सन 5020ई 0की10 सितम्बर!
आरदीस्वन्दी का जन्मदिन!सनडेक्सरन धरती पर पिरामिड आकार की एक भव्य बिल्डिंग मेँ आरदीस्वन्दी के जन्मदिन पार्टी का आयोजन था.
दूसरी ओर एक अनुसन्धानशाला मेँ-
बड़े बड़े जारोँ मेँ अनेक युवतियोँ के क्लोन उपस्थित थे. अनेक बड़ी बड़ी परखनलियोँ मेँ बच्चोँ के भ्रूण विकसित हो रहे थे.अग्नि क्लोन पद्धति का स्पेस्लिस्ट .अपने प्रयोगशाला मेँ वह एक क्लोन व ह्यमोनायड पद्धति के सम तकनीकी से सम्कदेल वम्मा का प्रतिरूप तैयार किया था.जिससे अग्नि बोल रहा था-
" आप सम्कदेल वम्मा द्वितीय हैँ."
" आज आरदी स्वन्दी का जन्म दिन है जो कि सम्कदेल वम्मा की फ्रेण्ड थी."
फिर दोनोँ अनुसन्धानशाला से बाहर जाने लगे.
"अब हम दोनोँ आरदीस्वन्दी के बर्थ डे पार्टी मेँ चल रहे हैँ."
"थैँक यू!"
"किस बात का?"
" आज मैँ आरदीस्वन्दी से मिलूँगा ."
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अचानक जब आरदीस्वन्दी ने सम्कदेल वम्मा द्वितीय को देखा तो उसे विश्वास नहीँ हुआ.
अग्नि के समीप आते हुए-
"अग्नि अण्कल! जरुर यह आपकी कृति होगी."
*** ## ***
आरदीस्वन्दी सम्कदेल वम्मा द्वितीय के साथ एक पार्क मेँ बैठी थी.
" कुछ वर्षोँ बाद कल्कि का अवतार होगा.यह समझने वाली बात है कि दो अवतारोँ के बीच हजारोँ वर्ष का अन्तर ...?क्या विधाता हर वक्त सजग नहीँ होता ?"
"आरदीस्वन्दी! विधाता तो हर वक्त सजग रहता है.वह सजग रहने या न रहने का प्रश्न ही नहीँ, यह तो स्थूल जगत की बात है.जिस तरह विधाता न कायर होता है न साहसी , उसी तरह वह न सजग रहता है न ही सजगहीन. न ही वह समय मेँ बँधा है.न उसका भविष्य है न उसका भूत,वह सदा वर्तमान मेँ है. उसके प्रतिनिधि हमेशा विभिन्ऩ धरतियोँ पर काम करते रहते हैँ,जिन धरतियोँ पर जीवन नहीँ है वहाँ भी जीवन की सम्भावनाएँ तलाशते रहते है."
पार्क मेँ एक विशालकाय नग्न व्यकति की प्रतिमा,जिसके शरीर पर एक अजगर लिपटा था और जिसका एक हाथ ऊपर आसमान की ओर उठा था,जिसमेँ दूज का चाँद था. दूसरे हाथ मेँ अजगर का मुँह पकड़ मेँ था.
" यह, यह प्रतिमा देख रहे हो. इसकी उपस्थिति पृथ्वी बासियोँ की तरह स्थूल मोह को दर्शाती है.ऐसा मोह प्रत्येक सृष्टि मेँ वैदिक काल के बाद पनपता है. कुछ लोग बाद मेँ स्थूल मोह के खिलाफ बात करने आते भी हैँ , उनको अधिकतर लोग नजर अन्दाज कर देते हैँ . जिसके परिणाम स्वरुप उन्हेँ कीट पतंगोँ जानवरोँ वृक्षोँ आदि का शरीर तक धारण करना होता है. . शरीर जब जीव के लायक नहीँ रहता तो जीव शरीर को छोड़ देता है और जब धरती ही जीवोँ के लायक नहीँ रह जाती तो...........?!"
"धरती को जीव छोड़ देते हैँ वे धरती पर रह जाते हैँ.और तब भी धरती पर शिव शंकर अपना खेल रचाते रहते हैँ. शिव ही हैँ जो विष को झेलते हैँ.प्रदूषण को झेलने वाले दो तरह के होते हैँ एक शिवमय दूसरे प्रदूषण के आदी...."
" हाँ,10 सितम्बर........"
सन2008ई0
10सितम्बर !
'कान्टेक्ट म्यूजिक डाट काम ' के मुताबिक ब्रिटिश गायक राबी विलियम्स ने बताया कि उनके घर एलियन आया था. ऐसा उस वक्त हुआ जब वे अपना गीत ' एरिजोना'लिखना खत्म ही किए थे.
10सितम्बर को ही-
बिग बैँग के समय की ऊर्जा तथा ब्राह्माण्ड की रचना से जुड़े गूढ़ रहस्योँ का पता लगाने के लिए 'लार्ज हेडरन कोलाइडर'(एल एच सी)के जरिए प्रयोग किया जाना निश्चित हुआ था.अत:वह भारतीय समयानुसार दिन मेँ एक बजे प्रारम्भ होना तय था.कुछ लोगोँ ने महाप्रलय की शंका भी व्यक्त कर दी थी.इस प्रयोग के प्रारम्भ होने से दो सेकण्ड मेँ पृथ्वी और चन्द्रमा नष्ट हो सकता था और आठ मिनट मेँ तो सूरज समेत पूरा सौरमण्डल .मीडिया ने इसी शंका के आधार पर पूरे विश्व को भ्रम शंका अफवाह मेँ ढकेल दिया था.
सेरेना की आत्मकथा-'मेरे जीवन के पल ' मानीटर युक्त कमरे की एक दीवार पर थी .आरदीस्वन्दी व सम्कदेल वम्मा द्वितीय जिसे देख रहे थे.
सन2007ई0 10सितम्बर!
शिवानी प्रकरण ने 'सर जी' को हतास उदास निराश बना दिया था.
.....लगभग एक साल बीतने जा रहा था. 'सर जी'को शिवानी से बोलने की इच्छा तो होती थी लेकिन 10सितम्बर 2007 से शिवानी नहीँ बोला था.शिवानी बोलेगी तो ठीक,नहीँ तो......?!
'सर जी' को शिवानी से कोई शिकायत न थी,न ही वे शिवानी के प्रति कोई गैरकानूनी या अप्राकृतिक सोँच रखते थे.जमाने का क्या ?सावन के अन्धे को हरा ही दिखायी देता है.'सर जी' कहते थे कि वह प्रेम प्रेम नहीँ जो आज है कल खत्म हो जाए.प्रेम खत्म नहीँ होता,प्रेम का रुपान्तरण होता है.प्रेम जब पैदा हो जाता है तब व्यक्ति नहीँ चाहता कि जिस से प्रेम है उस पर अपनी इच्छाएं थोपी जाएँ,उसे जान बूझ कर परेशान किया जाए या फिर उसकी इच्छाओँ को नजर अ न्दाज किया जाये. प्रेम मेँ 'मैँ'समाप्त हो जाता है.
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