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मंगलवार, 12 जुलाई 2011

न्यूमैक्सिको : सन1947ई0



               सन 1947ई 0 का समय!
               सत्ता हस्तान्तरण वक्त!

अप्रत्यक्ष रुप से सत्ता ब्रिटिश के ही हाथ में रहे ,इसके लिए नेहरु को तैयार कर लिया गया था.लार्ड माउण्टवेटन की पत्नी के झांसे उलझ कर देश का हित भूल देश विभाजन व कामनवेल्थ का सदस्य बनने को तैयार हो गये थे.



हिन्दुस्तान के इतिहास मे एक नये अध्याय का प्रारम्भ!



न्यू मैक्सिकोँ में दो स्थानों पर उड़नतश्तरियां गिरी थीं.जिसका गबाह था-
न्यू मैक्सिको का ही मि एस.जो मानवतावादी अण्डरवर्ल्ड चीफ मोनिका के नाना थे .
वह इस वक्त अमेरीकी जेल में कैद थे.जब उसकी निगाह सलाखों से बाहर गली में पड़ी तो -


सामने गली से एक त्रीनेत्री ग्यारह फूटी व्यक्ति उसके कठघरे की ओर ही आ रहा था.


तब मि एस सोंचने लगा -
"सनडेक्सरन धरती का निवासी !"


"हा! मैं सनडेक्सरन धरती का निबासी ."मि एस ने पीछे मुड़ कर देखा,लेकिन पीछे कोई न था .आवाज पीछे से ही आयी थी.

सनडेक्सरन नागरिक करीब आ चुका था.उसने अपना हाथ सलाखों से अन्दर डाल कर मि एस के शर्ट को सामने से पकड़ कर ऊपर उठा लिया और -

"मैने सोंचा कि मि एस का मुखड़ा भी देख लिया जाए."

फिर जब वह मि एस को छोड़ देता है तो मि एस जमीन में गिर जाता है.फिर सनडेक्सरन नागरिक वहां से चलते बना.वह मि एस की निगाहों से ओझल ही हो पाया था कि-तभी उसे एक चीख सुनायी दी.यह चीख पड़ोस के एक कठघरे से आयी थी.जिसमें उड़नतश्तरियों की धरती -'धधस्कनक' का वह नागरिक कैद था जो कि मि एस के फार्म पर मि एस के साथ ही गिरफ्तार किया गया था .


मि एस को तो जेल से छोंड़ दिया गया था लेकिन उसके साथी अर्थात धधस्कनक नागरिक को नहीं छोंड़ा गया था.


दो दिन बाद-
आकाश में एक यान तीब्र विस्फोट के बाद नष्ट हो गया,जिसमें मि एस उपस्थित था.


पूरी दीवार ही एक स्क्रीन में तब्दील थी.जिसमें अन्तरिक्ष के चलचित्र आ रहे थे.अनेक अन्तरिक्ष यान तीव्र विस्फोटों के शिकार हो रहे थे .



अधेड़ावस्था से निकल वृद्धावस्था मे प्रवेश करने वाली अब मोनिका बैठी स्क्रीन पर चित्रों को देख रही थी.


सन बीस सौ इक्कीस की उन्नीस जनवरी!


आज ओशो की पुण्यतिथि के अवसर पर अनेक स्थानों पर से कार्यक्रम की सूचनाएं थीँ.भारत के खजुराहों में भी कार्यक्रम का आयोजन था.खजुराहो बैसे तो सन1999ई में ही विश्वपरिदृश्य पर आ गया था.खजुराहो के एक हजार वर्ष पूर्ण होने के अबसर पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था.इस सम्बन्ध में ओशो की काफी विस्तृत योजना थी,लेकिन अफसोस वह सन उन्नीस सौ नब्बे में ही इस दुनिया से जा चुके थे.
सन1999 - 2000ई
खजुराहो कार्यक्रम ओशो प्रेमियों के लिए अधिक सन्तुष्टि प्रदान न कर सका था लेकिन 2031में19जनवरी से 26जनवरी तक का सांस्कृतिक आध्यात्मिक कार्यक्रम काफी आनन्ददायक था क्योंकि इस कार्यक्रम काफी आनन्ददायक था क्योंकि इस कार्यक्रम की सारी योजना ओशो प्रेमियों की थी.


लेकिन -


दुनियां में विभिन्न स्थानों ,कृत्रिम उपग्रहों,अन्तरिक्ष यानों व रडार केन्द्रों को विस्फोटों के माध्यम से निशाना बनाया गया था.




अन्तरिक्ष में एक अज्ञात धरती ,जहां से एक अन्तरिक्ष यान उड़ कर अन्तरिक्ष यात्रा पर था.इस अन्तरिक्ष यान में तीन लोग उपस्थित थे-मोनिका,ननकेरमक नागरिक जो कि ताम्ररंगी नाटा था,व तीसरा-सनडेक्सरन नागरिक 'कहसरक्यूनसे' .

'कहसरक्यूनसे' से मोनिका बोली-"यान को हाहाहूस की ओर मोड़ दो."



"हमारे पूर्वजों ने अमेरीका व अन्तरिक्ष की कुछ कुशक्तियों के साथ मिल कर मोनिका के मानवतावादी वर्ल्ड को ध्वस्त कर दिया था.आज हम फिर देवरावण के साथ मिल कर मानवतावादी शक्तियों को नष्ट करेंगे . "



-सनडेक्सरन का एक बागी नागरिक 'चटकाएतपयटचट' बोला.
"सन 2020ई0 एक संस्था अपना 75 वां वर्षगाँठ माना  रही होगी। वह संस्था के लोग पूरी दुनिया में अनेक स्थानों से अपने अपने स्तर से मुहिम चला रहे होंगे।"

"तो....."

"पूरी बात तो सुनों- मनुष्य इतना गिर चुका होगा कि सूक्ष्म जगत की नगेटिव पॉजीटिव घटनाएं उन्हें नहीं दिखाई दे रही होंगी।हर शहर में उसका अहसास करने वाले तो होंगे लेकिन उनको लोग जब तक जाने गे तब तक काफी देर हो चुकी होगी।

"ऐसा क्या...!?"

" कुदरत इंसान जाति के कुकृत्यों से प्रभावित हो कर सन्तुलन बनाने में जो करेगी वह का प्रभाव इंसान नहीं झेल पाएगा। दक्षिण भारत तब दुनिया के लिए महत्वपूर्ण होगा।कोरो-ना अभियान बीच साइबेरिया के पड़ोस से कुकर्म का परिणाम विश्व के इंसानों को निगले गा तब लोगों की आंखे खुलेंगी। कोरो को तब स्वीकर करेंगे।"

"ये कोरो क्या? कोरो - ना क्या?"

"इस पर अभी यही है कि कोरो का मतलब भारत के गांव में सफाई से है। विस्तार से तो तभी पता चलेगा।"

"बीसलपुर से कालसे महाराज के पास सन 1996-97 में....'

 "वहां भावी विश्व को लेकर सूक्ष्म शक्तियों से प्रभावित हो तीन चार बार वार्ताएं हुई हैं।"

" उसी दौरान एक रात्रि गोपी टाकीज की दुकानों के सामने चबूतरे पर सुन सान समय दो युवकों के बीच आई जी या जी आई नाम से एक मिशन को देखा गया।"

"जिसे सन 1990-91 में बीसलपुर के ही डिग्री कालेज के मैदान में कुछ विद्यार्थियों के बीच महाभारत का नाम दिया गया था।

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