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मंगलवार, 3 मई 2011

तृतीय विश्व युद्ध की ��ूमिका:अमेरिका भारत म��ँ.

चीन का साम्राज्यवाद ,मुस्लिम आतंकवाद , अमेरिका की चीन से चिढ़ व चीन के द्वारा मुस्लिम देशों का नेतृत्व ने दुनिया को तृतीय विश्वयुद्ध में झोंक दिया था.


सन 2011ई0
एक मई को अमेरिका के द्वारा आतंकवादी सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराया गया था.




इस दौरान पूर्व विदेश सचिव ललित मान सिंह का मानना था कि देखना होगा कि ओबामा के समर्थन में ओसामा के समर्थन में कितने व्यक्ति व राज्य है?दुनिया को खतरे बढ़े है विशेष कर भारत को.'हिन्दुस्तान' समाचार पत्र अपने सम्पादकीय में लिखा था कि जब भी शान्ति व सद् भावना की बात चली है आतंकवादी घटना हुई है.



पाकिस्तान में लादेन की उपस्थिति व पाकिस्तान में ही लादेन की मृत्यु ने पाक सरकार पर संदिग्ध निगाहें डाल दी थीं.ऐसे में उसकी भारत के खिलाफ मुहिम में तेजी की सम्भावनाएं बढ़ गयीं थीं.इधर भारत के अन्दर भ्रष्टाचार व कुप्रबन्धन एवं काले धन की बापसी पर जन आन्दोलन तेज हो गये थे.जिससे ध्यान हटाने के लिए भ्रष्ट नेताओं द्वारा युद्ध की पहल की शंकाएं बढ़ गयीं थीं.उप्र सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चीन की साम्राज्यवादी नीति पर कुछ नेपाल संसदों से बातचीत प्रारम्भ कर दी थी.कुछ लोग देश के अन्दर मुस्लिम वोट को देश की अखण्डता व सम्प्रभुता के लिए खतरा मान रहे थे. गुरु अफजल ,कसाब ,आदि जैसे आतंकवादी को फांसी में मुस्लिम वोट का लोभ आड़े आ रहा था.लोगों को भारतीय मुस्लिमों पर से उम्मीदें उठने लगीं थीं.ऊपर से भ्रष्ट नेता.....?



2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले मामले में रिपोर्ट की सच्चाई के विरोध में पीएसी समिति में सपा ,बसपा व कांग्रेस एक साथ नजर आये.......इसका मतलब क्या था ? हालातों से तंग आकर एक मानवतावादी अण्डर वर्ल्ड ग्रुप 'सेक्यूलर फोर्स' को मजबूरी में सैनिक कार्रवाही का समर्थन करना पड़ा था.दृसरी तरफ चीन व माओवादियोँ की करतूतेँ......?!कहना पड़ा-"अमेरिका भारत आओ" . बदलाव के लिए प्रजातन्त्र पर उम्मीदें करना मुश्किल हो गया था क्योंकि भ्रष्टाचार व कुप्रबन्धन के खिलाफ एवं कालेधन की वापसी के लिए जो सामने आये भी थे,उन्हें मुस्लिम वोट व हिन्दुओ में अपनी जाति के नेताओं से निकलने की गुंजाईश नहीं थी.भ्रष्ट नेताओं को उनकी जाति के लोग समर्थन से बाहर निकल नहीं पा रहे थे. 'म' ग्रुप मनमोहन सिंह,मुलायम सिह,माया वती, मुस्लिम मत,पाक मेँ मुशर्रफ व इनसे अलग अपने निजी स्तर पर माओ वादी देश के लिए .......?!हालांकि कुछ माओवादी कुछ भ्रष्टनेताओं को मार रहे थे लेकिन मारे गये नेताओं की लाशों पर.....!?भारतीय संविधान की भी धज्जियां उड़ायी जाने लगी थीं.ऐसे में देश में सैनिक कार्रवाही व अमेरिका के आने की उम्मीदें बढ़ गयीं थीं. अग्रेजों के आने से पूर्व देश की राजनैतिक दशा क्या थी?देश के आजादी के वक्त देश की राजनैतिक दशा क्या थी?अब भी देशी रियासतें आधुनिक रुप में जन्म लेने की क्षमता रखती हैँ.

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