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शनिवार, 28 नवंबर 2020

श्रुति बनाम स्मृति ! श्रुति हमारी अंदर की आसमानी स्थिति, जो हमें ऋषि बनाती है::अशोकबिन्दु

 सन्देश!

पुस्तक -'#सत्यकाउदय'!

पुस्तक - '#अक्षरसत्य'!!

पुस्तक-'#वयंरक्षाम:'

इन पुस्तकों का अध्ययन व #अंतरप्रेरणा के बाद.....


प्रकृति अभियान(यज्ञ),उसकी दशा व वो जिसमें उतरना वह ऋषि!वह जो ऋषि में उतरे वही श्रुति वही #सुरति!!वही पुस्तक रूप में अब #वेद!!


योग का आठवां अंग-#समाधि।

जहां #सिकन्दर अपनी अंतिम स्वासें गिन रहा था, वह क्षेत्र भी कभी आर्य का आभा क्षेत्र था। क्षेत्र ,परिस्थिति व पन्थ विशेष के आधार पर अभिव्यक्ति के माध्यम व तरीके बदलते रहे हैं। वहां कभी #मेसोपोटामिया सभ्यता पनपी।

पुरातत्व विद डॉक्टर फ्रेंक फोर्ड और लैंगडन आदि कहते हैं कि प्रोटोएलमाइट सभ्यता का ही विकसित रूप सुमेर सभ्यता है।#प्रोटोएलमाइट जाति क्या है?प्रोटोएलमाइट जाति है-चाक्षुष कुल या जाति।जिसके छह महारथियों ने बिलोचिस्तान और ईरान होते हुए एलाम और मेसोपोटामिया को जीत कर  अपने राज्य में स्थापित किए थे। भूमध्य सागरीय क्षेत्र व मिश्र के कुछ कबीले/जंगली लोग अब भी कहते हैं कि हमारा पूर्वज दूसरी धरती से आया था।जो मत्स्य मानव था।प्रलय के वक्त उसी प्रजाति /वरुण से मनु की नौका को बचाया गया था। पश्चिम व #बेबीलोनियन पौराणिक कथाओं में भी ,शत पथ व मत्स्य पुराण में भी इन घटनाओं का वर्णन है।


योग का आठवां अंग-#समाधि।


#नक्शबंदी सम्प्रदाय के आदि सन्त भाव व मन से सनातन धर्म को मानते थे।एक समय वह भी था जब धर्म का #मजहबीकरण नहीं हुआ था।क्षेत्र, भाषा, भौगोलिक परिस्थितियों आदि विशेष के कारण कर्मकांड, रीतिरिवाज आदि व मानव नस्ल में भेद रहा है।दुनिया में लगभग  चार मानव नस्ल सदा रही हैं। नक्शबंदी सम्प्रदाय  में आठ नियम रहे हैं-श्वास में चैतन्य, चरणों पर दृष्टि, यात्रा, एकांतबास, ईश्वरी स्मृति, ईश्वर के प्रति एकांत गमन, ईश्वरी ध्यान तथा आत्म विस्मृति। आत्म विस्मृति या समाधि का मतलब सांसारिकता के प्रति असावधान हो जाना और खोए खोए अपनी दिनचर्या व कर्तव्य निभाते जाना।यहां पर अपने कोई अधिकार नहीं रह जाते। हम उस दशा को पा जाते हैं कि उसकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता। वह सारथी बन जाता है।हमारे हाड़मांस शरीर व हमारी सांसारिक, सामाजिक, भौतिक स्थिति कोई भी हो सकती है।अमीर होकर भी आम सामान्य सी। 

  #शेष


#अशोकबिन्दु






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