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सोमवार, 6 सितंबर 2010

भविष्य !फिर....24 फरबरी 2165ई0:अरब सागर से प्रशांत महासागर तक?

" भविष्य!फिर...."

प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध ने विश्व को झकझोर कर रख दिया था.हालाँकि ऐसे मेँ परिस्थितियाँ बनी अनेक देशोँ के स्वतन्त्रता की.जिसका लाभ उठाकर हिन्दुस्तान मेँ नेता जी सुभाष चन्द्र बोस नायक बन कर उभरे .नौ सेना विद्रोह के साथ साथ ब्रिटिश शासन के अन्य स्तम्भ भी विद्रोह की चपेट मेँ आ गये. यूरोपीय उपनिवेशवाद के स्थान पर अमेरीकी भौतिक उपनिवेशवाद अपना स्थान जमाने लगा .



इक्कीसवीँ सदी के प्रारम्भ के साथ मानवतावादी अण्डरवर्ल्ड ग्रुप मेँ एक नाम सामने आया -देवकृष्णा का. हिन्दुस्तान के ही एक जंगल मेँ तमाम मानवतावादी अण्डरवर्ल्ड ग्रुपस की उपस्थिति मेँ देवकृष्णा को मिशन का प्रथम नायक बनाया गया.सुनने को तो यह मिला कि जब देवकृष्णा को नायक घोषित किया गया तो उस वक्त एलियन्स भी उपस्थित थे.खैर जो भी हो,देवकृष्णा का सम्बन्ध तिब्बत के एक क्षेत्र से रहा था,जो चीन के अधिकार मेँ था.आपात काल मेँ जीता तिब्बत अपनी संस्कृति व दर्शन के अस्तित्व के लिए चिन्तित था.देवकृष्णा ने अपने सम्बोधनोँ मेँ अनेक बार घोषणा की थी कि जिस तरह महाभारत मेँ द्वारिका का स्थान था वही आने वाले समय मेँ तिब्बत का होगा लेकिन कृष्ण की भूमिका कौन निभायेगा?भविष्य मेँ सामने आ जायेगा.




काफी वर्ष पहले से ही कुछ वैज्ञानिक गांधी का क्लोन बनाने की कोशिस मेँ थे लेकिन सफलता प्राप्त नहीँ कर पा रहे थे.मैँ उन दिनोँ बरेली कालेज,बरेली मेँ बीएससी सेकण्ड का छात्र था.यूपी मेँ मुलायम सिँह यादव की सरकार थी.पूर्व प्रधानमन्त्री विश्वनाथ प्रताप सिँह व राजबब्बर के नेतृत्व मेँ यूपी का किसान भूमि अधिग्रहण एवं भूमि की कीमतोँ के सम्बन्ध मेँ आन्दोलनरत था.हर शनिवार को मैँ बरेली से मीरानपुर कटरा आ जाता था.एक बार इस यात्रा के दौरान मेरी मुलाकात विश्वा नाम की एक युवती से हुई, जिसने मुझे आलोक वम्मा नामक एक युवक से मिलाने का वादा किया .एक महीने बाद मैँ जब बरेली स्थित श्यामतगंज मेँ विश्वा के आवास पर पहुँचा तो उसने मेरी मुलाकात आलोक वम्मा से करायी.



आलोक वम्मा से सम्पर्क के बाद मुझे अनेक विचारकोँ ,वैज्ञानिकोँ ,क्रान्तिकारियोँ,यहाँ तक कि कुछ अहिँसक नक्सलियोँ से मिलवाया गया था.मेरा लक्ष्य तो एम एस सी पूरी करने के बाद वैज्ञानिक बनने का था.एम एस सी पूरी करने के बाद मुझे झारखण्ड स्थित एक जंगल मेँ भूमिगत अनुसन्धानशाला मेँ ले जाया गया.जहाँ मेरी कल्पनाओँ को साकार करने की पृष्ठभूमि मिली.



लेकिन यह क्या ? इस धरती पर वैज्ञानिक गांधी का क्लोन बनाने की सोँचते ही रह गये.


गग्नध देवय उर्फ ब्राह्माण्ड बी.गांधी ......?!कुछ एलियन्स के द्वारा जानकारी मिली कि अन्तरिक्ष मेँ एक अन्य धरती पर महात्मा गांधी की शक्ल का एक व्यक्ति उपस्थित है. जो मानवतावादी ब्राह्माण्ड शक्ति दल का संरक्षक है. एलियन्स का जिक्र हुआ है तो मैँ आपको बता दूँ,इस धरती के कुछ वैज्ञानिक ऐसे हैँ,जिनकी मुलाकात एलियन्स से हुई है. मेरी भी एलियन्स से मुलाकात हो चुकी है.
मै बता दूँ कि अने तथ्य ऐसे होते हैँ जो अनुसन्धानशालाओँ और पुरातत्व विभाग तक ही सीमित हो कर रह जाते हैँ.



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लगभग एक वर्ष बाद सन 2165ई0 की फरबरी,


भारतीय उपमहाद्वीप एवं चीन को दो भागोँ मेँ बाँटने की योजना?



आखिर सफलता पा ली कुशक्तियोँ ने .



24 फरबरी को भूमि तीब्र भूकम्प के साथ चटक गयी.
इन दो भूमियोँ के बीच अब सागर....?! भूकम्प और सुनामी लहरेँ;बाँधोँ के टूटने से बाढ़ . गुजरात के सूरत से हरिद्वार,उत्तर काशी,मानसरोवर होते हुए चीन की भूमि को चीरते हुए उत्तरी दक्षिणी कोरिया आदि से हो इस चटक ने अरब की खाड़ी और उधर चीन सागर से हो कर प्रशान्त महासागर को मिला दिया . भारतीय उपमहाद्वीप की चट्टान खिसक कर पूर्व की ओर बढ़ गयी थी. म्यामार, वियतनाम, आदि बर्बादी के गवाह बन चुके थे.



इससे क्या मिला कुशक्तियोँ को?



लेकिन !



जन धन प्रकृति की हानि जरुर हुई.



प्रकृति के अन्धविदोहन एवं कृत्रिम जीवन के स्वीकार्य ने पृथ्वी पर दो हजार चार ई0 से ही तेजी के साथ परिवर्तन प्रारम्भ कर दिए थे. सुनामी लहरोँ के बाद यह परिवर्तन और तेज हो गये थे . सुनामी लहरेँ भी क्या प्राकृतिक थीँ या फिर किसी कुशक्ति की हरकत थी ?इस पर मतभेद रहा था.



एलियन्स के सम्बन्ध मेँ ?



सन1947ई0 मेँ कुछ शक्तियोँ के एलियन्स से क्या सम्पर्क हुए थे कि वे पृथ्वी और अन्तरिक्ष मेँ अपनी साजिशेँ रचने लगे. पृथ्वी का मनुष्य आखिर कब तक जगेगा?अपने स्वार्थोँ मेँ अन्धा हो पृक्रति व ब्राह्माण्ड मेँ भी विकृतियाँ फैला दीँ .



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जन्म के वक्त ही मेरा नाम रख दिया गया था-भविष्य .

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