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मंगलवार, 20 जुलाई 2021

हा - हा- हूस # पार्ट01!!1993ई0 -----अशोकबिन्दु

 हा - हा- हूस # पार्ट01!!1993ई0 -----


------------------------------------------- इस वक्त अशोक की अवस्था रही होगी लगभग 12 बरस के आसपास ,जुलाई का पहला सप्ताह था सन उन्नीस सौ 84 का ।

उसने कक्षा 4 अब पास कर लिया था और अब कक्षा 5 में आ गया था ।

मकान की छत पर पूर्व की ओर उत्तर के कोने पर एक छोटे से कमरे के सामने छोटा सा एक छप्पर पड़ा था। बरसात का मौसम था ।आसमान पर बादल छाए हुए थे ।अशोक छप्पर के नीचे चारपाई पर लेटा हुआ  छप्पर ताक रहा था । जब बरसात के पानी की फुहार चारपाई पर आने लगी तो उठ कर वह चारपाई अंदर सर का लेता है और बैठकर सामने दीवार पर लगे अखबार के एक पृष्ठ को देखने लगता है। उस पर एक उड़नतश्तरी का चित्र था.... कुछ समय पश्चात वह विद्यालय में विज्ञान के एक बेला अर्थात क्लास पीरियड विज्ञान आचार्य की बातों में खो गया । क्लास में बच्चों की 3 लाइनें थी मध्य की लाइन के मध्य में अशोक एक सिख के पीछे बैठा था ।
अशोक की निगाह श्यामपट्ट के मध्य मे थी।

 "उड़न तश्तरी आकाश में उड़ने वाले उस यान को कहते हैं जो यदा-कदा आकाश में देखे गए हैं उड़नतश्तरी रूपी यान को देखकर वैज्ञानिक लोगों ने निष्कर्ष निकाला कि यह उड़न तश्तरी रूपी यान अवश्य दूसरी पृथ्वी के और आ जाते हैं।" 

 दीपक बीच में बोल पड़ा-" लेकिन आचार्य जी क्या उड़न तश्तरियों को यहां के लोग पकड़ नहीं पाए अभी । " 

 "नहीं, ऐसी सूचना नहीं-ज्ञान नहीं मुझे।जानकारी कर बताऊंगा।"

 तब अनुभव बोला- "लेकिन आचार्य जी एक कॉमिक्स में तो.......।" बीच में ही राजीब बोल पड़ा- "अरे, कॉमिक्स तो काल्पनिक होती है।"  
"अच्छा शांत बैठो आप लोग अब!"

 सब व्यवस्थित हो जाते हैं।

अशोक को नीचे सिर किए बैठे देख कर आचार्य बोले-"अशोक!क्या नींद आ रही है?" "न .... नहीं !"

अशोक सिर उठाते हुए बोला। "अशोक अब कल्पनाऐं करना सीख गए हैं, आचार्यजी।" 

 " दीपक ने अभी कुछ समय पहले पूछा था कि क्या इन उड़नतश्तरियों को यहां लोग पकड़ नहीं पाए तो सुने आप लोग ।अमेरिका का नाम सुना ही होगा आपने । वहां एक स्थान है न्यू मैक्सिको। सन 1947 के 15 जून की रात थी। एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक वैज्ञानिक, 14 जून को न्यू मैक्सिको के दो स्थानों पर दुर्घटनाग्रस्त हुई उड़नतश्तरी आ गिरी थी -उसी पर वह चिंतन कर रहा था कि एकाएक अपने सामने एक 3 फुटा व्यक्ति को देख कर चौक उठा ।उसके शरीर पर बिल्कुल बाल न थे ।न ही भव्  पलकों के बाल । उसके कान भी न थे । अंतरिक्ष वैज्ञानिक अद्भुत व्यक्ति को अपनी ओर आते देख खड़ा हो गया । अंतरिक्ष वैज्ञानिक को तब आश्चर्य होता है कि जब वह अद्भुत व्यक्ति उस अंतरिक्ष वैज्ञानिक से कहता है कि हमारे साथियों का एक यान यहां दुर्घटनाग्रस्त हो गया है जिसमें दो लोग जीवित थे संभवतः उन सबको आपकी सेना ले गई मेरी मदद करो ।"


 और फिर... मैं (लेखक) इस वक्त इस घटना को एस एस कालेज, शाहजहांपुर के बीएड विभाग के सामने फील्ड में बैठा कुछ लोगों के घेरे हरी घास पर बैठे बता रहा था।सन1994ई0 का नवम्बर माह था।  


तो फिर..... वह अंतरिक्ष वैज्ञानिक उस अद्भुत व्यक्ति से बोला-"आप हमारी भाषा जानते हैं?" 

 तब वह अद्भुत व्यक्ति बोला- दरअसल ये सब हमारे विज्ञान व अंतर स्थिति के विकास का परिणाम है।" 

 अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने उसे सहायता देने का आश्वासन दिया तो वह अद्भुत गंठा व्यक्ति उस वैज्ञानिक के आवास पर ही रुक गया। सुबह उसके पास एक व्यक्ति आया और बोला कल एक उड़नतश्तरी गिरी थी पास जाकर देखा तो चार छोटे प्राणियों के शरीर पड़े थे तो की सांस चल रही थी दो मैं कोई हरकत ना थी और एक उनका उपचार कर रहा था लेकिन सेना आकर उन सब को ले जाती है उड़नतश्तरी के मलबे को लेकर और मुझसे कहा जाता है की मैं सब कुछ भूल जाऊं व्यक्ति की इस बात से अंतरिक्ष वैज्ञानिक सोच में पड़ गया लेकिन शायद सेना जान गई थी कि उस अधिकारी के आसपास यह आवास पर दूसरे ग्रह का एक प्राणी रह रहा है तो सेना बहाकर उस प्राणी सहित अंतरिक्ष वैज्ञानिक को ले गई दूसरे दिन बहे अंतरिक्ष वैज्ञानिक अपने घर पर आकर 2 दिन तक रहा इसके बाद उसकी बालू या दुर्घटना में मृत्यु हो गई। डब्लू डब्लू ब्रेंजल(मैक) का अपना भेड़ों का फार्म। भेड़ों को ढूंढता ढूंढता वह काफी दूर निकल गया तो उसकी निगाह रबड़ लकड़ी टिन की अनेक वस्तुओं पर पड़ी, जिसे उठा कर वह अपने आवास पर ले गया।यह सन 1947 की चौदह जून का ही समय था। पांच जुलाई को वह एक नगर कोरोना पहुंचा तो उसे खबर मिली कि 24जून को कैनेथ आर्नोल्ड नामक पायलट ने वाशिंगटन स्थित कैस्केड पर्वत माला के ऊपर 1900किमी प्रति घण्टे की रफ्तार से उड़ती हुई उड़न तश्तरी नुमा यान दिखाई दिए। इस खबर को पाने के बाद ब्रेजल ने रौसवैल के पुलिस अधिकारी जार्ज विलकाक्स को सारी बात बतायी कि उसने अपने फार्म पर यह बस्तुएं देंखी। विलकाक्स ने सीधे रौसवैल स्थित वायुसेना कार्यालय में सम्पर्क साधा। वहां उपस्थित 509वीं टोली के मुखिया मेजर जैसी मार्सेल अपने सहयोगियों के साथ ब्रेजल के घर पहुंचे।जहां उन्होंने उड़न तश्तरियों के मलबे को देखा। उस मलबे को ले मार्सेल अपने घर आ गए। मार्सेल का दस वर्षीय पुत्र -जैसी जूनियर! वह इस वक्त लोगों की नजर में नींद में था।लेकिन वह उड़न तश्तरियों को लेकर कल्पनाओं में खोया हुआ था। मार्सेल उसे जगा कर उड़न तश्तरी का मलबा दिखता है। बड़ी ध्यान से जैसी जूनियर अपने पिता की बात सुन रहा था। अब जूनियर जैसी पैतालीस सैंतालीस वर्ष का होगा। दीपक बोला- "क्या वह अभी जीवित है?" "हां, वह इस वक्त जीवित है।" अशोक के आगे बैठा सिक्ख छात्र सिंदर सिंह बोला- "....और वो मार्सेल?" "वो भी अभी जिंदा है।लेकिन यह सब आप लोग क्यों पूछ रहे हो?-मुस्कुराते हुए आचार्य बोले। तब सिंदर सिंह पीछे मुड़ अशोक की ओर देखते हुए बोला-"अशोक को जो मिलना है अब उनसे।" तो सब छात्र छात्राएं हंस पड़े, कुछ को छोंड़ कर। घण्टी लग गयी। जब आचार्य क्लास से चले गए तो सब बातचीत करने लगे।

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हा - हा -हूस?!

अंतरिक्ष में क्या कोई ऐसी धरती भी हो सकती है जहां  डायनासोर व अन्य विशालकाय जानवर है?

सर जी कहते थे-हां, ऐसी धरती है।हमने उस धरती को नाम दिया है- 'हा-हा-हूस'।

26 जुलाई 2021ई0! समय लगभग 10.40pm!! विभिन्न विषयों से एम ए फाइनल की एक पेपर की परीक्षा के बाद परीक्षार्थी कमरों से बाहर निकल आये थे।

"सर जी-सर जी!"- कुछ परीक्षार्थियों ने एक युवक को घेर लिया।

"नमस्ते सर!"

"नमस्ते!"

"नमस्ते सर!"

"अच्छा,पहले बाहर निकलते हैं।"

आगे चल कर सब मौखिक परीक्षा की जानकारी लेने आफिस जा पहुंचे।

                

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