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गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

पुट्टीपर्थी का संत!

एक अधेड़ तब्बती महिला त्रिनेत्रधारी युवती फदेस्हरर से बोली -

" सत्य साईं बाबा का असली नाम था-सत्य नारायण राजू.जो सन1926ई के 23 नवम्बर को इस धरती पर आये और सन 2011ई0 24 अप्रेल की सुवह इस दुनिया से चले गये.कुछ लोगों का मानना था कि अमेरिका मे ओशो को जिस तरह धीमा जहर दिया गया था ,उसी तरह सत्य साईं को भी धीमा जहर दिया गया था.14 साल की अवस्था मे ही इनके जीवन मे चमत्कार होने लगे थे.20 अक्टूबर 1940ई0 को उन्होने अपने अवतार की घोषणा करते हुए कहा था कि वह शिरडी के साईं बाबा के दूसरे अवतार हैं.06 जुलाई 1963ई0 को गुरु पर्णिमा के दिन सत्य साईं ने घोषणा करते हुए कहा कि साईं बाबा के कुल तीन अवतार होंगे.उन्होने एक बार कहा था कि वह मांड्या क्षेत्र मे पुनर्जन्म लेंगे.इस धरती पर उनकी उम्र 85 वर्ष की हो चुकी थी लेकिन चन्द्रमा के पंचांग आधार पर उनकी उम्र 96 वर्ष हो चुकी थी . "



बालक हफ्कदम सोंचने लगा-"मांड् या मे.......दिवाकर सत्य साईं के गुजरने से एक माह पूर्व ही मांड् या पहुंच चुका था?"



"कुछ दुष्ट व्यक्ति संतो तक को तो नहीं बख्शते.खुद का स्तर इनका इतना गिरा होता है कि जो सुधरना चाहे या सुधर कर समाज में सुधार की मुहिम चलाना चाहे,गड़े मुर्दे उखाड़ने से बाज नहीं आते.उन दिनो अन्ना हजारे ,बाबा रामदेव ,आदि की टीम के साथ भी ऐसा था.दुष्ट लोग लगातार इन पर आरोप ही लगाते रहे लेकिन सुधार की कोई भूमिका नहीं."



"सत्य साईं बाबा की मृत्यु के साथ उनके करीबी सत्यजीत व निजी चिकित्सक डा अय्यर की जान को खतरा हो गया था.महापुरुष की मृत्यु के बाद अन्य धर्मस्थलों की तरह यहां भी सत्य साईं के कुछ अनुयायीयों का चरित्र संदिग्ध हो गया था.इस घटना के 22साल पहले ओशो ने सम्भवत:कहा था कि अनुयायी झूठे ही होते है,वे जिस के अनुयायी होते हैं उससे काफी गिरे स्तर के होते है.महापुरुष जिस मशाल को लेकर चलते है,उनके खत्म होने के साथ वह मशाल खत्म हो जाती है.अनुयायियों की पकड़ मे रह जाता है सिर्फ मशाल का मूठ(डण्डा) ".



* * *



' मांड् या ' शहर एक टीले में तब्दील हो चुका था,कुछ धार्मिक स्थलों को छोँड़ कर.



"ओम आमीन तत सत ,ओम आमीन तत सत ,ओम आमीन तत सत ओम आमीन तत सत ,ओम आमीन तत सत ,ओम आमीन ..... " खुदाई करने वाले मजदूर चौंके, जब कुछ ईंटे निकालने के बाद नीचे एक तहखाना दिखाई दिया जिसमे से किसी के 'ओम आमीन तत सत ' जपने की ध्वनि सुनाई आ रही थी.




"अरे,तुम लोग क्यो रुक गये?अपना अपना काम करो".

" सर! यहां तो आना ."


जब ठेकेदार आया तो तहखाने से आती आवाज को सुन-
आप लोग इधर काम करना बन्द करो .


फिर ठेकेदार ने आगे बढ़कर अपने को खामोश कर लिया.उसके मस्तिष्क ने दूर स्थित किसी के मस्तिष्क से सम्बन्ध स्थापित किया.


"हैलो!सुनती हो क्या?मैने सुबह उठ कर जिस स्वपन का जिक्र किया था,वह असलियत है.यहां एक तहखाना है,जिसमें से किसी के 'ओम आमीन तत सत' जप करने की आवाज आ रही है ."


" अच्छा! तो उस जगह पर काम रुकवा दो अभी."


"हाँ,रुकवा दिया है."

ठेकेदार पश्चिम की ओर लगभग एक किलोमीटर दूरी पर बनी श्रीअर्द्धनारीश्वर की विशालकाय प्रतिमा की ओर देखने लगा.
एक ओर शिला पर ॐ तत सत लिखा था।उससे कुछ दूरी पर सत साहिब एक पत्थर पे खुदा था।जिस पर नीचे एक कोने में।छोटा से लिखा था-निशाअंत!



आसमान से एक अण्डाकार यान नीचे की ओर आ रहा था.इस यान मे बैठी युवती फदेस्हर व बालक हफ्कदम आपसी बातचीत में थे.

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