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मंगलवार, 12 जुलाई 2011

20जनवरी के विस्फोट !

तेज ठहाकों से कक्ष गूंज उठा था.
यह ठहाके थे-पच्स्कदन के,अर्थात एक सनडेक्सरन निवासी के.


"वो पृथ्वी के लिए जयचन्द्र ही सही लेकिन है हमारे काम के.ऐ न्यूयार्की,शाबाशी दे डालो मेरी ओर से सबको."


"ओके सर!"


फिर पच्स्कदन विडियो फोन पर एक युवती फन्जेफडस से सम्पर्क करता है.


"फन्जेफडस!आज मै बहुत खुश हूँ.देख लो मुझे तेरी जरुरत नहीं पड़ रही है.देख मै तेरे बिना भी बहुत खुश हूँ."


"यह तेरी खुशी नहीं, तेरी मौत का जश्न है."


"हूँ!तू तो मुझे चाहती है प्रेम करती है."



"तू तो कलंक है कलंक!सनडेक्सरन धरती के लिए.आगे चल कर तुझे यहाँ के नागरिक ही नहीँ सारी धरतियों के मनुज तुझपे थूकेँगे ."


"हूँ!होने दो!"


फिर पच्स्कदन कक्ष से बाहर हो जाता है.


इधर मोनिका-

मोनिका का सारा कामकाज ,उसका और उसके साथियों का कार्यालय,गुप्त आवास,नियन्त्रण कक्ष,आदि पहाड़ों के नीचे अण्डरग्राउण्ड थे.
जो अब कुशक्तियों के विध्वंसक कार्यवाहियों के शिकार हो चुके थे.


मोनिका अन्तरिक्ष के किसी अज्ञात धरती से यान द्वारा कहसरक्यूनसे (त्रीनेत्री सनडेक्सरन निवासी) व ननकरेमक निवासी ताम्ररंगी नाटा व्यक्ति के साथ हाहाहूस धरती की ओर जा रही थी.
* * *


हाहाहूस धरती पर!


हाहाहूस धरती पर एक गुफा के सामने 'कक् लएश्श देवय ' की आदम कद प्रतिमा लगी हुई थी.जिसके सामने एक चबूतरे पर बैठा शक्ति वम्मा अपने पुत्र के साथ मेडिटेशन मेँ था .




मोनिका का यान एक गुफा के अन्दर प्रवेश कर गया.यान के रुक ने के बाद मोनिका दोनों के साथ यान से बाहर आ गयी.आगे बढ़ जब तीनों एक विशाल कक्ष में प्रवेश किए तो वहाँ उपस्थित युवक युवतियाँ व व्यक्ति अपनी अपनी कुर्सी से उठ बैठे और -
अभिवादन के बाद मोनिका बोली-"शक्ति वम्मा कहाँ है ? "



एक युवती बोली-" उनका अभी मेडिटेशन का समय है,वे...."

फिर मोनिका दोनों के साथ दूसरे कक्ष में प्रवेश कर कुर्सी पर बैठ गयी.एक ओर मानीटर पर दृश्य,


कि-

कक् लएश्श की आदम कद की प्रतिमा के समीप अब शक्ति वम्मा अपने पुत्र व अन्य के साथ मेडिटेशन में था.



* * *



न्यूयार्क मेँ एक हवेली !


इस हवेली के एक कक्ष मेँ-

कुछ कुशक्ति व्यक्ति मीटिंग कर रहे थे जिसमें न्युयार्की भी उपस्थित था.


विडियो फोन से पच्स्कदन सभी को सम्बोधित कर रहा था.


"....ए न्यूयार्की!जरा सम्भल कर . मोनिका के ठिकानों के साथ साथ चर्चित के कुछ ठिकानों पर विस्फोटों से वे और सशक्त हो कर उभर रहे हैं.रुचिको पृथ्वी पर आने वाली है.हम नाटक खेल रहे है,देखो कितना कमयाब होते है कि वह पृथ्वी पर न आने की अपनी शपथ न तोड़े."


एक अनाम पागल को एक अमेरीकी पागल खाने से निकाल कर समुद्री जहाज से समुद्र के बीच फेँक दिया जाता है.

लेकिन कुछ देर बाद वह जहाज एक विस्फोट से नष्ट हो जाता है.



इधर अनाम....!


समुद्र की लहरों से जूझते अनाम की तश्वीरें स्क्रीन पर थीं.


जिस पर निगाह थी-अशोक शक्ल व्यक्ति की.
अशोक शक्ल व्यक्ति की ?

हाँ!अशोक शक्ल व्यक्ति की ही निगाहें स्क्रीन पर थीँ.


स्क्रीन पर-


एक व्यक्ति एक यान समुद्र में उतार कर उस पागल अनाम को बचा लेता है.



अशोक शक्ल व्यक्ति स्क्रीन से निगाहें हटा कर पीछे खड़ी एक नवयुवती को देख,जो स्कर्ट ब्लाउज पहने थी-
" तुम यहाँ से चलने की मेरी व्यवस्था करो."


"क्या?सर!आज और रुक लेते.वैसे भी इस बार डेढ़ महीने बाद यहाँ आये हो."


वह उठ कर वह नवयुवती के रोकने के बाबजूद बाहर निकल आया.



अशोक शक्ल जब बाहर आया तो अनाम को देख-
"धन्यवाद!"

"सर!धन्यवाद कैसा?मेरे होते भी वहाँ बम विस्फोट!"
"क्या सोंचने लगे?"
"हूँ, ये सत्तावाद व पूंजी वाद का खेल कब थमेगा?सन2019-20 से नया करबट लेगा!"
"क्या?समझा नहीं?"
"हिटलर याद है?पहले मुर्गे के पर को नोच डालो, फिर....??"
"फिर क्या?फिर दाना डाल दो।"
"जनता भी मूर्ख है?जनतंत्र तो जनता का शासन है लेकिन....?"
"अब भय का खेल वायरस,जैविक आक्रमण व उसके आड़ में व्यापार....अनेक सत्ताएं भी न समझ पाएगीं सन2020 में!"

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