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बुधवार, 6 जुलाई 2011

राजीव की हत्या के पीछ��!

ब्रिटेन की एक बहुमंजिला इमारत के सबसे ऊपरी मंजिल पर एक गोष्ठी चल रही थी.

दो ब्रिटिश आपस में बात कर रहे थे.शेष सब खामोश थे.क्लेयर शार्ट का पिता थाम्पसन भी इस गोष्ठी में शामिल था.


"सर! पंजाब समस्या के प्रश्न पर सन्त लोंगोवाल व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बीच समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अब सन्त लोंगोवाल पर..."




"शा.....शान्त......!तुम कुछ अधिक ही बोलने लगे हो.अभी यहाँ गोष्ठी का उद्देश्य...."



"सारी सर! "


"सारी ? तुम तो सारी कह कर काम चला लेते हो लेकिन.... . "



"सर!अमेरीका में कैद राबर्ट के अब कैद करने रखने से क्या लाभ, वो तो....... ."



"उसे अभी छोड़ा भी न जा सकता और मारा भी न जा सकता.चीफ का अब जो आदेश हो."


"वो काफी दृढ़ है,इण्डिया के खिलाफ कुछ भी नहीं बोल सकता लेकिन एक बात समझ में नहीं आती कि ओशो के खिलाफ......."



"तुम नहीं जानते उसके प्रेममय ,सत्य एवं ईमानदार भाषणों से विश्व की जनता उस ओर आकर्षित हो रही है.जनता अनभिज्ञता में रहे तभी हम लोगों व सत्तावादियोँ का लाभ है."


"लेकिन सर...."



उपस्थित थाम्पसन के मन में न जाने क्या आता है कि वह उठ कर चल देता है .


बाहर-

"थाम्पसन,सा'ब आप!?बहुत जल्दी!"



"स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था"-कहते हुए थाम्पसन आगे बढ़ गया.



* * *


थाम्पसन रात्रि के समय अकेले बैठा चाँद की ओर निहार रहा था.



"मैं पैर से लेकर सिर तक कम्पित हो जाता हूँ - एकान्त में.इन विश्व की कुचक्रकारी शक्तियों की शाखाओं के सामने मैं झुक तो गया हूं बिना किसी कारण के,लेकिन मेरा एकान्त मुझे मेरे इस कुकृत्य को लेकर कुचेटने लगता है. मेरे व्यवहार को लेकर मेरा पुत्र क्लेयर मुझसे नाराज है ही.व्यक्तिगत व परिवार की पूर्तियों के लिए मेरी भौतिक लालसा के कारण कुशक्तियों के साथ के कारण वह ही नहीं....! हूँ;क्लेयर कहता ही रहता कि कहाँ गये वो तुम्हारे सिद्धान्त? उन पर कल्पनाएं जोड़ कर अनेक पुस्तकें लिख डाली लेकिन व्यवहार में....?मुझपे दबाव डाला जा रहा है अब कि मैं इण्डिया जाऊं,उद्देश्य बताया जाना बाकी है. "




"डैडी!"




वह देखता है कि सामने उसका बेटा क्लेयर शार्ट खड़ा है .



"चलो खाना तैयार है."



"आता हूँ ,तुम चलो."


फिर-


क्लेयर शार्ट चला जाता है.




"इण्डिया जाने से पहले न्यूयार्क के हिलटन होटल में आगामी मिटिंग की व्यवस्था मुझे ही करनी होगी."-थाम्पसन सोंच रहा था.




आज से चार पाँच वर्ष पूर्व !



स्थान दिल्ली दक्षिण के आर.के पुरम स्थित एअर हेड क्वार्टस.



वहां एक लोअर डिवीजन क्लर्क.



लोग उसके प्रति असमञ्जस्य में थे कि वह एक साधारण सा क्लर्क और उसकी जीवन शैली उसके पद के स्तर से काफी ऊंची.



आखिर-


उसको फाइव स्टार होटलों में विभिन्न पार्टियों से मिलते उसे देखा गया था .




एक विदेशी छात्रा-जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में,उससे उस क्लर्क का सम्पर्क !



वह था-एक भारतविरोधी जासूस.



उस विदेशी छात्रा के माध्यम से उसके विभिन्न लोगों से सम्पर्क हुए थे.



भारतीय गुप्तचर विभाग उसके खिलाफ सबूत एकत्रित करने में लग गया था.



सन चौरासी की छह अप्रैल को उसके लिए वर्खास्तगी के आदेश दे दिए गये थे.



संयोग से उन दिनों मैं यानि कि थाम्पसन दिल्ली में ही था.आठ अप्रैल की शाम मैं वहाँ से कलकत्ता रवाना हो गया था.उस समय मुझे इन्दिया गांधी की हत्या के सम्बन्ध में जानकारी भी थी. कलकत्ता में मैं लगभग एक मास रहा था फिर ब्रिटेन रवाना हो गया था.



हमारी टीम की उच्च समिति को जानकारी थी कि अमेरीकी गुप्तचर एजेंसी 'फडरेल ब्यूरो इनवेस्टिगेशन' का कोई एक एजेण्ट की हमारी टीम के एक सदस्य पर नजर पड़ गयी है.तेईस दिसम्बर को उसकी हत्या कर दी गयी थी लेकिन मुझे बुरा लगा था.यदि ऐसी स्थिति मेरे साथ तो......तो फिर मेरी भी हत्या?मैने मिटिंग में इस हत्या पर अनेक प्रश्न भी किये तो सब की निगाहें ऐसी थीं कि वे सब मुझे खा जायेंगे.



एक जनवरी को मुझे आदेश मिला कि मैं न्यूयार्क जा कर गुर प्रताप सिंह बिर्क , लाल सिंह,आदि युवकों से सम्पर्क करुँ.हमारी टीम को इन युवकों के सम्बन्ध में जानकारी हुई थी कि वे राजीव गांधी ,मुख्यमन्त्री भजन लाल सहित अनेक नेताओं की हत्या के साथ इण्डिया में अन्य विध्वंसकारी कार्य करना चाहते हैँ.हमारी टीम का विचार था कि उन्हें कैच कर सन्तुष्ट किया जाए और उनसे अपना काम भी लिया जाये.मैं पिच्चासी सन के सत्ताईस जनवरी को न्युयार्क मेँ प्रवेश कर चुका था लेकिन मुझे नववें दिन अन्य खास काम से ब्रिटेन बुला लिया गया.न्यूयार्क में हमारा दूसरा एजेण्ट आ चुका था.



थाम्पसन सोंच रहा था-



मैं सक्रिय तो हूँ इन लोगों के साथ लेकिन शुरु से अभी तक मेरा एकान्त मुझे कचोटता है.

"राजीव हत्या के पीछे...?"

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