सन 5020ई0!
एक इमारत-सद्भावना!चारो ओर जंगल ही जंगल!
दो युवक तीन युवतियों के साथ झाड़ी झंखाड़ को हटाते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे। सभी के हाथों में भाला थे।
इस जंगल अब भी कुछ आदिवासी अपने को पांडवों के वंशज का मानते हैं।
सब आपस में बात भी करते जा रहे थे।
अब से दस हजार वर्ष पहले विदुर व युधिष्ठर इस शिला पर बैठे परेशान हो रहे थे।
युधिष्ठर!आप भी कहने लगे कि विश्व अराजकता व विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहा है? लेकिन ??चलो ठीक है कि दुर्योधन ,शकुनि आदि भटके रास्ते पर हैं लेकिन आप लोगों का क्या कर्तव्य है?
हम पांडव तो पांच गांव लेकर ही सन्तुष्ट होने को तैयार है लेकिन....
ये लेकिन वेकिन क्या?संसार आपको धर्मराज व सत्य वादी कहना शुरू कर रहा है और आप?
सन2020 ई0 में भी ?
सन2020 ई0 में भी धर्म ,सन्यास, सन्त, आध्यत्म, सनातन ,राज धर्म आदि के नाम पर....
हूँ!अराजकता, गरीबी, बेरोजगारी, गृहयुद्ध, विश्व युद्ध आदि में...
सद्भावना -ये इमारत?!
मांसाहार की जड़े बड़ी गहरी हैं।जो मांस का जीभ से स्वाद नहीं लेते है,वे अन्य इंद्रियों से स्वाद ले रहे हैं, ले रहे थे।
एक इमारत-सद्भावना!चारो ओर जंगल ही जंगल!
दो युवक तीन युवतियों के साथ झाड़ी झंखाड़ को हटाते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे। सभी के हाथों में भाला थे।
इस जंगल अब भी कुछ आदिवासी अपने को पांडवों के वंशज का मानते हैं।
सब आपस में बात भी करते जा रहे थे।
अब से दस हजार वर्ष पहले विदुर व युधिष्ठर इस शिला पर बैठे परेशान हो रहे थे।
युधिष्ठर!आप भी कहने लगे कि विश्व अराजकता व विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहा है? लेकिन ??चलो ठीक है कि दुर्योधन ,शकुनि आदि भटके रास्ते पर हैं लेकिन आप लोगों का क्या कर्तव्य है?
हम पांडव तो पांच गांव लेकर ही सन्तुष्ट होने को तैयार है लेकिन....
ये लेकिन वेकिन क्या?संसार आपको धर्मराज व सत्य वादी कहना शुरू कर रहा है और आप?
सन2020 ई0 में भी ?
सन2020 ई0 में भी धर्म ,सन्यास, सन्त, आध्यत्म, सनातन ,राज धर्म आदि के नाम पर....
हूँ!अराजकता, गरीबी, बेरोजगारी, गृहयुद्ध, विश्व युद्ध आदि में...
सद्भावना -ये इमारत?!
मांसाहार की जड़े बड़ी गहरी हैं।जो मांस का जीभ से स्वाद नहीं लेते है,वे अन्य इंद्रियों से स्वाद ले रहे हैं, ले रहे थे।
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