Powered By Blogger

बुधवार, 13 जुलाई 2011

द अफ्रीकन

भूमध्य सागरीय आदिमानव! क्रीट सभ्यता एवं अफ्रीका का इतिहास.....



दूसरी ओर एक मार्डन फैमिली,जिसमेँ एक युवती .....उम्र उसकी तीस वर्ष.


उसकी महत्वाकांक्षा कि मैं चाहती हूँ सारी दुनियां मेरी मुटठी में हो और वो (जीवनसाथी)जो हो ,उसके लिए मैं ही सारी दुनियां होऊँ.मेरे सिवा सारी दुनिया को वह भूल जाए.


इस युवती को जंगलों में जाकर विभिन्न औषधियों व वनस्पतियों के बारे में जानकारी एकत्रित करने का शौक था.वह एक मेडिकल इंस्टीटयूट मेँ कार्यरत थी.लेकिन इस वक्त वह अफ्रीका के जंगलों मे थी...




दूसरी ओर एक मनोचिकित्सालय.....एक पागल एक रुम में था,उसने कुछ चित्र बना डाले थे-
एक चित्र में भूमध्यसागरीय क्षेत्र, दूसरे मेँ संसार तीसरे मेँ पृथ्वी ,चौथे में एक आकाशीय पिण्ड ,पाँचवें मेँ एक अन्तरिक्ष यान .....


उस पागल ने अपनी आंखे बन्द कर रखी थीं.


क्या वह वास्तव मेँ पागल था-


अन्तरिक्ष मेँ एक यान!


एक स्क्रीन पर मनोचिकित्सालय के चलचित्र!उस पागल की तश्वीरें भी.....



"यह पागलखाने मेँ!"


"पृथु की धरती के हाल क्या है?कैसे बयां करें ? "


" चलो ठीक है,इसके माइण्ड हमारे कम्पयूटर के कांटेक्ट मेँ आ गया है.क्या था विचारा,दुष्ट इन्सानों ने इसे क्या बना डाला?इसका ही बेटा नहीं क्या इसके शक्ल का अफ्रीका के जंगलों मेँ?"


"नहीं!"

"इसके जुड़वा भाई की करतूत है वह..."



इधर अफ्रीका के जंगलों मेँ.....

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें