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मंगलवार, 21 सितंबर 2021

पृथु महि पर मानव सत्ताएं?

 फील्ड जहां तहां विद्यार्थियों के झुंड बैठे हुए थे।


'भविष्य::कथांश'- नाम की एक पुस्तक एक विद्यार्थी के हाथ में थी। "यह पुस्तक हमारे 'सर जी'- ने लिखी है।"- वह विद्यार्थी बोला जिसके हाथ में यह पुस्तक थी।

एक लड़की ने उसके हाथ से पुस्तक ले ली।


'लेखक परिचय'- पृष्ठ पर  नजर डालते हुए वह छात्रा बोली-"अरे, यह सर जी का तो जन्म स्थान-ददिउरी सुनासीर?यह तो हमारे गांव के ही समीप है।"

"तुम्हारा गांव कौन सा है?"

" मोहिउद्दीनपुर।"





फिर वह छात्रा खामोश हो कर उस पृष्ठ को पढ़ने लगी।



इधर कालेज के गेट की ओर ऑफिस की तरफ एक अधेड़ व्यक्ति को एक युवक के साथ खड़ा हुआ देखकर एक विद्यार्थी बोला -" अरे, सर जी तो यही है। अच्छा,उन्होंने एम ए फाइनल  इतिहास का फार्म यही से भरा था।साथ में आशांक सर हैं।"


फिर वह विद्यार्थी उठ कर चल दिया।

"सर जी से मिल लें।"


"ओह, यह...?!" -वह छात्रा के मुख से निकल गया।


"क्यों ,क्या बात?!"

"बस, यूं ही...?!"


कल सर जी ने फेसबुक पर जो पोस्ट की ,वह मानवता का मार्मिक दर्द है। 14अगस्त से दुनिया में कोई यह।मैसेज देने को तैयार नहीं है कि कैसे हथियारों के होड़ व भावी युद्ध की विभीषिका से बचा जाए?


और उधर एलियन्स..?!



एलियन्स भी परेशान हो उठे हैं, इस पृथु महि पर मानव सत्ता की दशा व दिशा को लेकर।जो कि पूरे सौर परिवार को ही नहीं पूरे ब्रह्मांड को प्रभावित कर रहा है।


और-



सन 1993ई0!!

अशोक अब युवा हो चला था।

उसने डायरी  उठायी, जिसे वह पलटने लगा।

डायरी में एक पृष्ठ पर उसकी निगाहें रुक गईं।

जिसमें उसने लिख रखा था--

एक विशाल कक्ष!

इस विशाल कक्ष के मध्य एक विशाल टेबिल पर - सहकन्न की लाश उपस्थित थी और एक परखनली सहित परखनली स्टैंड एक शीशे के गिलास एवं कुछ अन्य सामिग्री रखी थी।


कुछ समय पश्चात रोबेट उस टेबिल  के पास आकर कुछ समय के लिए रुकता है फिर वहां से चला जाता है।

लगभग एक घंटा बाद एक गुफा से बाहर आकर रोबोट बाहर खड़े डायनासोर के मुख में प्रवेश कर जाता है।


-- अशोक यह अपने मकान की छत पर पड़ी चारपाई पर बैठा सोच रहा था और जैसा कि पहले स्पष्ट हो चुका है इससे पूर्व सोंच को किशोर अशोक अपने छत पर पड़े छप्पर के नीचे पड़ी  चारपाई पर लेटे लेटे अपने ख्यालों में ले आया था।



 बरसात समाप्त हो चुकी थी।


अशोक ने एकाएक अपनी निगाहें आसमान पर डालीं-आसमान साफ था। वह बाहर चारपाई डाल कर लेट गया।और सो गया।



-और फिर स्वप्न में!



भयावह अंधेरी रात में तेजी के साथ ठोकरें खाते खाते गिरते जाते जैसे तैसे भागते आगे बढ़ता जा रहा था।भागते भागते पीछे मुड़ भी वह (यानी कि किशोरावस्था का अशोक) देखता जा रहा था- पीछे एक विशालकाय जंतु उसके पीछे दौड़ता आ रहा था।

..........अब वह जाए तो कहां जाए आगे सर्पों का के समूह और पीछे वह विशालकाय जंतु (डायनासोर).......वह जिस पेड़ पर चढ़ा था उसकी एक टहनी पर एक विशालकाय अजगर!


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पृथु महि पर मानव सत्ताएं?!


सर जी कहते रहे हैं कि इस दुनिया में सबसे खतरनाक प्राणी है - मानव, क्योंकि उसमें इंसानियत है ही नहीं।दो प्रतिशत से भी कम मानव होमोसेपियन्स प्रजाति का है।सभी अभी आदम प्रवृति में ही जीते हैं।



आज कल क्या हो रहा है?अफगनिस्तान में अमेरिका के पलायन और तालिबान के शासन के बाद पूरी दुनिया हथियारों की होड़ व भावी विश्व युद्ध में ही जी रहा है।



मुंबई में अमिताभ बच्चन एक बच्ची के साथ खेल रहे थे। 


सामने स्क्रीन पर उनकी निगाह गयी।

एक न्यूज चैनल मोदी के जन्मदिन पर एक कार्यक्रम को दिखा रहा था।


वह सोफे पर बैठ कर ट्यूटर पर कमेंट्स देखने लगे।

एक कमेंट्स को देख कर वह मुस्कुरा दिए।



"मैं हूँ आपके आसमां का ही सितारा,

विश्वास है चमकूँगा आपके ही रोशनी से।"



उन्हें एक नई फिल्म के लिए ऑफर आया था, जिसके लिए एक फाइल मेज पर रखी थी। 


वह उस फाइल को उठा कर देखने लगे।


उस फाइल को पढ़ते - पढ़ते वे गम्भीर हो हो गए ।  जिसमें एक बुजुर्ग के जीवन को दर्शाया गया था।



अचानक उनका ध्यान ट्यूटर पर उनकी एक एक पुरानी पोस्ट की ओर गया।जिस पर किसी की कमेंट को ....?!



फाइल मेज पर रख कर वह ट्यूटर पर उस पोस्ट को देखने लगें। वह पोस्ट तो मिल गई लेकिन ..?!वह कमेंट गयाब?!

"वह कमेंट उसने हटा क्यों दिया?!"


वह किसी सोंच में पड़ गए।


"हम भी बुढ़ापे पर?!नींद में उस तरह का स्वप्न... वह कमेंट... और अब यह फ़ाइल....?!अब विधाता हमसे क्या करवाना चाहता है?हमें इस फ़िल्म पर ओके कर देना चाहिए क्या?!"


मैं (लेखक) बेचैनी के साथ कमरे में इधर उधर टहल रहा था।

"हम भी न जाने कितना इधर उधर का सोंचते रहते हैं?"

रात्रि के 11.35pm बज रहे थे।

"मालिक, तेरी मर्जी।बैसे तो जीवन जीना मुश्किल हो जाता है। ये इच्छाएं ही दुःख का कारण हैं, गुलामी, मजबूरी का कारण है। असमर्थतता परेशान कर देती है।ये होना चाहिए, वो होना चाहिए ....हूँ!लेकिन सामर्थ्य क्या है? इसलिए निरन्तर अभ्यास चाहिए।आदतें ही जीवन को बेहतर बनाती हैं और आदतें ही जीवन को मुश्किल में लाती हैं।निरन्तर अभ्यास में रहना जरूरी है।मालिक, तू ही जाने।"

और---


रुतबा?!


तुम, तुम्हारे ठेकेदार, तुम्हारे बच्चे किसकी नजर में रुतबा दिखाना चाहते हैं? अफसोस, जो तुम्हारे बच्चे विद्यार्थी का चोंगा ओढ़े विद्यालय में, क्लास में,शिक्षकों के सामने बैठते हैं तो किस रुतबा में बैठते हैं?किस रुतबा में हरकतें करते हैं? 


कुदरत से बढ़ कर तुम व तुम्हारे बच्चे नहीं हो सकते।ईश्वर से बढ़कर तुम व तुम्हारे बच्चे नहीं हो सकते। कुदरत व ईश्वर के सामने तुम्हारी सारी धारणाएं, मनसूबे, रुतबा काम आने वाला नहीं।कोई गबाही काम आने वाली नहीं?!


हम कोशिस करते रहे हैं, सिर्फ कुदरत व ईश्वर को साक्षी मान कर कार्य करने की।

हमारे शिक्षण का 26 वां वर्ष 01 जुलाई 2021 से शुरू हो चुका है।इस बीच हमने अनेक कहानिया  सजोई है।बस, सजोने वाला चाहिए।हर पल, हर जगह वे बिखरी पड़ीं है।बस, सजोने वाला चाहिए। जो हमने अनेक वेबसाइड में सुरक्षित कर रखी हैं।


हमने जीवन महसूस किया है।समाज, परिवार संस्थाओं में कुछ लोग अपने स्तर से कुदरत व खुदा के दरबार में बेहतर होते हैं।लेकिन समाज,परिवार, संस्थाओं में जातिवादियों, मज़हबीयों, हांहजूरों,चाटुकारों, चन्द् रुपयों की खातिर, झूठा रुतबा आदि के लिए जीने वालों के बीच  निर्दोष होकर भी दोषी साबित हो जाते हैं।

चरित्र समाज, समाज, संस्थाओं की नजर में जीना अलग होता है।कुदरत व खुदा, महापुरुषों आदि की नजर में जीना अलग होता है।


हमें दुःख होता है जो माता पिता, गुरुजनों, शिक्षको के सामने रुतबा दिखाते हैं। हमने देखा है, जो आगे चल समाज में महानता का पथ चूमे हैं वे माता पिता,गुरुजनों,शिक्षकों के प्रति उदार, नम्र हुए हैं।अफसोस है कि आज नई पीढ़ी में अब समीकरण बदल रहे है।


www.ashokbindu.blogspot.com


रविवार, 12 सितंबर 2021

डायनासोर की वह धरती?!

 सन 1993ई0!!

अशोक अब युवा हो चला था।

उसने डायरी  उठायी, जिसे वह पलटने लगा।

डायरी में एक पृष्ठ पर उसकी निगाहें रुक गईं।

जिसमें उसने लिख रखा था--

एक विशाल कक्ष!

इस विशाल कक्ष के मध्य एक विशाल टेबिल पर - सहकन्न की लाश उपस्थित थी और एक परखनली सहित परखनली स्टैंड एक शीशे के गिलास एवं कुछ अन्य सामिग्री रखी थी।


कुछ समय पश्चात रोबेट उस टेबिल  के पास आकर कुछ समय के लिए रुकता है फिर वहां से चला जाता है।

लगभग एक घंटा बाद एक गुफा से बाहर आकर रोबोट बाहर खड़े डायनासोर के मुख में प्रवेश कर जाता है।


-- अशोक यह अपने मकान की छत पर पड़ी चारपाई पर बैठा सोच रहा था और जैसा कि पहले स्पष्ट हो चुका है इससे पूर्व सोंच को किशोर अशोक अपने छत पर पड़े छप्पर के नीचे पड़ी  चारपाई पर लेटे लेटे अपने ख्यालों में ले आया था।



 बरसात समाप्त हो चुकी थी।


अशोक ने एकाएक अपनी निगाहें आसमान पर डालीं-आसमान साफ था। वह बाहर चारपाई डाल कर लेट गया।और सो गया।



-और फिर स्वप्न में!



भयावह अंधेरी रात में तेजी के साथ ठोकरें खाते खाते गिरते जाते जैसे तैसे भागते आगे बढ़ता जा रहा था।भागते भागते पीछे मुड़ भी वह (यानी कि किशोरावस्था का अशोक) देखता जा रहा था- पीछे एक विशालकाय जंतु उसके पीछे दौड़ता आ रहा था।

..........अब वह जाए तो कहां जाए आगे सर्पों का के समूह और पीछे वह विशालकाय जंतु (डायनासोर).......वह जिस पेड़ पर चढ़ा था उसकी एक टहनी पर एक विशालकाय अजगर!




गुरुवार, 2 सितंबर 2021

क्या सच में एलियन्स?!


 05.40pm-05.58pm!

टेलर दोद राम, कुम्हरवाली गली, कटरा, शाहजहाँपुर,उप्र!

हम टेलर की दुकान पर बैठे थे।दुकान पर दोद राम के अलावा अन्य कोई न था।

बात करते करते दोनों भावुक हो गए थे।सूक्ष्म आभासों पर बात हो रही थी।

भारत की भूमि में विष्णु बाल रूप में क्या अवतार ले चुके हैं?

सद चर्चा..!?पूर्व के सूक्ष्म आभासों के साथ।


26 जून 2016 ई0 को....?!



हम अर्द्ध निद्रा में वह देख ही रहे थे।आंख खुल जाने के बाद भी कुछ सेकंड हम उस दशा में थे।

26 जून 2016 ई0 को सुबह तीन बजे, हमारी आंख खुल गयी। अभी चित् में वह सब था ,जैसे कि आंखों के सामने हो। अनेक प्रकाश आकृतियां...?! हमने देखा था हम सारी दुनिया में लाशें ही लाशें देख रहे थे। हमारा यह हाड़ मास शरीर भी लाशों के बीच दबा था। यहाँ पर हम स्पष्ट रूप से देख रहे थे-अपने तीन रूप।
हमारा सूक्ष्म शरीर अभी स्थूल शरीर की ओर अभी मोहित था।

इस बीच आवाज गूंजी-
"तू धरती का राजा है, उठ।अपना कार्य शुरू कर।" हमारा सूक्ष्म शरीर स्थूल के साथ खड़ा था।हमारा तीसरा रूप आगे बढ़ गया था-अनेक प्रकाश आकृतियां की ओर।जय गुरुदेव, बाबूजीमहाराज आदि अनेक सन्त हमें प्रकाश आकृति के रूप में दिख रहे थे।


......आदि बातों को बताते बताते हमारे आंखों में अनेक बार आंसू आ गये थे।
एक बार तो दोद राम के आंखों में भी आंसू आ गए।
इसके साथ साथ हमने अपने सूक्ष्म जगत के अन्य आभास भी भावुकता में कह डाले।







हम सोंचने लगे कि-

"पृथ्वी पर प्रगति की गति धीमी है । दूसरे ग्रहों पर सभ्यताएं इस हद तक विकसित है कि तुम कल्पना भी नहीं कर सकते हो । लगभग बीस हजार वर्ष पहले यह उससे भी ज्यादा जब मनुष्यों ने ऐसे विकसित प्राणियों को देखा तो वे उनको भगवान समझने लगे अगली शताब्दी में वे और भी बड़ी संख्या में वापस आएंगे मनुष्यों के इस प्रकोप को शांत करने के लिए जो कि उन साधनों के द्वारा जिन पर उनको बहुत महारत हासिल है इस ग्रह को मिटाने में सक्षम है चीजों को शांत करना जरूरी होगा और यह स्वीकार करना कि उत्कृष्ट लोगों को समय के साथ पृथ्वी पर शांति स्थापित करने के लिए नेतृत्व अपने हाथ में लेना होगा तब मनुष्य के बीच एकता स्थापित होगी जो उनकी आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देगी ।"-
 💐💐बाबूजी दिव्यलोक से💐💐


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हम नीचे सिर झुकाए कमरे में धीमें धीमे इधर उधर चल रहे थे।हम सोंच में थे।

रात्रि के साढ़े बारह बज रहे थे।




हम-

सूक्ष्म जगत इतिहास की ओर भी!
हम इतिहास के अनेक तथ्य स्वप्न में सूक्ष्म शक्तियों के माध्यम से जानते रहे हैं।यहां तक कि अपने पूर्वजों का इतिहास भी।
कल रात्रि अर्थात आज सुबह लगभग ढाई बजे हमने बालक रूप मे विष्णु को पाकिस्तान की ओर से आते देखा। 
अब हमें लगता है कि यह सत्य है कि विष्णु, इन्द्र आदि का स्थान इराक, ईरान, केस्पियन सागर(कश्यप सागर),काकेक्स पर्वत आदि ही था।कश्यप ऋषि का स्थान भी उधर ही बताया जाता है।कश्यप ऋषि ने काकेकस पर्वत पर तपस्या की थी। 
अभी कुछ महीनों पहले हमने जर्मनी की कुछ सूक्ष्म शक्तियां देखी थीं।जो आर्य मूल की थीं।

ये सब क्या?!

किशोरावस्था से हम अपने अंदर व अपने समीप कभी कभी अनेक रहस्य का आभास पाते रहे हैं।

हम स्वयं क्या हैं? अभी हम मन, बुद्धि, आचरण, दशा से क्या है? यदि हम उस अस्तित्व से जुड़ जाएं तो क्या होगा?

अभी तो हम सिर्फ असफल कोशिस ही करते हैं।

जरूर यह सब पुराने संस्कारों का परिणाम है?

जब हम कक्षा पांच में तो हम किस हाल में भी थे? हम आज कल के कक्षा पांच के विद्यार्थियों  से हट कर थे।हम वह गम्भीर लेख व पुस्तकें पढ़ने लगे थे जो हमारे साथ के अन्य सहपाठी पढ़ना पसन्द न करते थे।
हम उस वक्त दर्शन व आध्यत्म की पुस्तकें व लेख पढ़ने लगे थे।

भीड़ में हम अवश्य सहमे से रहते थे। और उस वक्त हम अन्य धरतियों पर के प्राणियों के बारे में सोंचने लगे थे।हमें स्वप्न आने लगे थे।



उन दिनों ही हम -


हम सोंच रहे थे-भविष्य में एलियन्स पृथु महि पर आक्रमण करेंगे।


उधर अंतरिक्ष मे एक धरती 'हा- हा- हूस'- जहाँ विशालकाय जंतु!! मिस्टर एस की पुत्री -'रुचिको'को वहीं छोंड़ दिया गया था।


एक विशालकाय डायनासोर!


वह चलता तो लगता कि सारी धरती कांप रही हो।


'ह ह न स र क'-एक पहाड़ी की आड़ ले खड़ा हो जाता है।


कुछ समय पश्चात डायनासोर तो आगे बढ़ जाता है लेकिन ' ह ह न स र क'- दो फन वाले एक सांप का शिकार हो जाता है। सांप उसके बांये पैर से लिपट गया था।काफी प्रयत्न के बाद उस दो मुहे वाले साँप से उसने पीछा छुड़ाया और आगे बढ़ गया।



और--


मिस्टर एस की पुत्री-रुचिको सस्कनपल को अपनी ओर आते देख कर सहमी सहमी एक वृक्ष तले झाड़ी में दुबक जाती है।लेकिन-


सस्कनपल उस झाड़ी के समीप ही आ चुका था।


उस झाड़ी में दो मुहे सांप की फुसकार पर रुचिको डर कर खड़ी हो जाती है।

तो सस्कनपल उसे देख मुस्कुरा देता है।और.....




किसी धरती पर एक कमरे में महात्मा गांधी शक्ल एक बुजुर्ग व्यक्ति टहल रहा था।


वह-

"इन महान वैज्ञानिकों ने पृथु महि के महात्मा गांधी का क्लोन अर्थात हमें बना कर सफलता तो पा ली है, लेकिन....!? हमारा नाम दिया गया है- ब्रह्मांड बी.गांधी।"


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कुछ वर्षों पूर्व हम काफी अमेरिकी राष्ट्रपति भवन- व्हाइट हाउस को पत्र भेजा करते थे।

ऐसा हम बिल क्लिंटन के समय से कर रहे थे। आगे चलकर हम लगभग 2009ई0से व्हाइट हाउस की बेवसाइट पर लिखने लगे थे। बराक ओबामा  फिर हमें अपने  पर्सनल e mail भेजने लगे थे। ऐसा शायद उनके द्वारा न होकर शायद उनके आफिस से ही होता हो? एक दो बार उनके पत्नी के भी e mail हमें प्राप्त हुए। हम विश्व व इंसानों  की समस्याओं  को लिख कर उस ओर अपने समाधान लिखता था। 


हमें पूरा विश्वास है कि  बराक ओबामा के पहले शपथ समारोह में एलियन्स सूक्ष्म रूप से उपस्थित थे।



और....



वह पांच वर्षीय बालक !

दो आकाशगंगाएं जब टकराती हैं तो लाखों सौर परिवार उजड़ जाते हैं.ब्राहमण्ड मेँ एक आकाशगंगा अब ब्राह्माण्डखोर के नाम चर्चित हो चुकी थी.


आरदीस्वन्दी की मां अफस्केदीरन व सद्भावना इमारत के संस्थापक महागुरु अर्थात उन्मुक्त जिन का शिष्य नारायण अब वृद्ध हो चुके थे.दोनो इस समय
मेडिटेशन मेँ थे.

अब से 1220 पूर्व अर्थात सन 4800 ई0 के 19 जनवरी ! ओशो पुण्यतिथि !!
एक हाल में बैठा उन्मुक्त जिन मेडिटेशन मेँ था.उसके कान मेँ आवाज गूँजी -

"आर्य,उन्मुक्त! तुम अभी जिन नहीं हुए हो.जिन के नाम पर तुम पाखण्डी हो.तुम को अभी कठोर तपस्या करनी होगी. "


'उन्मुक्त जिन' के अज्ञातबास मेँ जाने के बाद कुख्यात औरतें ब्राह्माण्ड मेँ बेखौफ होकर आतंकवाद मचाने लगीं ,इन कुख्यात औरतों के बीच एत पांच वर्षीय बालक ठहाके लगा रहा था.


यह कलि औरतें......?!

पांच वर्षीय बालक मानीटर पर ब्राह्माण्डखोर की सक्रियता को देख देख ठहाके लगा रहा था.


इधर उन्मुक्त जिन एक वर्फीली जगह मेँ एक गुफा अन्दर मेडिटेशन मेँ था.


सन4800ई का वह पांच वर्षीय बालक......?!

अफस्केदीरन ने जब नारायण की ओर देखा तो नारायण अपने स्थान पर न था.


कक्षा 09c!!चुनावी राजनीति, नागरिकशास्त्र में चर्चा करते करते हम भावुक हो गए थे।

चौथा पीरियड,07 सितम्बर 2021 ई0!! सब कुछ ठीक है।कार्लमार्क्स ने कहा है कि दुनिया को बर्बाद करने वाले सत्तावादी, पूंजीवादी,पुरोहित्वादी हैं। आचार्य चतुरसेन कहते हैं कि जब इन्द्र पद का सृजन हुआ तो क्या हुआ था?तब भी भृष्टाचार था।सन 1947 के आजादी के वक्त भी भृष्टाचार था।

ब्रिटेन के एक मंत्री कह चुके हैं कि एलियन्स धरती पर आक्रमण कर सकते हैं। ब्रह्मांड में खतरनाक प्राणी कौन है?सिर्फ मानव ।उसने इस धरती पर ही नहीं ब्रह्मांड में भी प्रदूषण खड़े कर दिए हैं। हम किशोरावस्था से ही इस पर सहमत रहे हैं कि एलियन्स हैं।


हम सोंचने लगे कि-


"पृथ्वी पर प्रगति की गति धीमी है । दूसरे ग्रहों पर सभ्यताएं इस हद तक विकसित है कि तुम कल्पना भी नहीं कर सकते हो । लगभग बीस हजार वर्ष पहले यह उससे भी ज्यादा जब मनुष्यों ने ऐसे विकसित प्राणियों को देखा तो वे उनको भगवान समझने लगे अगली शताब्दी में वे और भी बड़ी संख्या में वापस आएंगे मनुष्यों के इस प्रकोप को शांत करने के लिए जो कि उन साधनों के द्वारा जिन पर उनको बहुत महारत हासिल है इस ग्रह को मिटाने में सक्षम है चीजों को शांत करना जरूरी होगा और यह स्वीकार करना कि उत्कृष्ट लोगों को समय के साथ पृथ्वी पर शांति स्थापित करने के लिए नेतृत्व अपने हाथ में लेना होगा तब मनुष्य के बीच एकता स्थापित होगी जो उनकी आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देगी ।"-

 💐💐बाबूजी दिव्यलोक से💐


पुरातत्व विभाग, विश्व पौराणिक कथाएं, वन्य समाज कबीले आदि इस बात के सबूत हैं कि समय समय पर दूसरी धरती के मनुष्यों/एलियन्स ने इस धरती के मानव समाज को प्रशिक्षित किया है।




हिमालय सिर्फ पत्थर, शैलों, मिट्टी, वनस्पतियों आदि मात्रा से भरी भौतिक रचना नहीं है।वह चेतना का कुम्भ, प्राणाहुति शरीर है।जहां अनेक आत्माएं साधना लीन हैं।उसका अहसास स्थूलता में जीने वाले नहीं कर सकते।वे सिर्फ मान सकते हैं कि  हिमालय महान है।इस सृष्टि के लिए हिमालय अति।महत्वपूर्ण है।यह वर्तमान।में सबसे महान पर्वत है।
हम तो यह कहेंगे कि उसे संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा अंतरराष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए।और आधुनिक भौतिक भोगवादी हस्तक्षेप खत्म हो।
उसकी नैसर्गिकता, सहजता बनी रहनी चाहिए।
पश्चिम के पौराणिक कथाओं में भी स्वर्ग वहीं सांकेतिक किया गया है।
मानव सभ्यता की शुरुआत इसी पर्वत से शुरू हुए।कश्मीर हो या नेपाल, हिंदुकुश की पहाड़ियां हो या अरुणाचल की,कैलाश पर्वत हो या शिवालिक ....पूरा का पूरा हिमालय क्षेत्र हम एक सूक्ष्म आभा से भरा  महसूस देखते है।
अभी अनेक रहस्य हैं जो उजागर होने बाकी हैं, जो मानव की समझ से परे हैं।
कुमायूं या कूर्माचल के अतीत की ओर जाते हैं तो उसके सूक्ष्म आभा की चमक हमें पवित्र रोम राज्य तक नजर आती है। और जब हम शिवालिक पहाङियों के अतीत की ओर झांकते हैं तो उसके सूक्ष्म आभा की चमक #रामपिथेक्स  की आड़ में अफ्रीका तक नजर आती है।कब #मानसरोवर के माध्यम से #काकभुशुण्डि #क्रोप्रजाति के माध्यम से अतीत में जाते हैं तो सूक्ष्म आभा की चमक मिस्र, श्रीलंका, कोरिया तक महसूस होती है। 
 मानव सभ्यता अब भी स्थूल दृष्टि वह भी भौतिक भोगवादी,संकीर्ण से परे नहीं कहीं पर जा पा रही है।हम महसूस करते हैं कि अभी हम मानव सभ्यता का इतिहास मात्र 3 प्रतिशत ही जान पाए हैं।और  हमारी संकीर्ण दृष्टि अभी प्रागैतिहासिकता, प्रागैतिहासिक व एतिहासिक के बीच की संरचनाओं को समझना तो दूर अभी हम ऐतिहासिक तथ्यों को भी ठीक से समझ नहीं पा रहे हैं।
कुल मिला कर हम कहना चाहेंगे कि हम व जगत के तीन रूप हैं-स्थूल, सूक्ष्म व कारण।अभी हम स्थूल तक ही उसका सत्य ही उसके ही हिसाब से नहीं समझ पाए हैं। #काकेशस #तुर आदि मध्य एशिया के महान पहाड़ियां भी हम हिमालय की दिव्या का सूक्ष्म प्रभाव मानते है। केंद्र का प्रभाव आस पास क्षेत्र तक जाता है। साइबेरिया के जंगल ,दक्षिण का पठार अपने में अनेक एलियन्स सम्बन्धों का सूक्ष्म आभास भी छिपाए हुए है। #नाग #नागा #बलियर आदि के माध्यम से हम मानव व अन्य शक्ति का आभास पाते हैं। #मत्स्यमानव #मछुआरों #कशयप  आदि के माध्यम से हम भूमध्य सागरीय क्षेत्र, मिस्र आदि में मानव व किसी दिव्य शक्ति के बीच सम्बन्ध को #एलियन्स #परग्रही #आकाशीयशक्ति #आकाशतत्व ,मेसोपोटामिया, सीरिया में हम #वरुण को एक काल में।मनु के रूप।में देखते हैं।जहां #पुल #रस #रूस #सारसेन आदि के माध्यम से #जल तत्व पर नियंत्रक योगियों  के माध्यम से हिमालय से सूक्ष्म आभा का अहसास पाते हैं।

पुराने कबीले अफ्रीका व भूमध्य सागरीय क्षेत्र में मिलते है। वहाँ कुछ कबीले  अब भी अपना आदि पूर्वज दूसरी धरती से आया बताते हैं।









रविवार, 22 अगस्त 2021

एलियन्स का आक्रमण?!

 एलियन्स आक्रमण ?!


हम सोंच रहे थे-भविष्य में एलियन्स पृथु महि पर आक्रमण करेंगे।


उधर अंतरिक्ष मे एक धरती 'हा- हा- हूस'- जहाँ विशालकाय जंतु!! मिस्टर एस की पुत्री -'रुचिको'को वहीं छोंड़ दिया गया था।


एक विशालकाय डायनासोर!


वह चलता तो लगता कि सारी धरती कांप रही हो।


'ह ह न स र क'-एक पहाड़ी की आड़ ले खड़ा हो जाता है।


कुछ समय पश्चात डायनासोर तो आगे बढ़ जाता है लेकिन ' ह ह न स र क'- दो फन वाले एक सांप का शिकार हो जाता है। सांप उसके बांये पैर से लिपट गया था।काफी प्रयत्न के बाद उस दो मुहे वाले साँप से उसने पीछा छुड़ाया और आगे बढ़ गया।



और--


मिस्टर एस की पुत्री-रुचिको सस्कनपल को अपनी ओर आते देख कर सहमी सहमी एक वृक्ष तले झाड़ी में दुबक जाती है।लेकिन-


सस्कनपल उस झाड़ी के समीप ही आ चुका था।


उस झाड़ी में दो मुहे सांप की फुसकार पर रुचिको डर कर खड़ी हो जाती है।

तो सस्कनपल उसे देख मुस्कुरा देता है।और.....




किसी धरती पर एक कमरे में महात्मा गांधी शक्ल एक बुजुर्ग व्यक्ति टहल रहा था।


वह-

"इन महान वैज्ञानिकों ने पृथु महि के महात्मा गांधी का क्लोन अर्थात हमें बना कर सफलता तो पा ली है, लेकिन....!? हमारा नाम दिया गया है- ब्रह्मांड बी.गांधी।"



आगे जा कर वह एक दीवार की ओर देखता है।वह दीवार एक स्क्रीन में बदल कर चलचित्र  दिखाने लगती है।


"पृथु महि व उसके सौर परिवार, उसके मंदाकिनी की स्थिति बड़ी भयावह हो गयी है।मंगल ग्रह की तरह क्या अब पृथु महि का मानव भी अब खत्म हो जाएगा। वह मानव भी बड़ा बनता था?हूँ, स्वयं ही सभी प्राणियों में सर्वश्रष्ठ?लेकिन उसने पृथुमहि ही नहीं सारे अंतरिक्ष के हालात मुश्किल कर दिए?वह भूल गया कि प्रकृति अभियान से बढ़ कर कुछ भी नहीं।जैविक क्रमिक विकास में मानव ही सर्वश्रेष्ठ कृति नहीं है अभी।ये जैविक क्रमिक विकास तो अनन्त है।अभी अनेक स्तर दर स्तर क्रमिक प्राणी आयंगे जो हर पूर्व मानव से श्रेष्ठ होंगे। हूँ, अनेक धरतियों  के प्राणी जो पृथु महि के मानव से बेहतर तकनीकी में है नाराज हैं।इस कारण वे पृथुमहि के मानवों पर आक्रमण भी करने वाले हैं।"




'सर जी'- कहते रहे हैं कि धरती पर सबसे बड़ी समस्या है-वह प्राणी जो मानव कहा जाता है लेकिन उसमें मानवता नहीं है।और सबसे बड़ा भृष्टाचार है शिक्षा।क्योकि कोई भी शिक्षित का आचरण,विचार व भाव ज्ञान के आधार पर नही है।


हूँ.....



उन दिनों हम शिशु क या शिशु ख में विद्यार्थी थे। एक महात्मा अपने आवास स्थल पर प्राइमरी स्तर का विद्यालय चला रहे थे।हमारा वहीं पढ़ने के लिए आना जाना था।कायस्थ जाति के बच्चों के हमारी दोस्ती होगयी थी। बात सन 1978-79ई0 की रही होगी। उन दिनों मई- जून की छुट्टियों में खजुरिया नवीराम(भीकमपुर),बिलसंडा आना जाना होता था।अपने पैतृक गांव का आता पता अहसास न था।


उन दिनों शान्ति कुंज, आर्य समाज में पिताजी की सक्रियता काफी ज्यादा थी।



खजुरिया नवीराम की स्थापना कुनबी  मराठा ठाकुरों ने की थी।जो अब कुर्मी गिने जाते हैं।जिनके हजारों गांव पूरे के पूरे उत्तर भारत के तराई में बस गए थे।ये भी सुना जाता है कि सन1761ई0 के मराठा व अब्दाली युद्ध में अनेक भारतीय शक्तियों की मदद न मिलने या तटस्थता या गद्दारी के कारण कुनबी मराठा पराजित हुए थे।वे इतने स्वभिमानी होने व देश की विभक्त राजनीति से परेशान होकर यहां के जंगलों में बस गए थे।जिन्हें अंग्रजों ने खेत जोतने ,कृषि करने की स्वतंत्रता दे दी थी। बताते है इनके पूर्वज अयोध्या में क्षत्रिय थे।जिन्हें विभिन्न परिस्थितियों  के कारण दक्षिण व अन्य क्षेत्रों में जाकर बसना लड़ा था।कोलार, कर्णकट आदि क्षेत्र में अपना राज्य स्थापित किया था।जिनके पूर्वज चोल वंश, गंग वंश में भी प्रतिष्ठित हुए थे।ददिगी जिनका प्रमुख नेता था।विजय नगर साम्राज्य में भी इनका योगदान था।विजयनगर के राजपुरोहित, सेनापति व सर्वप्रथम वेद भाष्यकार #सायण ने तक कहा था कि कूर्मि सर्वशक्तिमान होता है।ये लोग वर्मा या वर्मन उपाधि भी लगाने लगे थे। खजुरिया नवीराम में पिता जी की ननिहाल थी। सुना जाता है कि नवीराम  कुनबियों के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे।एक समय पूरे तराई क्षेत्र में इनकी तूती बोलती थी।


जून की छुट्टियां चल रही थीं।

हम खजुरिया नवीराम में उपस्थित थे।


उन दिनों बादलों में विभिन्न आकृतियां खोजना शौक था।



कुनबियों के द्वारा बने क्षेत्र में प्रसिद्ध मंदिर  के सामने हम हम बैठे फूट खा रहे थे। कुछ दूरी पर सामने खेत में कुछ लोग घास साफ कर रहे थे।  हम बार बार ऊपर आसमान की ओर देखने लगते थे, जैसे कोई आफत आसमान से टपकने वाली हो। कल शाम को मकान के सामने नीम के वृक्ष के नीचे कुछ व्यक्ति चर्चा कर रहे थे कि आसमान से आकर पत्थर नीचे धरती पर आकर गिरते हैं।जिन्हें धूमकेतु कहते है।सुना जाता है आसमान में और भी ऐसी धरतियाँ रहती हैं, जहां नागवंशी, मत्स्य वंशी रहते है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश के लोग रहते हैं।


ब्रह्मांड बी.गांधी बॉल स्क्रीन पर अंतरिक्ष के चल चित्र देख रहा था।

"एलियन्स पृथु महि पर आक्रमण कर सकते है।वे पृथुमहि के मानवीय तन्त्र से काफी खफा है। चलो ठीक है, इस बहाने पृथु महि के मानव जाति,मजहब, देश की भावना से उपर उठ कर 'विश्व सरकार'- की भावना  से जुड़ेंगे, विश्व बंधुत्व, बसुधैव कुटुम्बकम भावना की ओर बढ़ेंगे।"

"यदि1947 में देश के बटवारा के बाद सारे मुसलमान पाकिस्तान चले भी जाते देश के बंटबारे के उद्देश्य के मुताबिक तो फिर हिंदुस्तान में क्या होता?विधाता जो करवाता है ठीक ही करवाता है।गांधी ने ठीक ही कहा था कि देश के लिए मुसलमानों का हिंदुस्तान में रुकना गलत न होगा।इसी तरह पृथु महि पर एलियन्स आक्रमण...?!"



शुक्रवार, 6 अगस्त 2021

मिस्टर एस की मृत्यु?!

 मिस्टर एस अब कठघरे में था।

वह किसी सोंच में था?!

अब से लाखों वर्ष पूर्व-

उन दिनों तृण बिंदु के आश्रम में एक आचार्य था,जिसका नाम था-'कुटु-अम्ब'।

वह छब्बीस साल में लग गया था। उस समय एक यक्षिणी थी-दृणी।जो कि यक्षणी -

ताड़का की  सहचारिणी थी। अयोध्या में उस वक्त राजा दशरथ के यहां श्रीरामचन्द्र का जन्म हो चुका था जो लगभग सात वर्ष के रहे होंगे।

जब कोई आत्मा गर्भ धारण करती है तो एक योजना व अपने पूर्व संस्कारों, पूर्व कर्मों आदि के प्रभाव में आकर। लंका साम्राज्य के अंत के लिए छोटी छोटी घटनाओं के माध्यम से बड़े मिशन की तैयारियो को अंजाम दिया जा रहा था।

रावण का नाम सोमाली/सोम अली  का वन्य समाज में पूरी धरती पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रभाव रहता था।


जहां आज सोमालिया है, वहाँ उसका कभी गढ़ रहा था-उत्तर अफ्रीका की ओर व द्वारिका आदि तक, बिंदु सरोबर तक भी।


ताड़का एक गुफा में बैठी सोंच रही थी-" आचार्य कुटुंब से एक बार हमारा सामना हुआ था। हमारी विभीषणता से वह विचलित नहीं हुआ था । वह बोला था हम आपके सामने नतमस्तक होते हैं क्योंकि आपके अंदर भी आत्मा दिव्य शक्तियां हैं। हमारा आपका स्तर अलग-अलग है,बस ।प्रकृति और ब्रह्म अंश से आप भी हैं और मैं भी और सभी जीव जंतु भी।  हम पुनः आपके सामने आपके अंदर की दिव्य शक्तियों को नमन करते हैं, जो जगत का भी कल्याण कर सकती हैं ,यदि आप चाहें तो । हम में आप में कोई अंतर नहीं है। अंतर सब स्तर का है ,अपना-अपना है स्तर।"

हूँ! 

मिस्टर बैचैनी में कठघरे के अंदर ही टहलने लगा था।

"हूँ, अब जेल में सड़ कर क्या मनसूबे पूरे होंगे?"




हूँ, मानव समाज व तन्त्र हर देश व धरती भर का बिगड़ चुका है।ऐसे में इन एलियन्स का इस्तेमाल भी इस धरती का मानव गलत ही करेगा।धरती व प्रकृति को ऋषि परम्परा के लोग चाहिए जोकि 'बसुधैब कुटुम्बकम की भावना व 'सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर'- की भावना रखते हैं।हमें चिंता इन एलियन्स को लेकर। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की रिपोर्ट्स तो अंडर वर्ल्ड के प्रकृति व ब्रह्मांड विरोधी मंसूबों की ओर संकेत करती है।"

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गुरुवार, 5 अगस्त 2021

ये मेरा मेहमान है?!

" ये मेरा मेहमान है! मेरे मेहमान के साथ ...?!आखिर आपसब इसे क्यों ले जा रहे हो?"-सेना उस धधस्कनक निबासी के एलियन्स को जब ले जाने लगती है तो मिस्टर एस सेना के अधिकारी से बोला।

और...

दरअसल....

मिस्टर एस के आश्वासन पर धधस्कनक धरती का वह कान विहीन, बाल विहीन प्राणी अर्थात एलियन मिस्टर एस के आवास पर ही रुक गया।रात्रि बीतने के बाद सुबह....


मिस्टर एस से मिलने एक व्यक्ति आया।मिस्टर उससे मिलते हुए बोला-

"हां, तो क्यों?इतनी जल्द सुबह सुबह क्यों आना हो गया?"

"सर,कल मेरे आंखों के सामने एक उड़न तश्तरी दुर्घटनाग्रस्त होकर आसमान से नीचे आकर गिरी कल एक उड़न तश्तरी गिरी थी पास जा कर दे पास जाकर देखा तो 4 छोटे प्राणियों के शरीर पड़े थे।दो की सांस चल रही थी और एक उनका उपचार कर रहा था।लेकिन सेना आकर उन सबको ले गयी।उड़न तश्तरी के मलबे को लेकर ,और मुझसे कहा जाता है कि मैं सब कुछ भूल जाऊं।"

मिस्टर एस काफी समय तक मौन ही रहा।फिर-

"वह धरती धधस्कनक धरती की ही होगी।"

क्या..?!धधस्नकनक !"

"ऐसी घटना तो मेरे साथ भी घटी है।"

"क्या...?!"

"लेकिन समझ में नहीं आता शासन प्रशासन इन अंतरिक्ष घटनाओं को छिपाता क्यों है?"


"सर, इनकी साजिशें काफी लंबी हैं।"

"हूँ, मैं भी समझ रहा हूँ।समाज में अपना दबदबा रखने का नशा ऐसी शक्तियों को सृष्टि आरम्भ से ही रहा हैऔर इसी श्रंखला के अंतर्गत यह सब घट रहा है।"

"अच्छा सर, मैं चलता हूँ।फिर मिलूंगा।"-और वह व्यक्ति मिस्टर एस के आवास से चला गया।

वह व्यक्ति अपनी एक जीप से था।

दो किलोमीटर ही वह पहुंच पाया होगा कि...

सामने सेना की गाड़ी आकर खड़ी हुई और-

"रुको,ए इंसान।"

और वह जब अपनी जीप से बाहर निकला तब सैनिकों द्वारा उसे पकड़ लिया गया।

"आ.. आप मुझे क्यों पकड़ रहे हैं?मेरा क्या दोष?"

नौकर मिस्टर एस को काफी का प्याला पकड़ा ही पाता है कि सामने अधिकारी को देख.

"आइए बैठिए।"



"तेरा दोष?हूँ...!"

दूसरा-

"चल बैठ गाड़ी में।"

एक सैनिक उस व्यक्ति की जीप ड्राइव कर आगे बढ़ सेना गाड़ी के पीछे पीछे चलने लगा।

दूसरी और....

मिस्टर एस..?!

मिस्टर एस का फार्म स्थित आवास!

उसे भी सेना द्वारा घेर लिया गया।

मिस्टर एस की निगाह ऊपर गयी-ऊपर एक हैलीकाप्टर मंडरा रहा था।

नौकर मिस्टर एस के पास आकर सूचना बताता है-

"सा'ब!आवास को तो सेना ने घेर लिया है?"

मिस्टर एस मौन ही रहा।फिर-

"जाओ, एक काफी बना कर लाओ।"

"जी,.....सा'ब!"

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आज से लाखों वर्ष पहले की बात है।

हिन्द महाद्वीप का अरब सागर, बिंदु सरोबर व मध्य एशिया मैं कैस्पियन सागर अर्थात कश्यप सागर एक ही थे।

तृण बिंदु का आश्रम उस वक्त दक्षिणी गोलार्ध अर्थात दक्षिण अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण भारत, जावा, सुमात्रा आदि में मतंग आश्रम के बाद महत्वपूर्ण शिक्षा का केंद्र था। तृण बिंदु की चेतना व अंतर समझ सूर्य तक पहुंच चुकी थी।इक्ष्वाकु जनक विवस्वान उनके आदि ऋषि थे।जो से बढ़कर इस प्रतिभा से बढ़कर अभी कोई धरती पर न था।जिनके सूर्य वंश धरती पर स्थापित हुआ था। उस वक्त सोमाली अर्थात सोमालिया की धरती द्वारिका से मिली हुई थी।

उस वक्त अनेक क्षेत्र एलियन्स से सम्पर्क में थे। दक्षिणी गोलार्ध जिससे प्रभावित था ही, पृथु महि का उत्तरी गोलार्ध ,साइबेरिया, कोरिया, जापान आदि क्षेत्र के अलावा भूमध्य सागर क्षेत्र भी एलियन्स से प्रभावित था।

अनेक स्थानों पट आदिबासी ,सभ्यताएं आदि अपना आराध्य एलियन्स को मानती थीं।

भूमध्यसागरीय क्षेत्र में अनेक जन अपने को अंतरिक्ष की अन्य धरती  #लुन्धक से आये #मत्स्य मानव को अपना पूर्वज मानते हैं।

गुजरात, राजस्तान के कुछ भाग से लेकर भूमध्यसागरीय क्षेत्र तक कभी मत्स्य क्षेत्र कहलाता था।


एस एस कालेज, शाहजहांपुर के प्रांगण।में कुछ विद्यार्थी इस पर चर्चा कर रहे थे।

हमने एम ए द्वितीय वर्ष(इतिहास) का फार्म यहां से भर रखा था। एक प्रश्नपत्र की हमारी परीक्षा थी, हम भी वहां पहुंचे हुए थे। जब विद्यार्थियों ने हमें देखा तो हमें घेर लिया।

"नमस्ते, सर।"

"नमस्ते।"

"नमस्ते सर।"

"सभी को नमस्ते।"


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 नौकर मिस्टर एस को काफी का प्याला पकड़ा ही पाया कि सामने देख कर-

"आइए बैठिए।"

एक सेना अधिकारी आकर बोला-

"बैठने की फुर्सत नहीं।तुम अब हमारी निगरानी में हो।"

"धन्यवाद!"

"चलिए।"

"चलें?काफी ले लें।"

"नहीं। आप चलते हैं कि सैनिकों को आदेश देना पड़ेगा?"

"सारी, आप काफी नहीं लेंगे, इसका मतलब यह नहीं कि मैं भी काफी न लूं?"

बायीं आँख के बायें कोने से मिस्टर एस ने देखा कि सेना धधस्कनक धरती के उस प्राणी को पकड़ कर ले जा रही है तो?!तो कुर्सी से उठ बैठा और क्रोध में-

"यह मेरा मेहमान है। मेरे यहां से मेरे मेहमान को बिना किसी जुर्म के पकड़ ले जाना न्यायोचित नहीं है।"

"हम भी इसको मेहमान की भांति ही रखे रखेंगे।"


"हूँ!'- आधी काफी ही पी कर कप मेज पर रखते हुए-"यदिमेरे इस मेहमान पर कुछ हो गया या इसे किसी भी भांति की पीड़ा दी गयी तो हमसे बुरा कोई न होगा।"


"बहुत चीखने लगा है मिस्टर एस तू.."

फिर कुछ सैनिक।मिस्टर एस को पकड़ लेते हैं।

"अमानवीय शक्तियों संग मिल कर षड्यंत्र रचने का अब तेरा समय गुजर गया है-मिस्टर एस।"

तो मिस्टर एस मुस्कुराने लगा।और-

"भ्रम में हो।धन, सत्ता-पद के लोभ ने तुम लोगों  को निकम्मा कर दिया है।"

अब मिस्टर एस कठघरे में था।


मंगलवार, 3 अगस्त 2021

एलियन की मदद में मिस्टर एस?


 बालक अशोक अपने दोनों हाथ सिर पर रखे ऊपर बरगद के वृक्ष को देख रहा था कि दीपक उसके पास आते बोला-

 "ऊपर क्या देख रहे हो?" तब अशोक बोल पड़ा- "कुछ भी नहीं यों ही ,तुम काफी पीछे थे।सोंचा साथ ले लूं।"

 दीपक बोला-"तुम्हारी चाल भी तो बड़ी तेज है।" 

फिर दोनो साथ साथ आगे बढ़ गए। कुछ समय बाद दीपक बोला- "परसों में स्कूल नहीं आया था।विज्ञान का काम अपूर्ण हो गया।कापी दे देना।पूरा कर लूंगा।" 

 "ठीक है, ले लेना।" 

आगे जा कर दोनों बाला जी की मढ़ी के सामने मैदान में बैठ गए और बातचीत करने लगे। काफी समय गुजर गया।

 "दीपक अगर डायनासोर जैसे जंतुओं पर फिल्में बने और कामिक्सों के फौलादी सिंह जैसे पात्रों पर यदि फिल्में बने तो कैसा लगे?"

 "ऐसा हो भी कैसे?सोंचने वाले दूसरे तो करने वाले भी दूसरे?"

 "अच्छा, दीपक।अब चला जाये।लगभग एक घण्टा बीतने को आया होगा।" 

 घड़ी देख कर दीपक कहता है-"सवा घण्टा हो गया है।" 

फिर दोनों उठ कर चल देते हैं। घर पर आ कर अशोक- मध्य जून की बात। अशोक अपने ही क्लास के दो छात्र जो भाई भाई थे, के घर से आकर घर पर खाना खा कर ऊपर पहुंच ही पाया होगा कि आसमान पर काफी नीचे से ही एक लड़ाकू विमान उड़ कर पूरब की ओर निकल जाता है कि वह कई बार देखे गए एक स्वप्न में खो जाता है--

 "वह तेजी के साथ घबराहट लिए भागता जा रहा था कि वह ऊपर देखता है-एक उड़न तश्तरी तीब्र गति के साथ ऊपर से गुजर जाती है।उसके पीछे एक डायनासोर तीब्र गति से भागता आ रहा था।"

 फिर अपने मन को यथार्थ में ला अशोक आगे जा एक छोटे से कमरे के सामने पड़े छप्पर के नीचे चारपाई पर आकर बैठ जाता है। और फिर- कि एकाएक मिस्टर एस सामने खड़े गैर पृथ्वी के तीन फूटा प्राणी को देख चौका। तीन फूटा कान विहीन वह प्राणी शरीर पर बिल्कुल बाल नहीं रखता था और भवें-पलकों रहित । मिस्टर एस उसे अपनी ओर आते देख कर खड़ा हो गया। मिस्टर एस के मुख से सिर्फ इतना निकला -"तुम!तुम यहाँ क्यों---?"

 तब वह प्राणी बोला- "मित्र!मेरी ओर से तुम निश्चित रहो।क्या तुम हमारी मदद कर सकते हो?" "जी....?!" 

 "हमारे साथियों का एक यान यहाँ दुर्घटना ग्रस्त हो गया, जिसमें दो लोग जीवित थे-सम्भवतः।उन सबको आपकी सेना ले गयी।मेरी मदद करो।" 

 "आप हमारी भाषा जानते हैं?" "दरअसल यह सब विज्ञान सिस्टम है।"

 "आओ बैठो।" 

तब वह एलियन अर्थात गैर पृथ्वी प्राणी कुर्सी पर बैठ गया। 

 "क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?"

 "जी!दरअसल मैं, मैं भी अभी इस सम्बंध में अज्ञात के भंवर में हूँ।मैं कोशिश करूंगा।"


 "तुम कोशिस करोगे?" 


 "तुम विश्वास रखो, मुझे जितना बनेगा उतना प्रयत्न करूंगा।"

 "जी, ठीक है।" फिर मिस्टर एस कहीं खो गया तो-


"मिस्टर एस मुझे दुख है तुम्हारी बीबी की उन लोगों के द्वारा हत्या व तुम्हारी पुत्री का अपहरण हुआ है। "

 "किन लोगों के द्वारा?" 

 तब वह 3 फुट गैर पृथ्वी का प्राणी मौन हो गया और कुछ समय बाद बोला -

"आपकी बीवी की हत्या करने वालों की जानकारी अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन यह उम्मीद लगाई जाती है कि जिन लोगों ने तुम्हारी पुत्री का अपहरण किया है उनका हाथ हो सकता है।"

 " किनका?" 


 " सनडेक्सरन धरती के कुछ निवासियों।" 


 " सनडेक्सरन ?!"

 "हां '11 फुट तीन नेत्र धारी व्यक्तियों की धरती।"


 "आप किस धरती से आए हैं ?"


 "धधस्कनक धरती से।" 

 "धधस्कनक ? आज आपके मुख से दो धरतियों के नामों से मैं परिचित हुआ हूँ।"


 "अब हमारा आपका सम्पर्क हुआ है।अब तो ज्ञान का आदान प्रदान चलता रहेगा।"


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एस एस कालेज, शाहजहांपुर के प्रांगण में कुछ विद्यार्थी बैठे बातचीत कर रहे थे।


"सर जी भी न जाने कहाँ कहाँ खोए रहते हैं?"

"ऐसे लोग सब कुछ होकर भी दुनिया में कुछ भी नहीं होते।"

"बस,जीते चले जाते हैं।ऐसे लोग दुनिया की समझ से परे होते हैं।"

"इस कालेज से उनका आत्मीय लगाव रहा है।उनके पिता जी भी यहीं सम्भवतः सन 1968-1969ई0 के आसपास सक्सेना जी के समय में यही बी ए व बी एड किए है।बड़े दबंग थे, उनकी उन दिनों यहीं नहीं शाहजहांपुर में खूब दगती थी।"

"तो क्या?अब सर जी?! हर वक्त सहमे सहमे से रहते हैं।

"उसका कारण है।ऐसे लोग मनोविज्ञान में बड़े संवेदनशील होते हैं, नाजुक होते हैं।लेकिन इसका मतलब ये नही,ऐसे लोगों में प्रतिभाओं  की कमी नहीं होती।लेकिन वे उजागर नहीं हो पाती।अभिव्यक्ति नही  पा पाती।"

"हम लोग तो देख चुके हैं।वे स्वयं कहते हैं कि एकांत में न जाने हम कैसे हो जाते हैं?कभी अंतरिक्ष के बादशाह तो कभी ऐसी हालत कि दुनिया में सबसे कमजोर इंसान?ये दुनिया में फिट नहीं बैठ पाते।"

"हां, ऐसा तो है।चालाकी-फरेब नहीं होता।इतना कि बच्चे भी भोले भाले बन चूतिया बना दें।"

"हा हा हा...!"-सब हंसने लगे।

"हां, तो सर जी ने आगे लिखा है....!?"

मिस्टर एस के आश्वासन पर धधस्कनक धरती का वह कान विहीन बाल विहीन प्राणी मिस्टर एस के आवास पर रुक गया।रात्रि बीतने के बाद सुबह मिस्टर एस अखबार पड़ रहा था।

"और फिर...?!"



"वे किशोरावस्था से ही मेडिटेशन, कल्पनाचिंतन व लेखन में लग गए थे।"

और.....


शनिवार, 31 जुलाई 2021

मिस्टर एस की बेटी?!

 अमेरिका का एक प्राइमरी स्कूल!!

जहां अंतरिक्ष वैज्ञानिक मिस्टर एस की बेटी  जो लगभग पांच-छः साल की रही होगी।

कुछ बच्चों के बीच-

"तेरे तो पिता अंतरिक्ष वैज्ञानिक है।वायुसेना में अधिकारी भी हैं।तू तो चाहे तू अंतरिक्ष विज्ञान की स्टडी के लिए सब कुछ जुटा सकती है।"

"स्टडी के लिए जुटाना क्या?हम सब बड़े होकर अंतरिक्ष विज्ञान के विद्यार्थी बन सकते हैं?अमेरिका में क्या दिक्कत?"


एक बालक बोला-

"हम तो पुनः इंडिया जा रहे हैं?डैडी कह रहे थे/वहाँ सब नए सिरे से शुरू करना होगा।हो सकता है कि खेती पर ही निर्भर रहना पड़े।इंडिया की एजुकेशन बुरी हालत में है।गरीब अच्छी शिक्षा नहीं पा सकते।सरकारी स्कूलों की तो.....?!"


"इस धरती पर ......!?"


"क्या?"


"मैं सोचती हूँ।कुछ लोग क्यों छिपाते हैं कि एलियंस हैं?वही ब्रिटेन का विदेश विभाग व वायुसेना में यह लिखित है कि एलियन्स इस धरती पर आक्रमण भी कर सकते हैं।"

"क्यों ...क्यों --क्यों?आखिर क्यों?"


"इस धरती के मानव की करतूतें ही ऐसी है जिसका असर पूरे ब्रह्मांड पर पड़ रहा है।"


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बहगुल नदी पर स्थित एक कस्बा-मीरानपुर कटरा।

जहां के एक समाजसेवी व शिक्षा विद महेश चन्द्र महरोत्रा की एक फेसबुक पोस्ट पर 'सर जी' ने लिखा था।वह पोस्ट एलियन्स सम्बंधित थी।

                " अंतरिक्ष की अन्य धरती पर एलियन्स हैं।इसके प्रमाण हैं।पुरातत्व विभाग भी इस ओर संकेत करता है। विश्व के कुछ वन्य समाज भी स्पष्ठ करते है,जैसे कि भूमध्य सागरीय क्षेत्र के कबीले अब भी मानते हैं कि हमारे पूर्वज दूसरी धरती से आये थे।जो मत्स्य मानव थे। पुरात्व विभाग उन्हें मातृ देवी भी मानता है।अनेक खण्डहरों में इसके अवशेष मिले हैं।सिंधु सभ्यता, जापान, साइबेरिया आदि में जो मूर्तिया मिली है या गुफाओं आदि में चित्र मिले हैं वे एक ही वेश भूषा व अद्भुत हेलमेट पहने हुए हैं।मध्य अमेरिका में मय/माया सभ्यता, पेरू सभ्यता में ऐसे अवशेष मिले है। अब तो कुछ पुरात्व विद यहां तक कहने लगे हैं कि माया सभ्यता की जड़ें दक्षिण भारत में मायासुर व उसके लिखित एक पुस्तक से सम्वन्धित मिलती है।इस पुस्तक में इमारतों के निर्माण की जानकारिया मिलती है। भारतीय पुराणों में यानों के प्रकरण दक्षिण भारत से ही सम्वन्धित है। हम एक लेख में लिख चुके है, हर क्षेत्र स्थूल इतिहास में बदलाव होते रहते हैं लेकिन सूक्ष्म जगत में इतने जल्दी बदलाव नहीं होते।दक्षिण गोलार्ध को हम एक ही सूक्ष्म इतिहास से आदि इतिहास से जोड़ते हैं।दक्षिण अमेरिका हो या दक्षिण अफ्रीका या दक्षिण भारत ,जावा सुमात्रा आदि का आदि इतिहास की जड़ एक ही है।दक्षिण भारत के पठार काफी पुराने है।एक स्थान पर तो डायनासोर के भी अबशेष मिले हैं।हम तो दक्षिण पठार को हिमालय से भी पुराना मानते है।#प्रवीणमोहन पुरातत्वविद जिनका काम सिर्फ विश्व के प्राचीन खण्डहरों आदि पर शोध करना ही है का कहना है कि दक्षिण पठार के आदिबासी एलियन्स से सम्बन्ध थे। दक्षिण पठार का काफी महत्व रहा है हर यंग में।गुजरात से लेकर श्री लंका तक अब भी ऐसे आदिबासी है जो अपना पूर्वज हनुमान व मतंग ऋषि को मानते हैं।पवन देव अर्थात हवा तत्व की स्थितियों में भी यौगिक प्रशिक्षण व सूक्ष्म व चेतनात्मक सम्बन्ध रखने वाले योगी व ऋषि आदि दक्षिण से ही सम्बन्ध रखते हैं। भविष्य में भी दक्षिण पठार का बड़ा महत्व होगा।वहाँ काम जारी है।हर युग में जारी रहा।किसी को दिखाई न दे, यह अलग बात। आधुनिक विज्ञान के अनुसार हिन्द महाद्वीप एक केंद्र है।इसरो, चांदी पुर प्रक्षेपास्त्र, उच्च तकनीकी का गढ़ बंगलौर आदि वहीं से आते है। कुछ सन्तों का तो कहना है कि आने वाले प्रलय में दक्षिण का पठार एक टापू के रूप में बदल जायेगा।अनेक समुद्री तट व शहर डूब जाएंगे।उत्तर भारत व दिल्ली,दिल्ली से पश्चिम की स्थिति बड़ी भयावह हो जाएगी।बिहार, बंगाल जल प्रलय से पहले से ही परेशान रहता है। वर्तमान सृष्टि में अब भी सूक्ष्म अभियानों का उत्तरी ध्रुब है हिमालय व दक्षिणी ध्रुब है दक्षिण का पठार। श्रीरामचन्द्र मिशन शाहजहांपुर का वैश्विक केंद्र कान्हा शांति वनम बन चुका है।जहां विश्व का सबसे बड़ा मेडिटेशन हाल भी बन चुका है।जहां बाबा रामदेव ने कहा कि भबिष्य में जो बदलाव की आध्यत्मिक बयार बहेगी यहीं से बहेगी।जो दुनिया के हर देश में खामोशी से कार्य कर रहा है।"


       एस एस कालेज, शाहजहांपुर के प्रांगण में कुछ परीक्षार्थी चर्चा कर रहे थे।


"वो बिंदु सर।"

एक लड़का हंस पड़ा-"अब भी एमए- चैमे की परीक्षा देते रहते हैं।यह पढ़ता तो बहुत है लेकिन कम्पटीशन का कभी नहीं पढ़ता।"


"तुम्हे क्या?सबका जीवन जीने का तरीका अलग अलग होता है।"

"इनकी कल्पनाओं का..."

"हां, इनका पूर्ण विश्वास है कि एलियन्स हैं।"

"एक ब्लॉग पर काफी लिख भी रखा है।"

"हां।"

फिर-

भविष्य कथांश पर एक जगह!?

   भुम्सनदा  के बर्फीले भूभाग पर एक ब्रह्म शक्ल-'यलह'।

"यलह आर्य!तुमको इस धरती की ओर से मिशन का चीफ बनाया गया है।कल्कि अवतार को हालांकि अभी सैकड़ों वर्ष हैं लेकिन इससे पूर्व देवरावन के अंत के लिए....।"


 "  कल्कि अवतार का संबंध देव रावण के अंत से विधाता जिसके हम सब अंश हैं अर्थात जो चेतना हम सब में तथा सभी भर्तियों के प्राणियों में समाहित है उस चेतना पर देव रावण दखलअंदाजी कर रहा है हमें आश्चर्य है  " 


एलह आर्य!चेतना का स्थूल शरीर धारण कर स्थूल प्रकृति परिस्थितियों से उलझना स्वाभाविक है लेकिन कल के अवतार के लिए स्थूल और प्रकृति से मोक्ष प्राप्त है चेतना अंशु की बहुत का चाहिए।"



 "पृथु महि पर वह हफ़क़दम को क्यों ले गयी है?विधाता के त्रि अंश अवतारों में से एक शिव के लोक से चेतना अंशों में इस वक्त हफ़क़दम में मोक्ष प्राप्त यलह चेतनांश है।हफ़क़दम को विभिन्न स्थूल व प्राकृतिक स्थितियों का अध्ययन आवश्यक है।

  इधर पृथु महि अर्थात इस पृथ्वी पर-


  एक विशाल काय चट्टान ?जिस पर मत्स्य मानव की दीर्घाकार प्रतिमा बनी हुई थी। जिसे देख कर तीन नेत्रधारी बालक हफ़क़दम युवती से बोला-

"क्या साईरियस अर्थात लुन्धक से ही आया था मत्स्य मानव?"

"मत्स्य मानवों का मूल निबास लुन्धक ही था।वहीं से...?!"

  "था........!?क्या अब है नहीं?"


"इस ओर फिर कभी बताऊंगी,हफ़क़दम! अनेक चेतनांश के समूह से विधातांश पदेन ब्रह्मा-विष्णु-महेश व पदेन अग्निदेव के सहयोग से लुन्धक के एक निबासी बालक को दिव्य शक्तियां दे मत्स्य अवतार के रूप में इस धरती पर भेजा गया था।"


 सागर की ऊंची ऊंची लहरें मत्स्य मानव की प्रतिमा को स्पर्श कर वापस लौट जाती थीं।


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और.......


अमेरिका का एक प्राइमरी स्कूल!!

सन1945-46 का वक़्त सम्भवतः!!



सुबह सुबह विद्यालय के एक आया की नजर जब न्यूज पेपर पर पड़ी तो वह उस पांच-छह वर्षीय बच्ची के पास जा पहुंची। और- न्यूज पेपर में छपे मिस्टर एस के बीबी के फोटो को दिखा-

"क्या यह तेरी मम्मी का फोटो है?"

 "हां।"-लेकिन फिर इसी के साथ वह बच्ची बेहोश हो गयी।तब सारे विद्यालय में हलचल बढ़ गयी।और अनेक ने आया को डांट भी लगायी।मिस्टर एस की उस बेटी को हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया है।दूसरे दिन जिसका हॉस्पिटल से अपहरण हो गया। धीरे धीरे समय बीता। मिस्टर एस की पत्नी, जो एक पत्रकार थी की हत्या एवं पुत्री के अपहरण का कोई सुराग नहीं लगा। अब फिर सन 1947 के पन्द्रह जून की रात! मिस्टर बरामदे में कुर्सी पर बैठा ख्यालों में डूबा था। कल न्यू मैक्सिको में गिरी दो उड़नतश्तरी या एवं उनके साथ के वे प्राणी अंतरिक्ष अनुसंधान कर्ताओं के लिए आगे बढ़ने को कारगर सिद्ध हो सकते हैं लेकिन अचानक मिस्टर के सामने खड़े गैर पृथ्वी के 3 फुट प्राणी को देखकर मिस्टर चौका। 


 इधर बालक अशोक अपने मकान की छत पर पड़ी चारपाई पर लेटा ख्यालों में डूबा था। उसे एक दूसरा बालक आकर झकझोरता है तो अशोक उठता है और -

"अरे ,दीपक तुम ?!" 


 फिर वह चारपाई पर से उठ बैठा।


 " चलो अशोक।" 


"... हो कहां ?!" 


 "स्कूल में,मनोज के पास चलता हूं।" 


 फिर अशोक उठ बैठा। मनोज अशोक और दीपक के क्लास का ही एक छात्र था जो स्कूल यानीकि हरित क्रांति विद्या मंदिर में ही अपने भाई बहन के साथ रहता था। कुछ समय बाद जब अशोक दीपक के साथ हरित क्रांति विद्या मन्दिर पहुंचा तो गेट पर रुकते ही -


"जाओ दीपक, तुम ही मनोज को बुला लाओ मैं यहां खड़ा हूं ।"


  फिर उसने अपनी निगाहें गेट के ऊपर के बोर्ड पर लगा दी। ऊपर लिखा था-


" हरित क्रांति विद्या मंदिर,हरित नगर, बीसलपुर (पीलीभीत) 26 2201" 


 कुछ समय बाद ही दीपक आकर बोला - 

"अशोक ! मनोज को तो उसके पापा उसे गांव लेकर गए हैं।"

 अशोक पश्चिम की ओर चल दिया। 

 दीपक बोला -"अशोक ,क्यों नहीं यहीं रुके?!" 


 अशोक 'न' के जवाब में गर्दन हिला देता है तो दीपक भी उसके पीछे चल देता है। 


आगे बरगद के नीचे आकर अशोक रुक गया और सिर पर दोनों हाथ रख कर देखने लगा-


 " मिस्टर एस की पुत्री एक गैर पृथ्वी यहां पर सवार थी। वह यान धीरे-धीरे हा-हा- हूस धरती की ओर बढ़ा, वह धरती जिस पर डायनासोर के समकक्ष विशालकाय जीव जंतु निवास करते हैं। कुछ घंटों पश्चात ही वह यान हा-हा - हुस धरती पर उतर गया और यान से एक तीन नेत्र धारी 11 फुटा व्यक्ति उस लड़की को लेकर उत्तरा और बोला-" कुछ वर्ष यही बिता इस हा-हा-हूस धरती पर। आगे देखा जाएगा तेरा क्या होता है।" 


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शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

मिस्टर एस की पत्नी..?!


 मिस्टर एस की पत्नी..?! 



 दीवार पर लगे अखबार पृष्ठ से निगाह हटाकर अशोक फिर चारपाई पर लेट जाता है। वह बाहर देखता है- बरसात काफी तेज हो चुकी थी। वह पुनः ख्यालों में पहुंच जाता है- विद्यालय से आकर खाना खा अशोक ऊपर छत पर पहुंच गया था। खुले आसमान के नीचे छत पर पड़ी चारपाई पर बैठते हुए अशोक ने सरसरी नजर से बायीं ओर यानी कि दक्षिण की ओर विशाल मैदान में देखा - कमरख के पेड़ के नीचे कुछ बच्चे खेल रहे थे। वह आचार्य जी की बात पर सोचने लगा -- "दूसरे दिन अंतरिक्ष वैज्ञानिक घर पर आकर 2 दिन ही घर पर रह पाया था की उसकी वायुयान दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है । लेकिन कहीं ऐसा तो नहीं कि उस अंतरिक्ष वैज्ञानिक की हत्या की गई हो?" फिर हाथ में टार्च ले वह अंतरिक्ष वैज्ञानिक अपने फार्म में बने दो कमरे की एक बिल्डिंग के सामने बगीचे में था कि एकाएक उसकी निगाहें जब सामने जाती हैं तो वह आश्चर्य में पड़ जाता है । वह सोचने लगा क्या गिरा होगा ? वहां कहीं ऐसा तो नहीं कि उड़न तश्तरी या फिर...?! फिर वह आगे उधर ही चल दिया लेकिन रुकते हुए, किसी को बुला लूं क्या ? कुछ समय वह खड़ा रहता है लेकिन फिर अकेले ही चल देता है। आगे जा कर देखता है तो सामने वही था जो उसने सोचा था। एक उड़न तश्तरी अव्यवस्थित... वहां वह छोटे छोटे 3 प्राणी देखता है। जो जमीन में पड़े थे बे या तो संभवत बेहोश थे या मर चुके थे । पहले उसके पास बढ़ने प्रति वह सहमा लेकिन फिर उन तीनों को देखा तो एक जीवित था । उसे उठा ही पाया कि वायुसेना का एक हेलीकॉप्टर कहां उतरा और .... "मिस्टर एस ! लोगों को इस घटना की जानकारी नहीं होनी चाहिए ।" अंतरिक्ष वैज्ञानिक मौन ही रहा। कुछ सेकंड बाद ही वहां सेना की गाड़ी आ गई और उन तीनों प्राणियों के साथ क्षतिग्रस्त उड़नतश्तरी भी ले गई। अंतरिक्ष वैज्ञानिक खामोश हुए देखता रहा फिर वहां से चलकर बिल्डिंग में वापस आ गया । चपरासी बोला - "वो लोग कौन थे?" बरामदे में जाकर कुर्सी पर बैठकर वह बोला -"सब बता दूंगा दरअसल वायु सेना में कुछ प्रयोग चल रहा है। हां,तुम्हारी बीवी की हालत कैसी है?" " अभी कहां ठीक है साहब !साहब, कल और छुट्टी दे दो ?" "ठीक है। तेरी बीवी ठीक हो जाए तो बच्चों सहित उसे यही ले आ।" यह घटना अंतरिक्ष वैज्ञानिक की मृत्यु से लगभग 3 माह पहले घटी थी।


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 सूर्य उदय हो चला। 

 अंतरिक्ष वैज्ञानिक अभी बरामदे में कुर्सी पर बैठा था । 

चपरासी आकर बोला- " साहब !क्या? क्या रात भर नहीं सोए? आधी रात को मैंने देखा था आप यूं ही बैठे थे और अभी 2 घंटे पूर्व भी?"


 " जाओ मेरे लिए काफी ला ।"

 "जी साहब ।" 

 फिर वह अंतरिक्ष वैज्ञानिक सोचने लगा- सेना उन तीनों को ले गई क्षतिग्रस्त उड़नतश्तरी सहित । लेकिन इस पब्लिक से क्यों छिपाना ? 

 "साहब, काफी ।"

 "बहुत जल्दी ले आये?" 

 " पहले से ही बनने को रखी थी।"

 " आज मेरी बीवी आने को यहां, अच्छी व्यवस्था कर देना ।" "जानकारी है साहब ।" 

 वह अंतरिक्ष वैज्ञानिक अर्थात मिस्टर एस फिर काफी पीने लगा। सुबह बीत गई दोपहर होने को आई, दोपहर बीत गई। अब शाम होने को आई तो पत्र को लिफाफे में पैक करते करते मिस्टर एक्स सोचने लगा कि आज सुबह मेरी बीवी आने को थी लेकिन आई नहीं फिर लिफाफा ले उठ बैठा और तब अपने नौकर को देख-

" ड्राइवर से कह गाड़ी तैयार करें। शहर चलना है।" 

 एक कमरे में जाकर वह किसी को फोन करता है। 

 मिस्टर एस गाड़ी पर बैठते हुए नौकर से- " बीवी घर आए तो कह देना कि शहर गए हैं। आधी रात तक आ जाएंगे ।"

 "जी साहब ।" 

 फिर नौकर जाती गाड़ी को कुछ समय तक देखता रहा। 

 नौकर जब वापस आया तो फोन की आवाज सुनते तेजी से जा फोन उठा लिया और --"क्या?" वह चौंकता है। 

 "साहब तो शहर गए हैं।" फिर डायल घुमा नौकर और कहीं फोन कर देता है।

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 मिस्टर एस की गाड़ी शहर में प्रवेश कर चुकी थी।

 ..कि एक होटल समीप एक व्यक्ति रुक कर सूचना देता है-" मिस्टर एस!आपकी बीवी का अपहरण हो गया है।" 

" क्या?!"

 तो वह ड्राइवर से गाड़ी पुलिस स्टेशन ले चलने को कहता है और अब कुछ मिनटों के बाद गाड़ी पुलिस स्टेशन पर थी। 

 गाड़ी से उतर अंदर जाने पर- " आइए मिस्टर एस! मुझे दुख है कि आपकी वाइफ का अपहरण हो गया।" 

 मिस्टर एस मौन ही रहा,कुर्सी पर बैठ गया। 

 पुलिस स्टेशन पर लगभग एक घंटा बैठने के बाद जब मिस्टर राज चल दिया तो- " कहां चल दिए मिस्टर एस?" 

 " मकान पर जा रहा हूं ।"

" मकान पर ? सारा मकान पुलिस के अंडर में। आप न जाए तभी ठीक है। कोई सबूत है वहां तो ...?!" 

 मिस्टर एस सिर्फ मुस्कुरा दिया। 

 स्टेशन से बाहर आकर वह गाड़ी में बैठ गया।

 गाड़ी शहर की सड़कों से होते हुए शहर से बाहर निकल गई। फिर 1 घंटे के सफर के बाद मिस्टर एस अपने मकान के सामने था। मिस्टर एस ने देखा वहां पुलिस तैनात थी।

 जब वह आगे बढ़ा तो- " साहब,सॉरी.... मैं अंदर नहीं ....!" 

 "आप जाने दे। सारी जिम्मेदारी मैं अपने पर ले ले लूंगा यदि मेरे घर में प्रवेश पर कोई ...।" 

 एक डायरी में तीन चार वाक्य लिख कर, नीचे अपने साइन कर मिस्टर एस मकान में प्रवेश कर जाता है। अंदर पहुंचकर मेज पर गुलदस्ते के नीचे एक छोटा सा अपनी बीवी का फोटो उठा उसे देखने लगता है फिर- " तुमको कुछ नहीं होना नहीं होगा यह मैं विश्वास करता हूं ।" कि एक कमरे में किसी की उपस्थिति एहसास उसी चौका देता है। तो तेजी से वह कमरे की ओर दौड़ता है लेकिन कमरे में कोई नहीं। वह इधर-उधर निगाहें दौड़ आता है तो स्टोर रूम के दरवाजे की हिलन को देख तेजी से स्टोर रूम का दरवाजा खोलता है तो- 


 "आ आ हा...! " बह चौक जाता है। 


 अपनी बीवी को घायल अवस्था में देख..!? अपनी बीवी को तुरंत उठाता है। वह अभी जीवित थी। ....और बाहर चल देता है। इसी दौरान वह कहीं दो फोन भी कर देता है। एकाएक ना जाने फिर क्यों वह कमरे में इधर-उधर और दीवारों पर निगाह दौड़ आता है? जब मकान से बाहर अपनी घायल बीवी के साथ मिस्टर एस को निकलते देख तब सारी पुलिस और लोग चौक जाते हैं। तुरंत पुलिस दौड़ कर उसकी बीवी को गाड़ी में डाल हॉस्पिटल की ओर चली जाती है। 

सरसरी नजर वहां तैनात पुलिस पर डालकर मिस्टर कहता है- " थोड़ी देर में हां अंतरिक्ष अनुसंधान कर्ता आने वाले हैं।" 

 " अंतरिक्ष अनुसंधान कर्ता?" 

 " हां, तुम्हें आश्चर्य हो सकता है लेकिन हमें नहीं।" 

 फिर मिस्टर एस वहां से चल देता है और गाड़ी पर जाकर बैठ ड्राइवर से-

" हॉस्पिटल की ओर चलो।"

 " जी साहब ।"

 हॉस्पिटल जब पहुंचे तो खबर मिली- उसकी बीवी गुजर चुकी है। दूसरे दिन अमेरिका के सारे न्यूज़ पेपर ने मिस्टर एस की बीवी के अपहरण और मिस्टर एस के घर में ही उसके बीवी पर कातिलाना हमला एवं मृत्यु की खबर को विशेष महत्व दिया था । साथ में इस बात का भी जिक्र किया था कि मिस्टर एस के मकान में विशेष मशीन यंत्रों ने दूसरे ग्रह के प्राणी के आगमन के भी संकेत दिए हैं। @@@@ @@@@@ @@@@@

मंगलवार, 20 जुलाई 2021

हा - हा- हूस # पार्ट01!!1993ई0 -----अशोकबिन्दु

 हा - हा- हूस # पार्ट01!!1993ई0 -----


------------------------------------------- इस वक्त अशोक की अवस्था रही होगी लगभग 12 बरस के आसपास ,जुलाई का पहला सप्ताह था सन उन्नीस सौ 84 का ।

उसने कक्षा 4 अब पास कर लिया था और अब कक्षा 5 में आ गया था ।

मकान की छत पर पूर्व की ओर उत्तर के कोने पर एक छोटे से कमरे के सामने छोटा सा एक छप्पर पड़ा था। बरसात का मौसम था ।आसमान पर बादल छाए हुए थे ।अशोक छप्पर के नीचे चारपाई पर लेटा हुआ  छप्पर ताक रहा था । जब बरसात के पानी की फुहार चारपाई पर आने लगी तो उठ कर वह चारपाई अंदर सर का लेता है और बैठकर सामने दीवार पर लगे अखबार के एक पृष्ठ को देखने लगता है। उस पर एक उड़नतश्तरी का चित्र था.... कुछ समय पश्चात वह विद्यालय में विज्ञान के एक बेला अर्थात क्लास पीरियड विज्ञान आचार्य की बातों में खो गया । क्लास में बच्चों की 3 लाइनें थी मध्य की लाइन के मध्य में अशोक एक सिख के पीछे बैठा था ।
अशोक की निगाह श्यामपट्ट के मध्य मे थी।

 "उड़न तश्तरी आकाश में उड़ने वाले उस यान को कहते हैं जो यदा-कदा आकाश में देखे गए हैं उड़नतश्तरी रूपी यान को देखकर वैज्ञानिक लोगों ने निष्कर्ष निकाला कि यह उड़न तश्तरी रूपी यान अवश्य दूसरी पृथ्वी के और आ जाते हैं।" 

 दीपक बीच में बोल पड़ा-" लेकिन आचार्य जी क्या उड़न तश्तरियों को यहां के लोग पकड़ नहीं पाए अभी । " 

 "नहीं, ऐसी सूचना नहीं-ज्ञान नहीं मुझे।जानकारी कर बताऊंगा।"

 तब अनुभव बोला- "लेकिन आचार्य जी एक कॉमिक्स में तो.......।" बीच में ही राजीब बोल पड़ा- "अरे, कॉमिक्स तो काल्पनिक होती है।"  
"अच्छा शांत बैठो आप लोग अब!"

 सब व्यवस्थित हो जाते हैं।

अशोक को नीचे सिर किए बैठे देख कर आचार्य बोले-"अशोक!क्या नींद आ रही है?" "न .... नहीं !"

अशोक सिर उठाते हुए बोला। "अशोक अब कल्पनाऐं करना सीख गए हैं, आचार्यजी।" 

 " दीपक ने अभी कुछ समय पहले पूछा था कि क्या इन उड़नतश्तरियों को यहां लोग पकड़ नहीं पाए तो सुने आप लोग ।अमेरिका का नाम सुना ही होगा आपने । वहां एक स्थान है न्यू मैक्सिको। सन 1947 के 15 जून की रात थी। एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक वैज्ञानिक, 14 जून को न्यू मैक्सिको के दो स्थानों पर दुर्घटनाग्रस्त हुई उड़नतश्तरी आ गिरी थी -उसी पर वह चिंतन कर रहा था कि एकाएक अपने सामने एक 3 फुटा व्यक्ति को देख कर चौक उठा ।उसके शरीर पर बिल्कुल बाल न थे ।न ही भव्  पलकों के बाल । उसके कान भी न थे । अंतरिक्ष वैज्ञानिक अद्भुत व्यक्ति को अपनी ओर आते देख खड़ा हो गया । अंतरिक्ष वैज्ञानिक को तब आश्चर्य होता है कि जब वह अद्भुत व्यक्ति उस अंतरिक्ष वैज्ञानिक से कहता है कि हमारे साथियों का एक यान यहां दुर्घटनाग्रस्त हो गया है जिसमें दो लोग जीवित थे संभवतः उन सबको आपकी सेना ले गई मेरी मदद करो ।"


 और फिर... मैं (लेखक) इस वक्त इस घटना को एस एस कालेज, शाहजहांपुर के बीएड विभाग के सामने फील्ड में बैठा कुछ लोगों के घेरे हरी घास पर बैठे बता रहा था।सन1994ई0 का नवम्बर माह था।  


तो फिर..... वह अंतरिक्ष वैज्ञानिक उस अद्भुत व्यक्ति से बोला-"आप हमारी भाषा जानते हैं?" 

 तब वह अद्भुत व्यक्ति बोला- दरअसल ये सब हमारे विज्ञान व अंतर स्थिति के विकास का परिणाम है।" 

 अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने उसे सहायता देने का आश्वासन दिया तो वह अद्भुत गंठा व्यक्ति उस वैज्ञानिक के आवास पर ही रुक गया। सुबह उसके पास एक व्यक्ति आया और बोला कल एक उड़नतश्तरी गिरी थी पास जाकर देखा तो चार छोटे प्राणियों के शरीर पड़े थे तो की सांस चल रही थी दो मैं कोई हरकत ना थी और एक उनका उपचार कर रहा था लेकिन सेना आकर उन सब को ले जाती है उड़नतश्तरी के मलबे को लेकर और मुझसे कहा जाता है की मैं सब कुछ भूल जाऊं व्यक्ति की इस बात से अंतरिक्ष वैज्ञानिक सोच में पड़ गया लेकिन शायद सेना जान गई थी कि उस अधिकारी के आसपास यह आवास पर दूसरे ग्रह का एक प्राणी रह रहा है तो सेना बहाकर उस प्राणी सहित अंतरिक्ष वैज्ञानिक को ले गई दूसरे दिन बहे अंतरिक्ष वैज्ञानिक अपने घर पर आकर 2 दिन तक रहा इसके बाद उसकी बालू या दुर्घटना में मृत्यु हो गई। डब्लू डब्लू ब्रेंजल(मैक) का अपना भेड़ों का फार्म। भेड़ों को ढूंढता ढूंढता वह काफी दूर निकल गया तो उसकी निगाह रबड़ लकड़ी टिन की अनेक वस्तुओं पर पड़ी, जिसे उठा कर वह अपने आवास पर ले गया।यह सन 1947 की चौदह जून का ही समय था। पांच जुलाई को वह एक नगर कोरोना पहुंचा तो उसे खबर मिली कि 24जून को कैनेथ आर्नोल्ड नामक पायलट ने वाशिंगटन स्थित कैस्केड पर्वत माला के ऊपर 1900किमी प्रति घण्टे की रफ्तार से उड़ती हुई उड़न तश्तरी नुमा यान दिखाई दिए। इस खबर को पाने के बाद ब्रेजल ने रौसवैल के पुलिस अधिकारी जार्ज विलकाक्स को सारी बात बतायी कि उसने अपने फार्म पर यह बस्तुएं देंखी। विलकाक्स ने सीधे रौसवैल स्थित वायुसेना कार्यालय में सम्पर्क साधा। वहां उपस्थित 509वीं टोली के मुखिया मेजर जैसी मार्सेल अपने सहयोगियों के साथ ब्रेजल के घर पहुंचे।जहां उन्होंने उड़न तश्तरियों के मलबे को देखा। उस मलबे को ले मार्सेल अपने घर आ गए। मार्सेल का दस वर्षीय पुत्र -जैसी जूनियर! वह इस वक्त लोगों की नजर में नींद में था।लेकिन वह उड़न तश्तरियों को लेकर कल्पनाओं में खोया हुआ था। मार्सेल उसे जगा कर उड़न तश्तरी का मलबा दिखता है। बड़ी ध्यान से जैसी जूनियर अपने पिता की बात सुन रहा था। अब जूनियर जैसी पैतालीस सैंतालीस वर्ष का होगा। दीपक बोला- "क्या वह अभी जीवित है?" "हां, वह इस वक्त जीवित है।" अशोक के आगे बैठा सिक्ख छात्र सिंदर सिंह बोला- "....और वो मार्सेल?" "वो भी अभी जिंदा है।लेकिन यह सब आप लोग क्यों पूछ रहे हो?-मुस्कुराते हुए आचार्य बोले। तब सिंदर सिंह पीछे मुड़ अशोक की ओर देखते हुए बोला-"अशोक को जो मिलना है अब उनसे।" तो सब छात्र छात्राएं हंस पड़े, कुछ को छोंड़ कर। घण्टी लग गयी। जब आचार्य क्लास से चले गए तो सब बातचीत करने लगे।

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हा - हा -हूस?!

अंतरिक्ष में क्या कोई ऐसी धरती भी हो सकती है जहां  डायनासोर व अन्य विशालकाय जानवर है?

सर जी कहते थे-हां, ऐसी धरती है।हमने उस धरती को नाम दिया है- 'हा-हा-हूस'।

26 जुलाई 2021ई0! समय लगभग 10.40pm!! विभिन्न विषयों से एम ए फाइनल की एक पेपर की परीक्षा के बाद परीक्षार्थी कमरों से बाहर निकल आये थे।

"सर जी-सर जी!"- कुछ परीक्षार्थियों ने एक युवक को घेर लिया।

"नमस्ते सर!"

"नमस्ते!"

"नमस्ते सर!"

"अच्छा,पहले बाहर निकलते हैं।"

आगे चल कर सब मौखिक परीक्षा की जानकारी लेने आफिस जा पहुंचे।

                

शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

कुटुम्ब.. बसुधैव कुटुम्बकम... भारत में विश्व, विश्व में भारत::विश्व सरकार की ओर दस्तक::अशोकबिन्दु

          प्रथम भाष्यकार ,विजयनगर राज्य के सेनापति, राजपुरोहित #सायण ने कुटम्बी/कूर्मि को सर्वशक्तिमान कहा है। आदि काल में जो कुटुम्ब भाव में रहते थे, जाति से मुक्त थे।उनमें से ही कुछ अब कूर्मि/कुटुम्बी/कुनबी आदि है।जो वन्य/कृषक जीवन जीते थे।दयानन्द सरस्वती ने तुंबी कूर्मि को मित्र कहा है।वास्तव में जो कुटुम्बकम भाव मे रहता है वही जगत में श्रेष्ठ है।#अशोकबिन्दु



मानव की जन्म भूमि हम अफ्रीका लेकिन सभ्यता की जन्मभूमि एशिया है।

आज से 600वर्ष पूर्व जाति व्यवस्था इतनी जटिल नहीं थी। श्रम विभाजन व कुल व्यवस्था थी। आदि कालीन कुटुम्ब परम्परा से ही आगे चलकर जन बने, जन से जनपद।जनपद से राज्य। ऐसे में पूरा विश्व भारत था, भारत विश्व।आज कल की तरह राज्यों के बीच जटिल सीमांकन न था।विभिन्न परिस्थितियों में पूरे विश्व में आना जाना, रहना, बसना था।इसलिए हम इस विचार से सहमत नहीं है कि आर्य मध्य  एशिया से आए।यहाँ से वहां वहां से यहां आना जाना रहा।प्रत्येक कल्प,चतुर्युग,प्रत्येक युग बाद हम सबके आबास की स्थितियां बदलती रही हैं। वर्तमान में ही लो,ऐसा कौन सा देश है जहां भारतीय न हो और कौन सा देश नहीं जिसके निबासी भारत में आते नहीं। देश व विश्व में स्थितियां राजनीति, साम्राज्यवाद, लूट खसोट ,भीड़ हिंसा आदि ने बिगड़ी है। हम तो ये भी कहेंगे कि जो विदेशी भारत आकर बस गए ,जिन्होंने आक्रमण किए....आदि आदि हम उन्हें पराया नहीं मानते।हां, भटका हुआ या अलग हुआ या अज्ञान में जिया हुआ मानते है।इतिहास खंगालें तो इतिहास एक ही निकलेगा।

यवन कोई पराये नहीं थे।राजा दशरथ के दरबार में  अन्य आर्य राजा के दरबार में वे मंत्री आदि भी हुआ करते थे। वे ययाति पुत्र तुर्वसु के वंशज थे। मध्य एशिया में एक पहाड़ी मिलती है.तुर।जो अनेक रूहानी आंदोलन।में लगे लोगों के लिए तपस्या स्थली थी।पाक को पाक कहने के पीछे भी एक इतिहास है।तुर या कुतुब से मतलब दिव्य प्रकाश या दिव्य प्रकाश धारण करने वाला है।


      कभी कश्यप देश था, जिसमें ऋषि भृगु रहते थे जो कश्यप पौत्र थे।जल तत्व तक पकड़ की अपनी चेतना व समझ का स्तर बनाने वालों का क्षेत्र पश्चिम में था जो जय पुर,अरब सागर से भूमध्य सागर तक था।वरुण एक बार वहां (मेसोपोटामिया)में मनु भी हुए।जो क्षेत्र कभी कश्यप क्षेत्र प्रभावित भी था। 'मान' शब्द आर्य शब्द है।जैसे हनुमान, सलमान, बलमान आदि।शुक्र, शुक्रिया ,अरब(ओर्ब)आदि शब्द आर्य शब्द ही हैं।


                    स्वायम्भुव  मनु

                            !

                            !

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प्रियवृत                                             उत्तानपाद

(इस शाखा के कुटम्ब यूरोप में भी गए)

!

अग्नीध्र

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अग्नीध्र के नौ पुत्र!

नाभि,हरि, इलावृत, कुरु, रम्यक,

भद्राश्व, किम रूप, हिरण्य व केतु

नाभि के पुत्र-ऋषभ देव

(जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर)

!

!

जड़ भरत

!

जड़ भरत की 21वी पीढ़ी में

!

विषग्ज्योति

!

विषग्ज्योति की 23वीं पीढ़ी में

!

पृथु वैन्य

(प्रथम वास्तविक राजा व कृषि के 

आविष्कारक)

!

हरिरधान

!

प्रचेतस

(कृषि का महत्व पूर्ण विकास किया)

!

दक्ष

!

60 पुत्रियां (भृगु काल)

!

अदिति प्रमुख पुत्री व नारद की बहिन

!

11 पुत्र + विवस्वान(सूर्य)

!

विवस्वान(सूर्य) से वैवस्वत मनु(त्रेता युग प्रारम्भ)

!

इक्ष्वाकु+अन्य सात पुत्र और इला पुत्री

!

इक्ष्वाकु से जो वंश चला उसमे श्रीरामचन्द्र  

!

इला+बुध से एल या चन्द्र वंश!इलाहबाद राज्य

!

बुध+इला से पुरुरवा

!

आयु

!

नहुष आदि

!

ययाति आदि

!

तुर्वसु, यदु आदि



इस तरह से अन्य वंश बिटप हैं।कुल मिला कर हम कहना चाहें गे कि विश्व में  सभी जन के आदि पूर्वज का इतिहास एक ही है।

ऐसे।में हम सब को ऋषियों की बसुधैव कुटुम्बकम भावना को गम्भीरता से लेना चाहिए।हम इससे विश्व में विश्व शांति, मानव कल्याण की भावना कायम कर सकते हैं।

सभी समस्याओं का हल मानवता, आध्यत्म ही है।

गांधी हों या लोहिया, दलाई लामा हों या ओशो, या अन्य सन्त ;सभी ने विश्व सरकार की भावनाओं को व्यक्त किया है।

(अशोकबिन्दु)




रविवार, 20 जून 2021

21 जून 2021.........अशोकबिन्दु

 अब भी समय है....

हम जीवन के यथार्थ को समझें।

दुनिया में कोई समस्या नहीं है।समस्या तो मानव मानव समाज में है।


सबसे बड़ी समस्या है-वह प्राणी जो इंसान।माना जाता है लेकिन उसमें इंसानियत नही है।

सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है-शिक्षा।क्योकि शिक्षित ही ज्ञान के आधार पर नहीं चलता।

हमारा सनातन हेतु है-मानवता व आध्यत्म को विकसित करना।


21जून :::आओ हम सब संकल्प लें अपनी सम्पूर्णता के अहसास में रहने का, सार्वभौमिक प्रार्थना, सार्वभौमिक ज्ञान में रहने का।


 हम सब हर वक्त ध्यान रखें -


 "हम सब आत्माओं के रूप में अनन्त यात्रा में सहचर्य हैं।जैसे कि सागर में परस्पर लहरें।यह सहचर्यता ही,तरलता/गतिशीलता/डूब ही प्रेम है, भक्ति है।जगत में जो भी स्त्री पुरूष हैं सब भाई बहिन हैं।सभी में मालिक की रोशनी मौजूद है।हम सब एक हैं।सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर.... अंदर बाहर प्रकाश ही प्रकाश... दिल... दिल में दिव्य प्रकाश।" 


 हम सबके #ब्राइटमाइंड अभियान से भी जुड़ सकते हैं। 


 तीसरी आंख?!तीसरी आंख जगने पर हम 1000गुना अपनी पावर बड़ा सकते है। 



हमारे हाड़ मास शरीर की सीमित कुछ बर्षों तक के लिए क्षमता है।

हमारी बुद्धि सिर्फ चतुर्मुखी है।


हम अपने अंदर असीम ऊर्जा का केंद्र #मन रखते हैं।मन के हारे हार है।मन के जीते जीत। मन चंगा तो कठौती में गंगा।जब यह मन बाह्य जगत की ओर न जोड़ कर अपनी आत्मा/आत्मियता/निजता/स्व/खुद आदि से जुड़ जाता है तो हम अनन्त व अनन्त काल से जुड़ जाते है।जहां से अनन्त धारा हमारी ओर स्फुटित होने लगती है।हम अपने में अनेक रहस्यों को तब उजागर होते देखते हैं। 


 खुद या खुदा ,न जाति न पन्था!!! 



 हार्टफुलनेस एजुकेशन ट्रस्ट लाया है बच्चों में वह क्षमता कि उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है और वे पुस्तक पढ़ लेते हैं, सामने के कलर व वस्तुएं बता देते हैं। 


 #ब्राइटमाइंड 


 कान्हां शन्ति वनम, हैदराबाद में हमारा प्रमुख केंद्र! जिसके विश्व में अनेक केंद्र! 


 #ब्राइटमाइंड 


05 साल से 15 साल तक के बच्चों के लिए ध्यान के माध्यम से सीखने की एक पद्धति!! 


Greetings from Brighter Minds!


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"गर्म होता है शरीर: अग्नि (ऊष्मा) का मुख्य सोर्स होने के कारण सूर्य की रोशनी ठंड से सिकुड़े शरीर को गर्माहट देती है, जिससे शरीर के भीतर की ठंडक और पित्त की कमी दूर होती है। आयुर्वेद में सनबाथ को 'आतप सेवन' नाम से जाना जाता है। -मिलता है विटामिन डी: विटामिन डी शरीर में हड्डी की मजबूती के लिए अहम है।"



 सामने पानी से छन छन कर आती सूरज की लाल किरणें। सामने बारामदे में ऊपर से पानी गिर रहा था। बरामदे के बाहर लाल रंग का शीशा लगा हुआ था। अंदर कुछ लोग नङ्गे बदन सूरज की ओर मुंह किए आंख बंद कर बैठे थे। साधक मन में भाव रखे हुए थे- "सूरज की लाल किरणें हमारे पेट पर पड़ रही हैं और हमारे पेट के सारे विकार व रोग धुंआं बन बाहर जा रहे हैं।" 



 पश्चिम में भी कभी सूर्य मंदिर हुआ करते थे। जिसके अवशेष दक्षिण अमेरिका महाद्वीप पर भी मिले थे। अब से लगभग 5500वर्ष पूर्व अर्थात लगभग सन 400 ईस्वी तक रोम में भी सूर्य मंदिर प्राप्त होने के अवसर मिलते हैं।


 और..... 



 21 जून 2021ई0 को 7वां विश्व योग दिवस था। उस दिन भीमसेन एकादशी भी। 'सर जी ' ने लिखा है कि हम उस दिन व्रत में थे। 18मार्च2021 को उनकी तबियत काफी खराब हो गयी थी। पेट में कुछ भी खाया हुआ नहीं रुक रहा था।पेट एक दम खौल जाता था। चलना भी मुश्किल हो गया था इतनी कमजोरी आ गयी थी।जैसे तैसे नर्सिंग होम पहुंचे थे।विभिन्न जांचों के बाद पता चला था कि टायफाइड व पेट में इफेक्शन है।लगभग नौ दिन उन्होंने दबाई चलाई थी।खर्च काफी उठाना पड़ रहा था। वे मैडिटेशन करते ही थे।एक रात स्वप्न में किसी ने आकर एलोवेरा व त्रिफला के दर्शन करवाये। अब वे सुबह व शाम को त्रिफला व एलोवेरा ले रहे थे।सब नियंत्रण में था। 


रात्रि में मेडिटेशन के वक्त यही भाव- 


 "सूरज की लाल किरणें हमारे पेट पर पड़ रही हैं और हमारे पेट के सारे विकार व रोग धुंआं बन बाहर जा रहे हैं।" 


 एक स्थान पर कुछ लोग योगा दिवस के अबसर पर एकत्रित थे। कोरोना संक्रमण के प्रभाव को देखते हुए सभी काफी काफी दूर बैठे थे। सब राजनीति की बातें करते जा रहे थे। 


 'सर जी '-बोले योग करते समय हमें किस भाव में रहना चाहिए?पता ही नहीं।हम इसलिए यहां आते नहीं। कोई कह रहा था- "इस बार योगी सरकार बनेगी भी तो काफी कम वोटों से।" 

"अरे यादव जी, आप तो कहोगे ही।मुसलमान, यादव तो ऐसा कहेंगे ही। "


 "देखो ,जनसंख्या नीति का मसौदा तैयार हो रहा है।हो सकता है इसी मानसून सत्र में पेश हो जाए?" 


 "तो?तो क्या..?! योगी सरकार बना लेंगे?"


 "अरे पण्डित जी,आप भी...!" 


 "सारे पंडितों को तो दूबे की मौत दिख रही है।" 


 "और जितिन... जितिन भाजपा में शामिल हो गए सो...?"


 "जितिन ?! छह महीने बाद मालूम चल जाएगा.... सब सामने आ जायेगा।" 


 सर जी बोले- "कोई भी जीतेगा ,क्या वह माफियाओं, गुंडों, अपनी जाति के अपराधियों को नहीं बचाएगा?वोट देने से व्यवस्थाएँ बदलने बाली नहीं। जनता ही नेता चुनती है।जनता को सोचना चाहिए वोट देने से पहले कि हम किसे वोट दें?"  


सन 6050ई0! 


 हफदमस जो कि तीन नेत्री एक एलियन था।


 "यह समुद्र देखरहा हूँ मैं, इसके अंदर एक पूरा का पूरा शहर मुंबई मौजूद है।" 


 उड़न तश्तरी यान के अंदर एक स्क्रीन पर समुद्र के अंदर की मुंबई को दिखाया जा रहा था जिसमें 4 गोताखोर मौजूद थे ।  मानव आबादी के प्रमाण 250 ईसा पूर्व तक मिलते हैं। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में यह दीप समूह मौर्य साम्राज्य का भाग बने जब बहुत सम्राट अशोक महान का शासन था । कुछ आरंभिक शताब्दियों में मुंबई के नियंत्रण से संबंधित इतिहास सातवाहन साम्राज्य और इंडो सीथियन वेस्टर्न सैट्रेप के बीच विवाद था । बाद में हिंदू सिल्हारा वंश के राजाओं ने यहां 1343 ईस्वी तक राज्य किया। जब तक की गुजरात के राजा ने सप्त दीपों पर अधिकार नहीं कर लिया। एलीफेंटा गुफाओं ,बलकेश्वर मंदिर आदि में इस काल के अवशेष मिले थे। सन 15 34 ईसवी में पुर्तगालियों ने गुजरात के बहादुर शाह से यह  द्वीप समूह छीन लिए जो कि बाद में चार्ल्स   द्वितीय इंग्लैंड को दहेज रूप में दे दिए गए । यह द्वीप सन 1668 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी  को मात्र 10 पाउंड प्रतिवर्ष की दर पर पट्टे पर दे दिए ।सन 1687 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने मुख्यालय सूरत से हस्तांतरित कर यहां मुंबई स्थापित किए। अंततः नगर मुंबई प्रेसीडेंसी का मुख्यालय बन गया सन 1817 के बाद नगर को विस्तृत पैमाने पर सिविल कार्यों द्वारा वर्तमान शहर के रूप में स्थापित किया गया ।इसमें सभी दीपों को एक जुड़े हुए दीप में जोड़ने की परियोजना मुख्य थी । इस परियोजना को हार्न बाय बेल्लार्ड कहा गया ।जो सन 1845 में पूर्ण हुआ तथा सन 18  53 में भारत की प्रथम यात्री रेलवे लाइन स्थापित हुई। अमेरिकी नागर युद्ध के दौरान विश्व का प्रमुख सूती व्यवसाय बाजार बना  जिससे इसकी अर्थव्यवस्था मजबूत हुई। साथ ही साथ नगर का विस्तार कई गुना बढ़ गया । सन 18 69 में स्वेज नहर के खुलने के बाद से अरब सागर का सबसे बड़ा  पत्तन बन गया । हम गूगल से सर्च करते हुए मुंबई के संबंध में विभिन्न जानकारियां एकत्रित करते रहे।  हम सोच रहे थे - वो एलियंस पृथु मही की मानव जाति से काफी नाराज थे । मानव जाति इस धरती को ही नहीं बरन अंतरिक्ष को भी प्रदूषित कर चुकी थी। प्रकृति व ब्रहमांड में मानव जाति के विकास ने सहज और स्वत:  जीवन में विकार खड़े क र दिए थे। जिसका प्रभाव स्वयं मानव जाति की ही प्रकृति स्थूलता और सूक्ष्म पर पड़ा ।मानव जाति दयनीय अवस्था में पहुंच चुकी थी । वन्य समाज,आदिवासी अपना सहजीवन और व्यवस्था को बचाए हुए तो थे लेकिन जीवन संघर्ष बढ़ गया था । उत्तरी ध्रुव, साइबेरिया आदि क्षेत्र पुन: हरियाली से भरने लगे थे । अनेक ग्लेशियर पिघल चुके थे। गोमुख से ऊपर सेआने वाली अनेक जलधाराएं सूख चुकी थी । समुद्रों के तल बढ़ गए थे । अनेक समुद्र तटीय क्षेत्र डूब चुके थे। बचे खुचे मानवों में 85% जनता को अपना जीवन जीना मुश्किल हो रहा था । आपसी कलह, संघर्ष और युद्ध बढ़ गए थे । परिवार व्यवस्था ,रिश्ते नाते बिखर चुके थे ।अनेक शहरों को समुद्र निगल चुके थे । इन शहरों में एक शहर- मुंबई।   4 गोताखोर उसमें थे । तीन नेत्री एलियन 'हफदमस' उड़न तश्तरी के अंदर स्क्रीन से विभिन्न स्रोतों से विभिन्न सूचनाएं एकत्रित कर रहा था उड़नतश्तरी की गति बहुत धीमी हो चुकी थी । धरती पर खड़ी एक उड़नतश्तरी में से एक छोटा सा यान निकल कर आकाश में गति करने लगा था। हफदमस ने अपनी उड़नतश्तरी को नीचे धरती पर उतार दिया इस पृथु मही के अनेक बड़े हवाई अड्डों का पुनर्निर्माण और परिमार्जन किया जा रहा था ।  पेरू की प्राचीन सभ्यता इका के अवशेषों को आधुनिक ढंग से ठीक किया जा रहा था। दूर-दूर तक पत्थरों की जड़ाई से बनी सीधी और वृत्ताकार रेखाओं वाले स्थल को  पुनः जीवित किया जा रहा था। जिसकी एक दीवार पर एक राकेट बना हुआ था । राकेट के बीच में एक व्यक्ति आश्चर्यजनक हेलमेट लगाए हुए दिखाया गया था । जिसे मातृ देवी भी कहा जा रहा था। दक्षिण अमेरिका की इंडीज पहाड़ियों में बसी एक झील के पास एक प्राचीन नगर के अवशेषों को भी पुनर्जीवित किया जा रहा था। वहां के सूर्य मंदिर को पुनः स्थापित किया जा रहा था। 


महाभारत युद्ध के बाद विश्व में विभिन्न नगरों में इक्ष्वाकु वंश की मूर्ति निर्माण कला प्रसारित हुई थी।कोणार्क के सूर्य मंदिर के तरह पश्चिम के अनेक देशों में सूर्य मंदिर भी स्थापित किए गए थे या स्थापित की जाने लगे थे। लेकिन... लेकिन...  हफदमस उड़नतश्तरी से बाहर निकलते हुए जब आगे बढ़ा तो काले रंग के अनेक लड़के लड़कियों ने उन्हें घेर लिया और साथ-साथ चलने लगे। सन 1498 ईस्वी में जब वास्कोडिगामा भारत आया तब उन दिनों भी मुंबई वर्तमान नगर की तरह स्थापित नहीं हो पाया था।वह उस समय भी 7 दीपों के रूप में था । जहां का वातावरण पूर्ण रूप से प्राकृतिक था। इन द्वीपों पर कश्यप वंशी मछुआरे रहा करते थे जो अपने को यवन  आर्य  (ययाति पुत्र तुर्वसुवंशी)कहते थे।कुछ अपने को रावण (र - अवन) वंशी भी मानते थे। 


सन 1498 ईस्वी में वास्कोडिगामा की यात्रा के वक्त, उस समय का 'सर जी'- का एक चरित्र था-दितान्त ,जो कि समाज में तुर्क माना जाता था लेकिन वह अपने को यवन आर्य कहता। वह कहता था कि हमारे पूर्वज कभी कृष्ण सागर के आसपास विशेषकर आनातोलिया में बस गए थे । जो मलेक्षों में ब्राह्मण के रूप में सम्मानित थे।




 Thank you!


शनिवार, 1 मई 2021

तीन नेत्री एलियन-'हफदमस'-सन सन6050ई0!

 सन 6050ई0!

हफदमस जो कि तीन नेत्री एक एलियन था।

"यह समुद्र देखरहा हूँ मैं, इसके अंदर एक पूरा का पूरा शहर मुंबई मौजूद है।"


उड़न तश्तरी यान के अंदर एक स्क्रीन पर समुद्र के अंदर की मुंबई को दिखाया जा रहा था जिसमें 4 गोताखोर मौजूद थे । 

मानव आबादी के प्रमाण 250 ईसा पूर्व तक मिलते हैं। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में यह दीप समूह मौर्य साम्राज्य का भाग बने जब बहुत सम्राट अशोक महान का शासन था । कुछ आरंभिक शताब्दियों में मुंबई के नियंत्रण से संबंधित इतिहास सातवाहन साम्राज्य और इंडो सीथियन वेस्टर्न सैट्रेप के बीच विवाद था । बाद में हिंदू सिल्हारा वंश के राजाओं ने यहां 1343 ईस्वी तक राज्य किया। जब तक की गुजरात के राजा ने सप्त दीपों पर अधिकार नहीं कर लिया। एलीफेंटा गुफाओं ,बलकेश्वर मंदिर आदि में इस काल के अवशेष मिले थे। सन 15 34 ईसवी में पुर्तगालियों ने गुजरात के बहादुर शाह से यह  द्वीप समूह छीन लिए जो कि बाद में चार्ल्स   द्वितीय इंग्लैंड को दहेज रूप में दे दिए गए । यह द्वीप सन 1668 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी  को मात्र 10 पाउंड प्रतिवर्ष की दर पर पट्टे पर दे दिए ।सन 1687 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने मुख्यालय सूरत से हस्तांतरित कर यहां मुंबई स्थापित किए। अंततः नगर मुंबई प्रेसीडेंसी का मुख्यालय बन गया सन 1817 के बाद नगर को विस्तृत पैमाने पर सिविल कार्यों द्वारा वर्तमान शहर के रूप में स्थापित किया गया ।इसमें सभी दीपों को एक जुड़े हुए दीप में जोड़ने की परियोजना मुख्य थी । इस परियोजना को हार्न बाय बेल्लार्ड कहा गया ।जो सन 1845 में पूर्ण हुआ तथा सन 18  53 में भारत की प्रथम यात्री रेलवे लाइन स्थापित हुई। अमेरिकी नागर युद्ध के दौरान विश्व का प्रमुख सूती व्यवसाय बाजार बना  जिससे इसकी अर्थव्यवस्था मजबूत हुई। साथ ही साथ नगर का विस्तार कई गुना बढ़ गया । सन 18 69 में स्वेज नहर के खुलने के बाद से अरब सागर का सबसे बड़ा  पत्तन बन गया ।


हम गूगल से सर्च करते हुए मुंबई के संबंध में विभिन्न जानकारियां एकत्रित करते रहे।

 हम सोच रहे थे - वो एलियंस पृथु मही की मानव जाति से काफी नाराज थे ।

मानव जाति इस धरती को ही नहीं बरन अंतरिक्ष को भी प्रदूषित कर चुकी थी। प्रकृति व ब्रहमांड में मानव जाति के विकास ने सहज और स्वत:  जीवन में विकार खड़े क र दिए थे। जिसका प्रभाव स्वयं मानव जाति की ही प्रकृति स्थूलता और सूक्ष्म पर पड़ा ।मानव जाति दयनीय अवस्था में पहुंच चुकी थी ।


वन्य समाज,आदिवासी अपना सहजीवन और व्यवस्था को बचाए हुए तो थे लेकिन जीवन संघर्ष बढ़ गया था ।

उत्तरी ध्रुव, साइबेरिया आदि क्षेत्र पुन: हरियाली से भरने लगे थे ।

अनेक ग्लेशियर पिघल चुके थे। गोमुख से ऊपर सेआने वाली अनेक जलधाराएं सूख चुकी थी । समुद्रों के तल बढ़ गए थे । अनेक समुद्र तटीय क्षेत्र डूब चुके थे। बचे खुचे मानवों में 85% जनता को अपना जीवन जीना मुश्किल हो रहा था । आपसी कलह, संघर्ष और युद्ध बढ़ गए थे । परिवार व्यवस्था ,रिश्ते नाते बिखर चुके थे ।अनेक शहरों को समुद्र निगल चुके थे । इन शहरों में एक शहर- मुंबई। 

 4 गोताखोर उसमें थे ।




तीन नेत्री एलियन 'हफदमस' उड़न तश्तरी के अंदर स्क्रीन से विभिन्न स्रोतों से विभिन्न सूचनाएं एकत्रित कर रहा था उड़नतश्तरी की गति बहुत धीमी हो चुकी थी । धरती पर खड़ी एक उड़नतश्तरी में से एक छोटा सा यान निकल कर आकाश में गति करने लगा था।

हफदमस ने अपनी उड़नतश्तरी को नीचे धरती पर उतार दिया इस पृथु मही के अनेक बड़े हवाई अड्डों का पुनर्निर्माण और परिमार्जन किया जा रहा था । 

पेरू की प्राचीन सभ्यता इका के अवशेषों को आधुनिक ढंग से ठीक किया जा रहा था। दूर-दूर तक पत्थरों की जड़ाई से बनी सीधी और वृत्ताकार रेखाओं वाले स्थल को  पुनः जीवित किया जा रहा था। जिसकी एक दीवार पर एक राकेट बना हुआ था । राकेट के बीच में एक व्यक्ति आश्चर्यजनक हेलमेट लगाए हुए दिखाया गया था । जिसे मातृ देवी भी कहा जा रहा था। दक्षिण अमेरिका की इंडीज पहाड़ियों में बसी एक झील के पास एक प्राचीन नगर के अवशेषों को भी पुनर्जीवित किया जा रहा था। वहां के सूर्य मंदिर को पुनः स्थापित किया जा रहा था।

महाभारत युद्ध के बाद विश्व में विभिन्न नगरों में इक्ष्वाकु वंश की मूर्ति निर्माण कला प्रसारित हुई थी।कोणार्क के सूर्य मंदिर के तरह पश्चिम के अनेक देशों में सूर्य मंदिर भी स्थापित किए गए थे या स्थापित की जाने लगे थे।


लेकिन... लेकिन...


 हफदमस उड़नतश्तरी से बाहर निकलते हुए जब आगे बढ़ा तो काले रंग के अनेक लड़के लड़कियों ने उन्हें घेर लिया और साथ-साथ चलने लगे।


सन 1498 ईस्वी में जब वास्कोडिगामा भारत आया तब उन दिनों भी मुंबई वर्तमान नगर की तरह स्थापित नहीं हो पाया था।वह उस समय भी 7 दीपों के रूप में था । जहां का वातावरण पूर्ण रूप से प्राकृतिक था। इन द्वीपों पर कश्यप वंशी मछुआरे रहा करते थे जो अपने को यवन  आर्य  (ययाति पुत्र तुर्वसुवंशी)कहते थे।कुछ अपने को रावण (र - अवन) वंशी भी मानते थे। सन 1498 ईस्वी में वास्कोडिगामा की यात्रा के वक्त, उस समय का 'सर जी'- का एक चरित्र था-दितान्त ,जो कि समाज में तुर्क माना जाता था लेकिन वह अपने को यवन आर्य कहता। वह कहता था कि हमारे पूर्वज कभी कृष्ण सागर के आसपास विशेषकर आनातोलिया में बस गए थे । जो मलेक्षों में ब्राह्मण के रूप में सम्मानित थे।