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सोमवार, 7 मार्च 2011

भुम्सनदा पर आरदीस्वन���दी !

एक वृद्ध सन्यासी ,जो कि तीन नेत्रधारी!



वह एक पर्वतीय वर्फीले क्षेत्र में ध्यान मुद्रा में बैठा था.कुछ चिन्तित नर नारी जिनमेँ से अधिकतर तीन नेत्रधारी ही थे,शान्त मुद्रा मेँ खड़े थे और उस वृद्ध सन्यासी के आँखेँ खोलने का इन्तजार कर रहे थे.



समय गुजरा ,पृथु मही पर लगभग एक वर्ष से ज्यादा वक्त गुजरने को आया.



" 'आरदीस्वन्दी' साधना को बीच में छोंड़ कर भुम्सनदा पर जा पहुंची है.उधर शिव पद के लिए भावी उम्मीदवार (ध्यान मुद्रा में बैठे उस वृद्ध सन्यासी)के पास सभी सत जन इकट्ठे हो उस अंशशक्तिवान की आँखे खुलने का इन्तजार कर रहे हैँ.ब्राह्माण्ड मेँ इधर शैतानी शक्तियाँ अपनी मनमानी करने को ओर भी ज्यादा स्वतन्त्र हो गयी हैं. "



"कक्कय! यह वाल्मीकी की तरह दूरदर्शी हैँ,सब जानते हैं.पृथु मही पर कल्कि अवतार को अभी वहाँ के समयानुसार काफी वक्त है लेकिन कुछ धरतियोँ के लिए यह वक्त बहुत कम समय है,अत:शैतानी रणनीतियों को कामयाबी मिलते देख हम सब का भ्रम में पड़ना स्वाभाविक है.नकली कल्कि अवतार की शैतानी कोशिसें समय आने पर धराशायी हो जायेंगी."


" विश्वारि ! कक्कय को बोलने दो. सांसारिक बातोँ को मन मेँ रखना ठीक नहीं."



"कक्कय ! तुम एक स्त्री हो,संसार से ऊपर उठ हर नारी की शक्ति मातृ शक्ति है.यहाँ तो रिश्तों का जाल है लेकिन वहाँ कोई रिश्ता नहीं.आने वाले समय मेँ तुम्हें माँ का कर्त्तव्य निभाना है.मन्दरा तुम्हारी सलाहकार के रूप मेँ रहेगी."



"विश्वारि !सत ने सबको अपने अपने किरदार के आधार पर पहले से ही बाँध रखा है.तुम अपने कर्त्तव्योँ को समझो.कहीँ फिर तुम्हारे साथ भी विश्वामित्र की तरह न हो जाए?जिसके गर्भ मेँ जाना होगा तुम्हें उसके गर्भ मेँ न जा कर अन्य के गर्भ मेँ जा कर शरीर धारण कर बैठो?शैतानी शक्तियाँ बैसे भी अपने षड़यन्त्रोँ मेँ लगी हुई हैँ."



" देवरावण का अन्त ऐसे ही नहीं हो जाने वाला है.विभिन्न संसाधनों व बायो तकनीकि के बल पर वह लगभग डेढ़ हजार वर्ष तक जीता चला आ रहा है.न जाने कितनी शक्तियां उसके क्रूर साम्राज्य को समाप्त करने मेँ लगी रहीँ लेकिन समाप्त न कर पायीं. "



" इस चक्कर में तो सम्कदेल वम्मा को अपना शरीर त्यागना पड़ गया."



"सम्कदेल वम्मा....?! लगभग सन 5012-19 ई0 के करीब देव रावण के द्वारा सम्कदेल वम्मा के शरीर को मार दिया गया था . "



उधर लाखों प्रकाश दूर वह आकाशीय पिण्ड जिसका अस्सी प्रतिशत भाग लगभग बर्फीला था.उसी के गैरबर्फीले क्षेत्र मेँ स्थित लैण्डमार्क पर 'आरदीस्वन्दी' का यान उतर चुका था.जिसके स्वागत मेँ खड़े थे अनेक पशु पक्षी.भुम्सनदा के इस भूभाग को 'आरदीस्वन्दी' ने नाम दिया था-पेरु.





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