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गुरुवार, 5 नवंबर 2020

सरकारें बदलने से कुछ नहीं होने का, व्यवस्थाएं बदलने की जरूरत::अशोकबिन्दु


 "गांव की सरकार से क्या अभिप्राय है?"


05 नवम्बर 2022 ई0! राष्ट्र सन्त श्री तुकडोजी महाराज पुण्य तिथि!!


 सहकारिता,मानवता,परस्पर सहयोग से जीता मानव समाज जब प्राकृतिक कृषि पशुपालन लघु उद्योग कुटीर उद्योग आदि के वातावरण में जीवन जिए तो ऐसे में समाज और सामाजिकता घटित होती है। कबीलाई संस्कृति,आश्रम पद्धति वास्तव में हमें प्रकृति के बीच ससम्मान जीवन दे सकती है। शहरीकरण,स्मार्ट सिटी के स्थान पर स्मार्ट विलेज की परंपरा खड़ी होनी चाहिए। विद्यार्थी जीवन के बाद अनेक युवक युवतियां प्रकृति के बीच निकल आए और सरकार के सहयोग से पशुपालन, बागवानी ,कृषि ,औषधियों,योगा, जीविका आदि के लिए बहुउद्देश्य  उपक्रम खड़ा करें । शहरों, पूजी पतियों की व्यवस्था की ओर नहीं। मानवता, सहकारिता और बहुद्देशीय संस्थाओं की ओर अब हम सब बढ़े ।अधिक विभाग ,अनेक विभाग खड़े करने की जरूरत नहीं है ।

हर व्यक्ति का सैनिक करण और कृषि का व्यवसायीकरण आवश्यक है । हर व्यक्ति का योगीकरण आवश्यक है।


 नैतिक पार्टी के संस्थापक सी वी पांडे की गांव सरकार का हम समर्थन करते हैं । आज राष्ट्र संत श्री टुकड़ोंजी महाराज की पुण्यतिथि है । इस समय प्रदेश में विधानसभा चुनाव का माहौल है। हम किसी पार्टी का प्रचार प्रसार करने नहीं आए हैं । हम यह कहने आए हैं जनतंत्र में हम को प्रबंधन के लिए जनता को ही दोषी मानते हैं । क्योंकि जनता ही सरकार चुनती हैं। जनता ही चेयरमैन,विधायक ,सांसद आदि चुनती है। हमें इससे मतलब होना चाहिए कि क्या होना चाहिए क्या नहीं होना चाहिए ? जीवन को समझो । इस धरती पर बड़े-बड़े सूरमा आए धराशायी हो गए ।कृत्रिम व्यवस्थाओं ने प्रकृति को ही नहीं मानव जीवन में भी विकार खड़े कर दिए हैं। गांव की सरकार का मतलब शहरीकरण नहीं है। कृत्रिम व्यवस्थाओं,पूंजीवादी व्यवस्था से जुड़ना नहीं है बरन उस कबीलाई और सहकारी व्यवस्था से जुड़ना है जो प्रकृत से बिना छेड़छाड़ किए या कम छेड़छाड़ के खड़ी हो । 


16 वी सदी से जो सामाजिक और आर्थिक विकास बनता है उसने भौतिक भोग वाद को ही जन्म दिया है और कार्यात्मक संरचना को तोड़ा है। प्राकृतिक जीवन को नष्ट किया है। 


'सर जी'-कुछ समय तक हमारे नजदीक रहे। वे कहते थे हम सिर्फ प्रकृति अंश हैं और ब्रह्म अंश। हम सबके अलावा सब ब्राह्मण्ड में प्रकृति अभियान के हिसाब से चलता है।


किसानों के लिए राष्ट्रीय किसान आय आयोग बनाया जाए ।


किसानों को स्वयं अपने उपज की कीमत निर्धारित करने का अधिकार हो।

#भविष्यकथांश


हमारी पुस्तक-' विश्व सरकार ग्रन्थ साहिब::भूमिका'


अशोक कुमार वर्मा "बिंदु"/अशोक बिन्दु भैया


www.akvashokbindu.blogspot.com

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