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शनिवार, 9 जुलाई 2011

बालक हफ्कदम और देवरावणी सेना

सन 6020ई0 का विजयादशमी पर्व! मातृदेवी की भव्य प्रतिमा के समक्ष शस्त्रपूजन कार्यक्रम चल रहा था.सनडेक्सरन नि वासी बालक हफ्कदम के एक युवती के साथ मंच पर उपस्थित था. दोनों तीननेत्री थे. एक वृद्व सन्यासी जो कि हरा व लाल रंग के वस्त्र पहने था.हवन कुण्ड की अग्नि प्रजव्लित करते हुए बोला -"जीवों में चेतना के दो अंश होते हैं-परमात्मांश व प्रकृतिअंश.इन दोनों में सन्तुलन का सिद्धान्त ही (एक ओर स्थापित श्री अर्द्धनारीश्वर प्रतिमा को देखकर) श्रीअर्द्धनारीश्वर स्वरुप में छिपादर्शन है.आज विजयादशमी पर आप सगुणप्रेमियोँ के द्वारा मातृदेवी के समक्ष शस्त्रों की पूजा का मतलब क्या है?प्रकृति को बचाने को शस्त्र उठने ही चाहिए लेकिन शस्त्र सिर्फ स्थूल ही नहीं होते.हर कोई प्रकृति का संरक्षक सगुण व क्षत्रिय है." आकाश में अनेक यान तेजी के साथ तेज आवाज करते हुए मड़राने लगे.
और... " हा... हा.. हा.. हा.....! " - अपने नियन्त्रण कक्ष से एक वृद्ध राजसी व्यक्ति ठहाके लगा रहा था. यह वृद्ध व्यक्ति...?!अचानक वह चौंका.स्क्रीन पर दिख रहा था कि सारे नष्ट किये जा रहे थे और अब बालक हफ्कदम हँसते हुए बोला-"देवरावण!तू ..."

ASHOK KUMAR VERMA 'BINDU' WITH MANVATA HITAY SEVA SAMITI,U.P., INDIA .

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