सनडेक्सरन से त्रीनेत्री आरदीस्वन्दी सदभाव की ध्वनि 'ओम आमीन' तरंगों के आधार पर भुम्सनदा धरती पर पहुंच तो गयी थी लेकिन....?!
वे ध्वनि तरंगें अब शून्य मेँ थीँ.भुम्सनदा पर लैण्डमार्क के समीप सूर्यमंदिर के पास जहाँ एक दीवार पर यान व विशेष वेशभूषा पहनी एक युवती का चित्र बना था.पड़ोस मेँ एक पत्थर पर आरदीस्वन्दी बैठी थी.पशु पक्षियों द्वारा लाए गये फूल पत्तियां उसके आसपास पड़े हुए थे.ब्रह्माशकल कुछ सूक्ष्म शरीर उससे मुलाकात कर जा ही पाये थे कि वहाँ अपने उड़नतश्तरी यान से युवती हलदकरोड़ा अपने दोनेँ युवक साथी दस रलकम व फदरस्लन के साथ वहां आ पहुँची थी.
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भयानक जंगल !सदभाव की ओर कदम!!
यह कदम एक अभियान से कम नहीं थे.
जून सन 5020 ई0 मेँ सदभाव के अज्ञातबास में जाने के एक हजार वर्ष बाद अब ब्राह्माण्ड से उसका सामना होने वाला था.जंगल मेँ आरदीस्वन्दी के साथ 25 लोग थे.
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मेरें Nokia फ़ोन से भेजा गया
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