर्सी पर बैठ गया। 

 "क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?"

 "जी!दरअसल मैं, मैं भी अभी इस सम्बंध में अज्ञात के भंवर में हूँ।मैं कोशिश करूंगा।"


 "तुम कोशिस करोगे?" 


 "तुम विश्वास रखो, मुझे जितना बनेगा उतना प्रयत्न करूंगा।"

 "जी, ठीक है।" फिर मिस्टर एस कहीं खो गया तो-


"मिस्टर एस मुझे दुख है तुम्हारी बीबी की उन लोगों के द्वारा हत्या व तुम्हारी पुत्री का अपहरण हुआ है। "

 "किन लोगों के द्वारा?" 

 तब वह 3 फुट गैर पृथ्वी का प्राणी मौन हो गया और कुछ समय बाद बोला -

"आपकी बीवी की हत्या करने वालों की जानकारी अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन यह उम्मीद लगाई जाती है कि जिन लोगों ने तुम्हारी पुत्री का अपहरण किया है उनका हाथ हो सकता है।"

 " किनका?" 


 " सनडेक्सरन धरती के कुछ निवासियों।" 


 " सनडेक्सरन ?!"

 "हां '11 फुट तीन नेत्र धारी व्यक्तियों की धरती।"


 "आप किस धरती से आए हैं ?"


 "धधस्कनक धरती से।" 

 "धधस्कनक ? आज आपके मुख से दो धरतियों के नामों से मैं परिचित हुआ हूँ।"


 "अब हमारा आपका सम्पर्क हुआ है।अब तो ज्ञान का आदान प्रदान चलता रहेगा।"


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एस एस कालेज, शाहजहांपुर के प्रांगण में कुछ विद्यार्थी बैठे बातचीत कर रहे थे।


"सर जी भी न जाने कहाँ कहाँ खोए रहते हैं?"

"ऐसे लोग सब कुछ होकर भी दुनिया में कुछ भी नहीं होते।"

"बस,जीते चले जाते हैं।ऐसे लोग दुनिया की समझ से परे होते हैं।"

"इस कालेज से उनका आत्मीय लगाव रहा है।उनके पिता जी भी यहीं सम्भवतः सन 1968-1969ई0 के आसपास सक्सेना जी के समय में यही बी ए व बी एड किए है।बड़े दबंग थे, उनकी उन दिनों यहीं नहीं शाहजहांपुर में खूब दगती थी।"

"तो क्या?अब सर जी?! हर वक्त सहमे सहमे से रहते हैं।

"उसका कारण है।ऐसे लोग मनोविज्ञान में बड़े संवेदनशील होते हैं, नाजुक होते हैं।लेकिन इसका मतलब ये नही,ऐसे लोगों में प्रतिभाओं  की कमी नहीं होती।लेकिन वे उजागर नहीं हो पाती।अभिव्यक्ति नही  पा पाती।"

"हम लोग तो देख चुके हैं।वे स्वयं कहते हैं कि एकांत में न जाने हम कैसे हो जाते हैं?कभी अंतरिक्ष के बादशाह तो कभी ऐसी हालत कि दुनिया में सबसे कमजोर इंसान?ये दुनिया में फिट नहीं बैठ पाते।"

"हां, ऐसा तो है।चालाकी-फरेब नहीं होता।इतना कि बच्चे भी भोले भाले बन चूतिया बना दें।"

"हा हा हा...!"-सब हंसने लगे।

"हां, तो सर जी ने आगे लिखा है....!?"

मिस्टर एस के आश्वासन पर धधस्कनक धरती का वह कान विहीन बाल विहीन प्राणी मिस्टर एस के आवास पर रुक गया।रात्रि बीतने के बाद सुबह मिस्टर एस अखबार पड़ रहा था।

"और फिर...?!"



"वे किशोरावस्था से ही मेडिटेशन, कल्पनाचिंतन व लेखन में लग गए थे।"

और.....