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बुधवार, 3 अगस्त 2022

सन 2165 ई0 में वो चटक!!

भारतीय हिन्द महाद्वीप चट्टान यूरोपीय चट्टान की ओर बढ़ी तो थी लेकिन दोनों चट्टानों के बीच टकराहट ने नई स्थिति पैदा कर दी थी। एक चालकहीन कम्प्यूटरीकृत यान सनडेक्सरन धरती पर आ कर सम्कदेल वम्मा के मृतक शरीर को छोड़ गया था. आरदीस्वन्दी भागती हुई मृतक शरीर के पास आयी और शान्त भाव मेँ खड़ी हो गयी. उसके मन मस्तिष्क मेँ सम्कदेल वम्मा के कथन गूँज उठे. ".....शरीर तो नश्वर है . हमे तू मारेगा? भूल गया कुरुशान को अर्थात गीता सन्देश को ? ..... हमारी कोशिसेँ बेकार नहीँ जाएगी. क्योँ न बार बार मर कर बार बार जन्म लेना पड़े?" आरदीस्वन्दी अभी कुछ समय पहले सम्कदेल वम्मा व देव रावण की वार्ता को सचित्र देख रही थी.आरदीस्वन्दी ने सिर उठा कर देखा कि यान अन्तरिक्ष से वापस आ रहे थे. कुछ दूर एक विशालकाय स्क्रीन पर अन्तरिक्ष युद्ध के चित्र प्रसारित हो रहे थे. देव रावण के अनेक यानोँ को नष्ट किया जा चुका था. अब भी- "..... तेरा अहंकार जाग कर जब तक सौ प्रतिशत नहीँ हो जाता तब तक तू भी मोक्ष नहीँ पा सकता है, इसके लिए तुझे भी बार बार जन्म लेना पड़ सकता है. और.... जंगल के बीच एक विशालकाय इमारत ! इमारत के बाहर अनेक जीव जन्तुओँ एवं महापुरूषोँ-कृष्ण विदुर ,महावीर जैन ,बुद्ध, चाणक्य, ईसा मसीह ,सुकरात, कालिदास ,दारा शिकोह, कबीर, शेरशाह सूरी ,गुरूनानक ,राजा राममोहनराय, सावित्री फूले ,राम कृष्ण परमहंस ,महात्मा गाँधी, एपीजे अब्दुल कलाम, साँई बाबा, ओशो , अन्ना हजारे, आदि की प्रतिमाएँ पेँड़ पौधोँ के बीच स्थापित थीँ . इमारत के अन्दर वातावरण आध्यात्मिक था. वेद कुरान बाइबिल आदि से लिए गये अमर वचन जहाँ -तहाँ दीवारोँ पर लिखे थे. इसके साथ ही सभी ग्रन्थोँ के प्रतीक चिह्न अंकित थे. मन्द मन्द 'ओ3म -आमीन' की ध्वनि गूँज रही थी. जहाँ अनेक औरतेँ नजर आ रही थीँ पुरुष कहीँ भी नजर नहीँ आ रहे थे. हाँ,इस इस इमारत के अन्दर एक अधेड़ पुरुष उपस्थित था जो श्वेत वस्त्र धारी था .इस इमारत का नाम था-'सद्भावना' .एक अण्डाकार यान आकाश मेँ चक्कर लगा रहा था. एक कमरे के अन्दर दीवारोँ पर फिट स्क्रीन्स के सामने किशोरियाँ एवं युवतियाँ उपस्थित थे. अधेड़ पुरुष के सामने उपस्थित स्क्रीन पर अण्डाकार यान को देख कर उसने अपना हाथ घुमाया और वह स्क्रीन गायब हो गयी. सामने रखी माचिस के बराबर एक यन्त्र लेकर फिर वह उठ बैठा. इधर अण्डाकार यान हवाई अड्डे पर उतर चुका था. * * * * पृथ्वी से लाखोँ प्रकाश वर्ष दूर एक धरती-सनडेक्सरन . जहाँ मनुष्य रहता तो था लेकिन ग्यारह फुट लम्बे और तीन नेत्रधारी . एक बालिका 'आरदीस्वन्दी'जो तीननेत्र धारी थी , वह बोली -देखो ,माँ पहुँची पृथ्वी पर क्या?एक किशोर 'सम्केदल वम्मा' दीवार मेँ फिट स्क्रीन पर अतीत के एक वैज्ञानिक, जिन्हेँ लोग त्रिपाठी जी कहकर पुकारते थे, को सुन रहा था . जो कह रहे थे कि आज से लगभग एक सौ छप्पन वर्ष पूर्व इस ( पृथ्वी) पर एक वैज्ञानिक हुए थे एपीजे अब्दुल कलाम. उन्होने कहा था कि हमेँ इस लिए याद नहीँ किया जायेगा कि हम धर्म स्थलोँ जातियोँ के लिए संघर्ष करते रहे थे. आज सन 2164ईँ0 की दो अक्टूबर! विश्व अहिँसा दिवस . आज मैँ इस सेमीनार मेँ कहना चाहूगा कि कुछ भू सर्वेक्षक बता रहे हैँ कि सूरत , ग्वालियर, मुरादाबाद, हरिद्वार ,उत्तरकाशी, बद्रीनाथ ,मानसरोवर, चीन स्थित साचे ,हामी, लांचाव, बीजिँग, त्सियांगटाव ,उत्तरी- द्क्षणी कोरिया, आदि की भूमि के नीचे एक दरार बन कर ऊपर आ रही है, जो हिन्दप्राय द्वीप को दो भागोँ मेँ बाँट देगी. यह दरार एक सागर का रुप धारण कर लेगी जिसमेँ यह शहर समा जाएँगे. इस भौगोलिक परिवर्तन से भारत और चीन क्षेत्र की भारी तबाही होगी जिससे एक हजार वर्ष बाद भी उबरना मुश्किल होगा. सम्केदल वम्मा आरदीस्वन्दी से बोला -" त्रिपाठी जी कहते रहे लेकिन पूँजीवादी सत्तावादी व स्वार्थी तत्वोँ के सामने उनकी न चली. सन2165ई0 की फरवरी! इस चटक ने अरब की खाड़ी और उधर चीन के सागर से होकर प्रशान्त महासागर को मिला दिया. भारतीय उप महाद्वीप की चट्टान खिसक कर पूर्व की ओर बढ़ गयी थी. म्यामार,वियतनाम आदि बरबादी के गवाह बन चुके थे." बालिका बोली कि देखो न,माँ पृथ्वी पर पहुँची कि नहीं... आज सन 5010ई0 की 19 जनवरी! उस अण्डाकार यान से एक तीन नेत्र धारी युवती के साथ एक बालिका बाहर आयी जो कि तीन नेत्रधारी ही थी. अधेड़ व्यक्ति कुछ युवतियोँ के साथ जिनके स्वागत मेँ खड़ा था. * * * * "सर ! आपके इस इमारत 'सद्भावना' मेँ तो मेँ प्रवेश नहीँ कर सकूँगी?"- सनडेक्सरन से आयी महिला बोली. तो अधेड़ व्यक्ति बोला कि अफस्केदीरन !तुम ऐसा क्योँ सोचती हो? अफस्केदीरन बोल पड़ी-"सोचते होँगे आपकी धरती के लोग,आप जानते हैँ मैँ किस धरती से हूँ?" जेटसूट से एक वृद्धा उड़ कर धरती पर आ पहुँची. "नारायण!" वृद्धा को देख कर अधेड़ व्यक्ति बोला- "मात श्री !"फिर नारायण उसके पैर छूने लगा. " मैँ कह चुकी हूँ मेरे पैर न छुआ करो." "तब भी......" नारयण ने वृद्धा के पैर छू लिए. इमारत'सद्भावना' के समीप ही बने अतिथिकक्ष मेँ सभी प्रवेश कर गये. आखिर अफस्केदीरन ने ऐसा क्योँ कहा कि सद्भावना मेँ तो मैँ प्रवेश नहीँ कर सकूँगी? दरअसल सद्भावना मेँ औरतोँ का प्रवेश वर्जित था.क्योँ आखिर क्योँ ?इस इमारत को महागुरु ने बनवाया था. जहाँ उन्होँने अपना सारा जीवन गुजार दिया. उन्होँने ही यह नियम बनाया कि इस इमारत मेँ कोई औरत प्रवेश नहीँ करेगी. यह क्या कहते हो आप ? एक को छोड़ कर सब औरतेँ हैँ. तब भी...... बात तब की है जब महागुरु युवावस्था मेँ थे. वह अपनी शादी के लिए लेट होते जा रहे थे. परम्परागत समाज मेँ लोग तरह तरह की बात करने लगे थे. तब वह मन ही मन चिड़चिड़े होने लगे थे कि कोई लड़की हमसे बात करना तक पसन्द नहीँ करती, हमेँ अपने जीवन मेँ पसन्द करना दूर की बात. सामने वाले पर अपनी इच्छाएँ थोपना क्या प्रेम होता है? सद्भावना मेँ उपस्थित स्त्रियाँ ह्यूमोनायड थे. भविष्य त्रिपाठी की फाइलों से ज्ञात होता है कि सर जी ने लिखा है कि है कि उन्हें सन 2018ई0 से पहले ही एक रात स्पष्ट हो चुका था कि धरती पर प्रलय है।पार्वती व गणेश धरती पर ही रुक जाते हैं लेकिन शिव जी धरती को छोड़ देते हैं।सर जी का तीसरा सूक्ष्म शरीर शिव जी से कह रहा था कि हम इन्हें छोड़ क्यों जा रहे हैं तो वे कहते हैं कि वे मिट्टी व प्रकृति से ही हैं।हम असमंजस्य में पड़ जाते हैं। आखिर ऐसा क्यों?हम सृष्टि से पहले के प्रकृति व ब्रह्म सम्बन्धों पर सोंचने लगें थे। सर जी कभी कभी भावुक हो जाते थे कि हम वास्तव में दुनिया की नजर में एक तुच्छ व्यक्ति हैं।तथाकथित भक्तों की नजर में भी, खुदा के बंदों की नजर में भी। सर जी ने अनेक बार पृथ्वी को तेज स्पीड में देखा था।पहली बार तब जब सुनामी लहरें आयी थीं। क्या एक ही व्यक्ति में 24 घण्टा में एकबार ऐसे हालात हो सकते हैं कि वह आत्महत्या करना चाहे?और एक बार ऐसे भी हालत कि उसे खुद से बड़ा दुनिया में कोई न दिखे जो जाति मजहब व दुनियाबी चीजों से परे अपने को अनन्त यात्रा में प्रकाश के रूप में देखे। भविष्य त्रिपाठी खुले आसमान के नीचे टहलते टहलते बरामदे से निकल कर आ गया था।