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बुधवार, 3 अगस्त 2011

वह पांच वर्षीय बालक !

दो आकाशगंगाएं जब टकराती हैं तो लाखों सौर परिवार उजड़ जाते हैं.ब्राहमण्ड मेँ एक आकाशगंगा अब ब्राह्माण्डखोर के नाम चर्चित हो चुकी थी.


आरदीस्वन्दी की मां अफस्केदीरन व सद्भावना इमारत के संस्थापक महागुरु अर्थात उन्मुक्त जिन का शिष्य नारायण अब वृद्ध हो चुके थे.दोनो इस समय
मेडिटेशन मेँ थे.

अब से 1220 पूर्व अर्थात सन 4800 ई0 के 19 जनवरी ! ओशो पुण्यतिथि !!
एक हाल में बैठा उन्मुक्त जिन मेडिटेशन मेँ था.उसके कान मेँ आवाज गूँजी -

"आर्य,उन्मुक्त! तुम अभी जिन नहीं हुए हो.जिन के नाम पर तुम पाखण्डी हो.तुम को अभी कठोर तपस्या करनी होगी. "


'उन्मुक्त जिन' के अज्ञातबास मेँ जाने के बाद कुख्यात औरतें ब्राह्माण्ड मेँ बेखौफ होकर आतंकवाद मचाने लगीं ,इन कुख्यात औरतों के बीच एत पांच वर्षीय बालक ठहाके लगा रहा था.


यह कलि औरतें......?!

पांच वर्षीय बालक मानीटर पर ब्राह्माण्डखोर की सक्रियता को देख देख ठहाके लगा रहा था.


इधर उन्मुक्त जिन एक वर्फीली जगह मेँ एक गुफा अन्दर मेडिटेशन मेँ था.


सन4800ई का वह पांच वर्षीय बालक......?!

अफस्केदीरन ने जब नारायण की ओर देखा तो नारायण अपने स्थान पर न था.


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मेरें Nokia फ़ोन से भेजा गया

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