Powered By Blogger

शनिवार, 13 सितंबर 2025

अग्नि काल ?!😢😢

एक अन्य सर जी अशोकबिन्दु ने कहीं पर लिखा है कि हमें तो जल प्रलय के बाद अग्निकाल भी दिखाई दे रहा है जिसमें शायद ही इंसान बचे। इसमें वे स्वयं को भगवान शंकर के साथ अंतरिक्ष में जाते देखते हैं। और… पृथ्वी का कोर ग्रह की सबसे भीतरी परत है, जो एक घना और गर्म गोला है जो मुख्यतः लोहे और निकल से बना है। यह हमारे ग्रह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो इसके चुंबकीय क्षेत्र से लेकर इसकी आंतरिक ऊष्मा तक, हर चीज़ को प्रभावित करता है। कोर दो अलग-अलग परतों में विभाजित है: ठोस आंतरिक कोर और तरल बाहरी कोर। संरचना और संरचना कोर दो मुख्य भागों से बना है: * आंतरिक कोर: यह सबसे भीतरी भाग है, लगभग 1,221 किमी (759 मील) की त्रिज्या वाला एक ठोस गोला। 5,400°C (9,800°F) तक के तापमान, जो सूर्य की सतह के बराबर है, के बावजूद, ऊपर की परतों से आने वाला अत्यधिक दबाव लोहे और निकल को ठोस अवस्था में रखता है। * बाहरी कोर: आंतरिक कोर के चारों ओर लगभग 2,260 किमी (1,400 मील) मोटी एक तरल परत है। यह परत भी लोहे और निकल से बनी है, लेकिन दबाव उतना ज़्यादा नहीं होता, इसलिए धातुएँ पिघली हुई, कम श्यानता वाली अवस्था में होती हैं। इस तरल धातु की अशांत, संवहनी गति पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के लिए ज़िम्मेदार है। तापमान और दबाव क्रोड के भीतर तापमान और दबाव अत्यधिक होते हैं और गहराई के साथ बढ़ते हैं। तापमान मेंटल की सीमा पर लगभग 4,500°C (8,132°F) से लेकर आंतरिक कोर के केंद्र में 5,400°C (9,800°F) से अधिक तक होता है। दबाव भी बहुत ज़्यादा होता है, जो समुद्र तल पर वायुमंडलीय दबाव से 3.6 मिलियन गुना अधिक होता है। चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण तरल बाहरी कोर के भीतर की गति ही पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करती है। इस प्रक्रिया को जियोडायनेमो कहते हैं। जैसे-जैसे बाहरी कोर ठंडा होता है, आंतरिक कोर की सीमा के पास तरल लोहा जम जाता है, जिससे ऊष्मा और हल्के तत्व निकलते हैं। यह तरल बाहरी कोर के भीतर अशांत संवहन धाराओं को प्रेरित करता है। चूँकि पिघला हुआ लोहा एक उत्कृष्ट विद्युत चालक है, इसलिए ये गतिशील धाराएँ विद्युत धाराएँ उत्पन्न करती हैं। ये विद्युत धाराएँ, बदले में, एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती हैं जो अंतरिक्ष में दूर तक फैला होता है और चुंबकीय क्षेत्र (मैग्नेटोस्फीयर) का निर्माण करता है। यह चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी को हानिकारक सौर हवाओं और ब्रह्मांडीय विकिरण से बचाता है, जिससे हमारे ग्रह पर जीवन संभव होता है। लेकिन पार्वती ,गणेश को वो धरती पर ही देखते हैं। अर्थात पार्वती व गणेश स्तर की चेतना धरती पर तब भी होती है।
भविष्य त्रिपाठी अब खामोश। " और भविष्य…..?! " " नादिरा! सर जी कहते रहे हैं कि धरती ही नहीं ब्रह्मण्ड का कण कण,जर्रा जर्रा को व्याख्या सनातन है । " मखानी इंटर कालेज में ही … " और अशोक बिंदु जी?! सुनाओ ? " " सुनाओ कुछ ? " " क्या सुनाये ?!" " क्या सोंच रहे थे ? वही सुनाओ? " " भविष्य : कथांश नाम से हमारी एक पुस्तक की योजना है ।उस पर ही सोंच रहे थे। " "कुछ पढ़ाया भी करो ? " " इसका भी वक्त आएगा । " " रस्तोगी मैडम आपको बहुत याद करती हैं। दैनिक जागरण में वे आपको पढ़ती रहती हैं। " " ठीक है । हां , हम ' उरमज्द ' के बारे में भी सोंच रहे थे । " " यह क्या है ? " " अवेस्ता में वरुण का नाम 'उरमज्द' मिलता है। "

शुक्रवार, 15 अगस्त 2025

एलियन्स पृथु महि के मानवों से क्या नाराज हैं?

सर जी का एक ब्लॉग " भविष्य : कथांश?! " जिसमें सर जी ने सम्भवतःसन 10000 ई0 तक की अपनी कल्पनाओं , स्वप्न, अहसास आदि को प्रस्तुत किया है।
सम्भवतः ..?! सन 6050 ई0 तक तो है ही ? एक चरित्र भविष्य त्रिपाठी के नाम से जिसमें।उसके माध्यम से सर जी ने अपनी कल्पनाओं , स्वप्न, अहसास आदि को इसमें प्रस्तुत किया है। लगभग एक वर्ष बाद सन 2165 ई0 की फरबरी! भारतीय उपमहाद्वीप एवं चीन को दो भागोँ मेँ बाँटने की योजना? आखिर सफलता पा ली कुशक्तियोँ ने . 24 फरबरी को भूमि तीब्र भूकम्प के साथ चटक गयी.इन दो भूमियों के बीच अब सागर....?! भूकम्प और सुनामी लहरेँ;बाँधोँ के टूटने से बाढ़ . गुजरात के सूरत से हरिद्वार,उत्तर काशी,मानसरोवर होते हुए चीन की भूमि को चीरते हुए उत्तरी दक्षिणी कोरिया आदि से हो इस चटक ने अरब की खाड़ी और उधर चीन सागर से हो कर प्रशान्त महासागर को मिला दिया . भारतीय उपमहाद्वीप की चट्टान खिसक कर पूर्व की ओर बढ़ गयी थी. म्यामार, वियतनाम, आदि बर्बादी के गवाह बन चुके थे. इससे क्या मिला कुशक्तियोँ को? लेकिन ! जन धन प्रकृति की हानि जरुर हुई. प्रकृति के अन्धविदोहन एवं कृत्रिम जीवन के स्वीकार्य ने पृथ्वी पर दो हजार चार ई0 से ही तेजी के साथ परिवर्तन प्रारम्भ कर दिए थे. सुनामी लहरोँ के बाद यह परिवर्तन और तेज हो गये थे . सुनामी लहरेँ भी क्या प्राकृतिक थीँ या फिर किसी कुशक्ति की हरकत थी ?इस पर मतभेद रहा था. एलियन्स के सम्बन्ध मेँ ? सन 1947 ई0 मेँ कुछ शक्तियोँ के एलियन्स से क्या सम्पर्क हुए थे कि वे पृथ्वी और अन्तरिक्ष मेँ अपनी साजिशेँ रचने लगे. पृथ्वी का मनुष्य आखिर कब तक जगेगा?अपने स्वार्थोँ मेँ अन्धा हो प्रकृति व ब्राह्माण्ड मेँ भी विकृतियाँ फैला दीँ . सर जी की ही एक पुस्तक - " ऐतिहासिक सूक्ष्मवाद!! एक भविष्य कथांश… " जो सन 2023 ई0 के आखिर तक मार्केट (बाजार ) में आ चुकी थी। पहली बार सर जी ने 2023 ई0 जुलाई में अलिअयन (एलियन) को बड़ा क्रुद्ध देखा था । उनका कहना था कि सन 2018 ई0 से वे धरती पर अनेक बार अलिअयन का अहसास कर चुके थे । हालांकि उन्होंने अनेक बार यह कहा था कि वे किशोरावस्था से इस पर विश्वस्त हैं कि अलिअयन हैं। जून 2023 ई0 से सर जी अपने अंदर काफी बड़ा बदलाव महसूस कर रहे थे । इसके साथ ही उनकी पुस्तकों के प्रकाशन का सिलसिला शुरू हुआ था और दूसरी ओर श्रीरामचन्द्र मिशन & हार्टफुलनेस में ' प्रत्याशी प्रशिक्षक ' हो चुके थे। हालांकि वे अपने प्रशिक्षक हो न पाये थे। उन्होंने महसूस किया था कि प्रेम, आध्यत्म, आत्मा तंत्र ,मानवता, प्रकृति अभियान, ईश्वरता, कल्कि महाराज आदि के लिए काम करने का मतलब यह नहीं है कि किसी व्यक्ति, कुल, संस्था आदि की नजर में जीना।ऐसे में किसी संस्था के अंतर्गत प्रशिक्षक न हो पाने का मतलब ' इसे दिल पर लेना ' नहीं है। बहिर्मुखी होने, समाज में शरीर से सक्रिय होने से वे अपने को असहज महसूस करते थे लेकिन विशेष परिस्थितियों में नहीं। मार्च 2020 ई0 से कोरोना संक्रमण व लॉकडाउन ले दौरान तो उन्होंने अपने को काफी शांति -सुकून में महसूस किया था। समस्या, शंका, भ्रम आदि था भी तो वह मानव ,समाज व मानव व्यवस्था के कारण। उन दिनों वह अपने अंदर पैर से लेकर सिर तक सदाशिव शंकर के रूप में अपने अंदर चेतना को देख रहे थे । यह भी भाव वह अपने अंदर देखते थे कि काश 100 साल इस तरह लॉकडाउन लग जाये? सन 2014 ई0 से 2025 ई0 महत्वपूर्ण तो है भारत के लिए लेकिन सन 2043 ई0 तक क्या दुनिया में सब कुछ बदल जाना है? आखिर उज्ज्वल भविष्य ..?! माता पिता, अभिभावक, शिक्षक के अलावा कौन नई पीढ़ी के लिए वास्तव में अब ईमानदार है ?क्या वास्तव में ईमानदार है भी?! यदि ऐसा है तो फिर टकराव क्यों ?!हमारे उनसे मतभेद क्यों ? उनके द्वारा हमको अस्वीकारना क्यों? " हम अपनी इच्छाओं के गुलाम हैं, जो हमारे जीवन में बाधक है। " इतिहास महान योध्दाओं से भरा है लेकिन उनके सूक्ष्म शरीरों का क्या हाल ? आजकल के टॉपर भी क्या हैं? आज कल शिक्षित का ज्ञान भी व्यवहारिक जीवन व रोजमर्रे में क्या है? एक घर में चार चार आईएएस,पीसीएस लेकिन सुकून नहीं? खुदकशी करने को मजबूर ? यूनिवर्सिटी टॉपर भी एक अपराधी ? और सज्ज होता जो समाज, नई पीढ़ी ,जो विकास वह मानवता , प्रकृति अभियान, ईश्वरीय अभियान के अनुकूल कितना ? कैसा भविष्य?! सन 2026 ई0 की शुरुआत के साथ ..?! लगता है कि हमारे आसपास कोई है जो कहता है कि हादसे तो जरूरी हैं। उसमें भी कुछ छिपा है जो हमें मानवता,नई मनुष्यता के लिए अवसर देता है। प्रकृति व ब्रह्मण्ड में समस्या तो मानव बन चुका है । सृजन के साथ विध्वंस भी प्रकृति में है । ऐसे में विध्वंस की स्थिति क्यों?सफाई तो आवश्यक ही है पवित्र सृजन को। हम महसूस करते रहे हैं कि एलियन्स प्रकृति के खिलाफ नहीं हैं।ऐसे में वे मानव के खिलाफ भी नहीं हैं लेकिन जो मानव प्रकृति व ब्रह्मण्ड में समस्या हैं तो क्या कर्तव्य बना है ? समस्या को खत्म करना। अलिअयन सक्रिय हैं लेकिन वे खुल कर नहीं आ सकते। खुलकर तो सामने धमाकेदार ढंग से आएंगे। जून 2025 के आते आते धरती में हकचल बढ़ी लेकिन क्या अब अलिअयन आक्रमण की तैयारी में हैं? पहली बार सर जी ने 2023 ई0 जुलाई में अलिअयन (एलियन) को बड़ा क्रुद्ध देखा था । उनका कहना था कि सन 2018 ई0 से वे धरती पर अनेक बार अलिअयन का अहसास कर चुके थे । हालांकि उन्होंने अनेक बार यह कहा था कि वे किशोरावस्था से इस पर विश्वस्त हैं कि अलिअयन हैं। वे मानवता व प्रकृति के दुश्मन नहीं हैं ऐसे में हमें मैसेज हैं कि अपनी प्रार्थना,भाव को बदलो - हे प्रभु! मुझे तेरे सिवा कुछ भी न चाहिए।तू हमें अपने मिशन में लगा। ऐसे में 2023 ई0 की जुलाई ..?! सन 2023 ई0 की जुलाई का अहसास?!

बुधवार, 13 अगस्त 2025

हमारी एक पुस्तक " लंका में विभीषण ?! " से !!सन 2075..90ई0 ?!

पुस्तक के बारे में ..
सन 2075 -90 ई0 के बीच का समय !! भूकम्प!बाढ़!तूफान!!भूस्खलन!!चटकती धरती!!फूटते ज्वालामुखी !! पूरे के पूरे खाली होते शहर व गांव!! लोगों को स्वयं को बचाना ही मुश्किल !! क्या अमीर क्या गरीब ?सबकी हालत एक सी बराबर !!  शहर व गांव से भागते लोग !!जिस बीच अनेक अमीरों, बनाबटी जीवन जीने वालों की मौतें !! एक अधेड़ जिसे अभी तक लोग सनकी पागल आदि कह कर  उपेक्षित किए पड़े थे ,वह चीख - चीख कह रहा था - हमें तुम लोग उस वक्त भी गिजाइयों की तरह दिखाई देते थे। पड़े थे न जाने किस - किस के पीछे ?अब उन्हें बुलाओ मदद के लिए ? अब तुम्हें क्यों वे लोग याद आ रहे है जिन्हें तुम सब उपेक्षित कर दिए ? पड़े थे गांव, वार्ड, नगर के अमीरों के,जाति के अमीरों के,मजहब के अमीरों के ? और ऊपर से कहते हो कि हमारा क्या दोष ? दोष है क्यों नहीं? नेताओं को चुन कर तुम ही लोग भेजते रहे? वेद गीता की बातों को नजरअंदाज करने वाले पुरोहितों के पीछे पड़े रहे? विभिन्न उपासना पद्धितियों में उलझे रहने से क्या ?धर्म नजर ही नहीं आता। जब कोई शोषित,परेशानहोता है और अपनी बात कहना चाहता है तो पूरा का पूरा तन्त्र उसके खिलाफ ही होता है?किसी के राज्य के आदेश पर चलना अलग बात है और प्रकृति अभियान ,मानवता आदि में सज्ज होना अलग बात है? इस बीच अब्दुल नाम का एक किशोर कुछ ध्यान आया और भाग खड़ा हुआ शहर की ओर ! उसके पीछे पीछे किशोरी रश्मि भी भागी। पूरा का पूरा शहर स्त्रियों-पुरूषों से विहीन था। दोनों एक मकान में घुसे जहां बड़ी देर में एक पांडुलिपि मिली - " लंका में विभीषण ! " अब दोनों जंगल के बीच आर्य समाज के एक कार्यक्रम में उपस्थित थे।जहां कुछ सन्त आते है और रश्मि व अब्दुल को दूर कहीं जंगल के बीच एक खंडहर में ले जाते है जहाँ 'विश्व जगेबा ' का आश्रम था। एक बुजुर्ग सन्त जो दोनों को बताते हैं कि सन 1883 ई के आसपास यह अब्दुल ' आबो रतन ' के नाम का एक युवक था और तुम रश्मि रश्मि नाम की ही एक युवती। जब तुम दोनों कक मालूम चला कि कुछ पुरोहित ज्योतिबा फूले व सावित्री फूले की हत्या करने की योजना बनाये हैं तो तुम दोनों कुछ सशत्र घुड़सवारों के साथ निकल पड़े थे लेकिन जंगल के बीच एक संघर्ष में 'आबो रतन' मारा गया।इस पुस्तक में बताया गया है कि लेखक का सूक्ष्म शरीर  विभीषण के सूक्ष्म से मिलता है। तब कुछ वार्ता होती है। वार्ता के दौरान विभीषण कहता है कि  आजकल राम भक्त हों या रावण भक्त कोई मुझ चरित्र को अपने कुनबे में नहीं चाहता। यहाँ तक कि राम भक्त भी कहते मिल जाते हैं कि परिवार का मुखिया या अपने बिरादरी या अपने रिश्तेदारी में कोई कितना बड़ा अपराधी हो उसका विरोध नहीं करना चाहिए। यह भी सुनने को मिलता है कि लाख मतभेद के बावजूद भी अपने घर के शेर को मत मारो, वरना बाहर के गीदड़ तुम्हें नोच खाएँगे.. !! लेकिन हमें तो धर्म से मतलब है,भक्ति से मतलब है। अंदर - बाहर से क्या मतलब ? क्रांतियां तभी घटित होती हैं जब त्याग होता है?कफ़न बांध कर जब चला जाता है।हमें दुःख है, धर्म में जीने का मतलब है धर्म में जीना न कि अपने देह,कुनबा,जाति ,समुदाय आदि को बचाना वरना धर्म को बचाना । इसी तरह नारद ऋषि के चरित्र को अब खुद को ब्राह्मण व सनातनी मानने वाले नहीं समझ पर रहे हैं। विभीषण यह भी कहता है कि आदि काल से अब भी अनेक सूक्ष्म शरीर  धरती व धरती के चारो ओर विचरण कर रहे हैं,जो उस समय के ही ठहराव में है जब वे अपनी देह त्यागे थे।               लेखक कहता रहा है कि ये देह, अन्य  देहें, जगत की हर वस्तु, घटना तो पर्दा है  सूक्ष्म जगत, आभा तन्त्र, आत्मा तन्त्र, अनन्त यात्रा का । अब इसे क्वांटम साइंस भी कह रहा है। हम क्वांटम साइंस में  किसी देह के सुई के नोंक से भी कम अंश से अनन्त के अहसास की ओर पहुंच सकते हैं।ऐसा ही होता है उन कब्रों, खंडहरों, किलों आदि में छिपे कुछ अतीत के अवशेषों से,यदि वह अतीत के किसी जीव या मनुष्य के देह का कोई सूक्ष्म से सूक्ष्म अंश है तो उसके माध्यम कोई उसके त्रिकाल दर्शन तक पहुंच सकता है।

मंगलवार, 5 अगस्त 2025

मेरी पुस्तक - "लंका में विभीषण ?! "से...

पुस्तक :: लंका में विभीषण .?! लेखक :: अशोक कुमार वर्मा 'बिंदु' मनुष्य को छोड़ो अब कुछ लोग कहते हैं कि पर अब काफी उलट फेर हो जाना है।जहां रेगिस्तान है वहां जंगल ,जहां जंगल है वहां रेगिस्तान भी हो सकता है। सन 2002 ई0 से धरती पर बदलाव के संकेत नजर आने लगे थे। 98 प्रतिशत मनुष्यों के हालात बड़े खस्ता हैं। कुछ लोग सन 2025 ई0 के समय अमेरिकी प्रशासन मिशनरीज पर अंगुली उठाने लगे थे। राष्ट्रपति ट्रम्प को तो कुछ लोगों ने कलि से तुलना कर दी थी। ऐसे में एलन मस्क ..?! एलन मस्क पर भी कुछ लोगों के यह विचार थे कि उनकी भूमिका धरती के खतरनाक हो सकती है यदि अलिअयन के मैसेज के जवाब यदि यहां से अलिअयन की समझ से उलट हो गये। कुछ ने इस पर सावधान रहने को कहा है कि अलि अयन की ओर से आने वाले मैसेज का जवाब न दिया जाये तब ही ठीक है। माता कणिका ने कहा है कि सर जी ने एक बार महसूस किया है कि अलिअयन धरती के मानवीय भौतिक विकास से क्षुब्ध हैं । हालांकि काफी वर्षों से वे मनुष्यों को बदलने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन मनुष्य को जो मैसेज उनके आकाश तत्व में आते हैं, उन्हें मनुष्य सपना समझ कर नजरअंदाज कर देता है। लेकिन इस बीच …. अब जो धर्म पैदा होगा वह पश्चिम से पैदा होगा। मनु हिमालय पर आये तो पश्चिम से ही आये । हम देख रहे हैं कि कोई शक्ति पश्चिम से आते हुए?! कभी कश्यप देश में मनु वरुण हो चुके हैं ।ऐसे ही अब क्या एलन मस्क भावी मनु होंगे ?वे मंगल व चंद्रमा पर जीवन बसाने की तैयारी में हैं? लेकिन इस बीच अलिअयन को लेकर संदेह बने हुए हैं -एक उन व्यक्तियों के मित्र के रूप में जो की आध्यात्मिक मिशन में लगे हैं दूसरे उनके लिए शत्रु के रूप में जो सिर्फ भौतिक विकास के सहारे पंचतत्व ,प्रकृति व ब्रह्मण्ड में प्रदूषण में लगे हैं?! वास्तव में प्रकृति अभियान ,ईश्वरता में जाकर योग के लिए ,संतुलन के लिए कौन जीना चाहता है ? देवता भी कौन थे ? वे जो संतुलन बनाना चाहते थे। सिंधु के इस पार 'राम' और सिंधु के उस पार ' इहराम ' को वास्तव में कौन महसूस करना चाहता है? सिर्फ कर्मकांड के अलावा ?! कल्कि सेना का योद्धा

शनिवार, 15 मार्च 2025

हलचल 2025,16मार्च ..?!

सत्र 2006 - 07 ई0 ! छत पर कुछ विद्यार्थी उपस्थित थे। यूपी बोर्ड की परीक्षाएं चालू हो गयीं थी। किराये पर अनेक विद्यार्थी रहने को आ पहुंचे थे। दो विद्यार्थी नोयडा से भी थे। कहाँ वो सत्र 2006 - 07 ई0 ! और कहां अब सत्र 2024 -25 ई0 .?! भारतीयों पर बहुत जल्द एक बहुत बड़ा कहर ढहने वाला है। अपने परंपरागत कामों को छोड़कर व्हाइट कालर नौकरियों को प्रेफरेंस देने वाले भारतीयों को अब AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मार पड़ने वाली है। जो काम एक आम व्यक्ति हाथ से एक माह में और कंप्यूटर की मदद से एक सप्ताह में करता है वह काम AI की मदद से कुछ ही मिनटों या घंटों में होने लगेगा और वह भी बिना किसी व्यक्तिगत मदद के। यानी कि व्हाइट कालर वाली नई नौकरियों का सृजन बिल्कुल खत्म होने जा रहा है और पहले से प्राप्त नौकरियां पर भी संकट छाने वाला है। अधिकतर भारतीयों के बच्चों ने प्लंबर, कारपेंटर, पेंटर, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिकस, एयर कंडीशनिंग, ऑटोमोबाइल आदि की रिपेयरिंग के कामों, फैक्ट्री में भी होने वाले सभी तरह के लेबर के कार्यों को लगभग परधर्मियों ने संभाल लिया है और हिंदुओं के बच्चे क्लैरिकल वर्क आदि करने में ही इंटरेस्ट लेते हैं और ऐसा कोई भी काम करने में हीन भावना से ग्रस्त होते हैं जिसमें हाथ गंदे हों। अब जब यह सब काम AI करने लगेगी तो हिंदुओं द्वारा की जाने वाली अधिकांश नौकरियां तो खत्म हो जाएंगी। हुनर से तो पहले ही हाथ धो बैठे हैं और कंप्यूटर जनित नौकरियां भी आने वाले समय में AI की मेहरबानी से खत्म हो जाएगीं तो फिर यह बच्चे आगे जिंदगी में क्या करेंगे। जाहिर है समय का चक्र एक बार फिर उल्टा भागेगा और अपने पेट की भूख को शांत करने के लिए परधर्मियों के यहां हमारे बच्चे आने वाले समय में नौकरियां करेंगे। अगर हमें अपने बच्चों के भविष्य की चिंता है तो हमें अपने बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ हाथ से करने वाले कामों में भी निपुण करना होगा। इस बारे में आप सबका क्या ख्याल है भविष्य त्रिपाठी का वहीं कायस्थान (मीरानपुर कटरा,शाहजहांपुर ) में पैतृक मकान था । पैतृक मकान की क्या हालत हो जाती है? भारतीय में उसके बखूबी दर्शन होते रहते हैं?न बेचने में, न ही उसकी मरम्मत आदि लगाने को रुपये खर्च होने? न ही बंटवारे की हालत ? ऐसा ही कुछ था - भविष्य त्रिपाठी के मकान का हाल ?! @@@@ @@@ @@@@ जंगल के नीचे भूमिगत एक प्रयोगशाला?! आलोक वम्मा अनेक विद्यार्थियों को 1857 क्रांति के 150 वी वर्षगांठ के उपलक्ष्य पर देश के अनेक भूभाग पर हुई परिवर्तन को हलचल में अपने अनेक विद्यार्थियों को प्रभावित कर गायब हो गया था। जिसमें उसकी प्रिय शिष्या ' शिक्षा ' ने अपनी जान ही गवां दी थी।
सन 2011 -2025 ई0 का समय संक्रमण। कंदराओं, गुफाओं, दुर्गंम क्षेत्र में गुप्त रूप से रहने वाली अनेक सूक्ष्म शरीर शक्तियां, सूक्ष्म शरीर शक्तियों से प्रभावित मानव शक्तियां जाग उठीं। सन 2025 ई0 के आते आते कल्कि अवतार की गतिविधियां तेज हो ही गयीं लेकिन कलि असुर की गतिविधियां भी तेज हो गयीं। फरबरी 2025 ई0 के लास्ट में ज्ञात हुआ कि कुछ विदेशी कुशक्तियों के माध्यम से भारतीय लोकसभा 2024 के चुनाव में भाजपा व मोदी सरकार को हराने के लिए काफी विदेशी धन भी खर्च किया गया ?! लेकिन मोदी व उनकी टीम तब भी तीसरी बार सरकार बनाने में सफल हुई थी। रात्रि - 01.30 AM !! दिन -रविवार !! 16 मार्च 2025 ई0 !! मानवीय सूक्ष्म जगत में एक बड़ी हलचल हुई। जो मानव अपने वर्तमान जीवन या पिछले जन्मों में कभी प्रकृति अभियान // ईश्वरीय सत्ता //विश्व सरकार आदि के लिए काम करने को यदि आंशिक विचार// भाव भी यदि लाये थे, वे जाग उठे। अधिचेतना की ओर से सन 1926 के आसपास हुई हलचल धरती पर अनेक स्थानों पर काम कर रही थी। जो अब भौतिक रूप से भी लगभग 98.98 प्रतिशत मानवों के सूक्ष्म जगत में हलचल कर गयी थी। उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बांग्ला देश ,पाकिस्तान, बिलुचिस्तान , अरुणाचल के उत्तर चीनी क्षेत्र आदि में बदलाव को नये बयार के रूप में आयी थी जिसे उन्होंने ही महसूस किया था जिनका मन पहले से ही आंतरिक रूप से या अंतर्मुखी रूप से विभिन्न साधनाओं के माध्यम से सक्रिय थे।जिनमें 80 प्रतिशत हिन्दू, पारसी, यहूदी ,सिक्ख आदि थे और मुस्लिम मामूली 01 प्रतिशत से भी कम। सर जी ..?! उनके साथ कक्षा 10 तक सहपाठी रहे अनुभव सक्सेना व उनके पिता जी के साथ एक टीम सूक्ष्म रूप से सर जी के स्वप्न में आयी। रात्रि 01.30 AM , सर जी नींद से जाग उठे। " हम तो 23 साल बाद अब जगे हैं! " - अनुभव सक्सेना ' सर जी ' से बोला था। उसने 23 साल बाद पुनः पढ़ना और पढ़ना शुरू किया था। उसके साथ उसके पिता जी व उसकी माता जी भी पुनः सक्रिय सूक्ष्म रूप से सक्रिय हुई थीं। ' सर जी ' को भी इस माध्यम से जागरूक होने का सन्देश मिला था। दूसरी ओर जंगल के बीच रह रहे आलोक वम्मा के जीवन में एक नया मोड़ आया। वह भूमिगत एक प्रयोगशाला में कार्य करते हुए अपनी योग्यता बढ़ाने को प्रेरित हुआ। एक भूमिगत प्रयोगशाला में एक लंबी गली के दोनों ओर अनेक कक्ष बने हुए थे । जिसमें वैज्ञानिक अपने अपने प्रयोगशाला में लगे हुए थे। एक बुजुर्ग आगे बढ़ता जा रहा था। अचानक सामने से गली में विश्व मित्र अलक्षेन्द्र उसकी ओर ही बढ़ा । जिसे हम देख कर … " आप?! आपको यहां पहली बार देख रहा हूँ? " " मैं विश्व मित्र अलक्षेन्द्र ?! " " ओह! नमस्ते सर । पहचाना नहीं। अब तो आप काफी बदल गये हो? मैं भबिष्य त्रिपाठी ?! " " शाम की मीटिंग में मुलाकात होगी ? " " यस, सर ! "