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मंगलवार, 17 मई 2011

विप्लव विकल्प विक ास सरकारी दमन में अगला

शर्म आती है हिन्दुस्तानी कहते हुए अपने को.

कहाँ है मीडिया ! क्या इस बार कोंग्रेस मीडिया को नहीं खरीद पाई या उससे अच्छी
बोली बलात्कारीओं ने दे दी .

2011/5/17 Ashu

> *ग्रेटर नोयडा ,भट्टा पारसौल में मायावती सरकार के पुलिसिया गुंडों ने लगभग
> ८० किसानों को मारकर वहीँ जला दिया...गांव की सारी फसल जला दी गयी.महिलाएं
> शौच के लिए घर से बाहर नहीं निकल रही लगभग ११० महिलों के साथ पुलिसिया गुंडों
> ने बलात्कार किया...हाँ उत्तर प्रदेश सरकार के रिकॉर्ड में कोई लापता नहीं
> है और सिर्फ २ किसान मरे..*
>
> **
>
> *लगभग ५०० ग्रामीण लापता हैं...मीडिया चुप बैठा है...और खबर दिखाई भी तो जिन
> पे जुल्म हुआ उनका कवरेज कम और राहुल बाबा का ज्यादा... *
>
> *आज भारत में जिस तरफ देखें जमींन की लूट चल रही है...कुछ परदे के पीछे ,कुछ
> लालच से,कुछ मायावती सरकार की तानाशाही के रास्ते पर चलकर हत्याएं करवाकर..
> विकास की चकाचौध और अर्थव्यवस्था का गणित समझकर हमारी माननीय केंद्र सरकार भी
> एक के बाद एक परियोजनाओं को हरी झंडी दिखा रही है और अब किसी से छिपा नहीं
> है की इन सबकी दलाली भी ये नेता और कार्पोरेट खा रहें हैं...किसान से जमीन ली
> जाती है १ लाख रूपये या उससे कम के मुआवजे पर और बेचीं जाती है २ करोण
> रूपये एकड़ बिल्डरों को..अब तो मुझे लगता है हमे अरब खरब नील या मिलियन
> ट्रिलियन से आगे जा कर कोई नयी इकाई बनानी पड़ेगी सरकारों की इस दलाली की
> गाड़ना के लिए ..*
>
> *अगर नोएडा की बात करे तो नोएडा रूपी राक्षस बढ़ता ही जा रहा है..कभी फेज -
> २,कभी नोएडा एक्सटेंसन तो कभी ग्रेटर नोएडा तो कभी ग्रेटर नोएडा एक्सटेंसन...
> किसनो की खेती की जमीन का अधिग्रहण औने पौने दामों पर करके सरकारें सद्दाम
> हुसैन और हुस्नी मुबारक की तरह अपना घर भर रही हैं..काहिरा और इराज के लोग
> सौभाग्यशाली थे की एक ही मुबारक या एक ही सद्दाम था ..भारत की विडंबना ये है
> की यहाँ तो सददामों और हुश्नियों की पूरी फ़ौज ही है..मायावती ,राहुल गाँधी ,
> शरद पवार,अमर सिंह,कर्णाटक के रेड्डी ऐसे कुछ गिद्धों के नाम हैं जो इस देश
> को नोच नोच कर खा रहें हैं और हम अपने वातानुकूलित घरों में बैठे जश्न मना
> रहे हैं..भले ही ८० करोड़ लोगो को रोटी नहीं मिले २ जून की, नोएडा से आगरा तक
> दिल्ली-आगरा एक्सप्रेस वे बनेगा वो भी किसानों की लाश पर उनकी घरों की
> महिलाओं की इज्जत की कीमत पर..कारण सिर्फ इतना है की सरकार को तो बिल्डर और
> दलाल चलातें हैं..अब ये जमीन जो अधिग्रहित की जा रही है हजारगुना जयादा दाम
> पर बिल्डरों को बेचीं जाती है..उसमें भी दलाली खाते है हमारे जनसेवक और नेता
> जी लोग..उसके बाद इन दलाली के पैसों को रियल इस्टेट में इन्ही बिल्डरों के
> यहाँ लगा देते हैं इस देश के कर्णधार बिल्डर से फ्लैट खरीदने वाला भी आम आदमी
> , जो पुरे जीवन किश्त भरता है और वो दलाली की कमाई अब तक १० गुना बढ़ चुकी
> होती है...वो भी बिलकुल सफ़ेद धन...
> पिछले कुछ सालों में इस आर्थिक चकाचौंध की दौर में बिल्डरों और दलालों की
> एक पूरी व्यवस्था भी बन गयी है जो प्रकारांतर से सरकारी और पुलिसिया सहयोग से
> निरीह ग्रामीणों का सुनियोजित दमन कर रहा है और चुकी ये खबर समाज के सबसे
> कमजोर तबके से है इसलिए बहुत आसनी से इसे दबा दिया जाता है..इस कार्य में सभी
> पार्टिया सामान रूप से भागीदारी कर रही हैं...अगर यही खरोंच किसी युवराज की
> गाड़ी पर आई होती तो हम आप और मीडिया शुरू कर देता चिल्ल पों मचाना ..मगर जो
> मरा,जो जलाया गया वो किसान है..क्या हुआ जो हम उसकी मेहनत का पैदा किया हुआ
> अन्न ठूस ठूस कर कहते हैं हम सब तो अब नमकहराम होते जा रहे हैं..मरने दो उसे
> ..होने दो उसकी बेटियों का बलात्कार किसान होता ही है इसलिए...*
>
> *अब न तो उन किसानों के लिए कोई जंतर मंतर पर धरना होगा न ही ब्लॉग लिखा
> जाएगा न ही कोई कैंडिल मार्च होगा..क्यूकी आज की व्यवस्था और परिवेश में
> हमारी सोच है की "IT HARDLY MATTERS TO US " *
>
> *अब मेरी उम्र का किसी किसान का लड़का हाथ में बन्दूक उठा ले तो उसे माओवादी
> कहा जाएगा..क्या करेगा वो..बाप की लाश भी नहीं छोड़ी इस सरकार ने ..माँ और
> बहन का सामूहिक बलात्कार पुलिसिया गिद्धों ने उसके सामने किया फिर भी हम
> कहेंगे की अहिंसा परमो धर्मः....किसान किसी को मारे तो वो मुख्य समाचार बन
> जाता है और ८० किसानों को जला दिया गया उसकी चर्चा भी नहीं..ये SEZ बना कर
> दलाली खाने का जो खेल सरकार ने शुरू किया है वो कई नंदीग्राम और सिंगूर पैदा
> करने वाला है...क्यूकी व्यवस्था से असहाय व्यक्ति के पास शस्त्र उठाने के
> अलावा कोई चारा नहीं रहता है...
> आज जो भी व्यक्ति ये ब्लाग या ईमेल पढ़ रहा होगा उसे शायद कोई लेना देना नहीं
> होगा इस किसानो से मगर बंधू उन किसानो के बाद आप का ही नम

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