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रविवार, 19 सितंबर 2010

सम्कदेल के आखिरी दिन

सन 5012की14जून!

एक सभागार से निकलने के बाद सम्कदेल वम्मा अपने अण्कल सर के साथ दलित व गरीब वस्ती मेँ कुछ समय गुजारने के बाद हवाई पट्टी पर आ कर अपने यान मेँ प्रवेश कर गये.



निम्न व मध्य वर्ग मेँ कल्कि अवतार की काफी चर्चा थी.उच्च वर्ग के लोग जो कि अधिकतर वैज्ञानिक थे,प्रयोगशालाओँ मेँ सुपर मैन निर्मित कर रहे थे.यह सुपर मैन अपने स्वामियोँ के दिशा निर्देश पर कार्य कर रहे थे.कुछ शक्तिया इन सपर मैन के ग्रुपोँ से हट कर एक जुट रहने, परिश्रम करने,धैर्य रखने ,ध्यान योग करने,आदि की शिक्षा दिलवा रही थीँ लेकिन इनके पीछे भीड़ कम ही थी. धर्म व प्रेम के आधार पर चलने वाले इन चन्द लोगोँ का कुशक्तियोँ ,सुपर मैन,साइबोर्ग,प्रशिक्षित जानवर,आदि जीवन जीना मुश्किल कर रहे थे.कुछ सात्विक शक्तियां एकान्त जीवन जी कर ध्यान योग आदि मेँ जीते हुए कल्कि अवतार का इन्तजार कर रहे थे.


सम्कदेल वम्मा अपने अंकल सर के साथ अपने यान मेँ था.


"अंकल सर ! ब्राह्माण्ड मेँ अनेक शक्तियां ऐसी पैदा हो गयी हैँ, जो अपना उल्लू सीधा करना चाहती हैँ. रोज एक दो मेँ अन्तरिक्ष युद्ध होते देखा जा रहा है. ब्राह्माण्ड शान्ति दल अपनी मुहिम मेँ असफल होता जा रहा है. तिब्बत से बार बार सारी धरतियोँ पे शान्ति सन्देश प्रसारित किए जा रहे हैँ लेकिन लोगोँ पर उसका असर नहीँ पड़ रहा है. क्या संघर्ष मेँ लीन अहंकारी शक्तियोँ को एक मंच पर ला कर उनको मारने की योजना बनानी पड़ेगी ? "


"सम्कदेल!तू तो बड़े होशियारी की बात कर रहै. "


"थैँक यू! जिस तरह से रामायण काल मेँ विश्वामित्र ,कैकयी,शूर्पनखा , वाल्मिकि,आदि ने मिल कर रावण के मारने की योजना बनायी और असुरोँ को रावण के तले लाया गया .उसी तरह ......?! "


"सम्कदेल,तू क्या कह रहा है? पृथुवंशी क्या इसे सत्य मानते हैँ?"


" न माने तो क्या ? "


"सर,जिस तरह श्री कृष्ण को मजबूरी मेँ महाभारत युध्द की रचना करनी पड़ी और अनेक दुष्ट राजाओँ को मरवाना पड़ा.वैसे ही....."


"अब की यदि कृष्ण कौरवोँ के संग हो गया तो...?"


"कौरव कभी भी कृष्ण को नहीँ माँग सकते,रावण कभी भी ,रावण कभी भी विभीषण को शरण नहीँ दे सकता . भूखे इन्सान को रोटी ही चाहिए,प्यासे को पानी ही चाहिए ,कामुक व्यक्ति को स्त्री ही चाहिए,धनलोलुप व्यक्ति को धन ही चाहिए ,ईश्वर भक्त को सिर्फ ईश्वर ही चाहिए. अर्जुन सिर्फ कृष्ण ही चाहता है, विभीषण तो राम ही चाहता है, .... और भी बताऊँ क्या ?कौन कौन क्या क्या चाहता है?दुर्योधन कभी भी कृष्ण को नहीँ चाह सकता?"


"तो कृष्ण कहाँ से खोजोगे?"


"महाभारत के लिए अकेले कृष्ण से कुछ नहीँ होने वाला. पाण्डवोँ व कौरवोँ मेँ सारे ब्राह्माण्ड की शक्तियोँ को विभक्त कर देना है.यह काम हम सब करेँगे. हमारे बाद हमारे उत्तराधिकारी करेँगे . "


"और कृष्ण .......?!"

"कृष्ण तो आ ही जाएगा."

फिर सम्कदेल वम्मा ऊपर सिर उठा कर यान की छत को देखने लगा जो स्क्रीन के रुप मेँ थी,जिस पर अन्तरिक्ष के चित्र आ रहे थे.


"सर! धर्म के बिना जीवन पशुवत जीवन से भी ज्यादा बेकार . सोरी सर.,आज कुछ ज्यादा ही बोल गया."


"और कब कम बोलते हो?"

"सर!"



"सम्कदेल! मुझे तुम पर नाज है."


"थैँक यू ,सर."



एक अमेरीकी कुख्यात शक्ति अन्दर ही अन्दर ब्रह्मा ,विष्णु,महेश,गणेश,हनुमान, आदि के स्वरुप मेँ कुछ मनुष्योँ को तैयार कर चुकी थी.महेश के लिए सनडेक्सरन की धरती से एक मनुष्य को तैयार कर लिया गया था. अन्य एक प्रजनन केन्द्र मेँ परखनली पद्धति से तैयार किए गये थे.जिसका उद्देश्य था धरती पर अपना धार्मिक आधिपत्य भी स्थापित करना और अपनी तय एक योजना के अनुसार एक स्त्री से कल्कि का अवतार कराना.



वैज्ञानिक तकनीकी इतनी उच्च हो चुकी थी कि कमजोर व अस्वस्थ व्यक्ति के मन मस्तिष्क को अपने हिसाब से नियन्त्रित किया जा सकता था.अपने हिसाब से उसे स्वपन देखने के लिए विवश किया जा सकता था. जिस तरह से हजारोँ वर्ष पहले विश्वामित्र ने सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र की परीक्षा लेने के लिए अपने योजना के तहत स्वपन दिखवाया था. ऐसा ही विज्ञान तकनीकि से सम्भव हो गया था.



समय गुजरा-


एक दिन सम्कदेल वम्मा अपने यान से अन्तरिक्ष यात्रा पर अकेले ही था.


कि-



नकली देवताओँ को विज्ञान व नवीन तकनीकी से धरती पर पेश करने वाली कुशक्तियोँ ने सम्कदेल वम्मा के यान पर आक्रमण करवा दिया.


सम्कदेल वम्मा अपने यान को कुछ विशेष तरंगोँ के माध्यम से अदृश्य कर काफी तेजी से आगे बढ़ गया.


लेकिन..!?


यान को चारो ओर से अनेक यानोँ के सहयोग से घेर लिया गया था.यान के ऊपर विशेष तरंगोँ के प्रभाव कारण दुश्मनोँ को यान जरुर दिखायी नहीँ दे रहा था लेकिन तब भी सम्कदेल वम्मा मुश्किल मेँ था.


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