" ये मेरा मेहमान है! मेरे मेहमान के साथ ...?!आखिर आपसब इसे क्यों ले जा रहे हो?"-सेना उस धधस्कनक निबासी के एलियन्स को जब ले जाने लगती है तो मिस्टर एस सेना के अधिकारी से बोला।
और...
दरअसल....
मिस्टर एस के आश्वासन पर धधस्कनक धरती का वह कान विहीन, बाल विहीन प्राणी अर्थात एलियन मिस्टर एस के आवास पर ही रुक गया।रात्रि बीतने के बाद सुबह....
मिस्टर एस से मिलने एक व्यक्ति आया।मिस्टर उससे मिलते हुए बोला-
"हां, तो क्यों?इतनी जल्द सुबह सुबह क्यों आना हो गया?"
"सर,कल मेरे आंखों के सामने एक उड़न तश्तरी दुर्घटनाग्रस्त होकर आसमान से नीचे आकर गिरी कल एक उड़न तश्तरी गिरी थी पास जा कर दे पास जाकर देखा तो 4 छोटे प्राणियों के शरीर पड़े थे।दो की सांस चल रही थी और एक उनका उपचार कर रहा था।लेकिन सेना आकर उन सबको ले गयी।उड़न तश्तरी के मलबे को लेकर ,और मुझसे कहा जाता है कि मैं सब कुछ भूल जाऊं।"
मिस्टर एस काफी समय तक मौन ही रहा।फिर-
"वह धरती धधस्कनक धरती की ही होगी।"
क्या..?!धधस्नकनक !"
"ऐसी घटना तो मेरे साथ भी घटी है।"
"क्या...?!"
"लेकिन समझ में नहीं आता शासन प्रशासन इन अंतरिक्ष घटनाओं को छिपाता क्यों है?"
"सर, इनकी साजिशें काफी लंबी हैं।"
"हूँ, मैं भी समझ रहा हूँ।समाज में अपना दबदबा रखने का नशा ऐसी शक्तियों को सृष्टि आरम्भ से ही रहा हैऔर इसी श्रंखला के अंतर्गत यह सब घट रहा है।"
"अच्छा सर, मैं चलता हूँ।फिर मिलूंगा।"-और वह व्यक्ति मिस्टर एस के आवास से चला गया।
वह व्यक्ति अपनी एक जीप से था।
दो किलोमीटर ही वह पहुंच पाया होगा कि...
सामने सेना की गाड़ी आकर खड़ी हुई और-
"रुको,ए इंसान।"
और वह जब अपनी जीप से बाहर निकला तब सैनिकों द्वारा उसे पकड़ लिया गया।
"आ.. आप मुझे क्यों पकड़ रहे हैं?मेरा क्या दोष?"
नौकर मिस्टर एस को काफी का प्याला पकड़ा ही पाता है कि सामने अधिकारी को देख.
"आइए बैठिए।"
"तेरा दोष?हूँ...!"
दूसरा-
"चल बैठ गाड़ी में।"
एक सैनिक उस व्यक्ति की जीप ड्राइव कर आगे बढ़ सेना गाड़ी के पीछे पीछे चलने लगा।
दूसरी और....
मिस्टर एस..?!
मिस्टर एस का फार्म स्थित आवास!
उसे भी सेना द्वारा घेर लिया गया।
मिस्टर एस की निगाह ऊपर गयी-ऊपर एक हैलीकाप्टर मंडरा रहा था।
नौकर मिस्टर एस के पास आकर सूचना बताता है-
"सा'ब!आवास को तो सेना ने घेर लिया है?"
मिस्टर एस मौन ही रहा।फिर-
"जाओ, एक काफी बना कर लाओ।"
"जी,.....सा'ब!"
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आज से लाखों वर्ष पहले की बात है।
हिन्द महाद्वीप का अरब सागर, बिंदु सरोबर व मध्य एशिया मैं कैस्पियन सागर अर्थात कश्यप सागर एक ही थे।
तृण बिंदु का आश्रम उस वक्त दक्षिणी गोलार्ध अर्थात दक्षिण अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण भारत, जावा, सुमात्रा आदि में मतंग आश्रम के बाद महत्वपूर्ण शिक्षा का केंद्र था। तृण बिंदु की चेतना व अंतर समझ सूर्य तक पहुंच चुकी थी।इक्ष्वाकु जनक विवस्वान उनके आदि ऋषि थे।जो से बढ़कर इस प्रतिभा से बढ़कर अभी कोई धरती पर न था।जिनके सूर्य वंश धरती पर स्थापित हुआ था। उस वक्त सोमाली अर्थात सोमालिया की धरती द्वारिका से मिली हुई थी।
उस वक्त अनेक क्षेत्र एलियन्स से सम्पर्क में थे। दक्षिणी गोलार्ध जिससे प्रभावित था ही, पृथु महि का उत्तरी गोलार्ध ,साइबेरिया, कोरिया, जापान आदि क्षेत्र के अलावा भूमध्य सागर क्षेत्र भी एलियन्स से प्रभावित था।
अनेक स्थानों पट आदिबासी ,सभ्यताएं आदि अपना आराध्य एलियन्स को मानती थीं।
भूमध्यसागरीय क्षेत्र में अनेक जन अपने को अंतरिक्ष की अन्य धरती #लुन्धक से आये #मत्स्य मानव को अपना पूर्वज मानते हैं।
गुजरात, राजस्तान के कुछ भाग से लेकर भूमध्यसागरीय क्षेत्र तक कभी मत्स्य क्षेत्र कहलाता था।
एस एस कालेज, शाहजहांपुर के प्रांगण।में कुछ विद्यार्थी इस पर चर्चा कर रहे थे।
हमने एम ए द्वितीय वर्ष(इतिहास) का फार्म यहां से भर रखा था। एक प्रश्नपत्र की हमारी परीक्षा थी, हम भी वहां पहुंचे हुए थे। जब विद्यार्थियों ने हमें देखा तो हमें घेर लिया।
"नमस्ते, सर।"
"नमस्ते।"
"नमस्ते सर।"
"सभी को नमस्ते।"
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नौकर मिस्टर एस को काफी का प्याला पकड़ा ही पाया कि सामने देख कर-
"आइए बैठिए।"
एक सेना अधिकारी आकर बोला-
"बैठने की फुर्सत नहीं।तुम अब हमारी निगरानी में हो।"
"धन्यवाद!"
"चलिए।"
"चलें?काफी ले लें।"
"नहीं। आप चलते हैं कि सैनिकों को आदेश देना पड़ेगा?"
"सारी, आप काफी नहीं लेंगे, इसका मतलब यह नहीं कि मैं भी काफी न लूं?"
बायीं आँख के बायें कोने से मिस्टर एस ने देखा कि सेना धधस्कनक धरती के उस प्राणी को पकड़ कर ले जा रही है तो?!तो कुर्सी से उठ बैठा और क्रोध में-
"यह मेरा मेहमान है। मेरे यहां से मेरे मेहमान को बिना किसी जुर्म के पकड़ ले जाना न्यायोचित नहीं है।"
"हम भी इसको मेहमान की भांति ही रखे रखेंगे।"
"हूँ!'- आधी काफी ही पी कर कप मेज पर रखते हुए-"यदिमेरे इस मेहमान पर कुछ हो गया या इसे किसी भी भांति की पीड़ा दी गयी तो हमसे बुरा कोई न होगा।"
"बहुत चीखने लगा है मिस्टर एस तू.."
फिर कुछ सैनिक।मिस्टर एस को पकड़ लेते हैं।
"अमानवीय शक्तियों संग मिल कर षड्यंत्र रचने का अब तेरा समय गुजर गया है-मिस्टर एस।"
तो मिस्टर एस मुस्कुराने लगा।और-
"भ्रम में हो।धन, सत्ता-पद के लोभ ने तुम लोगों को निकम्मा कर दिया है।"
अब मिस्टर एस कठघरे में था।
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