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शनिवार, 31 जुलाई 2021

मिस्टर एस की बेटी?!

 अमेरिका का एक प्राइमरी स्कूल!!

जहां अंतरिक्ष वैज्ञानिक मिस्टर एस की बेटी  जो लगभग पांच-छः साल की रही होगी।

कुछ बच्चों के बीच-

"तेरे तो पिता अंतरिक्ष वैज्ञानिक है।वायुसेना में अधिकारी भी हैं।तू तो चाहे तू अंतरिक्ष विज्ञान की स्टडी के लिए सब कुछ जुटा सकती है।"

"स्टडी के लिए जुटाना क्या?हम सब बड़े होकर अंतरिक्ष विज्ञान के विद्यार्थी बन सकते हैं?अमेरिका में क्या दिक्कत?"


एक बालक बोला-

"हम तो पुनः इंडिया जा रहे हैं?डैडी कह रहे थे/वहाँ सब नए सिरे से शुरू करना होगा।हो सकता है कि खेती पर ही निर्भर रहना पड़े।इंडिया की एजुकेशन बुरी हालत में है।गरीब अच्छी शिक्षा नहीं पा सकते।सरकारी स्कूलों की तो.....?!"


"इस धरती पर ......!?"


"क्या?"


"मैं सोचती हूँ।कुछ लोग क्यों छिपाते हैं कि एलियंस हैं?वही ब्रिटेन का विदेश विभाग व वायुसेना में यह लिखित है कि एलियन्स इस धरती पर आक्रमण भी कर सकते हैं।"

"क्यों ...क्यों --क्यों?आखिर क्यों?"


"इस धरती के मानव की करतूतें ही ऐसी है जिसका असर पूरे ब्रह्मांड पर पड़ रहा है।"


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बहगुल नदी पर स्थित एक कस्बा-मीरानपुर कटरा।

जहां के एक समाजसेवी व शिक्षा विद महेश चन्द्र महरोत्रा की एक फेसबुक पोस्ट पर 'सर जी' ने लिखा था।वह पोस्ट एलियन्स सम्बंधित थी।

                " अंतरिक्ष की अन्य धरती पर एलियन्स हैं।इसके प्रमाण हैं।पुरातत्व विभाग भी इस ओर संकेत करता है। विश्व के कुछ वन्य समाज भी स्पष्ठ करते है,जैसे कि भूमध्य सागरीय क्षेत्र के कबीले अब भी मानते हैं कि हमारे पूर्वज दूसरी धरती से आये थे।जो मत्स्य मानव थे। पुरात्व विभाग उन्हें मातृ देवी भी मानता है।अनेक खण्डहरों में इसके अवशेष मिले हैं।सिंधु सभ्यता, जापान, साइबेरिया आदि में जो मूर्तिया मिली है या गुफाओं आदि में चित्र मिले हैं वे एक ही वेश भूषा व अद्भुत हेलमेट पहने हुए हैं।मध्य अमेरिका में मय/माया सभ्यता, पेरू सभ्यता में ऐसे अवशेष मिले है। अब तो कुछ पुरात्व विद यहां तक कहने लगे हैं कि माया सभ्यता की जड़ें दक्षिण भारत में मायासुर व उसके लिखित एक पुस्तक से सम्वन्धित मिलती है।इस पुस्तक में इमारतों के निर्माण की जानकारिया मिलती है। भारतीय पुराणों में यानों के प्रकरण दक्षिण भारत से ही सम्वन्धित है। हम एक लेख में लिख चुके है, हर क्षेत्र स्थूल इतिहास में बदलाव होते रहते हैं लेकिन सूक्ष्म जगत में इतने जल्दी बदलाव नहीं होते।दक्षिण गोलार्ध को हम एक ही सूक्ष्म इतिहास से आदि इतिहास से जोड़ते हैं।दक्षिण अमेरिका हो या दक्षिण अफ्रीका या दक्षिण भारत ,जावा सुमात्रा आदि का आदि इतिहास की जड़ एक ही है।दक्षिण भारत के पठार काफी पुराने है।एक स्थान पर तो डायनासोर के भी अबशेष मिले हैं।हम तो दक्षिण पठार को हिमालय से भी पुराना मानते है।#प्रवीणमोहन पुरातत्वविद जिनका काम सिर्फ विश्व के प्राचीन खण्डहरों आदि पर शोध करना ही है का कहना है कि दक्षिण पठार के आदिबासी एलियन्स से सम्बन्ध थे। दक्षिण पठार का काफी महत्व रहा है हर यंग में।गुजरात से लेकर श्री लंका तक अब भी ऐसे आदिबासी है जो अपना पूर्वज हनुमान व मतंग ऋषि को मानते हैं।पवन देव अर्थात हवा तत्व की स्थितियों में भी यौगिक प्रशिक्षण व सूक्ष्म व चेतनात्मक सम्बन्ध रखने वाले योगी व ऋषि आदि दक्षिण से ही सम्बन्ध रखते हैं। भविष्य में भी दक्षिण पठार का बड़ा महत्व होगा।वहाँ काम जारी है।हर युग में जारी रहा।किसी को दिखाई न दे, यह अलग बात। आधुनिक विज्ञान के अनुसार हिन्द महाद्वीप एक केंद्र है।इसरो, चांदी पुर प्रक्षेपास्त्र, उच्च तकनीकी का गढ़ बंगलौर आदि वहीं से आते है। कुछ सन्तों का तो कहना है कि आने वाले प्रलय में दक्षिण का पठार एक टापू के रूप में बदल जायेगा।अनेक समुद्री तट व शहर डूब जाएंगे।उत्तर भारत व दिल्ली,दिल्ली से पश्चिम की स्थिति बड़ी भयावह हो जाएगी।बिहार, बंगाल जल प्रलय से पहले से ही परेशान रहता है। वर्तमान सृष्टि में अब भी सूक्ष्म अभियानों का उत्तरी ध्रुब है हिमालय व दक्षिणी ध्रुब है दक्षिण का पठार। श्रीरामचन्द्र मिशन शाहजहांपुर का वैश्विक केंद्र कान्हा शांति वनम बन चुका है।जहां विश्व का सबसे बड़ा मेडिटेशन हाल भी बन चुका है।जहां बाबा रामदेव ने कहा कि भबिष्य में जो बदलाव की आध्यत्मिक बयार बहेगी यहीं से बहेगी।जो दुनिया के हर देश में खामोशी से कार्य कर रहा है।"


       एस एस कालेज, शाहजहांपुर के प्रांगण में कुछ परीक्षार्थी चर्चा कर रहे थे।


"वो बिंदु सर।"

एक लड़का हंस पड़ा-"अब भी एमए- चैमे की परीक्षा देते रहते हैं।यह पढ़ता तो बहुत है लेकिन कम्पटीशन का कभी नहीं पढ़ता।"


"तुम्हे क्या?सबका जीवन जीने का तरीका अलग अलग होता है।"

"इनकी कल्पनाओं का..."

"हां, इनका पूर्ण विश्वास है कि एलियन्स हैं।"

"एक ब्लॉग पर काफी लिख भी रखा है।"

"हां।"

फिर-

भविष्य कथांश पर एक जगह!?

   भुम्सनदा  के बर्फीले भूभाग पर एक ब्रह्म शक्ल-'यलह'।

"यलह आर्य!तुमको इस धरती की ओर से मिशन का चीफ बनाया गया है।कल्कि अवतार को हालांकि अभी सैकड़ों वर्ष हैं लेकिन इससे पूर्व देवरावन के अंत के लिए....।"


 "  कल्कि अवतार का संबंध देव रावण के अंत से विधाता जिसके हम सब अंश हैं अर्थात जो चेतना हम सब में तथा सभी भर्तियों के प्राणियों में समाहित है उस चेतना पर देव रावण दखलअंदाजी कर रहा है हमें आश्चर्य है  " 


एलह आर्य!चेतना का स्थूल शरीर धारण कर स्थूल प्रकृति परिस्थितियों से उलझना स्वाभाविक है लेकिन कल के अवतार के लिए स्थूल और प्रकृति से मोक्ष प्राप्त है चेतना अंशु की बहुत का चाहिए।"



 "पृथु महि पर वह हफ़क़दम को क्यों ले गयी है?विधाता के त्रि अंश अवतारों में से एक शिव के लोक से चेतना अंशों में इस वक्त हफ़क़दम में मोक्ष प्राप्त यलह चेतनांश है।हफ़क़दम को विभिन्न स्थूल व प्राकृतिक स्थितियों का अध्ययन आवश्यक है।

  इधर पृथु महि अर्थात इस पृथ्वी पर-


  एक विशाल काय चट्टान ?जिस पर मत्स्य मानव की दीर्घाकार प्रतिमा बनी हुई थी। जिसे देख कर तीन नेत्रधारी बालक हफ़क़दम युवती से बोला-

"क्या साईरियस अर्थात लुन्धक से ही आया था मत्स्य मानव?"

"मत्स्य मानवों का मूल निबास लुन्धक ही था।वहीं से...?!"

  "था........!?क्या अब है नहीं?"


"इस ओर फिर कभी बताऊंगी,हफ़क़दम! अनेक चेतनांश के समूह से विधातांश पदेन ब्रह्मा-विष्णु-महेश व पदेन अग्निदेव के सहयोग से लुन्धक के एक निबासी बालक को दिव्य शक्तियां दे मत्स्य अवतार के रूप में इस धरती पर भेजा गया था।"


 सागर की ऊंची ऊंची लहरें मत्स्य मानव की प्रतिमा को स्पर्श कर वापस लौट जाती थीं।


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और.......


अमेरिका का एक प्राइमरी स्कूल!!

सन1945-46 का वक़्त सम्भवतः!!



सुबह सुबह विद्यालय के एक आया की नजर जब न्यूज पेपर पर पड़ी तो वह उस पांच-छह वर्षीय बच्ची के पास जा पहुंची। और- न्यूज पेपर में छपे मिस्टर एस के बीबी के फोटो को दिखा-

"क्या यह तेरी मम्मी का फोटो है?"

 "हां।"-लेकिन फिर इसी के साथ वह बच्ची बेहोश हो गयी।तब सारे विद्यालय में हलचल बढ़ गयी।और अनेक ने आया को डांट भी लगायी।मिस्टर एस की उस बेटी को हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया है।दूसरे दिन जिसका हॉस्पिटल से अपहरण हो गया। धीरे धीरे समय बीता। मिस्टर एस की पत्नी, जो एक पत्रकार थी की हत्या एवं पुत्री के अपहरण का कोई सुराग नहीं लगा। अब फिर सन 1947 के पन्द्रह जून की रात! मिस्टर बरामदे में कुर्सी पर बैठा ख्यालों में डूबा था। कल न्यू मैक्सिको में गिरी दो उड़नतश्तरी या एवं उनके साथ के वे प्राणी अंतरिक्ष अनुसंधान कर्ताओं के लिए आगे बढ़ने को कारगर सिद्ध हो सकते हैं लेकिन अचानक मिस्टर के सामने खड़े गैर पृथ्वी के 3 फुट प्राणी को देखकर मिस्टर चौका। 


 इधर बालक अशोक अपने मकान की छत पर पड़ी चारपाई पर लेटा ख्यालों में डूबा था। उसे एक दूसरा बालक आकर झकझोरता है तो अशोक उठता है और -

"अरे ,दीपक तुम ?!" 


 फिर वह चारपाई पर से उठ बैठा।


 " चलो अशोक।" 


"... हो कहां ?!" 


 "स्कूल में,मनोज के पास चलता हूं।" 


 फिर अशोक उठ बैठा। मनोज अशोक और दीपक के क्लास का ही एक छात्र था जो स्कूल यानीकि हरित क्रांति विद्या मंदिर में ही अपने भाई बहन के साथ रहता था। कुछ समय बाद जब अशोक दीपक के साथ हरित क्रांति विद्या मन्दिर पहुंचा तो गेट पर रुकते ही -


"जाओ दीपक, तुम ही मनोज को बुला लाओ मैं यहां खड़ा हूं ।"


  फिर उसने अपनी निगाहें गेट के ऊपर के बोर्ड पर लगा दी। ऊपर लिखा था-


" हरित क्रांति विद्या मंदिर,हरित नगर, बीसलपुर (पीलीभीत) 26 2201" 


 कुछ समय बाद ही दीपक आकर बोला - 

"अशोक ! मनोज को तो उसके पापा उसे गांव लेकर गए हैं।"

 अशोक पश्चिम की ओर चल दिया। 

 दीपक बोला -"अशोक ,क्यों नहीं यहीं रुके?!" 


 अशोक 'न' के जवाब में गर्दन हिला देता है तो दीपक भी उसके पीछे चल देता है। 


आगे बरगद के नीचे आकर अशोक रुक गया और सिर पर दोनों हाथ रख कर देखने लगा-


 " मिस्टर एस की पुत्री एक गैर पृथ्वी यहां पर सवार थी। वह यान धीरे-धीरे हा-हा- हूस धरती की ओर बढ़ा, वह धरती जिस पर डायनासोर के समकक्ष विशालकाय जीव जंतु निवास करते हैं। कुछ घंटों पश्चात ही वह यान हा-हा - हुस धरती पर उतर गया और यान से एक तीन नेत्र धारी 11 फुटा व्यक्ति उस लड़की को लेकर उत्तरा और बोला-" कुछ वर्ष यही बिता इस हा-हा-हूस धरती पर। आगे देखा जाएगा तेरा क्या होता है।" 


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