Powered By Blogger

शनिवार, 30 जुलाई 2011

आदि मानव कूर्म क्षत्रिय:कितना सच कितना झूठ? लेखक:अशोक कुमार वर्मा'बिन्दु'

कश्यप गोत्र धारियों का इतिहास शेष गोत्रधारियों से पुराना है.

----------
मेरें Nokia फ़ोन से भेजा गया

------Original message------
From: Ashok kumar Verma Bindu <akvashokbindu@yahoo.in>
To: <akvashokbindu@gmail.com>,<deshpremi.bharat@gmail.com>,<rsahara@saharasamay.com>,<bareilly@livehindustan.com>,<admin@khabarindiya.com>,<article.hindi@delhipress.in>,<aajbareilly@gmail.com>,<Dr.Nagesh.Pandey.Sanjay@gmail.com>,<freelance@oneindia.co.in>
Date: रविवार, 31 जुलाई, 2011 4:09:29 पूर्वाह्न GMT+0000
Subject: आदि मानव कूर्म क्षत्रिय:कितना सच कितना झूठ? लेखक:अशोक कुमार वर्मा'बिन्दु'

प्रथम ऋषि थे कश्यप.प्रथम गोत्र था कश्यप.
इण्डोकैश्पियन जिनके वंशज थे.कुमायूं का एक नाम कूर्मांचल भी मिलता है.कूर्मांचल ,कश्मीर,तिब्बत,मानसरोवर,पाकिस्तान,अफगानिस्तान,आर्यान अर्थात ईरान आर्यों का मूलस्थान कहे जा सकते हैँ.कुमायूँनी व रोमनी भाषा मेँ समानता है,जिसे यमुनादत्त वैष्णव 'अशोक ' ने साबित किया है.

----------
मेरें Nokia फ़ोन से भेजा गया

------Original message------
From: Ashok kumar Verma Bindu <akvashokbindu@yahoo.in>
To: <go@blogger.com>
Date: रविवार, 31 जुलाई, 2011 9:19:58 पूर्वाह्न GMT+0530
Subject: यमुनादत्त वैष्णव 'अशोक':एक संक्षिप्त परिचय

दक्षिणी भारत,प्राचीन सुमेर,मिश्र और भूमध्य सागर देशों की मौलिक सांस्कृतिक समानता के अध्ययन क्षेत्र मेँ यमुनादत्त वैष्णव 'अशोक' का नाम चिरस्मरणीय रहेगा.
इनका जन्म कौसानी (अल्मोड़ा) के निकट ग्राम धौलरा मेँ 02अक्टूबर1915ई को हुआ था.

युनेस्को द्वारा कुमाऊंनी शब्दकोष के अन्तर्राष्ट्रीय महत्व को देखते हुए कोष निर्माण अनुबन्ध के लिए एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के मुख्यालय बैंकाक का आमंत्रण .

कोष निर्माण के लिए युनेस्को को साझेदारी का अनुबन्ध और वित्तीय सहायता.

बैंकाक की यात्रा के दौरान "थाइलैण्ड की अयोध्या" शीर्षक 12 लेखों के ग्रन्थ का प्रणयन.


मार्च1989को 75वर्ष पूरे होने पर 02अक्टूबर सन 1990 को नैनीताल के बुद्धिजीवियोँ द्वारा अभिनन्दन तथा उनके ग्रन्थ "पुरस्कृत विज्ञान कथा साहित्य" का लोकार्पण .

सन 1990ई0 तक इनके द्वारा 34 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी थीं.जिनमेँ -विज्ञान कथा साहित्य ,15 उपन्यास, 07 कथा संग्रह ,08 हिन्दी विज्ञान साहित्य, 05 संस्कृति और इतिहास .

यह कुमाऊं संस्कृति परिषद ,नैनीताल के अध्यक्ष भी रहे.उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 'द्रविण और विश्व मानवता'ग्रन्थ पर संस्कृति पुरस्कार से सम्मानि किया गया.

इण्डोकैस्पियन(आदि द्रविड़)संस्कृति पर यरुशलेम अन्तर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी सम्मेलन मेँ मार्च अप्रैल 1985ई0 में मध्यपूर्व,मिश्र व रोम की यात्रा.

प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन नागपुर मेँ जनवरी 1975 मेँ 'कुमाऊंनी और अन्तर्राष्ट्रीय रोमनी (जिप्सी) भाषा'की समानता पर पढ़ा गया निबन्ध.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें