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रविवार, 12 सितंबर 2021

डायनासोर की वह धरती?!

 सन 1993ई0!!

अशोक अब युवा हो चला था।

उसने डायरी  उठायी, जिसे वह पलटने लगा।

डायरी में एक पृष्ठ पर उसकी निगाहें रुक गईं।

जिसमें उसने लिख रखा था--

एक विशाल कक्ष!

इस विशाल कक्ष के मध्य एक विशाल टेबिल पर - सहकन्न की लाश उपस्थित थी और एक परखनली सहित परखनली स्टैंड एक शीशे के गिलास एवं कुछ अन्य सामिग्री रखी थी।


कुछ समय पश्चात रोबेट उस टेबिल  के पास आकर कुछ समय के लिए रुकता है फिर वहां से चला जाता है।

लगभग एक घंटा बाद एक गुफा से बाहर आकर रोबोट बाहर खड़े डायनासोर के मुख में प्रवेश कर जाता है।


-- अशोक यह अपने मकान की छत पर पड़ी चारपाई पर बैठा सोच रहा था और जैसा कि पहले स्पष्ट हो चुका है इससे पूर्व सोंच को किशोर अशोक अपने छत पर पड़े छप्पर के नीचे पड़ी  चारपाई पर लेटे लेटे अपने ख्यालों में ले आया था।



 बरसात समाप्त हो चुकी थी।


अशोक ने एकाएक अपनी निगाहें आसमान पर डालीं-आसमान साफ था। वह बाहर चारपाई डाल कर लेट गया।और सो गया।



-और फिर स्वप्न में!



भयावह अंधेरी रात में तेजी के साथ ठोकरें खाते खाते गिरते जाते जैसे तैसे भागते आगे बढ़ता जा रहा था।भागते भागते पीछे मुड़ भी वह (यानी कि किशोरावस्था का अशोक) देखता जा रहा था- पीछे एक विशालकाय जंतु उसके पीछे दौड़ता आ रहा था।

..........अब वह जाए तो कहां जाए आगे सर्पों का के समूह और पीछे वह विशालकाय जंतु (डायनासोर).......वह जिस पेड़ पर चढ़ा था उसकी एक टहनी पर एक विशालकाय अजगर!




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