मिस्टर एस अब कठघरे में था।
वह किसी सोंच में था?!
अब से लाखों वर्ष पूर्व-
उन दिनों तृण बिंदु के आश्रम में एक आचार्य था,जिसका नाम था-'कुटु-अम्ब'।
वह छब्बीस साल में लग गया था। उस समय एक यक्षिणी थी-दृणी।जो कि यक्षणी -
ताड़का की सहचारिणी थी। अयोध्या में उस वक्त राजा दशरथ के यहां श्रीरामचन्द्र का जन्म हो चुका था जो लगभग सात वर्ष के रहे होंगे।
जब कोई आत्मा गर्भ धारण करती है तो एक योजना व अपने पूर्व संस्कारों, पूर्व कर्मों आदि के प्रभाव में आकर। लंका साम्राज्य के अंत के लिए छोटी छोटी घटनाओं के माध्यम से बड़े मिशन की तैयारियो को अंजाम दिया जा रहा था।
रावण का नाम सोमाली/सोम अली का वन्य समाज में पूरी धरती पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रभाव रहता था।
जहां आज सोमालिया है, वहाँ उसका कभी गढ़ रहा था-उत्तर अफ्रीका की ओर व द्वारिका आदि तक, बिंदु सरोबर तक भी।
ताड़का एक गुफा में बैठी सोंच रही थी-" आचार्य कुटुंब से एक बार हमारा सामना हुआ था। हमारी विभीषणता से वह विचलित नहीं हुआ था । वह बोला था हम आपके सामने नतमस्तक होते हैं क्योंकि आपके अंदर भी आत्मा दिव्य शक्तियां हैं। हमारा आपका स्तर अलग-अलग है,बस ।प्रकृति और ब्रह्म अंश से आप भी हैं और मैं भी और सभी जीव जंतु भी। हम पुनः आपके सामने आपके अंदर की दिव्य शक्तियों को नमन करते हैं, जो जगत का भी कल्याण कर सकती हैं ,यदि आप चाहें तो । हम में आप में कोई अंतर नहीं है। अंतर सब स्तर का है ,अपना-अपना है स्तर।"
हूँ!
मिस्टर बैचैनी में कठघरे के अंदर ही टहलने लगा था।
"हूँ, अब जेल में सड़ कर क्या मनसूबे पूरे होंगे?"
हूँ, मानव समाज व तन्त्र हर देश व धरती भर का बिगड़ चुका है।ऐसे में इन एलियन्स का इस्तेमाल भी इस धरती का मानव गलत ही करेगा।धरती व प्रकृति को ऋषि परम्परा के लोग चाहिए जोकि 'बसुधैब कुटुम्बकम की भावना व 'सागर में कुम्भ कुम्भ में सागर'- की भावना रखते हैं।हमें चिंता इन एलियन्स को लेकर। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की रिपोर्ट्स तो अंडर वर्ल्ड के प्रकृति व ब्रह्मांड विरोधी मंसूबों की ओर संकेत करती है।"
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