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शनिवार, 9 जुलाई 2011

....हंस कर लेंगे हिन्दु��्तान !

नादिरा खानम !

भविष्य त्रिपाठी के साथ अनुसंधान कार्य में लगी रहती थी-नादिरा खानम.



सन 2031ई0की हजरत अली जयन्ती!
मीरानपुर कटरा, शाहजहांपुर में कब्बाली का आयोजन था.



अपने जीवन में पचास बच्चे पैदा करने वाली फहरीन अंसारी को मुसलमानों की आबादी बढ़ाने में योगदान हेतु इनाम दिया गया .



इस कार्यक्रम की अतिथि थीं-नादिरा खानम.



"फहरीन अंसारी मुसलमानों की आबादी बढ़ाने मेँ योगदान दिया ,यह मेरे लिए ताजुब्ब की बात है.कहाँ है मुसलमान ?आप लोग कहते हैं कि दुनिया में मुसलमान की आबादी आसमान चूमने लगी है.दुनिया की सत्ता चन्द सालों बाद हमारे हाथ में होगी .यह आप लोगों का मानना है. मुझे तो मुट्ठी भर से भी कम मुसलमान दिखे हैं.मुसलमान कौन है?
जिसका ईमान दृढ है,वही मुसलमान है. मोहम्मद साहब से बढ़कर मुसलमान कौन है?उनसे बढ़कर क्या कोई दयालु है?वे उस दुष्ट महिला का सम्मान करना भी जानते हैं,जो प्रति दिन उनके ऊपर कूड़ा फेंकती है .आप ईमान से पक्के हैं क्या ?ईमान पर पक्के रहने वालों की आबादी बढ़ रही है क्या? "- नादिरा खानम बोल रही थीँ.




पब्लिक के बीच से दो युवक खुसुर फुसुर करने लगे थे-
"साली,यह थोड़ी बोल रही है.यह तो इसका यार भविष्य त्रिपाठी बुलवा रहा है.इन युवकों के पास पुष्प कन्नौजिया भी बैठा था.वह गुस्से का घूंट पी कर रह गया .


"पाकिस्तान लिया था लड़ के अब हिन्दुस्तान लेंगे हंस के ."-एक मुस्लिम युवक बोला.


पुष्प कन्नौजिया वहां से उठ बैठा.


नादिरा खानम अब भी बोल रही थी -



" यह धरती इन्सान व कुदरत के बिना क्या महत्वहीन नहीं हो जाएगी? जाति मजहब से ऊपर उठ कर करुणा व प्रेम की मिसाल प्रस्तुत कीजिए .सार्भौमिक सत्य के पथ पर यात्रा तय किए बिना इन्सान क्या इन्सान? अपने पन्थ के सामने अन्य पन्थ को हीन भावना से देख कर व जीव जन्तु वनस्पतियों का नाश करना कहां का ईमान है.पूरी दुनिया में अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहते हो तो सर्वसम्मत्ति से विश्वसरकार तथा आम आदमी के लिए अन्तर्राष्ट्रीय शरहदों को खोल देने की वकालत करो.चाहें गैरमुसलमान क्यों न हो ,ईमानदार व दयालू व्यक्तियों का संरक्षण होना चाहिए . क्यों न कोई मुसलमान हो,यदि वह भ्रष्ट व हिंसक है तो उसकी बगावत करो."



* * *


मुगलिस्तान जिन्दावाद के नारे तेज हो चुके थे.


मुगलिस्तान में पाकिस्तान,अफगानिस्तान व बांग्लादेश सहित पूरा उत्तर भारत शामिल किया गया था .हर भारतीय मुसलमान का मकसद बन चुका था-मुगलिस्तान.



कुछ सेक्युलरवादी ताकतें उभरीं तो थीं लेकिन उनके साथ मुस्लिम आबादी नहीं थी.यह सम्राट अकबर की दीन ए इलाही पन्थ के आधार पर चल रहीं थी.यह दूसरी जाति में शादी करने की वकालत कर रही थीं.



ओशो जन्मशताब्दी वर्ष के अवसर पर कार्यक्रमों में ओशोप्रेमी व कुछ अन्य संगठन सार्क राष्ट्रों का एक संघ राज्य व आम आदमी के लिए अन्तर्राष्ट्रीय शरहदें खोलने की वकालत के साथ विश्व सरकार हेतु जनमत तैयार कर रहे थे.


लेकिन मुस्लिम आबादी गैरलोकतान्त्रिक व गैरसेक्यूलर मुस्लिम सरकार चाह रहे थे .बढ़ती मुस्लिम आबादी का दबाव मुस्लिम राज्य के लिए रास्ता सुगम बना रहा था.



फिर-


सन बीस सौ इक्कतीस की उन्नीस जनवरी!



आज से चालीस वर्ष पूर्व यानि कि उन्नीस जनवरी सन उन्नीस सौ नब्बे को ओशो परमसत्ता में विलीन हो गये थे.इसी अवसर पर पृथ्वी के अनेक नगरों में कार्यक्रमों का आयोजन था.सारी पृथ्वी पर सात जगह प्रमुख कार्यक्रम ,जैसे भारत में खजुराहो,अमेरीका में ओशो आश्रम,मास्को,नागासाकी,रोम,आदि स्थान .



सन2020ई0 तक अमेरिका व भारत साथ साथ आजाएँगे।
चीन की साम्राज्यवाद नीति उजागर होगी।
विभिन्न कारणों से सन 2050ई0 तक आबादी काफी कम होगी।

दिल्ली गद्दी भारत देश का भला नहीं कर पाएगी।
छद्म सेक्युलरवाद,पुराने दल, पुरानी व्यवस्था में बदलाव होगा।

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