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शनिवार, 6 अगस्त 2011

यति के साथ

सागर के लहरों के बीच एक मत्स्यनारी व एक मत्स्यनर जलक्रीड़ा कर कर रहे थे.


इधर ऊपर आकाश में एक अण्डाकार यान अपनी गति कम कर चुका था.

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मेरें Nokia फ़ोन से भेजा गया

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From: Ashok kumar Verma Bindu <akvashokbindu@yahoo.in>
To: <akvashokbindu@gmail.com>
Date: शनिवार, 6 अगस्त, 2011 12:21:54 अपराह्न GMT+0000
Subject: यति के साथ

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From: Ashok kumar Verma Bindu <akvashokbindu@yahoo.in>
To: "go@blogger.com" <go@blogger.com>
Date: शनिवार, 6 अगस्त, 2011 12:03:24 अपराह्न GMT+0000
Subject: यति के साथ

आज से लगभग आठ करोड़ वर्ष पूर्व जब पृथुमहि पर वर्तमान मेँ उपस्थित हिमालय के स्थान पर सागर था.
सनडेक्सरन निवासी एक तीननेत्री अपने अण्डाकार यान से एक यति मानव के साथ पृथुमही की यात्रा पर था.
यह वह काल था जिसे जीवनशास्त्रियों,मानवशास्त्रियों,पुरातत्वविदों,आदि ने इस काल को अभिनूतन काल कहा है.

"आदम व हबबा के उत्त्पत्ति का स्थान हालांकि सउदी अरब या भूमध्यसागरीय प्रदेश था लेकिन ज्ञानी मानव का विस्तार का कारण तुम यति मानव होगे.सांतवें मनु के पूर्वज यति ही होंगे. "

यति खामोश थाय.

"आज यहाँ सागर है.भविष्य में यहां पर पर्वत होगा.इसका मूलस्थान ब्रहमदेश नाम से जाना जाएगा.जहाँ सूक्ष्म अनन्त शक्ति अंश विराजमान होकर मानव सभ्यता को पल्लवित व विकसित करने के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी.विभिन्न आत्माओं में बंट कर ब्रह्म यहीं बास करेगा.धरती के अन्य प्राणी स्थूल,भाव,सूक्ष्म,मनस भाग शरीर से मुक्त हो आत्मा मेँ प्रवेश कर यहीं से नियन्त्रित हों और धरती पर जन्म लेने वाली पूर्वजाग्रत आत्मा के मदद के लिए यहीं से सहायता को आत्माएं पहुंचेंगी.यति का शरीर धारण कर यहां आत्माएं स्थूल,भाव,सूक्ष्म व मनस मुक्त रहोगे "

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