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शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

सन2031ई0:यहां ऐसे वो.

हिमालय प्रकृति की अनुपम देन !
चारो ओर बर्फ ही बर्फ!कुछ समय पश्चात....लेकिन यह क्या....?!ताज्जुब......?!एक चोटी पर का वर्फ तेजी के साथ पिघलने लगा था.सिर्फ एक चोटी पर ही ऐसा क्यों?




एक अण्डाकार अन्तरिक्ष यान हिमालय के एक स्थान पर उतरा.इस यान से एक तीननेत्रधारी बालिका के साथ तीननेत्रधारी दो युवतियां बाहर आयीं थीं.इन तीनों के स्वागत में एक चार वर्षीय बालक अपने माता पिता के साथ खड़ा था.

उस तीन नेत्रधारी बालिका का नाम था-माजेडीसीकल दी.जो चार वर्षीय बालक से बात करने लगी थी.यह चार वर्षीय बालक काफी उम्र का लगता था.




इधर-


हिमालय की एक चोटी ,जिसका वर्फ तेजी के साथ पिघलने लगा था.
जब सारा वर्फ पिघला तो....?!यह क्या.....?!यह चोटी तो शीशे की बनी......



कि-


पिरामिड आकार की इस इमारत के सभी शीशे एक पुष्प के पंखुड़ियों की तरह खुल गये.जिसमें से एक यान निकल कर तेजी से आकाश में उड़ने लगा.



और फिर वह पंखुड़ियों की तरह के शीशे ......?!शीशे पूर्व स्थिति में आ गये.अब फिर वही चोटी सा.धीरे धीरे कर उस पर वर्फ जमने लगी.




* * *



भयंकर जंगल!


जंगल मेँ एक ओर डायनासोर व दूसरी ओर विशालकाय अजगर .जंगल के किनारे एक पहाड़ी पर स्थित दुर्ग,जिसके अन्दर एक बालक श्री कृष्ण की प्रतिमा के सामने हाथ जोड़े आंख बन्द कर बैठा था.



यह जंगल अन्य धरती का नहीं अपनी इस धरती का ही,लगभग सन चार हजार साठ ई0का रहा होगा.दक्षिणी भाग में-




एक विशालकाय डायनासोर उत्तर पश्चिम की ओर तेजी के साथ आगे बढ़ता जा रहा था.वह डायनासोर झाड़ियों के मध्य एक खण्डित दीवार को पार कर जब आगे बढ़ता है तो झाड़ियों से घिरी एक चबूतरे पर लगी ओशो की प्रतिमा से टकरा जाता है.उस छोटे से चबूतरे सहित वह प्रतिमा गिर जाती है.



एक आदिमानव नग्न अवस्था में एक पेंड़ से दूसरे पेंड़ पर छलांग लगाते हुए आगे जा रहा था.डायनासोर को देख कर एक पल तो वह वनमानव भयभीत हुआ फिर वह तेजी से छलांग लगा ज्यों ही दूसरे पेंड़ पर पहुंचा त्यों ही जिस वृक्षशाखा को उसने पकड़ा ,वह शाखा सहित नीचे आ गया.पीछे डायनासोर काफी नजदीक था .वह तेजी से आगे भागा लेकिन आगे एक विशालकाय अजगर को देख वह ठिठका.उसके पैरों से खून निकल रहा था.ऐसा कांटे चुभने के कारण हुआ था.तेजी से दौड़ते दौड़ते वह जमीन पर गिरी ओशो की प्रतिमा के पास आ गया.उसने एक विशाल पत्थर उठा कर उसकी ओर मुख बढ़ाते डायनासोर के चेहरे पर मारा.जिससे डायनासोर की बायीं आंख फूट गयी.फिर भी डायनासोर को आगे बढ़ते देख उसने ओशो की प्रतिमा उठा ली कि आसमान से आयी तेज किरणों से डायनासोर स्थिर हो जमीन पर गिर पड़ा.ओशो की प्रतिमा ऊपर उठाये उठाये ही उसने ऊपर देखा-आसमान पर वही यान उड़ रहा था जो कि वर्फीली चोटी के नीचे से निकला था.


स्क्रीन पर दिखायी दे रहा था कि एक बालक प्रार्थना में था.


अपने समीप बैठे एक एक युवक से युवती बोली-"चर्चित! यह बालक कौन है?"


"मंजुला,आगे सब जान जाओगी."



चर्चित पुन: मंजुला से बोला-

"किशोर की कल्पनाओं के माध्यम से युवा लेखक अशोक ने आगे दो हजार तीस वर्ष बाद के अपने काल्पनिक जगत में जाने का प्रयत्न किया."


"हूँ"-मंजुला सिर्फ गर्दन हिला देती है.




चर्चित फिर मुस्कुराते हुए बोला-
"गणेश जी को देख आयीं?"


" हां "


फिर

"बीसवीं सदी में जुरासिक पार्क,द लास्ट वर्ल्ड,जैसी फिल्में लोंगों के लिए मनोरंजन मात्र बन कर रह गयी थीं लेकिन वे फिल्में एक संकेत भी थीं भविष्य की,लेखक अशोक के अनुसार."



"बाईस जून को यदि लेखक अशोक की मृत्यु न होती तो शायद हमारी उससे मुलाकात होती."



"सम्भवत:...."



"सन उन्नीस सौ चौरानवे के बाद रोबोट कृत डायनासोर लोगों के लिए विशेषकर बच्चों के लिए एक अच्छा मनोरंजन बन गये थे लेकिन अशोक की कल्पना के अनुसार चवालीसवीं सदी के बाद इस धरती पर भी डायनासोर........"



"हूँ! जैसा तुम जिक्र कर चुके हो,चर्चित."



इस धरती पर डायनासोर....?चवालीसवीं सदी के बाद .....?!



कैसे..?




यहां ऐसे वो....



डायनासोर के वे जीवित अण्डे इस धरती पर कहां से आये ? किशोर अपनी उम्र की अधेड़ावस्था में जी रहा था .उसने इन अण्डों को नष्ट करने की वकालत की थी लेकिन उसकी न सुनी गयी.


"क्या सोंच रहे हो?"
"सोंचता हूँ- सन 610 ई0 से पहले भी यवन हिन्द द्वीप के लिए खतरनाक थे। हिंदुओं,पारसियों, यहूदियों के लिए खतरा थे अब भी हैं।"

"आत्मघाती बनने को तैयार रहे है ये ।"

"ये विषाणु बम भी विषकन्याएं भी बनाने को तैयार हैं।इन्हें सारी मनुष्य जाति, धरती में शांति से मतलब नहीं।"

"तभी तो...सन2020 ई0 में ये भारत सरकार की समस्या बन गए।"
"इस साल की बात करो।क्या धूमकेतु पृथु महि से टकराएगा?"
"कुदरत जाने।"


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