तेज बरसात थी.
जंगल के बीच झोपड़ी व पेँड़ोँ पर बने मचानोँ पर कुछ शस्त्रधारी युवक युवतियाँ उपस्थित थे.
कुछ शस्त्रधारी युवतियाँ!
" रानी!जेल मेँ तो 'ललक' को लेकर बेचैन थी.अब यहाँ जंगल मेँ किसको लेकर?"
"मुझे क्या ऐसा वैसा समझ रखा है?मैँ क्या लौण्डे बदरते रहने वाली हूँ?"
"अच्छा,खामोश रहो.तुम सब हमेँ नहीँ जान सकती ? अनेक लौण्डोँ से व्वहार रखने का मतलब क्या सिर्फ एक ही होता है?...और बात है इस वक्त की, इस वक्त भी मेँ ललक को ही याद कर रही थी."
" साथ ले आती उसे भी."
"मै तो उसे समझाती रही,मेरे साथ चल लेकिन.... ."
"रानी, तू तो कहती है कि वह लड़की लड़की ही नहीँ जो लड़कोँ को अपनी ओर आकर्षित न कर सके, जो लड़कोँ को अपने इशारे पर नचा न सके."
"रानी!"
झाड़ी की ओर किसी की उपस्थिति ने युवतियोँ को सतर्क कर दिया.
"कौन?"
एक युवती अज्ञात व्यक्ति पर राइफल तान चुकी थी.
दूसरी युवती ने जब उस पर टार्च की रोशनी मारी तो-
"वाह!रानी यह तो तेरा ललक है."
"सारी,ललक!"
"रानी,तेरे बर्थ डे पर यह तोहफा."
"चुप बैठ."
""" *** """
गिरिजेश की गौरी के साथ सगाई हो चुकी थी.वह गौरी जो कभी ललक से प्यार करती थी लेकिन अब....?!दोनोँ की अर्थात गिरिजेश व गौरी की शादी अब दो दिन बाद सन2018ई019 नबम्व को हो जानी थी. गिरिजेश अपने गर्ल फ्रेण्डस व ब्याय फ्रेण्डस के साथ एक म्यूजिक क्लब मेँ था.
"यार गिरिजेश, आखिर तूने गौरी को पटा ही लिया."
एक युवती बोली-
"गिरिजेश! गौरी से शादी के बाद तू करोड़ोँ की सम्पत्ति का मालिक हो जाएगा,हमेँ भूल न जाना."
"कैसे भूल जाऊँगा? आप लोग ही तो मेरी मौज मस्ती के पार्टनर हो.आप लोगोँ के बिना मौज मस्ती कहाँ? और तुझे तो मुझे अपनी सचिव बनाना ही है."
"थैँक यू!"-
युवती बोली.
" गौरी से कोई प्यार थोड़े है.उससे तो प्यार का नाटक कर शादी के बाद उसकी सारी सम्पत्ति हथियाना है,बस. प्यार तो मैँ तुझसे करता हूँ"
"......लेकिन यह बात माननी होगी कि ललक है अच्छा इन्सान."
"हूँ!इस दुनिया मेँ इन्सानोँ की क्या औकात ? औकात तो जमीन जायदाद पद की है.मेरे पास क्या नहीँ है!जमीन जायदाद , माता पिता आईएएस व यह सुन्दर शरीर.....मेरे मन मेँ क्या है ? इससे दुनिया को मतलब नहीँ ! तभी तो गौरी आज मेरी मुट्ठी मेँ है और ललक....?! ललक जैसे प्रेमी ,धर्मवान ,औरोँ का हित सोँचने वाले.....जब तक ललक को दुनिया जानेगी,वह अपनी जवानी योँ ही तन्हाईयोँ परेशानियोँ मेँ बर्बाद कर...?! मौज मस्ती तो हम जैसोँ की जवानी करती है."
19नवम्बर2017 ई0 को ललक यादव ने अपने भाई मर्म यादव की हत्या कर दी थी.
मर्म यादव!
मर्म यादव इन्सान के शरीर मेँ एक शैतान था.
जिसका मकसद था सिर्फ अपना स्वार्थ.......एवं अपनी बासनाओँ की पूर्ति . जिसके लिए वह अन्य किशोर किशोरियोँ,युवतियोँ के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा था.
आखिर फिर......
धर्म के पथ पर न कोई अपना होता है न कोई पराया.
कुरुशान अर्थात गीता सन्देश को स्मरण कर उसका ही भाई ललक यादव उसकी हत्या कर बैठा.
जय कुरुशान! जय कुरुआन!!
धरती पर सुप्रबन्धन के लिए प्रति पल जेहाद की आवश्यकता है,धर्म की आवश्यकता है.
कानून के रखवाले ही जब कानून के भक्षक बन जायेँ, कानून के रखवाले ही जब अपराधियोँ के रक्षक बन जाएँ तो ऐसे मेँ अन्याय व शोषण के खिलाफ ललक यादव जैसोँ के कदम...?!
इसी तरह!
जिन अधिकारियोँ नेताओँ से पब्लिक परेशान हो रही थी,शोषित हो रही थी जिन्हेँ शासन व प्रशासन संरक्षण दे रहा था.दस दिन की चेतावनी के बाद उनकी हत्या नक्सलियोँ व अन्य क्रान्तिकारियोँ के द्वारा हो रही थी.
सन2018ई0 की19 नबम्वर को ललक यादव की प्रेमिका गौरी की शादी गिरिजेश से हो चुकी थी.
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