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शनिवार, 18 सितंबर 2010

झुंझलाया पुष्प

सन 5012ई0 की 10जून !


सम्कदेल वम्मा कम्पयूटरी कृत कमरे की दीवार पर एक स्थान से सेरेना की आत्म कथा से सम्बन्धित जानकारियां कर रहा था.

उसने एक स्थान पर लिखे ' यति और पुष्प ' के नीचे लिखे सर्च शव्द को मनोयोग से एकाग्र हो कर देखा,कि चित्र बदल गये.सेरेना नामक युवती के स्थान पर अब एक यति के चित्र आने लगे.एक बर्फीले स्थान पर 'यति' को घूमते हुए दर्शाया जा रहा था.


कि-

कमरे के अन्दर कमरा! शून्य के नीचे माइन्स मेँ तापमान!
जमीन पर जमी बर्फ,इधर उधर से आती बर्फीली हवाएं ! यति हिम मानव टहल रहा था.



भविष्य त्रिपाठी के साथ युवक पुष्प कन्नौजिया उपस्थित हुआ. दोनोँ गर्म वेश भूषा मेँ थे.


"सर!यह तो यति....इसके जीवन व सहजता के साथ अन्याय है ? "


"सारी पुष्प! इसके लिए हम विधाता से भी क्षमा मांगते हैँ लेकिन इस पर कुछ प्रयोगोँ के लिए आवश्यक था ? "

पुष्प कन्नौजिया भविष्य त्रिपाठी को वहीँ छोँड़ कर तेजी के साथ आगे बढ़ गया.


"अरे रुको,पुष्प."


"सारी,सर."


पुष्प कन्नौजिया अपने रूम मेँ आकर कुर्सी पर बैठ गया.


एक युवती आकर बोली-


"सर!"

"जाओ."

"सर,सर सेरेना की एक छोटी बहिन थी - आज्ञा."


"हां ,जाओ.जानता हूँ."



युवती फिर बोली-
"सर!"

पुष्प कन्नौजिया चीखा -

"मैने कहा न,जाओ."


"सारी,सर."



""" ** """


सन 2165ई0की मार्च!


भविष्य त्रिपाठी खन्ना जी अर्थात राघवेन्द्र खन्ना के साथ उपस्थित था जो कि अब दोनोँ 'साइबोर्ग ' के रूप मेँ थे.


"दस करोड़ इक्कीस सौ चौसठ वर्ष पहले टेथिस सागर द्वारा विभाजित इण्डो आस्ट्रेलियन और यूरेशियन प्लेट,जो पहली बार करीब छ:करोड़ वर्ष पहले टकरायी.प्रतिवर्ष एक दूसरे की तरफ 02 इंच खिसकती रही थी. ....लेकिन फिर भारत की भूगर्भीय चट्टान या प्लेट को नये बने सागर ने दो भागोँ मेँ कैसे बाँट दिया ? "


" सनडेक्सरन धरती की गुफा से प्राप्त एक पुस्तक-'जय कुरुशान जया कुरुआन' से जानकारी मिलती है कि सिन्धु घाटी सम्यता के नष्ट होने व इण्डो आस्ट्रेलियन और यूरेशियन प्लेट के करीब आने से आया भूकम्प ही ही है."



"....... कारण भूकम्प है,यह सत्य हो सकता है लेकिन इन दोनोँ प्लेट के करीब आने के कारण.......?! ''



" हाँ , भविष्य ! तो पुष्प कन्नोजिया को फिर आप मरने से क्योँ नहीँ बचा पाये?उसको साईबोर्ग बनाया जा सकता था."


"पुष्प,साईबोर्ग बनने के खिलाफ था.प्रकृति पर अपनी इच्छाएं थोपने के खिलाफ था.हालांकि आयुर्विज्ञान के सहयोग से वह एक सौ सात वर्ष जिया था."


"तो इस हिसाब से......... ."


"वह 26जून2100ई0 को इस दुनिया को छोँड़ गया."


"सेरेना आज्ञा की बड़ी बहिन थी लेकिन .........?भविष्य!"


"जब मैँ मीरानपुर कटरा मेँ था तो आज्ञा से मेरी मुलाकात होती रहती थी. हालांकि वह आदर्श बाल विद्यालय इण्टर कालेज मेँ पड़ती थी और मैँ श्री बलवन्त सिँह इण्टर कालेज मेँ.उसने एक बार मुझे अपनी बड़ी बहिन सेरेना के बारे मेँ बताया था . "


"क्या?"








"अपना घर छोड़ने से पहले सेरेना का नाम था शिल्पा सिँह."


"तो सेरेना अर्थात शिल्पा सिँह को अपना घर क्योँ छोड़ना पड़ा ? "


"दरअसल...?!"


सेरेना उर्फ शिल्पा सिँह .....?!


वह शोध छात्रा थी .हालांकि वह अभी शादी नहीँ करना चाहती थी लेकिन माता पिता का दबाव मेँ आकर शादी करनी पड़ गयी.उसे अपना पति पसन्द न आया,वह दारु पीता था ,तस्करी का भी कार्य करवाता था,हर रात नई नई लड़कियोँ से सम्बन्ध स्थापित करता था.जब शिल्पा सिँह ने विरोध करना शुरु कर दिया तो वह उसे पीटने लगा.शिल्पा सिँह अपने मायके आ गयी लेकिन मायके से भी अब कोई मदद नहीँ.



तो शिल्पा सिँह..!?



जीवन जीने का मतलब यह नहीँ कि घुट घुट कर जियो .कम से कम व्यक्तिगत जीवन मेँ सहजता होनी चाहिए.व्यक्तिगत जीवन उसी के साथ जियो जिससे प्रेम हो या जो हमसे प्रेम करता हो या जिसके साथ जीना मजबूरी हो या जिससे हमारा लक्ष्य पूर्ण हो रहा हो.मुझे अपने पति से बिलकुल प्रेम नहीँ है.मेरे पति को मुझसे बिलकुल प्रेम नहीँ है .मेरा उसके साथ जीना मजबूरी नहीँ है.उसके साथ जीने से मेरे कोई से लक्ष्य पूर्ण नहीँ हो रहे.किसी ने कहा है कि अपनी प्रतिभा के साथ समझौता नहीँ करना चाहिए.


फिर-


शिल्पा सिँह ने अपने पति से तलाक ले लिया.


ऐसे मेँ समाज मेँ अलग थलग पड़ने पर उसका सहयोगी बना शाहजहाँपुर के एक चर्च मेँ एक युवा पादरी .हिन्दू समाज मेँ लोगोँ के कमेँट्स , उपेक्षा , कोई जीवन साथी न पाने व ईसाई समाज मेँ अपना जीवन साथी पाने के परिणाम स्वरूप उसने पन्थ परिवर्तित कर लिया.


और फिर वह शिल्पा सिँह से बन गयी - सेरेना.



सन 2008 ई0 की 10 सितम्बर!


'कान्टेक्ट म्यूजिक डाट काम' के मुताबिक ब्रिटिश गायक राबी .....

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